पटना। हिंदू धर्म में बंदर को भगवान का रूप माना जाता है। वहीं बिहार में एक गांव ऐसा भी है, जहां लोग बंदरों के खौफ से लोग अपना घर तक छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। इस गांव में कोई ऐसा शख्स नहीं है। जिसके शरीर में उनके काटने का निशान न हो।
तीन साल पहले करीब गांव में एक दर्जन बंदर आए थे। अब 400 बंदर हो गए। बिहार के सुपोल जिले का सरायगढ़ गांव NH-57 पर है। पूरी तरह से बंदरों के कब्जे में है। कुछ ही बंदर थे जो कोई मेरे गांव में छोड़ गया था।
अब तो कोई बंदर ऐसा नजर नहीं आता जिसकी बॉडी से कोई बच्चा चिपटा नजर न आए। नजर बचे तो घर से सामान निकाल कर ऐसे ले जाते हैं। जैसे वो घर के एक-एक कोने से वाकिफ हैं।
इस बंदरों ने जीना मुहाल कर दिया है। घर से सामान उठा ले जाते हैं। इसको तो गांव वाले झेल लेते हैं। लेकिन रास्तों में अकेले नहीं निकल सकते। झपट पड़ते हैं। काटने को दौड़ते है। लोगों को जख्मी कर देते हैं।
इस गांव के लोगों की लाठी साथ लेकर चलना पड़ता है। कोई सड़क ऐसी नजर नहीं आती जहां बंदरों का कब्जा न हो।
गांव में रहने वाली इंद्रा देवी बताती हैं, जिंदगी नर्क बन गई है. खौफ बना रहता है. कई लोगों को जख्मी कर दिया। जिन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा। गांव के प्रधान विजय यादव का कहना है कि लोग गांव छोड़ रहे हैं। कई लोग तो गांव छोड़कर भी जा चुके हैं।
बुधवार, 10 अगस्त 2016
इस गांव पर बंदरों ने किया कब्जा, लोगों को निकाला बाहर
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
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