ये मंदिर आसम के गोवाहाटी से 10 किलो मीटर दूर नीलांचल नामक पहाड़ी पर स्थित है आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन आपको बतादू की इस मंदिर में लोग यौनि की पूजा करते है अब आप सोच रहे होंगे की भला किसी मंदिर में यौनि की पूजा कैसे हो सकती है लेकिन ये सच है जी हां यहाँ यौनि की ही पूजा होती है इस मंदिर के पीछे बड़ी रोचक कहानी है !
जब सती के पिता ने अपनी पुत्री और उसके पति संकर को यज्ञ में अपमानित किया था और भगवान् शिव को पूरा भला कहा था इस बात से सती बहुत दुखी हुई हुई और उसी समय यज्ञ की जलती हुई अग्नि में खुद कर अपनी जान देदी उसके बाद भगवान् शिव को गुस्सा आया और उन्होंने शती के शव को उठा कर नर सिंहार्क नृत्य किया था इससे शती के शरीर के 51 टुकड़े हो गए और ये सभी दुकड़े अलग अलग जगह पर जाकर गिरे थे !
इन टुकड़ो से 51 शक्तिया प्रकट हुई थी इनमे से यौनि बल हिस्सा कामख्या में जाकर गिरा था और इसी कारण कामख्या में इस मंदिर का निर्माण किया गया था तव से ही इस मंदिर में यौनि की पूजा होती है इस मंदिर में यौनि के आकर का एक कुंड है जिसमे से जल निकलता रहता है इस कुंड के ऊपर एक लाल कपड़ा होता है जिससे उसको धक् देते है और इसके ऊपर कुछ फूल भी डाल देते है !
इस मंदिर में हर साल एक मेले का आयोजन किया जाता है और इस मेले का नाम है अम्बुबाजी मेला इस मेले में दूर दूर के तांत्रिक और अंघोरी हिस्सा लेते है इस मेले में एक चमत्कार होता है बेस तो यहाँ यौनि से पानी निकलता रहता है लेकिन मेले के तीन दिन यहाँ इस यौनि से खून निकलता रहता है इस मेले को कामरूपो का कुम्भ कहा जाता है यहाँ इस मेले के आलावा और भी कई ऐसे महीने है जिनमे यहाँ पूजा की जाती है !
इस मंदिर में और भी कई ऐसे छोटे छोटे मंदिर है जिनमे बहिनो के हिसाब से पूजा कीजाती है यहाँ पच मंदिर ओट भगवान् शिव के हो और तीन मंदिर भगवान् बिष्नु के है ये मंदिर कफ साल पुराण है यहाँ दुर्गा पूजा अम्बुबाजी पूजा ऐसी कई पूजाए की जाती है जिनमे यहाँ यौनि की पूजा को सबसे बाद माना गया है !
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