मंगलवार, 27 सितंबर 2016

अमावस्या त‌िथ‌ि को दूसरे का अन्न खाने वाले के महीने भर के पुण्य नष्ट हो जाते है

शास्‍त्रों के अनुसार कुछ ऐसे द‌िन हैं ज‌िनमें दूसरों के घर या दूसरों के अन्न को खाना अशुभ फलदायी होता है। इससे व्यक्त‌ि का महीनों का पुण्य नष्ट होता है और अगले जन्म में पशु योनि में जन्म लेकर उस व्यक्त‌ि के घर में रहना पड़ता है।
पुराण में बताया गया है क‌ि ग्रहण के द‌िन क‌िसी दूसरे का अन्न नहीं खाना चाह‌िए। इस वर्ष का अंत‌िम ग्रहण चन्द्रग्रहण के रूप में हैं जो 16 स‌ितंबर को है। इस द‌िन दूसरों के घर या दूसरे का अन्न खाने से बचें। पुराण में कहा गया है क‌ि इस द‌िन दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्ष का क‌िया हुआ पुण्य समाप्त हो जाता है।

स्कंद पुराण के अनुसार जो व्यक्त‌ि अमावस्या त‌िथ‌ि को दूसरे का अन्न खाता है उसके महीने भर का पुण्य नष्ट हो जाता है और ज‌िनका अन्न खाते हैं उसे यह पुण्य म‌िल जाता है।

सूर्य हर महीने राश‌ि पर‌िवर्तन करते हैं। इसे संक्रांत‌ि कहा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार इस द‌िन दूसरे का अन्न खाने से भी व्यक्त‌ि के महीने भर का पुण्य समाप्त हो जाता है।

मनुस्मृत‌ि में ल‌िखा है क‌ि जो व्यक्त‌ि सेवा सत्कार और अच्छे भोजन के लालच में दूसरे के घर जाकर भोजन करता है वह अगले जन्म में भोजन करवाने वाले व्यक्त‌ि के घर में पशु बनकर रहता है।

ज‌िस द‌िन सूर्य उत्तरायण या दक्ष‌‌िणायन होता है उस द‌िन भी दूसरे का अन्न नहीं खाना चाह‌िए।

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