उड़ी अटैक के बाद भारत में पाकिस्तानी कलाकारों के हो रहे विरोध पर सलमान खान ने भी टिप्पणी की है। शुक्रवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'वे कलाकार हैं, आतंकवादी नहीं। सरकार उन्हें वीजा और भारत में रहने देने की अनुमति देती है। वहीं, सर्जिकल स्ट्राइक पर सलमान खान ने कहा, वे आतंकवादी थे ना? प्रॉपर एक्शन था।
सलमान ने कहा कि कलाकार और आतंकवदी दोनों अलग-अलग बातें हैं।क्या कलाकार आतंकवादी होते हैं? कलाकार यहां वीजा लेकर आते हैं उन्हें वर्क परमिट हमारी सरकार देती है। आदर्श स्थिति तो अमन और चैन की होनी चाहिए, लेकिन अब जो हुआ है तो जाहिर है एक्शन का रिएक्शन तो होगा ही।
बताते चलें कि उड़ी हमले के बाद से पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान, माहिरा खान, अली जफर सहित कई अभिनेताओं और गायकों को पाकिस्तान वापस भेजने की मांग उठाई जा रही है। फिल्म निर्माताओं के संगठन 'इंडियन मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन' (इम्पा) ने गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित कर पाकिस्तानी कलाकारों के बॉलीवुड में काम करने पर रोक लगा दी थी। इम्पा के अध्यक्ष और निर्माता टीपी अग्रवाल ने अपने बयान में कहा था कि‘इस संस्था के सदस्य निर्माता किसी पाकिस्तानी कलाकार को अपनी फिल्मों में नहीं लेंगे।'
'मनसे' ने दिया था 48 घंटे का अल्टीमेटम
बीते 23 सितंबर को 'मनसे' ने पाकिस्तानी कलाकारों को 48 घंटों के अंदर भारत छोड़ने का अल्टीमेटम दिया था। पार्टी के चित्रपट सेना के प्रमुख अमेय खोपकर ने कहा था कि उड़ी में आतंकवादी घटना के बाद से देश में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा है।
बताते चलें कि इससे पहले करण जौहर भी पाकिस्तानी कलाकारों के पक्ष में आ चुके हैं। उन्होंने कहा था कि 'मनसे' की भारत में काम कर रहे पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध की मांग आतंकवाद का समाधान नहीं। लोगों को व्यापक तौर पर साथ आकर इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए। कला और प्रतिभा पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।
शुक्रवार, 30 सितंबर 2016
पाक कलाकारों के बचाव में आए सलमान, कहा- वे आतंकवादी नहीं
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सिनेजगत
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
बॉलीवुड में बैन हो गए पाकिस्तानी कलाकार
उड़ी आतंकी हमले की आंच पाकिस्तानी कलाकारों को लगातार झुलसा रही है। पहले राज ठाकरे की पार्टी मनसे उनके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रही थी, अब फिल्म निर्माताओं के संगठन ‘इंडियन मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन’ (इम्पा) ने पाकिस्तानी कलाकारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। उन्होंने पाकिस्तानी कलाकारों के हिंदी फिल्म जगत में काम करने पर रोक लगा दी है।
संगठन के अध्यक्ष और निर्माता टीपी अग्रवाल के मुताबिक, ‘इम्पा ने अपनी 87वीं आम सभा में इस आशय का प्रस्ताव पारित किया है। इसके तहत हमारे संगठन से जुड़े निर्माता अपनी किसी फिल्म में पाकिस्तानी कलाकारों को काम नहीं देंगे। फिल्म निर्माता और इम्पा के सदस्य अशोक पंडित ने कहा, ‘‘इम्पा उड़ी हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देता है।
इसने यह महसूस किया कि इसकी राष्ट्र की तरफ भी जिम्मेदारी है और प्रस्ताव पारित किया गया कि हालात सामान्य होने तक पाकिस्तानी कलाकारों और टेक्नीशियंस के काम करने पर प्रतिबंध रहेगा।’ गौरतलब है कि इससे पहले राज ठाकरे की पार्टी मनसे ने पाकिस्तानी कलाकारों को 48 घंटे भीतर देश छोड़ने का अल्टीमेटम दिया था।
बेंगलुरु में भी मनसे का तांडव
मनसे ने पाकिस्तानी कलाकारों का पीछा बैंगलोर तक किया। वहां फैजल खान की एक फिल्म में पाकिस्तानी अभिनेत्री मीरा के काम करने की खबर मिली थी।
मनसे के कार्यकर्ता फिल्म के सेट पर धमक गए, लेकिन तब तक मीरा वहां से निकल चुकी थी। खबर है कि गुरुवार की शाम वे वहां से पहले मुंबई आईं और फिर दुबई निकल गईं। लिहाजा मनसे के कार्यकर्ताओं को खाली हाथ लौटना पड़ा।
कलाकार संगठन ने पल्ला झाड़ा
निर्माताओं के संगठन इम्पा के कदम पर कलाकारों के सबसे बड़े संगठन सिंटा ने चुप्पी साध ली है। वे इम्पा के कदम को सही या गलत कहने से कतरा रही है। सिंटा प्रमुख सुशांत सिंह ने कहा, 'यह मामला इम्पा और भारत सरकार के बीच का बन चुका है। सरकार ही इम्पा के कदम को सही या गलत कह सकती है। जो लोग सिंटा के मेंबर हैं, हम उनके हक के प्रति जवाबदेह हैं।
पाकिस्तान या किसी और देश के कलाकारों के पास वर्क परमिट है तो वे काम करने को मान्य हैं। मगर इम्पा निर्माताओं की बॉडी है। निर्माता अपनी फिल्मों में किसे रखना चाहते हैं या नहीं, वह उनका हक है। उसमें हम कुछ नहीं कर सकते। तीसरी चीज यह कि पाकिस्तानी कलाकारों के पास वर्क परमिट है, पर वे सिंटा के मेंबर नहीं हैं।
संगठन के अध्यक्ष और निर्माता टीपी अग्रवाल के मुताबिक, ‘इम्पा ने अपनी 87वीं आम सभा में इस आशय का प्रस्ताव पारित किया है। इसके तहत हमारे संगठन से जुड़े निर्माता अपनी किसी फिल्म में पाकिस्तानी कलाकारों को काम नहीं देंगे। फिल्म निर्माता और इम्पा के सदस्य अशोक पंडित ने कहा, ‘‘इम्पा उड़ी हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देता है।
इसने यह महसूस किया कि इसकी राष्ट्र की तरफ भी जिम्मेदारी है और प्रस्ताव पारित किया गया कि हालात सामान्य होने तक पाकिस्तानी कलाकारों और टेक्नीशियंस के काम करने पर प्रतिबंध रहेगा।’ गौरतलब है कि इससे पहले राज ठाकरे की पार्टी मनसे ने पाकिस्तानी कलाकारों को 48 घंटे भीतर देश छोड़ने का अल्टीमेटम दिया था।
बेंगलुरु में भी मनसे का तांडव
मनसे ने पाकिस्तानी कलाकारों का पीछा बैंगलोर तक किया। वहां फैजल खान की एक फिल्म में पाकिस्तानी अभिनेत्री मीरा के काम करने की खबर मिली थी।
मनसे के कार्यकर्ता फिल्म के सेट पर धमक गए, लेकिन तब तक मीरा वहां से निकल चुकी थी। खबर है कि गुरुवार की शाम वे वहां से पहले मुंबई आईं और फिर दुबई निकल गईं। लिहाजा मनसे के कार्यकर्ताओं को खाली हाथ लौटना पड़ा।
कलाकार संगठन ने पल्ला झाड़ा
निर्माताओं के संगठन इम्पा के कदम पर कलाकारों के सबसे बड़े संगठन सिंटा ने चुप्पी साध ली है। वे इम्पा के कदम को सही या गलत कहने से कतरा रही है। सिंटा प्रमुख सुशांत सिंह ने कहा, 'यह मामला इम्पा और भारत सरकार के बीच का बन चुका है। सरकार ही इम्पा के कदम को सही या गलत कह सकती है। जो लोग सिंटा के मेंबर हैं, हम उनके हक के प्रति जवाबदेह हैं।
पाकिस्तान या किसी और देश के कलाकारों के पास वर्क परमिट है तो वे काम करने को मान्य हैं। मगर इम्पा निर्माताओं की बॉडी है। निर्माता अपनी फिल्मों में किसे रखना चाहते हैं या नहीं, वह उनका हक है। उसमें हम कुछ नहीं कर सकते। तीसरी चीज यह कि पाकिस्तानी कलाकारों के पास वर्क परमिट है, पर वे सिंटा के मेंबर नहीं हैं।
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गुरुवार, 29 सितंबर 2016
इस नवरात्र जानें घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करने का विधान है। इस बार नवरात्र 1 अक्टूर से प्रारम्भ होकर 10 अक्टूबर तक रहेंगे। नवरात्र के नौ दिन प्रातः और संध्या के समय मां दुर्गा की पूजा और आरती करनी चाहिए। जो जातक पूरे नौ दिन व्रत नहीं रह सकते है, वे प्रतिपदा और अष्टमी के दिन यानि उठते-चढ़ते नवरात्र का व्रत कर सकते हैं। नवरात्र के अंतिम दिन कन्या पूजन कर मां भगवती को प्रसन्न करना चाहिए
नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करने का विधान है। इस बार नवरात्र 1 अक्टूर से प्रारम्भ होकर 10 अक्टूबर तक रहेंगे। नवरात्र के नौ दिन प्रातः और संध्या के समय मां दुर्गा की पूजा और आरती करनी चाहिए। जो जातक पूरे नौ दिन व्रत नहीं रह सकते है, वे प्रतिपदा और अष्टमी के दिन यानि उठते-चढ़ते नवरात्र का व्रत कर सकते हैं। नवरात्र के अंतिम दिन कन्या पूजन कर मां भगवती को प्रसन्न करना चाहिए।
नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करने का विधान है। इस बार नवरात्र 1 अक्टूर से प्रारम्भ होकर 10 अक्टूबर तक रहेंगे। नवरात्र के नौ दिन प्रातः और संध्या के समय मां दुर्गा की पूजा और आरती करनी चाहिए। जो जातक पूरे नौ दिन व्रत नहीं रह सकते है, वे प्रतिपदा और अष्टमी के दिन यानि उठते-चढ़ते नवरात्र का व्रत कर सकते हैं। नवरात्र के अंतिम दिन कन्या पूजन कर मां भगवती को प्रसन्न करना चाहिए।
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जन्मदिन विशेष: हास्य अभिनेता महमूद ने फिल्म ‘पड़ोसन’ में किशोर कुमार को दिया था काम
हिंदी सिनेमा के ‘किंग ऑफ कॉमेडी’ महमूद का आज जन्मदिन है. महमूद फिल्मी दुनिया का वो नाम हैं, जिन्हें लेते ही लोगों चेहरे पर मुस्कान बिखर जाती है, लेकिन उन्हें यह नाम कमाने में काफी संघर्ष किया था.
यह शायद ही कम लोगों को पता होगा कि महबूब ने जिस किशोर कुमार को अपने होम प्रोडक्शन की फिल्म पड़ोसन में काम दिया, उन्हीं किशोर कुमार ने एक दिन महमूद को काम देने से इनकार कर दिया था.
महमूद के अभिनय की गाड़ी चली तो फिर ‘भूत बंगला’, ‘पड़ोसन’, ‘बांम्बे टू गोवा’, ‘गुमनाम’, ‘कुंवारा बाप’ जैसी कई ऐसी फिल्में दी, जिन्होंने उन्हें हिंदी सिनेमा का ‘किंग ऑफ कॉमेडी’ बना दिया.
महमूद का जन्म आज के ही दिन यानी 29 सितंबर, 1932 को मुंबई में हुआ था. महमूद के पिता मुमताज अली उस जमाने के मशहूर बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो में मुलाजिम हुआ करते थे.
उस दौर में महमूद साहब का घर खासा आर्थिक परेशानियों से गुजर रहा था. घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए महमूद बचपन में लोकल ट्रेनों में टॉफियां बेचा करते थे.
