कहते हैं हीरा घर औक इंसान दोनों की शान बढ़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंसान के जेंडर की तरह हीरे का भी जेंडर होता है। मुझे लगता है ज्यादातर लोग इस बात से अभी तक अनजान होंगे कि हीरा भी नर, नारी और नपुंसक होता है। बहुत ही कम लोग इसके बारे में जानते हैं। लेकिन आज हम आपको उन हीरों की पहचान बताने जा रहे है और आप खुद कैसे इनकी पहचान कर सकते है कि आप किस तरह का हीरा अपनी उंगली में पहने। तो उसकी पहचान कुछ इस तरह की जाती है।
हीरे के तीन जेंडर होते हैं...
1. नर हीरा- पुरुष जाति का हीरा उत्तम, गोलाकार चमकदार, भारी तथा रेखा और बिन्दुओं से हीन यानी एकदम साफ होता है।
2. स्त्री हीरा- स्त्री जाति का हीरा छ: कोने के रेखाओं और बिन्दुओ से संयुक्त रहता है।
3. नंपुसक हीरा- नंपुसक हीरा त्रिकोणाकार और भारी होता है।
आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि पुरुष जाति का हीरा रस यानी पारे को बांधने में श्रेष्ठ है। स्त्री जाति का हीरा चेहरे की चमक को बढ़ाने वाला और स्त्रियों को सुख देने वाला है। नपुंसक जाति का हीरा वीर्यविहीन, कामवर्जित और सत्व शून्य होता है। यानी स्त्री जाति का हीरा स्त्रियों को, नपुंसक जाति का हीरा नपुंसकों तथा पुरुष जाति का हीरा पुरुषों को अत्यन्त सुख और समृद्धि देने वाला होता है।
ऐसे ही रत्न विज्ञान मे हीरे को 4 वर्णों अथवा जातियों मे भी विभाजित किया गया है। यानी, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र..
1. ब्राह्मण जाति का हीरा सफेद, एकदम चमकदार और रसायनादि कार्यों के लिए उपयोगी है और सब प्रकार की सिद्धियों को देता है।
2. क्षत्रिय जाति का हीरा लाल रंग का होता है, यह सर्वव्याधि अर्थात सभी रोगों को यहां तक की बुढ़ापा और मृत्यु को भी दूर करता है।
3. वैश्य जाति का हीरा पीला होता है और यह धन तथा लक्ष्मी को देने वाला है और शरीर को दृढ़ और मजबूत बनाने वाला है।
4. शूद्र जाति का हीरा काले रंग का होता है, यह रोग नाशक और अवस्था स्थापक है।
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