मंगलवार, 30 अगस्त 2016

सूर्य ग्रहण के समय क्या करें दान

ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो खगोलीय पिंडों की विशेष अवस्था व स्थिति के कारण घटती है। वे खगोलीय पिंड पृथ्वी, सूर्य व चंद्रमा जैसे ग्रह, उपग्रह हो सकते हैं। इस दौरान इन पिंडों द्वारा उत्पन्न प्रकाश इन पिंडों के कारण ही अवरूद्ध हो जाता है। भारतीय ज्योतिष में ग्रहणों का बहुत महत्व है क्योंकि उनका सीधा प्रभाव मानव जीवन पर देखा जाता है। चंद्रमा के पृथ्वी के सबसे नजदीक होने के कारण उसके गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। इसी कारण पूर्णिमा के दिन समुद्र में सबसे अधिक ज्वार आते हैं और ग्रहण के दिन उनका प्रभाव और अधिक हो जाता है। भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं। यही भूकंप यदि समुद्र के तल में आते है, तो सुनामी में बदल जाते हैं। ग्रहण अधिकाशंतः किसी न किसी आने वाली विपदा को दर्शाते हैं।


शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के समय दिया हुआ दान, जप, तीर्थ, स्नानादि का फल अनेक गुणा होता है। लेकिन यदि रविवार को सूर्य ग्रहण हो तो फल कोटि गुणा होता है।


क्या करें दान?

 * ग्रहण समाप्ति पर दान करना चाहिए। ओम् नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।


* जिनकी साढ़ेसाती चल रही हो वे जातक अपने वजन के बराबर तुलादान कर सकते हैं या 12 किलो ऐसा अनाज अलग-अलग लिफाफों में डालकर दान दे सकते हैं।


* कालसर्प दोष के जातक विशेष जाप, महामृत्युंजय मंत्र व राहु-केतू के मंत्र जप सकते हैं।


 * व्यापार वृद्धि हेतु गल्ले में दक्षिणावर्त शंख, 7 लघु नारियल, 7 गोमती चक्र  रखें।


 * रोग मुक्ति हेतु  ग्रहण काल में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए महामृत्युंजय यंत्र का अभिषेक करें। कांसे की कटोरी में पिघला देसी घी भरें, एक रुपया या चांदी या सोने का सिक्का या टुकड़ा डालें। इसमें रोगी अपनी छाया देखें और दान कर दें।


 * धन प्राप्ति के लिए श्री यंत्र या कुबेर यंत्र पूजा स्थान पर अभिमंत्रित करवा के रखें।


* ग्रहण काल में कालसर्प योग या राहु दोष की शांति किसी सुयोग्य कर्मकांडी द्वारा करवाएं।

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