बुधवार, 6 जुलाई 2016

जानिए, क्‍या है दान-धर्म, किन्‍हें और क्‍या-क्‍या देना चाहिए दान






किन्‍हें दें दान ?
गरुण पुराण के 98वें अध्‍याय में याज्ञवल्‍क्‍य जी कहते हैं कि सत्‍क्रियावान् (कर्मनिष्‍ठ) ब्राह्मण जो विद्या तथा तपस्‍या से युक्‍त ब्रह्म तत्‍ववेत्‍ता हों, वही दान के सर्वप्रथम सच्‍चे पात्र हैं। विद्या एवं तपस्‍या से हीन व्‍यक्‍ति को, भले ही वह खुद को ब्राह्मण कहता हो दान नहीं देना चाहिए। इस प्रकार का दान देने और लेने वालों को कभी सद्गति नहीं मिलती।
इसके अलावा किसी के याचना करने पर उसे यथाशक्‍ति और अपनी श्रद्धा के अनुसार दान देना चाहिए। थके हुए प्राणी को आसन आदि देकर थकान दूर करना, रोगी की सेवा करना, देवपूजन करना, सच्‍चे पात्र (हकदार) को विद्या प्रदान करना, अतिथि का सत्‍कार और जरूरतमंद की मदद भी दान के ही प्रकार हैं।
दान में क्‍या-क्‍या देना चाहिए ?
गरुण पुराण के अनुसार गृहस्‍थ के द्वारा गौ, भूमि, धान्‍य तथा सुवर्ण (सोना) आदि का दान सत्‍पात्र को उसका पूजन करने के उपरांत ही दिया जाना चाहिए। दान हर रोज देना चाहिए। सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण आदि विशेष अवसर पर अधिक दान देना चाहिए।गोदान करते वक्‍त
गरुण पुराण के अनुसार गाय का दान करते वक्‍त जिन बातों का ध्‍यान रखना चाहिए उसपर विस्‍तार से बताया गया है। सभी दानों में गोदान को सबसे महत्‍वपूर्ण माना गया है। स्‍वर्ण से अलंकृत सींगों वाली, चांदी से मढ़े हुए खुरों वाली, सुंदर वस्‍त्र से आच्‍छादित (पहने हुए), अधिक दूध देने वाली, सुशील गाय का यथाशक्‍ति दक्षिणा के साथ दान करना चाहिए। इसमें भी सींग में 160 माशा सोना तथा खुर में सात पल चांदी लगाना चाहिए तथा दुग्‍ध दोहन पात्र पचास पल कांसे का होना चाहिए। दान देते वक्‍त दुग्‍ध दूहने के लिए कांस्‍यपात्र भी देना चाहिए।
गाय के साथ उसके बछड़े का भी दान किया जाना चाहिए। बछड़े का भी साज-श्रृंगार होना चाहिए। यही नहीं गाय रोगी नहीं होनी चाहिए। यदि बछड़ा ना हो तो स्‍वर्ण या पिप्‍पलकाष्‍ठ का बछड़ा या बछिया बनवाकर दान देना चाहिए। भूरे रंग की गाय का दान सर्वाधिक उत्‍तम माना गया है।
अगर ना कर सकें स्‍वर्णमय गाय का दान
गरुण पुराण के अनुसार अगर स्‍वर्ण मंडित सींगों वाली और चांदी जड़ित खुरों वाली गाय का दान करने का सामर्थ्‍य ना हो तो रोगरहित, हृष्‍ट-पुष्‍ट, दूध देनेवाली धेनु अथवा दूध न देनेवाली गर्भिणी गौ का दान देना चाहिए।
इसके अलावा भूमि, दीप, अन्‍न, वस्‍त्र और घी के दान से लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होती हैं। वहीं घर, धन, छाता, माला, उपयोगी वृक्ष, यान (सवारी), जल, शय्या, कुमकुम, चंदन आदि प्रदान करने से स्‍वर्गलोक में प्रतिष्‍ठा प्राप्‍त होती है। विद्या प्रदान करना भी महादान माना गया है।


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