रविवार, 10 जुलाई 2016

अद्भुत मंदिर: यहां चोरी करने पर पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं

उत्तराखंड में कई पुरातन मंदिर है। वहां एक ऐसा अद्भुत मंदिर है जहां चोरी करने पर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। रुड़की के चुड़ियाला गांव में प्राचीन सिद्धपीठ चूड़ामणि देवी मंदिर स्थित है। माना जाता है कि यहां चोरी करने से प्रत्येक व्यक्ति की इच्छाएं पूर्ण होती हैं। इस मंदिर में वह दंपति भी आते हैं, जिन्हें पुत्र प्राप्ति की इच्छा होती है।

चोरी करने से होती है पुत्र प्राप्ति

माना जाता है कि पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपति मंदिर में माता के चरणों से लोकड़ा (लकड़ी का गुड्डा) चुरा कर ले जाते हैं अौर उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती हैं। उसके पश्चात  पति-पत्नि अषाढ़ माह में अपने पुत्र के साथ ढोल नगड़ों सहित मां के दरबार मे पहुंचते हैं। वहां भंडारा करवाने के साथ ही जो लोकड़ा लेकर गए थे उसके साथ एक अोर लोकडा अपने पुत्र के हाथों अर्पित करवाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि 1805 में लंढौरा रियासत के राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

कथा के अनुसार

राजा वन में शिकार करने आए थे तभी उन्हें माता की पिंडी मिली। राजा का पुत्र नहीं था इसलिए राजा ने माता से पुत्र प्राप्ति का वर मांगा।  मन्नत पूरी होने पर राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया।

यहां के बारे में कहा जाता है कि राजा प्रजापति दक्ष ने अपने आयोजित यज्ञ में शिव को आमंत्रित नहीं किया था। जिसके कारण माता सती ने रुष्ट होकर यज्ञ में कूदकर उसे  विध्वंस कर दिया था। जब भोलेनाथ माता सती की मृत देह ले जा रहे थे, तब इस घने वन में मां का चूड़ा गिर गया था। उसके पश्चात इस स्थान पर मां का पिंडी स्वरुप स्थापित करके एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। कालांतर से यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। माता के दर्शनों हेतु दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं। यहां पर भव्य मेला भी लगता है।

माता की पिंडी पर शेर भी आते थे माथा टेकने

जहां मंदिर का निर्माण किया गया, वहां पहले घना जंगल था। जहां शेरों की दहाड़ सुनाई देती थी। लोगों का मानना है कि शेर भी माता की पिंडी पर प्रतिदिन माथा टेकने आया करते थे।

बाबा बनखंडी थे माता चूड़ामणि के अटूट भक्त

बाबा बनखंडी माता चूड़ामणि के अटूट भक्त थे। कहा जाता है कि बाबा बनखंडी महान भक्त एवं संत थे। उन्होंने यहीं पर 1909 में समाधि ली थी। मंदिर के परिसर में उनका समाधि स्थल बनाया गया है।

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