गुरुवार, 8 सितंबर 2016

यहां गिरा था भगवान गणेश का सिर, आज भी हैं ये 'कलंकित' !







दरअसल भगवान गणेश के सिर से जुड़ी कई किदवंति है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब माता पार्वती ने गणेश को जन्म दिया, तब समस्त देवी-देवता दर्शन की इच्छा से कैलाश पहुंचे। दर्शन की लालसा लिये शनिदेव भी वहां आए, जो श्रापित थे कि उनकी क्रूर दृष्टि जहां भी पड़ेगी, वहां हानि होगी। इसलिए जैसे ही शनि देव की दृष्टि गणेश पर पड़ी और उनका मस्तक अलग होकर चन्द्रमण्डल में चला गया।

एक अन्य मान्यता, जो कि सर्वाधिक प्रचलित है उसके अनुसार, माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से श्रीगणेश का स्वरूप तैयार किया और स्नान होने तक गणेश को द्वार पर पहरा देकर किसी को भी अंदर प्रवेश से रोकने का आदेश दिया।

इसी दौरान वहां आए भगवान शंकर को जब श्रीगणेश ने अंदर जाने से रोका, तो अनजाने में उन्होंने गणेश का मस्तक काट दिया, जो चन्द्र लोक में चला गया। बाद में भगवान शंकर ने रुष्ट पार्वती को मनाने के लिए कटे मस्तक के स्थान पर गजमुख या हाथी का मस्तक जोड़ा।

चंद्रमा आज भी कलंकित!

मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश का सिर चन्द्रलोक में है। इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रदर्शन व अर्घ्य देकर उपासना की जाती है। साथ ही मान्यता है कि इस दिन चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिये। क्योंकि चंद्र दर्शन करने पर मिथ्या आरोप लगता है।


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