शुक्रवार, 22 जुलाई 2016

ज्योतिषियों की राय: भाजपा को पार्टी के अंदर मौजूद सनीचरों से निपटना होगा

कहते हैं कि ग्रह खराब हों तो ऊंट पर बैठे व्यक्ति को भी कुत्ता काट लेता है. यानी दिन कितने भी अच्छे हों, ग्रहों की दशा विपरीत हो तो मौसम खराब हो जाता है. आजकल भाजपा का मौसम खराब है. देश के मानसून से कहीं ज़्यादा आफत उनके सिर बरस रही है. इस बारिश में पार्टी पानी पानी हुई जा रही है. जो मेढ़ और मीनारें उन्होंने इतने दिनों मशक्कत करके जमाई हैं, वो इस पानी में बही जा रही हैं. ज्योतिषी कहते हैं कि यह ग्रहों का फेर है.

हम भला ग्रहों को क्यों मानते. न माना, न मानेंगे. लेकिन भाजपा मानती है. बाकी पार्टियां भी मानती हैं. पितृपक्ष में कोई शपथ नहीं लेता. कार के पहिए के नीचे नीबू शहीद करके प्रचार करने निकलते हैं नेता. कुछ गुरुवार को साबुन सिर में नहीं लगाते तो कुछ करवाचौथ और तीज पर निरजला रहकर अपना सौभाग्य जगाती हैं

ऐसे अवैज्ञानिकों के लिए पंचांग महत्वपूर्ण है. और वही पंचांग गणना कह रही है कि भले ही सिर के पीछे पूरा चांद उग आया हो, काले बादलों ने समय को फेर रखा है. ये काले बादल रह-रहकर राजनीति में भाजपा को पटखनी दे रहे हैं. कभी अंबेडकर भवन का धोबी पछाड़ तो कभी नवजोत सिद्धू का गर्दनपकड़. सुब्रमण्यम स्वामी राहु हुए जाते हैं.

वाराणसी के एक प्रतिष्ठित ज्योतिषी आचार्य ऋषि द्विवेदी बताते हैं, “दरअसल, भाजपा की राशि मिथुन है और लग्न वृश्चिक है. इस राशि और लग्न में नवंबर 2014 से शनि की साढ़ेसाती चल रही है”. यानी भाजपा के सिर पर सनीचर बैठा है. द्विवेदी बताते हैं कि भाजपा के लिए नवंबर 2014 से ही एक के बाद एक अप्रिय खबरों का क्रम जारी है

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