- हैप्पी बर्थडे
नाम- देव आनंद
जन्मतिथि- 26 सितंबर 1923
पिता- पिशोरीमल आनंद
भाई-बहन- चेतन आनंद, विजय आनंद और शील कांता कपूर
पत्नी- कल्पना कार्तिक
बच्चे- सनील आनंद, देविना आनंद
भारतीय सिनेमा में सदाबहार अभिनेता देव आनंद को उनके खास अंदाज के लिए जाना जाता है, या यूं कहें कि उनका यही अंदाज उन्हें देव आनंद बनाता है. उन्होंने हमेशा जिंदगी को आनंद के रूप में लिया. उनके भीतर की जिंदादिली ने उन्हें कभी बूढ़ा नहीं होने दिया. उनका अंदाज उनके हजारों-लाखों चाहने वालों के भीतर आज भी जवान है.
देव आनंद ने बॉलीवुड में दो दशक तक राज किया. अभिनय के साथ ही उन्होंने लेखन, निर्देशन, फिल्म निर्माण में न केवल अपना हाथ आजमाया, बल्कि सफलता के शिखर को भी छुआ. उनकी अदा इतनी आकर्षक थी कि लोग उनकी एक झलक पाने को बेताब रहते थे. लड़कियों के बीच वह खासतौर पर लोकप्रिय थे.
‘धर्मदेव पिशोरीमल आनंद’ था असली नाम
देव आनंद का जन्म 26 सितंबर, 1923 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के उस हिस्से में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है. देव आनंद का असली नाम ‘धर्मदेव पिशोरीमल आनंद’ था. उनके पिता पिशोरीमल आनंद पेशे से वकील थे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गुरदासपुर के घोरता गांव में हुई. उन्होंने डलहौजी में सेक्रेड हार्ट स्कूल से मैट्रिक तक की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने सरकारी कॉलेज लाहौर से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री हासिल की.
देव के भाई चेतन आनंद और विजय आनंद भी भारतीय सिनेमा में सफल निर्देशक थे. उनकी बहन शील कांता कपूर प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक शेखर कपूर की मां हैं.
गुरुदत्त से थी गहरी दोस्ती
देव आनंद को फिल्म में पहला मौका 1946 में प्रभात स्टूडियो की फिल्म ‘हम एक हैं’ से मिला. हालांकि फिल्म फ्लॉप होने से दर्शकों के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके. इसी फिल्म के निर्माण के दौरान प्रभात स्टूडियो में उनकी दोस्ती गुरुदत्त से हुई. दोनों में तय हुआ कि जो पहले सफल होगा, वह दूसरे को सफल होने में मदद करेगा और जो भी पहले फिल्म निर्देशित करेगा, वह दूसरे को अभिनय का मौका देगा.
‘जिद्दी’ थी देव आनंद की पहली हिट फिल्म
वर्ष 1948 में प्रदर्शित फिल्म ‘जिद्दी’ देव आनंद के फिल्मी करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई. इस फिल्म की कामयाबी के बाद उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और ‘नवकेतन बैनर’ की स्थापना की.
फिल्म असफल होने के बाद याद आए गुरुदत्त
नवकेतन के बैनर तले उन्होंने वर्ष 1950 में अपनी पहली फिल्म ‘अफसर’ का निर्माण किया, जिसके निर्देशन की जिम्मेदारी उन्होंने अपने बड़े भाई चेतन आनंद को सौंपी. इस फिल्म के लिए उन्होंने उस जमाने की जानी-मानी एक्ट्रेस सुरैया को चुना, जबकि एक्टर के रूप में देव आनंद खुद ही थे. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल रही और इसके बाद उन्हें गुरुदत्त की याद आई.
देव आनंद ने अपनी अगली फिल्म ‘बाजी’ के निर्देशन की जिम्मेदारी गुरुदत्त को सौंप दी. ‘बाजी’ फिल्म की सफलता के बाद देव आनंद को फिल्म जगत में एक अच्छे एक्टर के रूप में गिना जाने लगा.
‘गाइड’ थी देवा आनंद की पहली रंगीन फिल्म
इस बीच देव आनंद ने ‘मुनीम जी’, ‘दुश्मन’, ‘कालाबाजार’, ‘सी.आई.डी’, ‘पेइंग गेस्ट’, ‘गैम्बलर’, ‘तेरे घर के सामने’, ‘काला पानी’ जैसी कई सफल फिल्में दीं.
देव आनंद प्रख्यात उपन्यासकार आर.के. नारायण से काफी प्रभावित थे और उनके उपन्यास ‘गाइड’ पर फिल्म बनाना चाहते थे. आर.के. नारायण की स्वीकृति के बाद उन्होंने हॉलीवुड के सहयोग से हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में फिल्म ‘गाइड’ का निर्माण किया, जो देव की पहली रंगीन फिल्म थी.
इस फिल्म में जोरदार अभिनय के लिए देव को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी दिया गया. वर्ष 1970 में फिल्म ‘प्रेम पुजारी’ के साथ देव आनंद ने निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रखा. हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल रही इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.
‘हरे रामा हरे कृष्णा’ की कामयाबी के बाद कई फिल्मों का किया निर्देशन
वर्ष 1971 में उन्होंने फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ का निर्देशन किया और इसकी कामयाबी के बाद उन्होंने अपनी कई फिल्मों का निर्देशन किया. इन फिल्मों में ‘हीरा पन्ना’, ‘देश परदेस’, ‘लूटमार’, ‘स्वामी दादा’, ‘सच्चे का बोलबाला’, ‘अव्वल नंबर’, ‘बाजी’, ‘ज्वैल थीफ’, ‘सीआईडी’, ‘जॉनी मेरा नाम’, ‘अमीर गरीब’, ‘वारंट’ जैसी कई हिट फिल्में शामिल रहीं.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें