कहते हैं ना, इंसान का वक़्त बदलते देर नही लगती। एक पल कुछ और है तो दूसरे ही पल कुछ और होगी ज़िन्दगी। ऐसा ही कुछ हुआ है मंजुला के साथ। जी हाँ, कभी करती थी सड़को पर काम और आज है करोड़ों की मालकिन। तो चलिए आज हम आप को मिलवातें हैं। एक ऐसी महिला से जिसने अपने दम पर विकास के उस मार्ग को चुना जिससे वो खुद तो आगे बढ़ी और कइयों की हैं प्रेरणा।
दिनभर कचरा बीनकर इस महिला को महज 5 रूपये ही मिलते थे। कचरा बीनने वाली यह महिला आज 400 लोगों को काम पर रखी है और इनका सालाना इनकम करोड़ो रूपये का है। गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में रहने वाली 60 साल की मंजुला किसी ज़माने में दो वक्त की रोटी के लिए भी मुस्ताद थी। लेकिन अहमदबाद में वो आज के इस दौर में 45 संस्थाओं और सोसायटी के लिए काम करती है। मंजुला के जीवन में उस वक्त सबसे बड़ा बदलाव तब आया जब वो ईलाबेन भट्ट की सेल्फ एंप्लॉयीड विमिंस असोसिएशन के संपर्क में आने से हुआ।
वो कहती हैं ,अहमदाबाद के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन ने उन्हें काम दिया। उसके बाद धीरे-धीरे वो आगे बढ़ने लगी और अब मंजुला की इस मंडली गुजरात में होने वाली वाइब्रेंट गुजरात समिट की में भी सुन्दरता के देख रेख का भी जिम्मा संभाल चुकी हैं। मंजुला की इस मंडली में काम करने वाली कई ऐसी महिलाएं हैं जो सड़को पर कचरा उठाने का काम किया करती थी और आज मंजुला के साथ वो भी कदम से कदम मिलाकर बेहतर सुविधा के साथ क्लीनिंग के काम को कर रही है।
शनिवार, 3 सितंबर 2016
कचरा बीनने वाली महिला ने रखा 400 लोगो को जॉब पर
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जरा हटके
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
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