महमूद साहब के सामने एक तरफ को परिवार की आर्थिक तंगी थी, वहीं एक्टर बनने का जूनून भी था. पिता मुमताज अली की सिफारिश पर 1943 में महमूद को पहली बार बॉम्बे टॉकीज की फिल्म ‘किस्मत’ में काम मिला. इस फिल्म में महमूद ने अभिनेता अशोक कुमार के बचपन की भूमिका निभाई थी.
लेखक मनमोहन मेलविले ने महमूद पर लिखे अपने एक लेख में उनके और किशोर कुमार के अजीब-ओ-गरीब किस्से को बताया है. इसमें कहा गया है कि जब महमूद ने किशोर कुमार से अपनी किसी फिल्म में भूमिका देने की गुजारिश की थी, लेकिन किशोर ने महमूद की इस गुजारिश को नकारते हुए कहा था वह ऐसे किसी व्यक्ति को मौका कैसे दे सकते हैं, जो भविष्य में उन्ही के लिए चुनौती बन जाए.
किशोर कुमार के द्वारा काम न दिए जाने से महमूद दुखी नहीं हुए, बल्कि उन्होंने बड़े ही अदब के साथ किशोर कुमार से कहा एक दिन मैं भी बड़ा फिल्मकार बनूंगा और आपको अपनी फिल्म में भूमिका दूंगा.
महमूद अपनी बात के पक्के साबित हुए और आगे चलकर जब उन्होंने अपनी होम प्रोडक्शन की फिल्म पड़ोसन शुरू की तो उसमें किशोर को काम दिया. इन दोनों महान कलाकारों की जुगलबंदी से यह फिल्म बॉलीवुड की सबसे बड़ी कॉमेडी फिल्म साबित हुई.
तीन दशक लंबे अपने फिल्मी सफर में महमूद ने लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. फिल्मों में सफलता मिलने के बाद महमूद ने मीना कुमारी की बहन मधु से शादी की. उससे पहले महमूद पैसे कमाने के लिए मीना कुमारी को टेबल टेनिस सिखाते थे.
यह शायद ही कम लोगों को पता होगा कि महबूब ने जिस किशोर कुमार को अपने होम प्रोडक्शन की फिल्म पड़ोसन में काम दिया, उन्हीं किशोर कुमार ने एक दिन महमूद को काम देने से इनकार कर दिया था.
महमूद के अभिनय की गाड़ी चली तो फिर ‘भूत बंगला’, ‘पड़ोसन’, ‘बांम्बे टू गोवा’, ‘गुमनाम’, ‘कुंवारा बाप’ जैसी कई ऐसी फिल्में दी, जिन्होंने उन्हें हिंदी सिनेमा का ‘किंग ऑफ कॉमेडी’ बना दिया.
महमूद का जन्म आज के ही दिन यानी 29 सितंबर, 1932 को मुंबई में हुआ था. महमूद के पिता मुमताज अली उस जमाने के मशहूर बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो में मुलाजिम हुआ करते थे.
उस दौर में महमूद साहब का घर खासा आर्थिक परेशानियों से गुजर रहा था. घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए महमूद बचपन में लोकल ट्रेनों में टॉफियां बेचा करते थे.
महमूद साहब के सामने एक तरफ को परिवार की आर्थिक तंगी थी, वहीं एक्टर बनने का जूनून भी था. पिता मुमताज अली की सिफारिश पर 1943 में महमूद को पहली बार बॉम्बे टॉकीज की फिल्म ‘किस्मत’ में काम मिला. इस फिल्म में महमूद ने अभिनेता अशोक कुमार के बचपन की भूमिका निभाई थी.
लेखक मनमोहन मेलविले ने महमूद पर लिखे अपने एक लेख में उनके और किशोर कुमार के अजीब-ओ-गरीब किस्से को बताया है. इसमें कहा गया है कि जब महमूद ने किशोर कुमार से अपनी किसी फिल्म में भूमिका देने की गुजारिश की थी, लेकिन किशोर ने महमूद की इस गुजारिश को नकारते हुए कहा था वह ऐसे किसी व्यक्ति को मौका कैसे दे सकते हैं, जो भविष्य में उन्ही के लिए चुनौती बन जाए.
किशोर कुमार के द्वारा काम न दिए जाने से महमूद दुखी नहीं हुए, बल्कि उन्होंने बड़े ही अदब के साथ किशोर कुमार से कहा एक दिन मैं भी बड़ा फिल्मकार बनूंगा और आपको अपनी फिल्म में भूमिका दूंगा.
महमूद अपनी बात के पक्के साबित हुए और आगे चलकर जब उन्होंने अपनी होम प्रोडक्शन की फिल्म पड़ोसन शुरू की तो उसमें किशोर को काम दिया. इन दोनों महान कलाकारों की जुगलबंदी से यह फिल्म बॉलीवुड की सबसे बड़ी कॉमेडी फिल्म साबित हुई.
तीन दशक लंबे अपने फिल्मी सफर में महमूद ने लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. फिल्मों में सफलता मिलने के बाद महमूद ने मीना कुमारी की बहन मधु से शादी की. उससे पहले महमूद पैसे कमाने के लिए मीना कुमारी को टेबल टेनिस सिखाते थे.
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
माही के लिए दिखी दिवानगी एडवांस बुकिंग,मल्टीप्लेक्स हाउसफुल
शुक्रवार को राजधानी रांची समेत पूरे देश के सिनेमाघरों में झारखंड की धूम रहेगी. एमएस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी शुक्रवार को रिलीज हो रही है. इसके लिए रांची के सभी सिनेमाघरों में काफी पहले से एडवांस बुकिंग चल रही है और टिकटें करीब 90 प्रतिशत बिक गई हैं.
मल्टीप्लेक्स हाउसफुल
रांची के तकरीबन सभी मल्टीप्लेक्स में फिल्म की एडवांस बुकिंग हुई. 30 सितंबर को राजधानी के एक साथ रिलीज होगी. आईलैक्स, ग्लिज, एसआरएस सिनेमाज, फन सिनेमा, पॉपकॉर्न आदि में एडवांस बुकिंग जारी है. करीब 800 से अधिक दर्शक एक साथ विभिन्न स्क्रीन में फिल्म देखेंगे. सामान्य बुकिंग के साथ कॉरपोरेट बुकिंग भी हुई हैं. स्कूल कॉलेज के छात्रों के लिए शनिवार और रविवार को स्पेशल शो होंगे.
टैक्स फ्री, पर टिकट महंगे
एमएस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी की टिकट की कीमत कम होने का नाम ही नहीं ले रहीं, जबकि सरकार की ओर से इसे टैक्स फ्री कर दिया गया है. टैक्स फ्री होने के लिहाज से टिकट की कीमत तकरीबन 50 रुपए कम होनी चाहिए थी. पर राजधानी में 150 से 350 रुपए तक में बिक रही हैं. एसआरएस सिनेमाज में 150, 200, 250 और 270 रुपए की टिकटें हैं. आईलैक्स में 160 और 200 रुपए की टिकटें हैं. फन सिनेमा में 150 और 220 रुपए की टिकटें हैं.
दिखेगी अपनी रांची
झारखंड के राजकुमार धोनी की कहानी ही नहीं, फिल्म की खासियत यहां के लोकंशंस भी हैं. इस फिल्म के साथ झारखंड के लोकेशंस भी बड़े पर्दे पर छा जाएंगे. फिल्म की ज्यादातर शूटिंग रांची में हुई है. इसके अलावा जमशेदपुर में भी शूटिंग हुई है. झारखंड के कुछ दूसरे हिस्से भी फिल्म में नजर आएंगे.
प्रीमियर पर फैमिली मुम्बई में
धोनी का पूरा परिवार इस फिल्म के प्रीमियर की स्पेशल स्क्रीनिंग के लिए मुम्बई में मौजूद रहेगा. पत्नी साक्षी, पिता पान सिंह, मां, बहन, बहनोई के साथ धोनी अपनी जिंदगानी बड़े स्क्रीन पर देखेंगे. वहीं रांची में फन सिनमाज में भी धाेनी के परिवार और नजदीकी दोस्तों के लिए खास व्यवस्थाएं की गई हैं.
मल्टीप्लेक्स हाउसफुल
रांची के तकरीबन सभी मल्टीप्लेक्स में फिल्म की एडवांस बुकिंग हुई. 30 सितंबर को राजधानी के एक साथ रिलीज होगी. आईलैक्स, ग्लिज, एसआरएस सिनेमाज, फन सिनेमा, पॉपकॉर्न आदि में एडवांस बुकिंग जारी है. करीब 800 से अधिक दर्शक एक साथ विभिन्न स्क्रीन में फिल्म देखेंगे. सामान्य बुकिंग के साथ कॉरपोरेट बुकिंग भी हुई हैं. स्कूल कॉलेज के छात्रों के लिए शनिवार और रविवार को स्पेशल शो होंगे.
टैक्स फ्री, पर टिकट महंगे
एमएस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी की टिकट की कीमत कम होने का नाम ही नहीं ले रहीं, जबकि सरकार की ओर से इसे टैक्स फ्री कर दिया गया है. टैक्स फ्री होने के लिहाज से टिकट की कीमत तकरीबन 50 रुपए कम होनी चाहिए थी. पर राजधानी में 150 से 350 रुपए तक में बिक रही हैं. एसआरएस सिनेमाज में 150, 200, 250 और 270 रुपए की टिकटें हैं. आईलैक्स में 160 और 200 रुपए की टिकटें हैं. फन सिनेमा में 150 और 220 रुपए की टिकटें हैं.
दिखेगी अपनी रांची
झारखंड के राजकुमार धोनी की कहानी ही नहीं, फिल्म की खासियत यहां के लोकंशंस भी हैं. इस फिल्म के साथ झारखंड के लोकेशंस भी बड़े पर्दे पर छा जाएंगे. फिल्म की ज्यादातर शूटिंग रांची में हुई है. इसके अलावा जमशेदपुर में भी शूटिंग हुई है. झारखंड के कुछ दूसरे हिस्से भी फिल्म में नजर आएंगे.
प्रीमियर पर फैमिली मुम्बई में
धोनी का पूरा परिवार इस फिल्म के प्रीमियर की स्पेशल स्क्रीनिंग के लिए मुम्बई में मौजूद रहेगा. पत्नी साक्षी, पिता पान सिंह, मां, बहन, बहनोई के साथ धोनी अपनी जिंदगानी बड़े स्क्रीन पर देखेंगे. वहीं रांची में फन सिनमाज में भी धाेनी के परिवार और नजदीकी दोस्तों के लिए खास व्यवस्थाएं की गई हैं.
