शनिवार, 24 सितंबर 2016

मकान की नींव में सर्प और कलश को क्यों गाड़ा जाता है?

मकान का निर्माण करते वक्त हम कई ऐसे कार्यों को प्राथमिकता देते है जिनसे हमारे घर की हर तरह से रक्षा की जा सकें। साथ ही घर की सुख-शांति बनी रहे। मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि जमीन के नीचे पाताल लोक है और इसके स्वामी शेषनाग है। पौराणिक ग्रंथों में शेषनाग के फण पर संपूर्ण पृथ्वी टिकी होने का उल्लेख मिलता है।

शेषं चाकल्पयद्देवमनन्तं विश्वरूपिणम्।

यो धारयति भूतानि धरां चेमां सपर्वताम्।।

इन परमदेव ने वश्वरुप अनंत नामक देवस्वरुप शेषनाग को पैदा किया, जो मान्यतानुसार पहाड़ो सहित पृथ्वी को धारण किए हुए है। भगवान की शय्या बनकर सुख पहुंचाने वाले उनके अनन्य भक्त है। श्रीमद्भागवत के 10 वें अध्याय के एक श्लोक में भगवान कृष्ण नें कहा है अनन्तच्चास्मि नागनां यानी मैं नागों में शेषनाग हूं।

नींव पूजन का पूरा कर्मकांड एक मनोवैज्ञानिक विश्वास पर आधारित है। इसके अनुसार शेषनाग अपने फणण पर पूरी पृथ्वी को धारण किए हुए है। ठीक उसी तरह मेरे इस घर की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फण पर पूरी मजबूती के साथ स्थापित रहे। शेषनाग क्षीरसागर में रहते ह।

इसलिए पूजन के कलश में दूध,दही, घी डालकर मंत्रो से आह्वान कर शेषनाग को बुलाया जाता है। ताकि वे घर की रक्षा करें। नींव में जिस कलश को रखा जाता है उसमें लक्ष्मी स्वरुप सिक्का डालकर फूल और दूध पूजा में चढ़ाया जाता है। जो नागों को सबसे अधिक प्रिय होता है। भगवान शिवजी के आभूषण तो नाग है ही। इसी आस्था और विश्वास के तौर पर नींव में कलश और सर्प को गाढ़ा जाता है।

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