1982 में जन्मे निकोलस जन्म से ही फोकोमलिया से पीड़ित थे उनके हाथ और पैर नही थे, उनकी माँ ने तक उन्हें देखने से इनकार कर दिया था. लेकिन नर्स ने जबरन उन्हें दिखाया. पिता चर्च से जुड़े थे तो उन्होंने इसे परमात्मा का आशीर्वाद मान पत्नी को मनाया और सच को स्वीकार किया.
उन्हें लोग "chicken drumstick " कह के चिढाते थे, उनके दो पैर जो पुरे नही विकसित थे आपस में जुड़े थे और एक आपरेशन के द्वारा उन्हें ऐसा बनाया गया जिसे वो ऊँगली के जैसे इस्तेमाल कर सके. डूबता को तिनके को सहारा इससे उन्होंने कलम पकड़ा, पैन पालते कंप्यूटर चलाया और इलेक्ट्रिक व्हील चेयर भी ऑपरेट की.
वो जब सत्रह साल के हुए तो माँ ने उन्हें एक स्प्रिटुअल आर्टिकल बताया और वो अध्यात्म से जुड़ गए, उन्होंने 21 वर्ष की उम्र में ग्रिफिथ विश्वविद्यालय से commerce ग्रेजुएट की डिग्री ली. 19 साल की उम्र से वो मोटिवेशनल स्पीच देने लगे और एक दिन वो आया जब उन्होंने एक लाभ न कमाने वाली खुद की संस्था शुरू की जिसका नाम रखा "बिना हाथ पैरो के जीवन"
2011 में स्विट्ज़रलैंड में वर्ल्ड इकनोमिक फोरम में उन्होंने एक इंस्पिरेशनल स्पीच दी और उन्होंने दुनिया को दिखा दिया की दिव्यांग होना कोई गुनाह नही या जीवन का अंत नही है. 2012 में उनकी शादी भी हुई और वो दो बच्चो के बाप है, पत्नी के साथ हनी मून पर भी जाके आये थे जिसमे वर्ल्ड टूर भी था.
"Life Without Limit " नाम से उन्होंने एक किताब भी लिखी है जो की 30 भाषाओ में छपी थी, अब और क्या करें एक बन्दा ये बताने के लिए की किस्मत हाथो की लकीरो में नही बल्कि कर्मो में होती है.
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