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ये है दुनिया का सबसे खतरनाक मंदिर जिसके अंदर जाने से डरते हैं लोग
दुनियाभर में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने आप में रहस्यों से भरे हुए हैं। इन मन्दिरों में दूर दूर से लोग दर्शन करने आते हैं। लेकिन आपको बता दें एक मंदिर ऐसा भी है जहां जाने से लोग डरते हैं।
मंदिर में भगवान की पूजा करने से मानोकामनाएं पूरी होती है, श्रद्धालुओं की भीड़ लगी होती है, लेकिन इस मंदिर में लोग पैर रखने से भी डरते हैं।
ये मंदिर है मृत्यु के देवता यमराज का वैसे तो देखने में यह मंदिर बिल्कुल घर की तरह नज़र आता है, लेकिन इसके अंदर जाने में लोग कतराते हैं। लोग इस मंदिर के बाहर से ही माथा टेक कर के चले जाते हैं। कहते हैं कि इस मंदिर में यमराज जी निवास करते है, और यह संसार का इकलौता मंदिर है जहां पर धर्मराज का निवास हैं।
ये मंदिर कहीं और नहीं बल्कि हमारे भारत में ही स्थित है। यह मंदिर दिल्ली से करीब 500 किलोमीटर दूर हिमाचल के चम्बा जिले में भरमौर नमक स्थान पर है। इस मंदिर में एक खाली कमरा है जिसे चित्रगुप्त का कमरा माना जाता है।
यहां की मान्यता है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो यमराज के दूत उस व्यक्ति की आत्मा को पकड़कर यहां लाते हैं। यहां पर चित्रगुप्त उस जीवात्मा को उसके कर्मो के अनुसार अपना फैसला सुनाते हैं। और उसे सजा दी जाती है। इसी वजह से लोग यहां आने से डरते हैं और केवल पूजारी ही यहां की पूजा अर्चना करता है।
मंदिर में भगवान की पूजा करने से मानोकामनाएं पूरी होती है, श्रद्धालुओं की भीड़ लगी होती है, लेकिन इस मंदिर में लोग पैर रखने से भी डरते हैं।
ये मंदिर है मृत्यु के देवता यमराज का वैसे तो देखने में यह मंदिर बिल्कुल घर की तरह नज़र आता है, लेकिन इसके अंदर जाने में लोग कतराते हैं। लोग इस मंदिर के बाहर से ही माथा टेक कर के चले जाते हैं। कहते हैं कि इस मंदिर में यमराज जी निवास करते है, और यह संसार का इकलौता मंदिर है जहां पर धर्मराज का निवास हैं।
ये मंदिर कहीं और नहीं बल्कि हमारे भारत में ही स्थित है। यह मंदिर दिल्ली से करीब 500 किलोमीटर दूर हिमाचल के चम्बा जिले में भरमौर नमक स्थान पर है। इस मंदिर में एक खाली कमरा है जिसे चित्रगुप्त का कमरा माना जाता है।
यहां की मान्यता है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो यमराज के दूत उस व्यक्ति की आत्मा को पकड़कर यहां लाते हैं। यहां पर चित्रगुप्त उस जीवात्मा को उसके कर्मो के अनुसार अपना फैसला सुनाते हैं। और उसे सजा दी जाती है। इसी वजह से लोग यहां आने से डरते हैं और केवल पूजारी ही यहां की पूजा अर्चना करता है।
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जरा हटके
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
पाकिस्तान के सिंगर आतिफ असलम का कॉन्सर्ट रद्द
नईदिल्ली। पाकिस्तान के लीडिंग सिंगर आतिफ असलम का गुड़गांव में होने वाला कॉन्सर्ट को रद्द कर दिया गया है। आतिफ असलम का कॉन्सर्ट गुड़गांव में 15 अक्टूबर को होने वाला था। कोनसेप्ट एंटरटेनमेंट के अधिकारियों ने बताया कि इस कार्यक्रम को भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव को देखते हुए अनिश्चित काल के लिए टाल दिया गया है।
गुड़गांव जिला प्रशासन ने बुधवार को पाकिस्तानी गायक आतिफ असलम के कॉन्सर्ट के आयोजकों को सुझाव दिया कि वो सैन्य बलों और सीमा पर तैनात जवानों की भावनाओं को ध्यान में रखता हुए कार्यक्रम टाल दें।
इंडियन एक्प्रेस की खबर के अनुसार, डिप्टी कमिश्नर से कहा कि, 'अगर कार्यक्रम होता है तो इसकी वजह से कोई भी घटना घट सकती है।' संगठन ने डिप्टी कमिश्नर को एक पत्र भी सौंपा जिसमें लिखा गया है कि अगर कार्यक्रम होता है और कोई घटना घटती है तो इसके लिए जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा।
डिप्टी कमिश्नर सत्यप्रकाश ने कहा कि, 'हमने सैनिकों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए आयोजकों को केवल सुझाव भेजा है कि वो कार्यक्रम टाल सकते हैं। कार्यक्रम होता है तो सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन हो सकता है या जूता फेंकने जैसी घटना हो सकती है।
वहीं अमानत के शो को रोकने की भी मांग की गई है। विश्व हिन्दू परिषद ने बंगलुरु पुलिस को पत्र लिखकर 30 सितंबर को होने वाले पाकिस्तानी सिंगर के शो को रद्द करने की मांग की है। पत्र में लिखा गया है, '18 सितंबर को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमारे सैनिकों पर हमला किया, हम पाकिस्तान को आतंकी राज्य घोषित करते हैं और इस कारण यदि हमारे देश में कोई पाकिस्तानी कलाकार अपना परफॉर्मेंस देता है तो हमारे शहीद जवानों और उनके परिवार वालों का अपमान होगा। हम मांग करते हैं कि इस पाक के गायक शफाकत अमानत अली के शो को रद कराया जाए।
गुड़गांव जिला प्रशासन ने बुधवार को पाकिस्तानी गायक आतिफ असलम के कॉन्सर्ट के आयोजकों को सुझाव दिया कि वो सैन्य बलों और सीमा पर तैनात जवानों की भावनाओं को ध्यान में रखता हुए कार्यक्रम टाल दें।
इंडियन एक्प्रेस की खबर के अनुसार, डिप्टी कमिश्नर से कहा कि, 'अगर कार्यक्रम होता है तो इसकी वजह से कोई भी घटना घट सकती है।' संगठन ने डिप्टी कमिश्नर को एक पत्र भी सौंपा जिसमें लिखा गया है कि अगर कार्यक्रम होता है और कोई घटना घटती है तो इसके लिए जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा।
डिप्टी कमिश्नर सत्यप्रकाश ने कहा कि, 'हमने सैनिकों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए आयोजकों को केवल सुझाव भेजा है कि वो कार्यक्रम टाल सकते हैं। कार्यक्रम होता है तो सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन हो सकता है या जूता फेंकने जैसी घटना हो सकती है।
वहीं अमानत के शो को रोकने की भी मांग की गई है। विश्व हिन्दू परिषद ने बंगलुरु पुलिस को पत्र लिखकर 30 सितंबर को होने वाले पाकिस्तानी सिंगर के शो को रद्द करने की मांग की है। पत्र में लिखा गया है, '18 सितंबर को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमारे सैनिकों पर हमला किया, हम पाकिस्तान को आतंकी राज्य घोषित करते हैं और इस कारण यदि हमारे देश में कोई पाकिस्तानी कलाकार अपना परफॉर्मेंस देता है तो हमारे शहीद जवानों और उनके परिवार वालों का अपमान होगा। हम मांग करते हैं कि इस पाक के गायक शफाकत अमानत अली के शो को रद कराया जाए।
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दोनों यही बन गए।
बुधवार, 28 सितंबर 2016
नए सिरे से लिखी जा रही है 'इत्तेफाक' की कहानी
करीब 46 साल पहले राजेश खन्ना और नंदा स्टारर फिल्म इत्तेफ़ाक में जब एक औरत हत्यारी बन कर सामने आती है तो सब चौंक जाते हैं लेकिन अब एक नई इत्तेफाक आने वाली हैै जिसमें ऐसा कुछ नहीं होगा।
खबर है कि सिद्धार्थ मल्होत्रा और सोनाक्षी सिन्हा स्टारर इत्तेफाक के रीमेक की कहानी को नए सिरे से लिखा जा रहा है और अगर आप पुरानी फिल्म की तरह उसी कहानी को ढूढेंगे तो चौंक जाएंगे क्योंकि अब मर्डरर बदलने वाला है।
बताया जा रहा है कि बीआर चोपड़ा के बेटे अभय ने नई इत्तेफ़ाक को पूरी तरह से बदलने का फैसला किया है जिसमे मर्डर करने वाले की पहचान भी अब अलग होगी। निर्माता के वो आज के जमाने में उस पुरानी कहानी को फिर से नहीं दोहरा सकते जो अपने जमाने की एक मशहूर फिल्म की है। इतना ही नहीं पुरानी इत्तेफ़ाक से एक और बदलाव किया गया है। राजेश खन्ना स्टारर फिल्म में गाने नहीं थे लेकिन इस फिल्म में गानों को बैकग्राउंड के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
साल 1969 में अंग्रेजी फिल्म साइनपोस्ट टू मर्डर की हिंदी रीमेक के रूप में आई यश चोपड़ा निर्देशित इत्तेफाक राजेश खन्ना और नंदा के अभिनय की अनोखी मिसाल थी। इत्तेफ़ाक एक मानसिक रूप ने बीमार आदमी की कहानी थी जो सिर छिपाने के लिए एक घर में शरण लेता है। इस घर में एक औरत अकेली रहती है और जब सस्पेंस खुलता है तो पता चलता है कि उसने अपने पति की हत्या कर दी है।
खबर है कि सिद्धार्थ मल्होत्रा और सोनाक्षी सिन्हा स्टारर इत्तेफाक के रीमेक की कहानी को नए सिरे से लिखा जा रहा है और अगर आप पुरानी फिल्म की तरह उसी कहानी को ढूढेंगे तो चौंक जाएंगे क्योंकि अब मर्डरर बदलने वाला है।
बताया जा रहा है कि बीआर चोपड़ा के बेटे अभय ने नई इत्तेफ़ाक को पूरी तरह से बदलने का फैसला किया है जिसमे मर्डर करने वाले की पहचान भी अब अलग होगी। निर्माता के वो आज के जमाने में उस पुरानी कहानी को फिर से नहीं दोहरा सकते जो अपने जमाने की एक मशहूर फिल्म की है। इतना ही नहीं पुरानी इत्तेफ़ाक से एक और बदलाव किया गया है। राजेश खन्ना स्टारर फिल्म में गाने नहीं थे लेकिन इस फिल्म में गानों को बैकग्राउंड के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
साल 1969 में अंग्रेजी फिल्म साइनपोस्ट टू मर्डर की हिंदी रीमेक के रूप में आई यश चोपड़ा निर्देशित इत्तेफाक राजेश खन्ना और नंदा के अभिनय की अनोखी मिसाल थी। इत्तेफ़ाक एक मानसिक रूप ने बीमार आदमी की कहानी थी जो सिर छिपाने के लिए एक घर में शरण लेता है। इस घर में एक औरत अकेली रहती है और जब सस्पेंस खुलता है तो पता चलता है कि उसने अपने पति की हत्या कर दी है।
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सिनेजगत
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
भारत के इस शहर में न धर्म है, न पैसा और न सरकार
कल्पना करना भी मुश्किल है...एक ऐसा शहर जहां पर न पैसे की कोई कीमत है, न धर्म को लेकर कोई खींचातानी और न सत्ता को लेकर कोई टेंशन...ऐसा शहर और कहीं नहीं भारत में ही है। जानना नहीं चाहेंगे।
इस दुनिया में इंसान को क्या चाहिए होता है...पैसा, पावर, सत्ता, धर्म...और जब यही चीजें उसे ना मिले तो उसका चैन और सुकून दोनों ही खो जाते हैं।
लेकिन एक शहर ऐसा भी है जहां पर न सत्ता है, न धर्म है और न पैसा। यकीन करना मुश्किल है लेकिन करना पड़ेगा क्योंकि ये सच है। सबसे बड़ी बात ये शहर और कहीं नहीं हमारे देश भारत में ही है।
ये जगह दक्षिण भारत में है और चेन्नई से मात्र 150 किलोमीटर दूर है। इस जगह का नाम है ऑरोविले। इस शहर की स्थापना साल 1968 में ने की थी और इसे यानि कि भोर का शहर के नाम से भी जाना जाता है।
इस शहर को बसाने का सिर्फ एक ही मकसद रहा कि यहां पर सभी इंसान जात-पात, ऊंच-नीच और भेद-भाव के बिना रहें। यहां पर कोई भी इंसान आकर रह सकता है लेकिन सिर्फ एक शर्त है उसको यहां पर एक सेवक की तरह रहना होगा।
इस शहर में 50 देशों के लोग रह रहे हैं। इस शहर की आबादी लगभग 24 हजार लोगों की है। यहां पर एक मंदिर भी है। हालांकि ये मंदिर किसी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं है यहां पर सिर्फ लोग योग करते हैं। ऑरोविले को यूनेस्को ने एक अंतरराष्ट्रीय शहर के रूप में प्रशंसा की है और भारतीय सरकार द्वारा समर्थन भी है।
इस दुनिया में इंसान को क्या चाहिए होता है...पैसा, पावर, सत्ता, धर्म...और जब यही चीजें उसे ना मिले तो उसका चैन और सुकून दोनों ही खो जाते हैं।
लेकिन एक शहर ऐसा भी है जहां पर न सत्ता है, न धर्म है और न पैसा। यकीन करना मुश्किल है लेकिन करना पड़ेगा क्योंकि ये सच है। सबसे बड़ी बात ये शहर और कहीं नहीं हमारे देश भारत में ही है।
ये जगह दक्षिण भारत में है और चेन्नई से मात्र 150 किलोमीटर दूर है। इस जगह का नाम है ऑरोविले। इस शहर की स्थापना साल 1968 में ने की थी और इसे यानि कि भोर का शहर के नाम से भी जाना जाता है।
इस शहर को बसाने का सिर्फ एक ही मकसद रहा कि यहां पर सभी इंसान जात-पात, ऊंच-नीच और भेद-भाव के बिना रहें। यहां पर कोई भी इंसान आकर रह सकता है लेकिन सिर्फ एक शर्त है उसको यहां पर एक सेवक की तरह रहना होगा।
इस शहर में 50 देशों के लोग रह रहे हैं। इस शहर की आबादी लगभग 24 हजार लोगों की है। यहां पर एक मंदिर भी है। हालांकि ये मंदिर किसी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं है यहां पर सिर्फ लोग योग करते हैं। ऑरोविले को यूनेस्को ने एक अंतरराष्ट्रीय शहर के रूप में प्रशंसा की है और भारतीय सरकार द्वारा समर्थन भी है।
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जरा हटके
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
33 फीट लंबा एनाकोंडा मिला
अल्टामिरा शहर में शिंगु नदी पर बन रहे बेलो मोंटे बांध के पास इमारत के लिए गुफा की खुदाई करते समय एक श्रमिक को 33 फीट लंबा एनाकोंडा सांप मिला। 400 किग्रा वजनी और एक मीटर व्यास वाला यह एनाकोंडा इंसान को भी खा जाने की क्षमता रखता है।
श्रमिक को इसे खिसकाने के लिए डोजर का इस्तेमाल करना पड़ा। इसके बाद इसे क्रैन से उठाया गया। नींव खोदने के लिए गुफा में विस्फोट किया गया तो यह एनाकोंडा दिखाई दिया। एनाकोंडा सांप के बारे में कहा जाता है कि ये बहुत उग्र होते हैं और इन्हें कैद कर रखना मुश्किल होता है। वर्ल्ड रिकॉर्ड गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अमेरिका के कंसास शहर में मिला सांप सबसे लंबे सांप के रूप में दर्ज है। मेडुसा नामक यह सांप 25 फीट 2 इंच लंबा है।
श्रमिक को इसे खिसकाने के लिए डोजर का इस्तेमाल करना पड़ा। इसके बाद इसे क्रैन से उठाया गया। नींव खोदने के लिए गुफा में विस्फोट किया गया तो यह एनाकोंडा दिखाई दिया। एनाकोंडा सांप के बारे में कहा जाता है कि ये बहुत उग्र होते हैं और इन्हें कैद कर रखना मुश्किल होता है। वर्ल्ड रिकॉर्ड गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अमेरिका के कंसास शहर में मिला सांप सबसे लंबे सांप के रूप में दर्ज है। मेडुसा नामक यह सांप 25 फीट 2 इंच लंबा है।
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9 साल के बच्चे के मुंह में 32 नहीं बल्कि 300 दांत हैं!
