रविवार, 11 सितंबर 2016

नौकरी छोड़ संन्यासी बने शख्स को कोर्ट का निर्देश, 'पत्नी का खर्चा चलाने के लिए कमाओ'

गुजरात हाईकोर्ट ने अपनी नौकरी छोड़ अध्यात्म की राह पकड़ने वाले एक शख्स को अपनी पत्नी के प्रति जिम्मेदारी पूरी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने उस शख्स से पैसा कमाने को कहा ताकि अपनी पत्नी की जरूरत को पूरा कर सके।
सुनील उडासी नाम के इस शख्स का मामला जस्टिस एमजी शाह के समक्ष पहुंचा था। शाह ने कहा कि 'अगर वह लोगों की मदद करने के इच्छुक हैं, तो उन्हें कमाने के लिए भी कुछ करना चाहिए ताकि अपनी पत्नी का खर्च उठा सके।'

हाईकोर्ट ने सुनील उडासी को उनकी पत्नी अलका उर्फ सोनी के भरण पोषण की खातिर पैसा देते रहने का आदेश दिया है। इससे पहले उडासी की पत्नी अलका ने 2002 में वड़ोदरा की अदालत में केस दर्ज कर भरण पोषण की मांग की थी।
'समाज के साथ पत्नी का भी ख्याल रखो'


केस दर्ज होने के दो साल बाद कोर्ट ने अडासी को हर महीने 3500 रुपये देने का आदेश दिया है। यह रकम उडासी की कमाई के आधार पर तय की गई। उडासी संन्यासी बनने से पहले बैंक ऑफ हैदराबाद में काम करते थे और 11000 रुपये कमाते थे। बाद में उडासी ने नौकरी छोड़ दी और विश्व जागृति मिशन के आनंदधाम आश्रम चले गए।

2011 में उडासी ने कमाई न होने और संन्यास ले लेने के आधार पर भरण पोषण के आदेश को चुनौती दी। फैमिली कोर्ट ने एक बार फिर उडासी की याचिका खारिज कर दी। इसके बाद उडासी ने गुजरात हाईकोर्ट से गुहार लगाई।

सुनील उडासी ने हाईकोर्ट के सामने आश्रम के हेड का एक पत्र रखा। इस पत्र में बताया गया था कि उडासी ने अब अपना जीवन धार्मिक और सामाजिक कार्यों में लगा दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि उडासी एक स्वस्थ इंसान हैं। उनकी सामाजिक, नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है कि वह अपनी पत्नी के भरण पोषण के लिए कमाएं।

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