मंगलवार, 9 अगस्त 2016

कुछ अलग चाहती है हर औरत

सदियों से एक सवाल आम आदमी से लेकर, मनोवैज्ञानिकों, वैज्ञानिकों तक को तंग कर रहा है औरतें क्या चाहती हैं?। सिगमंड फ्रायड जैसे महानतम मनोवैज्ञानिक हों या हॉलीवुड के अभिनेता मेल गिब्सन, सब इस सवाल को लेकर परेशान रहे हैं। इस के बारे में हज़ारों क़िताबें, लेख, ब्लॉग पोस्ट लिखे गये। लाखों बार इस पर बहस हो चुकी है। महिलाएं ख़ुद भी इस मसले पर अक्सर चर्चा करती हैं।

लेकिन, इस पर लंबी चर्चाओं, क़िताबों, रिसर्च के बावजूद औरतों की ख़्वाहिश की कोई एक परिभाषा, या एक दायरा तय नहीं हो पाया। न ही ये तय हो पाया है कि आख़िर उनके अंदर ख़्वाहिश जागती कैसे है? उन्हें किस तरह से संतुष्ट किया जा सकता है?
ऐसा भी नहीं है बरसों की मेहनत बर्बाद हुई हो। आज काफ़ी हद तक महिलाओं की सेक्स संबंधी ख़्वाहिशों को समझ सकते हैं। पहले कहा जाता था कि महिलाओं की चाहत कभी पूरी नहीं की जा सकती। वो सेक्स की भूखी हैं। उनमें ज़बरदस्त काम वासना है।
लेकिन, अब वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि औरतों की सेक्स की चाहत को किसी एक परिभाषा के दायरे में नहीं समेटा जा सकता। ये अलग-अलग औरतों में अलग-अलग होती है।
पहले ये सवाल करने पर कि महीने में आपको कितनी बार सेक्स की ज़रूरत महसूस हुई? तो जवाब मिलते थे कि मर्दों को ज़्यादा बार ज़रूरत महसूस हुई। मगर जब यही सवाल घुमाकर किया गया कि कुछ ख़ास मौक़ों पर, साथी से नज़दीकी पर, बातचीत के दौरान, आपको कितनी बार सेक्स की ख़्वाहिश हुई? तो, औरतों और मर्दों के जवाब कमोबेश एक बराबर चाहत ज़ाहिर करने वाले थे।
ज़रूरी नहीं कि महिलाओं की ख़्वाहिश हर बार सेक्स करके पूरी हो। हर औरत अलग तरह से तसल्ली महसूस करती है। अलग-अलग वक़्त में एक औरत भी कई तरह के एहसास से गुज़रती है। कई बार उन्हें हस्तमैथुन से ही तसल्ली मिल जाती है। कइयों को सिर्फ़ सेक्स के ख़्याल से ही ऑर्गेज़्म हो जाता है।किसी औरत के अंदर सेक्स की ख़्वाहिश के कई पहलू होते हैं। महिलाओं के अंदर ख़्वाहिश जगाने के लिए ज़्यादा बेहतर तरीक़ा है मनोवैज्ञानिक पहलू पर काम करना, उनके आस-पास के माहौल को बेहतर किया जाना,उनके तनाव की वजह को दूर किया जाना चाहिए। वो अच्छा महसूस करेंगी तो उनके अंदर ख़्वाहिश ख़ुद ब ख़ुद जगेगी।
साथी की इच्छा के बराबर ही महिलाओं को भी सेक्स की चाहत महसूस हो ज़रूरी नहीं । बेहतर होगा कि दोनों मिल-बैठकर इस बारे में बात करें और एक दूसरे की ज़रूरतों और ख़्वाहिशों को समझने की कोशिश करें।

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