ये बात तो हम सभी को मालूम है की इंसान के मुँह में 32 दांत होते हैं। लेकिन क्या कभी आपने सुना है की किसी इंसान के 300 दांत हों। जिस उम्र में बच्चों के दूध के दांत टूटने लगते हैं उस उम्र में एक बच्चा अपने दांतों से परेशान है। 9 साल के इस बच्चे के मुंह में 32 नहीं बल्कि 300 दांत हैं। बचपन तक सब ठीक था, लेकिन धीरे-धीरे दांतों के संख्या बढ़ने लगी। इस कदर बढ़ने लगी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।
बढ़ते-बढ़ते बच्चे के मुंह में 300 दांत हो गए। फिलीपिंस के जॉनक्रिस हाईपरडोंसिया नामक खतरनाक बिमारी से पीड़ित है। ये बहुत ही असमान्य बीमारी है। विश्व में 4 प्रतिशत लोग इस बीमारी से पीड़ित है। जॉन इस बीमारी की वजह से असहनीय पीड़ा से गुजरता है। उसे बोलने में काफी तकलीफ होती है। वो सामान्य बच्चों की तरह सब कुछ नहीं खा पाता। उसे लगातार डॉक्टरों की निगरानी में रहना पड़ता है।
बपचन में उसके मुंह में सब कुछ सामान्य था। जॉन के 20 दांत थे, लेकिन धीरे-धीरे वो बढ़कर 50 हो गए। एक्स-रे हुआ तो पता चला कि मुंह में 150 दांत है, कुछ सालों में उसके मुंह में 300 से ज्यादा दांत निकल आए हैं। ऐसे में अब धीरे-धीरे सर्जरी की मदद से जॉन के मुंह से 40 दांत निकाले गए हैं।
बढ़ते-बढ़ते बच्चे के मुंह में 300 दांत हो गए। फिलीपिंस के जॉनक्रिस हाईपरडोंसिया नामक खतरनाक बिमारी से पीड़ित है। ये बहुत ही असमान्य बीमारी है। विश्व में 4 प्रतिशत लोग इस बीमारी से पीड़ित है। जॉन इस बीमारी की वजह से असहनीय पीड़ा से गुजरता है। उसे बोलने में काफी तकलीफ होती है। वो सामान्य बच्चों की तरह सब कुछ नहीं खा पाता। उसे लगातार डॉक्टरों की निगरानी में रहना पड़ता है।
बपचन में उसके मुंह में सब कुछ सामान्य था। जॉन के 20 दांत थे, लेकिन धीरे-धीरे वो बढ़कर 50 हो गए। एक्स-रे हुआ तो पता चला कि मुंह में 150 दांत है, कुछ सालों में उसके मुंह में 300 से ज्यादा दांत निकल आए हैं। ऐसे में अब धीरे-धीरे सर्जरी की मदद से जॉन के मुंह से 40 दांत निकाले गए हैं।
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जरा हटके
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मंगलवार, 27 सितंबर 2016
आसमान से नहीं, पेड़ से हो रही हैं बारिश
आसमान से बारिश होते हुए तो हमने कई बार देखा हैं लेकिन क्या आपने कभी किसी पेड़ से बारिश होते देखी हैं? जी हां, एक एेसा पेड़ है, जिसमें से बारिश होती है। यह देवरिया का पेड़ है जो कि अब रहस्यमय बन चुका है। लोगों को समझ नहीं आ रहा कि इस पेड़ से लगातार पानी कैसे टपक रहा है। आइए जानें इस पेड़ के बारे में।
देवरिया से 3 किलोमीटर दूर सोन्दा गांव के पास अर्जुन का पेड़ है। यहां के लोगों के लिए यह पेड़ एक रहस्यमय बना हुआ है। इस पेड़ से लगातार पानी टपकते देख लोगों के मन में एक ही सवाल चल रहा हैं कि एेसा क्यों और किस कारण से हो रहा है। एेसा यहां करीब चार दिनों से चल रहा है। कई लोग इस पेड़ से पानी के टपकने को दैवीय चमत्कार मान रहे हैं। यहां इस पेड़ को देखने के लिए कई लोग आते हैं। इस बात के फैलने पर आस-पास इलाकों के लोगों की भीड़ जुटने लगी है। कुछ लोगों नें उस स्थान पर पूजा पाठ शुरू कर दिया। यहीं ही नहीं लोग वहां रुपए-पैसे भी चढ़ाने लगे।
देवरिया से 3 किलोमीटर दूर सोन्दा गांव के पास अर्जुन का पेड़ है। यहां के लोगों के लिए यह पेड़ एक रहस्यमय बना हुआ है। इस पेड़ से लगातार पानी टपकते देख लोगों के मन में एक ही सवाल चल रहा हैं कि एेसा क्यों और किस कारण से हो रहा है। एेसा यहां करीब चार दिनों से चल रहा है। कई लोग इस पेड़ से पानी के टपकने को दैवीय चमत्कार मान रहे हैं। यहां इस पेड़ को देखने के लिए कई लोग आते हैं। इस बात के फैलने पर आस-पास इलाकों के लोगों की भीड़ जुटने लगी है। कुछ लोगों नें उस स्थान पर पूजा पाठ शुरू कर दिया। यहीं ही नहीं लोग वहां रुपए-पैसे भी चढ़ाने लगे।
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राणा दग्गुबाती, तापसी अभिनीत फिल्म गाजी अगले साल होगी रिलीज
चेन्नई। अभिनेता राणा दग्गुबाती और अभिनेत्री तापसी पन्नू अभिनीत पनडुब्बी युद्ध आधारित त्रिभाषी फिल्म ‘गाजी’ फरवरी 2017 में दुनिया भर में रिलीज होगी।
फिल्म यूनिट से जुड़े एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “निर्माताओं ने 24 फरवरी 2017 की तारीख रिलीज के लिए तय की है। फिल्म एक साथ तेलुगू, तमिल और हिंदी में रिलीज होगी।
फिल्म 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान एक पाकिस्तानी पनडुब्बी ‘पीएनएस गाजी’ के रहस्यमयी ढंग से डूब जाने की सच्ची घटना पर आधारित है।
राणा नौसेना अधिकारी और तापसी शरणार्थी की भूमिका में हैं। फिल्म के निर्देशक संकल्प हैं। ‘गाजी’ आशिंक रूप से उनकी पुस्तक ‘ब्लू फिश’ पर आधारित है।
पीवीपी सिनेमा ने इस फिल्म का निर्माण किया है और इसकी कहानी भारतीय पनडुब्बी एस-21 के नौसेना अधिकारी और उनकी टीम के 18 दिन पानी के नीचे रहने के बारे में हैं।
फिल्म यूनिट से जुड़े एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “निर्माताओं ने 24 फरवरी 2017 की तारीख रिलीज के लिए तय की है। फिल्म एक साथ तेलुगू, तमिल और हिंदी में रिलीज होगी।
फिल्म 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान एक पाकिस्तानी पनडुब्बी ‘पीएनएस गाजी’ के रहस्यमयी ढंग से डूब जाने की सच्ची घटना पर आधारित है।
राणा नौसेना अधिकारी और तापसी शरणार्थी की भूमिका में हैं। फिल्म के निर्देशक संकल्प हैं। ‘गाजी’ आशिंक रूप से उनकी पुस्तक ‘ब्लू फिश’ पर आधारित है।
पीवीपी सिनेमा ने इस फिल्म का निर्माण किया है और इसकी कहानी भारतीय पनडुब्बी एस-21 के नौसेना अधिकारी और उनकी टीम के 18 दिन पानी के नीचे रहने के बारे में हैं।
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इस बार नवरात्र में बन रहा है गजकेशरी महासंयोग
नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र इस बार दस दिन के होंगे। ये दस दिन सुख- समृद्धिदायक होंगे। 16 वर्ष बाद फिर नवरात्र में विशेष संयोग बन रहा है। दूज तिथि लगातार दो दिन होने के कारण शारदीय नवरात्र 9 की जगह 10 दिन का होगा। श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही, शारदीय नवरात्र आरंभ हो रहे हैं। एक अक्टूबर से नवरात्र आरंभ होंगे। इस बार दुर्गा जी अश्व पर आएंगी और भैंसा पर बैठकर जाएंगी।
शारदीय नवरात्र अश्विन मास के शुक्ल पक्ष से आरंभ होंगे। इस बार गजकेशरी योग में शारदीय नवरात्र होंगी। ऐसा इसीलिए कि गुरु व चन्द्रमा एक साथ कन्या राशि में लग्न स्थान में होने से गजकेशरी महासंयोग बन रहा है।
शारदीय नवरात्र में शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। एक अक्टूबर से शुरू होकर शारदीय नवरात्र उत्सव 10 अक्टूबर तक रहेगा।
विशेष यह है कि इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व से होगा व गमन भैंसा पर होगा, जो अति शुभ है। देवीपुराण में उल्लेखित है कि नवरात्र में भगवती के आगमन व प्रस्थान के लिए वार अनुसार वाहन बताए गए हैं।
शारदीय नवरात्र अश्विन मास के शुक्ल पक्ष से आरंभ होंगे। इस बार गजकेशरी योग में शारदीय नवरात्र होंगी। ऐसा इसीलिए कि गुरु व चन्द्रमा एक साथ कन्या राशि में लग्न स्थान में होने से गजकेशरी महासंयोग बन रहा है।
शारदीय नवरात्र में शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। एक अक्टूबर से शुरू होकर शारदीय नवरात्र उत्सव 10 अक्टूबर तक रहेगा।
विशेष यह है कि इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व से होगा व गमन भैंसा पर होगा, जो अति शुभ है। देवीपुराण में उल्लेखित है कि नवरात्र में भगवती के आगमन व प्रस्थान के लिए वार अनुसार वाहन बताए गए हैं।
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ज्योतिष
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
अमावस्या तिथि को दूसरे का अन्न खाने वाले के महीने भर के पुण्य नष्ट हो जाते है
शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसे दिन हैं जिनमें दूसरों के घर या दूसरों के अन्न को खाना अशुभ फलदायी होता है। इससे व्यक्ति का महीनों का पुण्य नष्ट होता है और अगले जन्म में पशु योनि में जन्म लेकर उस व्यक्ति के घर में रहना पड़ता है।
पुराण में बताया गया है कि ग्रहण के दिन किसी दूसरे का अन्न नहीं खाना चाहिए। इस वर्ष का अंतिम ग्रहण चन्द्रग्रहण के रूप में हैं जो 16 सितंबर को है। इस दिन दूसरों के घर या दूसरे का अन्न खाने से बचें। पुराण में कहा गया है कि इस दिन दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्ष का किया हुआ पुण्य समाप्त हो जाता है।
स्कंद पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अमावस्या तिथि को दूसरे का अन्न खाता है उसके महीने भर का पुण्य नष्ट हो जाता है और जिनका अन्न खाते हैं उसे यह पुण्य मिल जाता है।
सूर्य हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं। इसे संक्रांति कहा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार इस दिन दूसरे का अन्न खाने से भी व्यक्ति के महीने भर का पुण्य समाप्त हो जाता है।
मनुस्मृति में लिखा है कि जो व्यक्ति सेवा सत्कार और अच्छे भोजन के लालच में दूसरे के घर जाकर भोजन करता है वह अगले जन्म में भोजन करवाने वाले व्यक्ति के घर में पशु बनकर रहता है।
जिस दिन सूर्य उत्तरायण या दक्षिणायन होता है उस दिन भी दूसरे का अन्न नहीं खाना चाहिए।
पुराण में बताया गया है कि ग्रहण के दिन किसी दूसरे का अन्न नहीं खाना चाहिए। इस वर्ष का अंतिम ग्रहण चन्द्रग्रहण के रूप में हैं जो 16 सितंबर को है। इस दिन दूसरों के घर या दूसरे का अन्न खाने से बचें। पुराण में कहा गया है कि इस दिन दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्ष का किया हुआ पुण्य समाप्त हो जाता है।
स्कंद पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अमावस्या तिथि को दूसरे का अन्न खाता है उसके महीने भर का पुण्य नष्ट हो जाता है और जिनका अन्न खाते हैं उसे यह पुण्य मिल जाता है।
सूर्य हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं। इसे संक्रांति कहा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार इस दिन दूसरे का अन्न खाने से भी व्यक्ति के महीने भर का पुण्य समाप्त हो जाता है।
मनुस्मृति में लिखा है कि जो व्यक्ति सेवा सत्कार और अच्छे भोजन के लालच में दूसरे के घर जाकर भोजन करता है वह अगले जन्म में भोजन करवाने वाले व्यक्ति के घर में पशु बनकर रहता है।
जिस दिन सूर्य उत्तरायण या दक्षिणायन होता है उस दिन भी दूसरे का अन्न नहीं खाना चाहिए।
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बिना हाथ पैर के जन्मे निकोलस जेम्स ने पेश की ऐसी मिसाल, सुन के रो देंगे आप!
