सोमवार, 22 अगस्त 2016

संतान की लंबी आयु के लिए माताएं रखेंगी हलषष्टी व्रत

भाद्रपद कृष्णपक्ष षष्ठी तिथि को भगवान बलराम जयंती के रूप में मनाया जाता है। मंगलवार 23 अगस्त को षष्ठी तिथि होने से माताएं अपनी संतना की लंबी उम्र और सुख-सम‍ृद्धि के की कामना के लिए हलषष्ठी व्रत रखेंगी।पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री के अनुसार इस दिन माताएं दिनभर उपवास रखने के बाद हलषष्ठी का पूजा कर कथा सुनकर शाम को बिना हल चले अनाज व पांच प्रकार की भाजी ग्रहण करेंगी। इसमें पसहर चावल का विशेष महत्व होता है। हलषष्ठी में हल का उपयोग किए बिना लगे अन्न व फलों का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही लाई, मिट्टी के चुकिया, खेम के मेड़ में उगे काशी का उपयोग भी किया जाता है।

भैंस के दूध व भाजी से होता है पूजन 

हलषष्ठी में भैंस के दूध से बने घी और दही का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही हल की जोताई और बोवाई से उत्पन्न अन्न का त्याग किया जाता है। इस पर्व पर पांच प्रकार भाजी, महुवा, आम, पलास की पत्ती, कांसी के फूल, नारियल, मिठाई, रोली-अक्षत, फल, फूल सहित अन्य पूजन सामग्री से विधि-विधान से पूजन करने की परंपरा है। शास्त्रों में संतान की रक्षा के लिए माताओं के लिए श्रेष्ठ बताया गया है।

कुंड बनाकर हलषष्ठी की पूजा 

इस दिन माताएं सुबह से ही महुआ पेड़ की डाली का दातून कर, स्नान कर व्रत धारण करती हैं। इस व्रत में भैस के दूध का ही उपयोग किया जाता हैं। दोपहर के बाद घर के आंगन में, मंदिर-देवालय कुंड (सगरी) बनाकर उसमें जल भरते हैं। बेर, पलाश, गूलर पेड़ों की टहनियों तथा काशी के फूल को लगाकर सजाते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।

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