शनिवार, 10 सितंबर 2016

दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा, जिस पर चढ़ता है चोला







बताते हैं कि श्रीगणेश की मूर्ति बनाने में सभी तीर्थों से जल और वहां की मिट्टी मंगाई गई थी। साथ ही मूर्ति निर्माण में सभी धातुओं का भी उपयोग हुआ है। इसके पीछे तर्क दिया गया कि यदि कोई भी श्रद्धालु बड़ा गणपति के दर्शन करता है तो उसे सभी तीर्थों का पुण्य प्राप्त होगा।

हजारों लोगों की आस्था का केंद्र बड़ा गणपति मंदिर 115 वर्ष पुराना है। सन् 1901 में पंडित नारायण दाधीच ने मूर्ति का निर्माण किया, जिसे पूरा होने में लगभग 3 साल लगे।

यह प्रतिमा 25 फीट ऊंची और 14 फीट चौड़ी है। भगवान गणपति को यहां हर साल चार बार सवा मन घी और सिन्दूर का चोला चढ़ाया जाता है। श्रृंगार को पूरा करने में लगभग 10 दिन का समय लगता है।

ऐसी मान्यता है कि गणपति का पूरे विश्व का यह एकमात्र स्वरूप है, जिसमें उनके सभी अंग नजर आते हैं। इस चारभुजा प्रतिमा में भगवान श्रीगणेश आशीर्वाद देता हुए और एक अन्य हाथ में लड्डू लिये हुए दिखाई पड़ रहे हैं। पंडित नारायण दधीच के बाद से उनकी तीसरी पीढ़ी मंदिर की सेवा में लगी हुई है।

पुजारियों के अनुसार, मंदिर में भगवान गणेश के इस स्वरूप के दर्शन मात्र से ही सारे कष्ट कट जाते हैं। दूर-दूर से गणपति के दर्शन करने के लिये यहां लोग आते हैं। दर्शनार्थी भी बताते हैं कि कोई भी शुभ काम करने से पहले वह यहां जरूर आते हैं। दर्शन के बाद शुरू किया गया काम जरूर पूरा होता है।


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