" अपनी हाथो की लकीरो को क्या देखते हो मेरे दोस्त, तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नही होते", इस शेर को सच कर दिखाया है ऑस्ट्रेलिया मूल के निकोलस जेम्स ने, जिन्हें बचपन में लोगो ने बहुत प्रताड़ित किया था लेकिन आज वो दुसरो को उत्साहित करते है किसी से हाँ न मानने केलिए.
1982 में जन्मे निकोलस जन्म से ही फोकोमलिया से पीड़ित थे उनके हाथ और पैर नही थे, उनकी माँ ने तक उन्हें देखने से इनकार कर दिया था. लेकिन नर्स ने जबरन उन्हें दिखाया. पिता चर्च से जुड़े थे तो उन्होंने इसे परमात्मा का आशीर्वाद मान पत्नी को मनाया और सच को स्वीकार किया.
उन्हें लोग "chicken drumstick " कह के चिढाते थे, उनके दो पैर जो पुरे नही विकसित थे आपस में जुड़े थे और एक आपरेशन के द्वारा उन्हें ऐसा बनाया गया जिसे वो ऊँगली के जैसे इस्तेमाल कर सके. डूबता को तिनके को सहारा इससे उन्होंने कलम पकड़ा, पैन पालते कंप्यूटर चलाया और इलेक्ट्रिक व्हील चेयर भी ऑपरेट की.
वो जब सत्रह साल के हुए तो माँ ने उन्हें एक स्प्रिटुअल आर्टिकल बताया और वो अध्यात्म से जुड़ गए, उन्होंने 21 वर्ष की उम्र में ग्रिफिथ विश्वविद्यालय से commerce ग्रेजुएट की डिग्री ली. 19 साल की उम्र से वो मोटिवेशनल स्पीच देने लगे और एक दिन वो आया जब उन्होंने एक लाभ न कमाने वाली खुद की संस्था शुरू की जिसका नाम रखा "बिना हाथ पैरो के जीवन"
1982 में जन्मे निकोलस जन्म से ही फोकोमलिया से पीड़ित थे उनके हाथ और पैर नही थे, उनकी माँ ने तक उन्हें देखने से इनकार कर दिया था. लेकिन नर्स ने जबरन उन्हें दिखाया. पिता चर्च से जुड़े थे तो उन्होंने इसे परमात्मा का आशीर्वाद मान पत्नी को मनाया और सच को स्वीकार किया.
उन्हें लोग "chicken drumstick " कह के चिढाते थे, उनके दो पैर जो पुरे नही विकसित थे आपस में जुड़े थे और एक आपरेशन के द्वारा उन्हें ऐसा बनाया गया जिसे वो ऊँगली के जैसे इस्तेमाल कर सके. डूबता को तिनके को सहारा इससे उन्होंने कलम पकड़ा, पैन पालते कंप्यूटर चलाया और इलेक्ट्रिक व्हील चेयर भी ऑपरेट की.
वो जब सत्रह साल के हुए तो माँ ने उन्हें एक स्प्रिटुअल आर्टिकल बताया और वो अध्यात्म से जुड़ गए, उन्होंने 21 वर्ष की उम्र में ग्रिफिथ विश्वविद्यालय से commerce ग्रेजुएट की डिग्री ली. 19 साल की उम्र से वो मोटिवेशनल स्पीच देने लगे और एक दिन वो आया जब उन्होंने एक लाभ न कमाने वाली खुद की संस्था शुरू की जिसका नाम रखा "बिना हाथ पैरो के जीवन"
2011 में स्विट्ज़रलैंड में वर्ल्ड इकनोमिक फोरम में उन्होंने एक इंस्पिरेशनल स्पीच दी और उन्होंने दुनिया को दिखा दिया की दिव्यांग होना कोई गुनाह नही या जीवन का अंत नही है. 2012 में उनकी शादी भी हुई और वो दो बच्चो के बाप है, पत्नी के साथ हनी मून पर भी जाके आये थे जिसमे वर्ल्ड टूर भी था.
"Life Without Limit " नाम से उन्होंने एक किताब भी लिखी है जो की 30 भाषाओ में छपी थी, अब और क्या करें एक बन्दा ये बताने के लिए की किस्मत हाथो की लकीरो में नही बल्कि कर्मो में होती है.
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जरा हटके
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आधा शरीर लोमड़ी का और आधा शरीर महिला का ! चिड़िया घर में बन्द है ये औरत जाने
क्या अपने किसी ऐसी महिला को देख है जिसका आधा शरीर महिला का हो और आधा शरीर लोमड़ी का सायद आपने नही देखा होगा लेकिन आज में आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बता रहा हु आपको यकीन नही हो रहा होगा लेकिन ये सच है जी हां एक महिला ऐसी ही है जिसका आधा शरीर लोमड़ी का तो आधा शरीर महिला का है जाने इस महिला के बारे में !
आपको बतादे की ये महिला पाकिस्तान के चिड़िया घर में स्थित है जिसे देखने के लिए हजारो की संख्या में लोग इखट्टा हो रहे है इस चमत्कार को देखने के लिए लोगो की भीड़ पाकिस्तान के इस चिड़िया घर में पहुच रही है इस महिला का नाम मुमताज बेगम है इस महिला को देखने के लिए लाखो की संख्या में लोग इकट्टा हो रहे है लोगो ने इस महिला का एक और नाम रखा है लोग इसे इंसानी लोमड़ी के नाम से जानते है !
इस महिला की ये बाद पूरी तरह से वायरल हो गई इसे देखे के लिए लाखो की संख्या इस चिड़िया घर में जाने लगे जब ये बात ज्यादा आँखे बढ़ने लगी तो मिडिया ने खुद इस बात का पता लगाया था और इस महिला के बारे में जानकारी लेना शुरू किया जब मिडिया ने इस महिला का सच जाना तो पता चला की मुमताज नाम की एक महिला जो लोगो का मनोरंजन करने के लिए इस तरह से इस चिड़िया घर में बैठी है
इस महिला ने एक खास तरीके का तकता बनवारखा है जिसमे इस महिला का केवल धड़ ही दिखाई देता है बाकि का जो धड़ है बो तकते के निचे रहता है गले के निचे एक कपड़ा लगा हुआ है इस कपड़े में एक लोमड़ी की चमड़ी का एक मुखोटा है जब लोग इसे देखते है तो देखने में ऐसा लगता है की कोई इंसानी लोमड़ी बैठी हुई है !
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सोमवार, 26 सितंबर 2016
बॉलीवुड में अपने सदाबहार अंदाज के लिए जाने जाते थे देव आनंद
- हैप्पी बर्थडे
नाम- देव आनंद
जन्मतिथि- 26 सितंबर 1923
पिता- पिशोरीमल आनंद
भाई-बहन- चेतन आनंद, विजय आनंद और शील कांता कपूर
पत्नी- कल्पना कार्तिक
बच्चे- सनील आनंद, देविना आनंद
भारतीय सिनेमा में सदाबहार अभिनेता देव आनंद को उनके खास अंदाज के लिए जाना जाता है, या यूं कहें कि उनका यही अंदाज उन्हें देव आनंद बनाता है. उन्होंने हमेशा जिंदगी को आनंद के रूप में लिया. उनके भीतर की जिंदादिली ने उन्हें कभी बूढ़ा नहीं होने दिया. उनका अंदाज उनके हजारों-लाखों चाहने वालों के भीतर आज भी जवान है.
देव आनंद ने बॉलीवुड में दो दशक तक राज किया. अभिनय के साथ ही उन्होंने लेखन, निर्देशन, फिल्म निर्माण में न केवल अपना हाथ आजमाया, बल्कि सफलता के शिखर को भी छुआ. उनकी अदा इतनी आकर्षक थी कि लोग उनकी एक झलक पाने को बेताब रहते थे. लड़कियों के बीच वह खासतौर पर लोकप्रिय थे.
‘धर्मदेव पिशोरीमल आनंद’ था असली नाम
देव आनंद का जन्म 26 सितंबर, 1923 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के उस हिस्से में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है. देव आनंद का असली नाम ‘धर्मदेव पिशोरीमल आनंद’ था. उनके पिता पिशोरीमल आनंद पेशे से वकील थे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गुरदासपुर के घोरता गांव में हुई. उन्होंने डलहौजी में सेक्रेड हार्ट स्कूल से मैट्रिक तक की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने सरकारी कॉलेज लाहौर से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री हासिल की.
देव के भाई चेतन आनंद और विजय आनंद भी भारतीय सिनेमा में सफल निर्देशक थे. उनकी बहन शील कांता कपूर प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक शेखर कपूर की मां हैं.
गुरुदत्त से थी गहरी दोस्ती
देव आनंद को फिल्म में पहला मौका 1946 में प्रभात स्टूडियो की फिल्म ‘हम एक हैं’ से मिला. हालांकि फिल्म फ्लॉप होने से दर्शकों के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके. इसी फिल्म के निर्माण के दौरान प्रभात स्टूडियो में उनकी दोस्ती गुरुदत्त से हुई. दोनों में तय हुआ कि जो पहले सफल होगा, वह दूसरे को सफल होने में मदद करेगा और जो भी पहले फिल्म निर्देशित करेगा, वह दूसरे को अभिनय का मौका देगा.
