राजस्थान में एक जगह ऐसी भी है, जहां मुस्लिम समुदाय के लोग दरगाह में जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाते हैं। राजस्थान के झुंझुनू जिले के चिड़ावा में स्थित नरहर दरगाह, जिसे शरीफ हजरत हाजिब शकरबार दरगाह के रूप में भी जाना जाता है, दरगाह में भगवान कृष्ण के जन्माष्टमी के अवसर पर तीन दिनों का उत्सव बड़ा धूमधाम से आयोजित किया जाता है।
जानकारी के अनुसार 'यह पर्व पिछले 300-400 वर्षों से मनाया जा रहा है। यहां हर समुदाय के लोग आते हैं। इस समारोह का मुख्य उद्देश्य हिंदुओं और मुस्लिमों में भाईचारे को बढ़ावा देना है।'
-दरगाह की गुम्बद से बरसती थी शक्कर :
मान्यता है कि पहले यहां दरगाह की गुम्बद से शक्कर बरसती थी इसी कारण यह दरगाह शक्कर बार बाबा के नाम से भी जानी जाती हैं। शक्करबार शाह अजमेर के सूफी संत ख्वाजा मोइनुदीन चिश्ती के समकालीन थे तथा उन्ही की तरह सिद्ध पुरुष थे। शक्करबार शाह ने ख्वाजा साहब के 57 वर्ष बाद देह त्यागी थी।
- देश के हर कोने से आते है यहां लोग :
त्योहार के दौरान यहां बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों के लोग आते हैं। यहां काफी संख्या में हिंदू लोग आते है और दरगाह में फूल, चादर, नारियल और मिठाइयां चढ़ाते हैं।' त्योहार के दौरान दरगाह के आसपास 400 से ज्यादा दुकानें सज जाती हैं। जन्माष्टमी की रात यहां मंदिरों की तरह ही कव्वाली, नृत्य और नाटकों का आयोजन होता है।
-नवविवाहित जोड़े मांगते है मन्नतें
यह त्योहार कब और कैसे शुरू हुआ इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि यह राष्ट्रीय एकता की सच्ची तस्वीर पेश करता है। क्योंकि त्योहार को यहां हिंदू, मुस्लिम और सिख साथ मिलकर मनाते हैं।' नवविवाहित जोड़े यहां खुशहाल और लंबे वैवाहिक जीवन की मन्नतें मांगने आते हैं।
रविवार, 14 अगस्त 2016
राष्ट्रीय एकता की सच्ची तस्वीर जहां मुसलमान मनाते हैं धूमधाम से जन्माष्टमी का पर्व ...
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जरा हटके
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
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