इस स्थान पर सालों पहले शुरू हुई अनोखी परंपरा आज भी जारी है। सांपखंड मंदिर के पास से गुजरने वाला कोई भी राहगीर मन्दिर में बिना पत्थर चढ़ाए नहीं जाता है। हर कोई एक छोटे से पत्थर को मंदिर के एक किनारे में चढ़ाता है। इसके बाद ही यहां से गुजरने की हिम्मत करता है। मन्दिर में एक देवी की प्रतिमा है, जो स्थानीय लोगों के लिए ग्राम देवी का महत्व रखती है।
स्थानीय मान्यता के मुताबिक, मंदिर में अगर कोई पत्थर का चढ़ावा नहीं चढ़ाता है, तो वह किसी न किसी परेशानी में पड़ जाता है। लोग कहते हैं कि पत्थर चढ़ाए बिना कोई यहां से गुजरता है, तो उसकी गाड़ी पंचर या वह अन्य परेशानी में फंस जाता है। इसलिए यहां से गुजरने वाले सभी पहले मंदिर में पत्थर चढ़ाते हैं और फिर आगे बढ़ते हैं।
ग्रामीण भागीरथी बताते हैं कि कई साल पहले यहां घना जंगल हुआ करता था। कोई भी यहां से गुजरने में डरता था, लेकिन धीरे-धीरे यहां श्रद्धालुओं के आने से सड़क का निर्माण हुआ। अब यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
सांपखंड क्षेत्र के ग्रामीण जगजीवन राम सिदार के बताया कि कई सालों से यह परंपरा चली आ रही है। जो बुजुर्गों ने बताया उसे ही लोग निभाते आ रहे हैं। पत्थर चढ़ाए बिना कोई भी राहगीर यहां से नहीं गुजरता है।
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