‘जिद्दी’ थी देव आनंद की पहली हिट फिल्म
वर्ष 1948 में प्रदर्शित फिल्म ‘जिद्दी’ देव आनंद के फिल्मी करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई. इस फिल्म की कामयाबी के बाद उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और ‘नवकेतन बैनर’ की स्थापना की.
फिल्म असफल होने के बाद याद आए गुरुदत्त
नवकेतन के बैनर तले उन्होंने वर्ष 1950 में अपनी पहली फिल्म ‘अफसर’ का निर्माण किया, जिसके निर्देशन की जिम्मेदारी उन्होंने अपने बड़े भाई चेतन आनंद को सौंपी. इस फिल्म के लिए उन्होंने उस जमाने की जानी-मानी एक्ट्रेस सुरैया को चुना, जबकि एक्टर के रूप में देव आनंद खुद ही थे. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल रही और इसके बाद उन्हें गुरुदत्त की याद आई.
देव आनंद ने अपनी अगली फिल्म ‘बाजी’ के निर्देशन की जिम्मेदारी गुरुदत्त को सौंप दी. ‘बाजी’ फिल्म की सफलता के बाद देव आनंद को फिल्म जगत में एक अच्छे एक्टर के रूप में गिना जाने लगा.
‘गाइड’ थी देवा आनंद की पहली रंगीन फिल्म
इस बीच देव आनंद ने ‘मुनीम जी’, ‘दुश्मन’, ‘कालाबाजार’, ‘सी.आई.डी’, ‘पेइंग गेस्ट’, ‘गैम्बलर’, ‘तेरे घर के सामने’, ‘काला पानी’ जैसी कई सफल फिल्में दीं.
देव आनंद प्रख्यात उपन्यासकार आर.के. नारायण से काफी प्रभावित थे और उनके उपन्यास ‘गाइड’ पर फिल्म बनाना चाहते थे. आर.के. नारायण की स्वीकृति के बाद उन्होंने हॉलीवुड के सहयोग से हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में फिल्म ‘गाइड’ का निर्माण किया, जो देव की पहली रंगीन फिल्म थी.
इस फिल्म में जोरदार अभिनय के लिए देव को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी दिया गया. वर्ष 1970 में फिल्म ‘प्रेम पुजारी’ के साथ देव आनंद ने निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रखा. हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल रही इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.
‘हरे रामा हरे कृष्णा’ की कामयाबी के बाद कई फिल्मों का किया निर्देशन
वर्ष 1971 में उन्होंने फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ का निर्देशन किया और इसकी कामयाबी के बाद उन्होंने अपनी कई फिल्मों का निर्देशन किया. इन फिल्मों में ‘हीरा पन्ना’, ‘देश परदेस’, ‘लूटमार’, ‘स्वामी दादा’, ‘सच्चे का बोलबाला’, ‘अव्वल नंबर’, ‘बाजी’, ‘ज्वैल थीफ’, ‘सीआईडी’, ‘जॉनी मेरा नाम’, ‘अमीर गरीब’, ‘वारंट’ जैसी कई हिट फिल्में शामिल रहीं.
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
धोनी से मिलने को बेकरार हैं दिशा
मुंबई। बॉलीवुड की नवोदित अभिनेत्री दिशा पटानी क्रि केटर महेन्द्र सिंह धोनी से मिलने के लिये बेकरार हैं। दिशा फिल्म ‘‘एमएस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी’ के साथ बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत कर रही है। यह फिल्म महेन्द्र सिंह धोनी के जीवन पर आधारित है। फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत ,धोनी के किरदार में हैं। इसमें कियारा आडवाणी उनकी पत्नी साक्षी की भूमिका में हैं और दिशा ,धोनी के पहले प्यार प्रियंका झा की भूमिका में हैं।
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पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
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घर के मंदिर में भगवान की ऐसी प्रतिमाएं रखने से, होती है दुखों में वृद्धि
घर के मंदिर में देवी-देवताअों की प्रतिमाएं रखकर उनका पूजन किया जाता है। माना जाता है कि जिस घर में भगवान का वास नहीं होता वहां नकारात्मक ऊर्जा होती है। बहुत कम लोग जानते हैं कि सभी प्रतिमाएं शुभ नहीं होती। वास्तु के अनुसार कुछ ऐसी प्रतिमाएं होती हैं जिनके दर्शन करना व्यक्ति के अशुभ होता है। भगवान के कुछ स्वरूप अौर प्रतिमाएं ऐसी होती हैं, जिनके दर्शन करना अच्छा नहीं होता है।
* भगवान की ऐसी प्रतिमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। जिसमें वे युद्ध या किसी का विनाश करते दिखाई दे रहे हो। इस प्रकार की प्रतिमा के दर्शन करने से दुखों में वृद्धि होती है।
* भगवान की प्रतिमा घर के मंदिर में इस प्रकार रखनी चाहिए कि उनका पीछे का भाग अर्थात पीठ दिखाई न दें। भगवान की पीठ का दिखाई देना अशुभ माना जाता है।
* मंदिर में भगवान की ऐसी प्रतिमा रखनी चाहिए जिनका मुंह सौम्य अौर हाथ आशीर्वाद की मुद्रा हो। भगवान के रौद्र अौर उदास स्वरूप को दर्शन करना शुभ नहीं होता। भगवान के ऐसे स्वरूप के दर्शन करने से नकारात्मक ऊर्जा आती है।
* मंदिर में एक ही भगवान की दो प्रतिमाएं रखना शुभ नहीं होता। यदि दोनों प्रतिमाएं एक-दूसरे के समीप या आमने-सामने हो तो उनके दर्शन से घर में लड़ाई-झगड़ा होता है।
* मंदिर में खंड़ित प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए। इस प्रकार की प्रतिमा के दर्शन करना अच्छा नहीं होता। खंड़ित प्रतिमा का पूजन अौर दर्शन करना अशुभ माना जाता है।
* भगवान की ऐसी प्रतिमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। जिसमें वे युद्ध या किसी का विनाश करते दिखाई दे रहे हो। इस प्रकार की प्रतिमा के दर्शन करने से दुखों में वृद्धि होती है।
* भगवान की प्रतिमा घर के मंदिर में इस प्रकार रखनी चाहिए कि उनका पीछे का भाग अर्थात पीठ दिखाई न दें। भगवान की पीठ का दिखाई देना अशुभ माना जाता है।
* मंदिर में भगवान की ऐसी प्रतिमा रखनी चाहिए जिनका मुंह सौम्य अौर हाथ आशीर्वाद की मुद्रा हो। भगवान के रौद्र अौर उदास स्वरूप को दर्शन करना शुभ नहीं होता। भगवान के ऐसे स्वरूप के दर्शन करने से नकारात्मक ऊर्जा आती है।
* मंदिर में एक ही भगवान की दो प्रतिमाएं रखना शुभ नहीं होता। यदि दोनों प्रतिमाएं एक-दूसरे के समीप या आमने-सामने हो तो उनके दर्शन से घर में लड़ाई-झगड़ा होता है।
* मंदिर में खंड़ित प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए। इस प्रकार की प्रतिमा के दर्शन करना अच्छा नहीं होता। खंड़ित प्रतिमा का पूजन अौर दर्शन करना अशुभ माना जाता है।
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रविवार, 25 सितंबर 2016
इस बार दस दिनों की होगी नवरात्रि
1 अक्टूबर से शुरू होने वाली शारदीय नवरात्रि इस बार दस दिनों की होगी। तिथियों के बढ़ने के कारण ऐसी स्थिति बनेगी। ज्योतिषियों का कहना है कि दस दिनों की नवरात्रि होने के बाद भी यह शुभ है और इन दिनों में देवी की आराधना, पूजन, दर्शन करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी।
ज्योतिषियों ने बताया कि शारदीय नवरात्रि 1 अक्टूबर से शुरू होगी। दूज तिथि दो दिनों तक आने के कारण नवरात्रि दस दिनों तक चलेगी। हालांकि दूज तिथि दो दिनों होने के साथ ही बाकी अन्य सभी तिथियां क्रमानुसार ही रहेगी। इसलिये जिन श्रद्धालुओं के यहां सप्तमी, अष्टमी या नवमी तिथियों पर कुलदेवी की पूजन होती है, वे निर्धारित तिथियों पर ही पूजन कर सकेंगे, क्योंकि दूज के अलावा अन्य किसी तिथियों में परिवर्तन नहीं है।
नवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा उपवास किये जायेंगे तो वहीं देवी मंदिरों में भी नवरात्रि मनाने की तैयारियां शुरू हो गई है। मंदिरों में रंगाई पुताई के साथ ही आकर्षक रोशनी से सराबोर किया जा रहा है। इसके अलावा पांडालों की सजावट होने लगी है, जहां देवी मूर्तियों को बैठाकर गरबों का आयोजन होगा। गरबों की भी रिहर्सल शाम होते ही होने लगी है। गौरतलब है कि शहर में कई प्रसिद्ध देवी मंदिर है, जहां नवरात्रि के अवसर पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होंगे तथा मंदिरों में दर्शन के लिये श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी।
ज्योतिषियों ने बताया कि शारदीय नवरात्रि 1 अक्टूबर से शुरू होगी। दूज तिथि दो दिनों तक आने के कारण नवरात्रि दस दिनों तक चलेगी। हालांकि दूज तिथि दो दिनों होने के साथ ही बाकी अन्य सभी तिथियां क्रमानुसार ही रहेगी। इसलिये जिन श्रद्धालुओं के यहां सप्तमी, अष्टमी या नवमी तिथियों पर कुलदेवी की पूजन होती है, वे निर्धारित तिथियों पर ही पूजन कर सकेंगे, क्योंकि दूज के अलावा अन्य किसी तिथियों में परिवर्तन नहीं है।
नवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा उपवास किये जायेंगे तो वहीं देवी मंदिरों में भी नवरात्रि मनाने की तैयारियां शुरू हो गई है। मंदिरों में रंगाई पुताई के साथ ही आकर्षक रोशनी से सराबोर किया जा रहा है। इसके अलावा पांडालों की सजावट होने लगी है, जहां देवी मूर्तियों को बैठाकर गरबों का आयोजन होगा। गरबों की भी रिहर्सल शाम होते ही होने लगी है। गौरतलब है कि शहर में कई प्रसिद्ध देवी मंदिर है, जहां नवरात्रि के अवसर पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होंगे तथा मंदिरों में दर्शन के लिये श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी।
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ज्योतिष
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6 साल का मासूम, कर रहा है लाखों की कमाई, जानिए कैसे ?
यूं तो आपने कई शेफ देखे होंगे, लेकिन क्या कभी आपने 6 साल के शेफ के बारे में आपने सुना है। जी हां, पहली कक्षा में पढने वाला निहाल एक शेफ है और अपनी बनाई डिशेज की वजह से दुनियाभर में मशहूर है। निहाल 5 साल की उम्र से खाना बनाने का शौकिन है। वह अपने खाना बनाने की सभी वीडियो को यूट्यूब चैनल 'किचाट्यूब' पर अपलोड करता है। लेकिन निहाल के शेफ बनने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है।
बताया जाता है कि निहाल कुछ साल पहले अपनी मां के साथ किचन में हेल्प कर रहा था। इसी दौरान उसके पिता उसकी वीडियो बना रहे थे। पिता ने ये वी़डियो बनाकर अपने फेसबुक अकाउंट पर शेयर कर दिया। लोगों ने इस वीडियो को जब सराहना शुरु किया तो निहाल के पिता ने यूट्यूब चैनल 'किचाट्यूब' बनाने का फैसला किया। जिसपर निहाल की वीडियो को अपलोड किया जाने लगा।
केरल के कोच्ची में रहने वाला निहाल अपनी डिश और मासूमियत की वजह से दुनियाभर में पहचाना जाने लगा। 6 साल का निहाल यूट्यूब के साथ ही फेसबुक पर भी छा गया। हाल में ही निहाल के एक वीडियो को 1 लाख 32 हजार रुपए में फेसबुक ने खरीदा है। ये नन्हा शेफ आप अपनी वीडियो की बदौलत लाखों की कमाई कर रहा है।
बताया जाता है कि निहाल कुछ साल पहले अपनी मां के साथ किचन में हेल्प कर रहा था। इसी दौरान उसके पिता उसकी वीडियो बना रहे थे। पिता ने ये वी़डियो बनाकर अपने फेसबुक अकाउंट पर शेयर कर दिया। लोगों ने इस वीडियो को जब सराहना शुरु किया तो निहाल के पिता ने यूट्यूब चैनल 'किचाट्यूब' बनाने का फैसला किया। जिसपर निहाल की वीडियो को अपलोड किया जाने लगा।
केरल के कोच्ची में रहने वाला निहाल अपनी डिश और मासूमियत की वजह से दुनियाभर में पहचाना जाने लगा। 6 साल का निहाल यूट्यूब के साथ ही फेसबुक पर भी छा गया। हाल में ही निहाल के एक वीडियो को 1 लाख 32 हजार रुपए में फेसबुक ने खरीदा है। ये नन्हा शेफ आप अपनी वीडियो की बदौलत लाखों की कमाई कर रहा है।
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जरा हटके
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
ऐश्वर्या राय का रोल देखने के बाद 'ऐ दिल है मुश्किल' में बच्चन परिवार
करण जौहर की अगले माह रिलीज होने वाली फिल्म में ऐश्वर्या राय का रोल देखने के बाद लगता है बच्चन परिवार को कहना पड़ रहा है 'ऐ दिल है मुश्किल'. वहीं बाकी सभी ऐश्वर्या राय की इस रोमांटिक फिल्म को देखने के बाद सभी इसकी तारीफ कर रहे हैं.
