'ये पानी नहीं शाहजहां के आंसू हैं' दरअसल ताजमहल घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए ये जगह किसी अजूबे से कम नही हैं। संगमरमर की बनी इस भव्य इमारत के भीतर मौजूद मुगल बादशाह शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज महल की कब्रें हैं। अनोखी बात ये है कि मुमताज और शाहजहां की कब्रें भले ही अगल-बगल हों लेकिन सिर्फ मुमताज की कब्र पर पानी की बूंदें टपकती रहती हैं। यहां आने वाले सैलानियों को ताज का दीदार कराने वाले कुछ गाइड इसे 'शाहजहां के आंसू' बताते हैं। आंसुओं की ये कहानी ताजमहल आने वाले लगभग हर सैलानी को अलग-अलग तरह से सुनाई जाती है। यह भी बता दें कि मुमताज की कब्र पर आंसू टपकना गाइडों का सबसे पसंदीदा और प्रभाव पैदा करने वाला विषय भी है।
क्या गुंबद से टपकते हैं 'आंसू' ?
अगर आप आगरा स्थित ताजमहल के दीदार को गए हों और शाहजहां और मुमताज की कब्रों का मुआयना किया होगा तो आपने मुमताज की कब्र पर पानी की कुछ बूंदें जरूर देखी होंगी। दरअसल जिस पानी को गाइड शाहजहां के आंसू बताते हैं, वो गुंबद से टपकता पानी ही है। इन बूंदों के टपकने के पीछे भी कई कहानियां प्रचलित हैं। वास्तविकता तो ये है कि मुमताज की कब्र पर गिरने वाला 'आंसू' शाहजहां के नहीं बल्कि हर मौसम में गिरने वाली बरसाती बूंदें हैं।
तो क्यों टपकती है छत ?
इसके पीछे भी एक कहानी है जिसे कुछ गाइड अपने-अपने अंदाज में बयां करते हैं। एक कहानी जो सबसे ज्यादा कही जाती है वो ये कि, ताजमहल बन जाने के बाद शाहजहां ने फैसला लिया कि सभी कारीगरों के हाथ कलम करवा दिए जाएं, जिससे कभी दूसरा ताजमहन ना बनाया जा सके। लेकिन, ठीक उसी समय एक कारिगर सामने आया जिसने शाहजहां को बताया कि ताजमहल के गुम्बद में कुछ दोष रह गया है, जिसे मेरे अतिरिक्त कोई और ठीक नहीं कर सकता।
कारिगर ने दिखाई थी चतुराई या लिया था बदला ?
कारीगर ने शाहजहां से गुम्बद की गड़बड़ी को ठीक करने की गुजारिश की और उसके ठीक हो जाने के बाद अपने हाथ कटाने की बात पर राजी भी हो गया। इसपर शाहजहां ने भी अपनी हामी भर दी और कारीगर के हाथ कटने में थोड़ी देर की मोहलत मिल गई।
किस्से-कहानियों के अनुसार इस भव्य ईमारत को बनाने के बदले ईनाम की जगह हाथ कटाने की बात से कारीगर को गहरी ठेस लगी थी, लिहाजा उसने भी शाहजहां से बदला लेने की ठानी और गुंबद में एक गुप्त सुराख कर दिया। जो सीधे मुमताज की कब्र के ऊपर खुलता था।
आजतक टपकता है पानी
ताजमहल के गुंबद के सुराख से हर मौसम में पानी की बूंद टपकती है, जिसे शाहजहां भी अपने जीवन काल में ठीक नहीं करवा सका। मुमताज की कब्र पर पानी की बूंदों के टपकने की घटना को इतिहासकार राजकिशोर राजे ने बुनियादी खामी बताया है, लेकिन गाइड की कहानियों को उन्होंने महज एक किवदंती से ज्यादा कुछ नहीं माना है।
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