सोमवार, 12 सितंबर 2016
वनोपज नाको को किया गया बंद अनुपयोगिता एवं राजस्व की कमी बनी मुख्य वजह
बालाघाट - वन विभाग ने जिले के 13 वनोपज नाको में से 6 वनोपज नाकों को बंद कर दिया है अन्य नाकों को भी शीघ्र बंद करने की कार्यवाही की जा रही है। इन नाको से विभाग को पर्याप्त राजस्व नही मिल पा रहा था नाको में कर्मचारियों की डियूटी भी लगाई जाती थी। जिसके कारण अनावष्यक खर्च भी हो रहा था। दक्षिण सामान्य वनमंडल के अंतर्गत आने वाले छोटे व कम राजस्व देने वाले नाकों को बंद कर दिया गया है अब इन नाकों के स्थान पर केवल विभाग का कार्यालय और वहां लगा हुआ बैरियल ही नजर आयेगा। इन नाकों के बंद होने से एक बार फिर वन माफिया जिले में सक्रिय हो जायेगे। वहीं विभागीय दक्षिण सामान्य वनमंडल के डीएफओ का मानना है कि ये नाके विभाग के लिए अनुपयोगी साबित हो रहे थे जिसकी वजह से इन्हें बंद करने का निर्णय लिया गया है। जिले के वारासिवनी-लालबर्रा मार्ग, मानपुर, हट्टा, गर्रा, इसी तरह भटेरा, टेकाड़ी के नाके में लगाया गये वनोपज जाॅच नाका बंद होने से यहां पर वनोपज की जाॅच हो पाना मुष्किल हो गया है इधर, नाको के बंद होने से वन माफिया के हौसले बुलंद हो जाएगे। वैसे भी इन क्षेत्र में वनोपज की चोरी अधिक होती है इन दोनों ही क्षेत्रों में बड़ी संख्या में वनोपज की कटाई होती है। हालही में करोड़ों रू. की लकड़ी तस्करी का मामला उजागर हुआ था। जिसकी जाॅच अभी भी जारी है ऐसे में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता एवं ब्राडगेज संघर्ष समिति क अध्यक्ष अनुपसिंह बैस का मानना है जिले में पिछले कुछ वर्षो में अवैध कटाई के चलते जिले का वन क्षेत्रफल कम हुआ है। वनोपज नाके बंद हो जाने से वन माफिया एक बार फिर सक्रिय हो जायेगें और इमारती लकड़ियों की तस्करी फिर से बड़ जायेगी।
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पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
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