डीएनए में छपी रिपोर्ट के मुताबिक जहां बच्चन परिवार की किसी भी सफलता या योजना के बारे में अमिताभ बच्चन सबसे पहले घोषणा करते हैं या उन्हें शुभकामनाएं देते हैं, ऐ दिल है मुश्किल के मामले में उन्होंने एक बड़ी खामोशी बनाए रखी है.
हाल ही में एक बातचीत के दौरान बिग बी ने यह तक कहा था कि उन्होंने इस फिल्म का टीजर तक नहीं देखा.
इस बीच सबसे अजीब बात यह है कि बच्चन परिवार करण जौहर के बहुत करीबी हैं, जो चार साल बाद किसी फिल्म को निर्देशित कर रहे हैं. फिर भी बच्चन परिवार की ओर से ऐ दिल है मुश्किल के टीजर लॉन्च के बाद केवल अभिषेक के एक आम ट्वीट के अलावा अन्य किसी का कोई बयान नहीं आया.
अब तक फिल्म के टीजर के अलावा दो गाने और ट्रेलर भी रिलीज किया जा चुका है और सोशल मीडिया से लेकर बाकी जगह पर भी इसकी जमकर चर्चा हो रही है, लेकिन न तो सीनियर और न ही जूनियर बच्चन ने इस संबंध में अब तक कोई भी टिप्पणी की.
इसके बाद भी वे कहते हैं कि घर में सबकुछ सही है. हो सकता है कि सभी बच्चन मुश्किल में हैं और ऐश्वर्या की फिल्म के लिए उनका दिल गवाही नहीं दे रहा.
डीएनए में छपी रिपोर्ट के मुताबिक जहां बच्चन परिवार की किसी भी सफलता या योजना के बारे में अमिताभ बच्चन सबसे पहले घोषणा करते हैं या उन्हें शुभकामनाएं देते हैं, ऐ दिल है मुश्किल के मामले में उन्होंने एक बड़ी खामोशी बनाए रखी है.
हाल ही में एक बातचीत के दौरान बिग बी ने यह तक कहा था कि उन्होंने इस फिल्म का टीजर तक नहीं देखा.
इस बीच सबसे अजीब बात यह है कि बच्चन परिवार करण जौहर के बहुत करीबी हैं, जो चार साल बाद किसी फिल्म को निर्देशित कर रहे हैं. फिर भी बच्चन परिवार की ओर से ऐ दिल है मुश्किल के टीजर लॉन्च के बाद केवल अभिषेक के एक आम ट्वीट के अलावा अन्य किसी का कोई बयान नहीं आया.
अब तक फिल्म के टीजर के अलावा दो गाने और ट्रेलर भी रिलीज किया जा चुका है और सोशल मीडिया से लेकर बाकी जगह पर भी इसकी जमकर चर्चा हो रही है, लेकिन न तो सीनियर और न ही जूनियर बच्चन ने इस संबंध में अब तक कोई भी टिप्पणी की.
इसके बाद भी वे कहते हैं कि घर में सबकुछ सही है. हो सकता है कि सभी बच्चन मुश्किल में हैं और ऐश्वर्या की फिल्म के लिए उनका दिल गवाही नहीं दे रहा.
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध लगाना समस्या का हल नहीं: करण जौहर
मुंबई। फिल्मकार करण जौहर का कहना है कि उरी में हुए आतंकी हमले में गई जानों के लिए उनका दिल भी रोता है और वह देश का गुस्सा समझते हैं लेकिन पाकिस्तान के कलाकारों का बहिष्कार कर देना आतंकवाद का हल नहीं है। करण जौहर का यह बयान दरअसल मनसे द्वारा फवाद खान और माहिरा खान जैसे पाकिस्तानी कलाकारों को भारत छोडऩे की धमकी देने के बाद आया है। इन कलाकारों को यह भी कहा गया कि यदि वे भारत नहीं छोड़ेंगे तो उनकी फिल्मों की शूटिंग बाधित की जाएगी।
फवाद करण जौहर की आने वाली फिल्म ‘ए दिल है मुश्किल’ में हैं। यह फिल्म इस दिवाली पर प्रदर्शित होनी है। करण जौहर ने एक न्यूज चैनल को बताया, मैं हमारे आसपास के गुस्से को समझता हूं और इसके साथ सहानुभूति रखता हूं। गंवाई गई जिंदगियों के लिए मेरा दिल रोता है।
कोई भी चीज आतंक के इस भयावह अनुभव को सही नहीं ठहरा सकती। फिर आपका सामना इस किस्म की स्थिति पाक कलाकारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहने से होता है। यदि यह वाकई हल होता तो यह कदम उठाया जा चुका होता।
उन्होंने कहा, लेकिन यह हल नहीं है। मैं इसमें यकीन नहीं रखता। इस स्थिति को सुलझाने के लिए बड़े प्रभावशाली पक्षों को एकसाथ आना चाहिए और यह हल हुनर या कला को प्रतिबंधित करके नहीं निकाला जा सकता।
करण ने कहा कि इस बारे में सार्वजनिक तौर पर बोलने के दौरान वह ‘कमजोर’ महसूस करते हैं। उन्होंने कहा, ऐसा कहते हुए भी मैं खुद को कमजोर और डरा हुआ महसूस करता हूं।
मैं दर्द और गुस्से को पूरी तरह महसूस करता हूं। अगर मेरी फिल्म को इसकी वजह से निशाना बनाया जाता है तो यह मुझे बेहद दुखी कर देगी क्योंकि मेरा इरादा प्यार से एक चीज लेकर आने का था, कुछ और नहीं।
जब करण से पूछा गया कि वे इस तरह की धमकियों से कैसे निपटेंगे, तो उन्होंने कहा, मैं नहीं जानता। मैं हर किसी से अनुरोध करता हूं कि इसे व्यापक तौर पर देखें और स्थिति को समझें...यह एक व्यापक स्थिति है और इसका लेना-देना हुनर को प्रतिबंध करने से नहीं है। इसे एक बड़े नजरिए से देखें और जवाब ढूंढें।
फवाद करण जौहर की आने वाली फिल्म ‘ए दिल है मुश्किल’ में हैं। यह फिल्म इस दिवाली पर प्रदर्शित होनी है। करण जौहर ने एक न्यूज चैनल को बताया, मैं हमारे आसपास के गुस्से को समझता हूं और इसके साथ सहानुभूति रखता हूं। गंवाई गई जिंदगियों के लिए मेरा दिल रोता है।
कोई भी चीज आतंक के इस भयावह अनुभव को सही नहीं ठहरा सकती। फिर आपका सामना इस किस्म की स्थिति पाक कलाकारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहने से होता है। यदि यह वाकई हल होता तो यह कदम उठाया जा चुका होता।
उन्होंने कहा, लेकिन यह हल नहीं है। मैं इसमें यकीन नहीं रखता। इस स्थिति को सुलझाने के लिए बड़े प्रभावशाली पक्षों को एकसाथ आना चाहिए और यह हल हुनर या कला को प्रतिबंधित करके नहीं निकाला जा सकता।
करण ने कहा कि इस बारे में सार्वजनिक तौर पर बोलने के दौरान वह ‘कमजोर’ महसूस करते हैं। उन्होंने कहा, ऐसा कहते हुए भी मैं खुद को कमजोर और डरा हुआ महसूस करता हूं।
मैं दर्द और गुस्से को पूरी तरह महसूस करता हूं। अगर मेरी फिल्म को इसकी वजह से निशाना बनाया जाता है तो यह मुझे बेहद दुखी कर देगी क्योंकि मेरा इरादा प्यार से एक चीज लेकर आने का था, कुछ और नहीं।
जब करण से पूछा गया कि वे इस तरह की धमकियों से कैसे निपटेंगे, तो उन्होंने कहा, मैं नहीं जानता। मैं हर किसी से अनुरोध करता हूं कि इसे व्यापक तौर पर देखें और स्थिति को समझें...यह एक व्यापक स्थिति है और इसका लेना-देना हुनर को प्रतिबंध करने से नहीं है। इसे एक बड़े नजरिए से देखें और जवाब ढूंढें।
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
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शनिवार, 24 सितंबर 2016
उरी हमला : अभिजीत ने पाक कलाकारों संग काम को लेकर 'जौहर, भट्ट और खान' को दी गाली!
नई दिल्ली (टीम डिजिटल) : जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में आर्मी बेस हुए आतंकी हमले बाद देश के कई लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ काफी दोष है। उस हमले के बाद से भारत-पाक रिश्तेे खत्म होने की कगार पर हैं।
इनके संबंधों में भी काफी तनाव है और इसका असर फिल्म जगत पर भी पड़ता दिख रहा है। ऐसे में महाराष्ट्र में राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस ने बॉलीवुड फिल्मों में काम करने वाले पाकिस्तानी अभिनेताओं और कलाकारों को देश छोड़ने की धमकी दी है, तो वहीं बॉलीवुड गायक अभिजीत भट्टाचार्य ने फिल्मों में पाकिस्तानी कलाकारों को मौका देने वाले निर्माता निर्देशकों के लिए बेहद अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। उन्होंने लिखा, राजनीतिक पार्टियां छुट्टा तोड़-फोड़ कर फायदा उठाती हैं, लेकिन उनमें जौहर, भट्ट, खान जैसे 'गद्दारों' से पंगा लेने की हिम्मत नहीं।
गायक अभिजीत भी पाकिस्तानी कलाकारों के खिलाफ खुलकर सामने आए हैं। उन्होंने जमकर खरी खोटी सुनाई हैं। हालांकि मुंबई पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर देवेन भारती ने बयान जारी करके कहा है कि जितने भी विदेशी नागरिक वैध दस्तावेज़ों के साथ मुंबई में हैं उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। उन्हें जब भी ज़रूरत होगी पर्याप्त सुरक्षा दी जाएगी।
वहीं, देश में इस बात पर बहस शुरू हो गई है
मुंबई में एमएनएस के नेता अमेय खोपकर ने महाराष्ट्र में रहने वाले पाकिस्तानी कलाकारों को 48 घंटे में शहर छोड़ने की धमकी दी है। खोपकर ने ऐसा नहीं करने पर अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है।
राखी ने कुछ इस तरह उड़ाया नन बनी सोफिया का मजाकइस धमकी के बाद करण जौहर की फिल्म ए दिल है मुश्किल और शाहरुख खान की फिल्म रईस की रिलीज खतरे में पड़ सकती है। क्योंकि दोनों फिल्मों में पाकिस्तानी कलाकार किरदार निभा रहे हैं। ए दिल है मुश्किल में फवाद खान हैं तो वही रईस में पाकिस्तानी हीरोइन माहिरा रोल कर रही हैं।
इनके संबंधों में भी काफी तनाव है और इसका असर फिल्म जगत पर भी पड़ता दिख रहा है। ऐसे में महाराष्ट्र में राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस ने बॉलीवुड फिल्मों में काम करने वाले पाकिस्तानी अभिनेताओं और कलाकारों को देश छोड़ने की धमकी दी है, तो वहीं बॉलीवुड गायक अभिजीत भट्टाचार्य ने फिल्मों में पाकिस्तानी कलाकारों को मौका देने वाले निर्माता निर्देशकों के लिए बेहद अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। उन्होंने लिखा, राजनीतिक पार्टियां छुट्टा तोड़-फोड़ कर फायदा उठाती हैं, लेकिन उनमें जौहर, भट्ट, खान जैसे 'गद्दारों' से पंगा लेने की हिम्मत नहीं।
गायक अभिजीत भी पाकिस्तानी कलाकारों के खिलाफ खुलकर सामने आए हैं। उन्होंने जमकर खरी खोटी सुनाई हैं। हालांकि मुंबई पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर देवेन भारती ने बयान जारी करके कहा है कि जितने भी विदेशी नागरिक वैध दस्तावेज़ों के साथ मुंबई में हैं उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। उन्हें जब भी ज़रूरत होगी पर्याप्त सुरक्षा दी जाएगी।
वहीं, देश में इस बात पर बहस शुरू हो गई है
मुंबई में एमएनएस के नेता अमेय खोपकर ने महाराष्ट्र में रहने वाले पाकिस्तानी कलाकारों को 48 घंटे में शहर छोड़ने की धमकी दी है। खोपकर ने ऐसा नहीं करने पर अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है।
राखी ने कुछ इस तरह उड़ाया नन बनी सोफिया का मजाकइस धमकी के बाद करण जौहर की फिल्म ए दिल है मुश्किल और शाहरुख खान की फिल्म रईस की रिलीज खतरे में पड़ सकती है। क्योंकि दोनों फिल्मों में पाकिस्तानी कलाकार किरदार निभा रहे हैं। ए दिल है मुश्किल में फवाद खान हैं तो वही रईस में पाकिस्तानी हीरोइन माहिरा रोल कर रही हैं।
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
ऊं के उच्चारण का महात्म्य...
