मधुबनी। भारत देश मेलों का देश है। यहां हर त्योहार, मौसम, रीति-रिवाज और परंपराओं के अनुसार मेलों का आयोजन होता है। इन मेलों में जहां मनोरंजन के साधन होते हैं, वहीं कई चीजें बिकने के लिए भी आती हैं। लेकिन क्या आपने कभी दूल्हों के मेले के बारे में सुना है। नहीं ना, लेकिन यह सच है। बिहार के मधुबनी में हर साल दूल्हों का मेला लगता है और इस मेले में बिकने के लिए आते हैं दूल्हे।
यह मेला आज से नहीं बल्कि सैकड़ों सालों से लगता आ रहा है। इस मेले की शुरूआत सन् 1310 ई. से हुई। मेले में इन दूल्हों के खरीदार यानी लड़की के मां बाप अपनी बेटी के लिए योग्य वर पसंद करते है। यहां शादी करवाने से पहले लड़का और लड़की पक्ष एक दूसरे के बारे में पूरी तरह जानकारी हासिल करते हैं, फिर दोनों पक्षों की आपसी सहमति से रजिस्ट्रेशन कराने के बाद शादी कराई जाती है।
इस मेले की शुरूआत दहेज-प्रथा को रोकने के लिए मिथला नरेश हरि सिंह देव ने सन् 1310 ई. में की थी। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण इस मेले का महत्व कम होता जा रहा है। इस मेले में आजकल ज्यादातर वो ही परिवार शिरकत करते हैं जो आर्थिक रूप से कजमोर होते हैं।
शनिवार, 27 अगस्त 2016
यहां हर साल लगता है दूल्हों का मेला, लगती है बोलियां
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जरा हटके
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
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