शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

भगवान की खुशी के लिए अपनाएं भोजन का यह तरीका, ग्रह दोषों का होगा नाश

वास्तु शास्त्र के अनुसार भोजन सदैव पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख करते हुए ही करना चाहिए। चूंकि दक्षिण दिशा यम की दिशा होती है इसलिए इस दिशा की ओर मुख करके भोजन करना दोषपूर्ण है, इससे किया गया भोजन तन और मन दोनों को दूषित करता है तथा शक्ति का क्षय करता है।

अथर्ववेद के अनुसार भोजन हमेशा भगवान को अर्पित करने के बाद ही करना चाहिए। भोजन करने से पूर्व हाथ व पैरों को स्वच्छ जल से अवश्य धो लेना चाहिए। भोजन करते समय मन को प्रसन्न और शांत रखना उचित माना जाता है। भोजन करने के दौरान क्रोध, लोभ, मोह तथा काम का चिंतन करने से किया गया भोजन शरीर को लाभ के बजाय नुक्सान ही पहुंचाता है।

भोजन करने से पूर्व गौ ग्रास निकालने, भूखे व्यक्ति के आ जाने पर उसे भोजन कराने, अन्न का दान करने, जीव-जंतुओं को दाना-पानी देने और भोजन के समय भगवान का चिंतन करने एवं उनका नाम जपते हुए संतुष्ट भाव से भोजन करने से भगवान प्रसन्न होते हैं तथा ग्रह दोषों का शमन होता है।

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