क्या आप ओम् के महात्य्य को समझते हैं। आज हम आपको ओम् के महात्य्ो को बताने का प्रयास करेंगे। सर्वप्रथम यह जानना है कि इसे कैसे उच्चारित किस प्रकार करें? ओम का यह चिन्ह ऊं अद्भुत है, अलौकिक है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक स्वमरूप है। बहुत-सी आकाश गंगाएं इसी तरह फैली हुई हैं जैसे ओम फैला है। ब्रह्म का अर्थ होता है विस्तार, फैलाव और फैलना। ओंकार ध्वनि के 100 से भी अधिक अर्थ दिए गए हैं। यह अनादि और अनंत तथा निर्वाण की अवस्था का प्रतीक है। कई विद्वानों नें कहा कि यह ब्रह्माण्ड। फैल रहा है। आइंसटाइन भी यही कह कर गए हैं कि ब्राह्मांड फैल रहा है। आइंसटाइन से पूर्व भगवान महावीर ने कहा था। महावीर से पूर्व वेदों में इसका उल्लेख मिलता है। महावीर ने वेदों को पढ़कर नहीं कहा, उन्होंने तो ध्यान की अतल गहराइयों में उतर कर देखा तब ओम् के रहस्यह को बताया। गीता में भी शब्द ब्रह्म की चर्चा है... गीता में भी एक जगह मिलता है कि जिज्ञासुरपि योगस्यो शब्द ब्रह्माति वर्तते। ऊं को ओम कहा जाता है। उसमें भी बोलते वक्त ओ पर ज्यादा जोर लगाना होता है। इसे प्रणव मंत्र भी कहते हैं। यही है मंत्र बाकी सभी है। इस मंत्र का प्रारंभ है अंत नहीं। यह ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है। अनाहत अर्थात किसी भी प्रकार की टकराहट या दो चीजों या हाथों के संयोग के उत्पन्न ध्वनि नहीं। इसे अनहद भी कहते हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड में यह अनवरत चल रहा है। अनहत ध्वतनि में कभी घंटे तो कभी शंख या बांसुरी की सुरीली सुमधुर ध्वीनि मन को मोह लेती है। और ध्यानियों ने जब ध्यान की गहरी अवस्था में सुना की कोई एक ऐसी ध्वनि है जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। हर कहीं, वही ध्वनि निरंतर जारी है और उसे सुनते रहने से मन और आत्मा शांती महसूस करती है तो उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया ओम। साधारण मनुष्य उस ध्वनि को सुन नहीं सकता, लेकिन जो भी ओम का उच्चारण करता रहता है उसके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का विकास होने लगता है। फिर भी उस ध्वनि को सुनने के लिए तो पूर्णतः मौन और ध्यान में होना जरूरी है। जो भी उस ध्वनि को सुनने लगता है वह परमात्मा से सीधा जुड़ने लगता है। परमात्मा से जुड़ने का साधारण तरीका है ऊं का उच्चारण करते रहना। ऊं शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, ऊ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी है और यह भूः लोक, भूवः लोक और स्वर्ग लोग का प्रतीक है। तंत्र योग में एकाक्षर मंत्रों का भी विशेष महत्व है। देवनागरी लिपि के प्रत्येक शब्द में अनुस्वार लगाकर उन्हें मंत्र का स्वरूप दिया गया है। उदाहरण के तौर पर कं, खं, गं, घं आदि। इसी तरह श्रीं, क्लीं, ह्रीं, हूं, फट् आदि भी एकाक्षरी मंत्रों में गिने जाते हैं। सभी मंत्रों का उच्चारण जीभ, होंठ, तालू, दांत, कंठ और फेफड़ों से निकलने वाली वायु के सम्मिलित प्रभाव से संभव होता है। इससे निकलने वाली ध्वनि शरीर के सभी चक्रों और हारमोन स्राव करने वाली ग्रंथियों से टकराती है। इन ग्रंथिंयों के स्राव को नियंत्रित करके बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है। इसके उच्चािरण के लिए सर्वप्रथम प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ऊं का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ऊं जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ऊं जप माला से भी कर सकते हैं। ओम के जप करने से शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलेगी। दिल की धड़कन और रक्तसंचार व्यवस्थित होगा। इससे मानसिक बीमारियां दूर होती हैं। काम करने की शक्ति बढ़ जाती है। इसका उच्चारण करने वाला और इसे सुनने वाला दोनों ही लाभांवित होते हैं। इसके उच्चारण में पवित्रता का ध्यान रखा जाता है। साधकगण ध्या न दें कि प्रिय या अप्रिय शब्दों की ध्वनि से श्रोता और वक्ता दोनों हर्ष, विषाद, क्रोध, घृणा, भय तथा कामेच्छा के आवेगों को महसूस करते हैं। अप्रिय शब्दों से निकलने वाली ध्वनि से मस्तिष्क में उत्पन्न काम, क्रोध, मोह, भय लोभ आदि की भावना से दिल की धड़कन तेज हो जाती है जिससे रक्त में टॉक्सिक पदार्थ पैदा होने लगते हैं। इसी तरह प्रिय और मंगलमय शब्दों की ध्वनि मस्तिष्क, हृदय और रक्त पर अमृत की तरह आल्हादकारी रसायन की वर्षा करती है। ओम शब्दभ जपने से शरीर के चारों ओर एक ऐसा आभा मण्ड ल तैयार हो जाता है जो साधक की रखा करता है। ओम के जपने से एक ऐसा तंतु उत्प न्न होता है जो मन को पवित्र करता है।
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पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
फिल्म पिंक का पहला सप्ताह पूरा, देखिये बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट कार्ड
मुंबई। फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नु के शानदार अभिनय से लबरेज फिल्म पिंक ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन करते हुए निर्माताओं को गुलजार कर दिया है। जी हां, अनिरुद्ध रॉय चौधरी निर्देशित फिल्म पिंक बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रही।
पहले शुरूआती तीन दिन में 21.51 करोड़ रुपये की कमाई करने वाली फिल्म पिंक ने शुक्रवार से शुक्रवार तक पहले सप्ताह के भीतर 36 करोड़ रुपये की कमाई के शानदार आंकड़े को छू लिया है। फिल्म को मिल रही प्रतिक्रिया से निर्माता निर्देशक बेहद खुश हैं।
सिने व्यवसाय पर नजर रखने वाले तरन आदर्श के अनुसार फिल्म पिंक ने पहले शुरूआती तीन दिनों में 21.51 करोड़ के आंकड़े को छूने के बाद बॉक्स ऑफिस पर निरंतर सोम, मंगल, बुध, गुरू और शुक्र को क्रमश: 3.78 करोड़, 3.51 करोड़, 3.87 करोड़, 3.24 करोड़ का व्यवसाय करते हुए पहले सप्ताह दौरान कुल 35.91 करोड़ का व्यवसाय किया।
सिने व्यवसाय पर नजर रखने वाले तरन आदर्श के अनुसार फिल्म पिंक ने पहले शुरूआती तीन दिनों में 21.51 करोड़ के आंकड़े को छूने के बाद बॉक्स ऑफिस पर निरंतर सोम, मंगल, बुध, गुरू और शुक्र को क्रमश: 3.78 करोड़, 3.51 करोड़, 3.87 करोड़, 3.24 करोड़ का व्यवसाय करते हुए पहले सप्ताह दौरान कुल 35.91 करोड़ का व्यवसाय किया।
पहले शुरूआती तीन दिन में 21.51 करोड़ रुपये की कमाई करने वाली फिल्म पिंक ने शुक्रवार से शुक्रवार तक पहले सप्ताह के भीतर 36 करोड़ रुपये की कमाई के शानदार आंकड़े को छू लिया है। फिल्म को मिल रही प्रतिक्रिया से निर्माता निर्देशक बेहद खुश हैं।
सिने व्यवसाय पर नजर रखने वाले तरन आदर्श के अनुसार फिल्म पिंक ने पहले शुरूआती तीन दिनों में 21.51 करोड़ के आंकड़े को छूने के बाद बॉक्स ऑफिस पर निरंतर सोम, मंगल, बुध, गुरू और शुक्र को क्रमश: 3.78 करोड़, 3.51 करोड़, 3.87 करोड़, 3.24 करोड़ का व्यवसाय करते हुए पहले सप्ताह दौरान कुल 35.91 करोड़ का व्यवसाय किया।
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पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
काजोल देवगन की हुई सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर धमाकेदार एंट्री
मुम्बई। जी हां, ट्विटर के बाद काजोल देवगन अब फेसबुक पर भी कदम रख चुकी हैं। काजोल ने 23 सितंबर को फेसबुक के हैडक्वाटर पहुंचकर अपने आधिकारिक फेसबुक पृष्ठ को सार्वजनिक किया।
इस मौके पर काजोल ने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें काजोल काफी खुश नजर आ रही हैं। काजोल ने अपने फैन्स को बताया कि वे फेसबुक के मुख्यालय में हैं और अपने फेसबुक पन्ने को शुरू करने जा रही हैं।
काजोल ने अपनी मां तनुजा मुखर्जी के जन्मदिवस 23 सितंबर को अपने फेसबुक पन्ने की शुरूआत की और फेसबुक के माध्यम से अपनी मां तनुजा को जन्मदिवस की बहुत सारी शुभकामनाएं दी। कुछ घंटे पूर्व रिलीज हुए इस पृष्ठ को लगभग 12 लाख से अधिक लोग लाइक कर चुके हैं।
फेसबुक कवर में काजोल ने हैल्प ए चाइल्ड रीच फाइव का फोटो लगाया हुआ जबकि डीपी में ब्लैक साड़ी में काजोल नजर आ रही हैं। दरअसल, आजकल काजोल अपने पतिदेव अजय देवगन के साथ प्रचार प्रसार में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।
इस मौके पर काजोल ने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें काजोल काफी खुश नजर आ रही हैं। काजोल ने अपने फैन्स को बताया कि वे फेसबुक के मुख्यालय में हैं और अपने फेसबुक पन्ने को शुरू करने जा रही हैं।
काजोल ने अपनी मां तनुजा मुखर्जी के जन्मदिवस 23 सितंबर को अपने फेसबुक पन्ने की शुरूआत की और फेसबुक के माध्यम से अपनी मां तनुजा को जन्मदिवस की बहुत सारी शुभकामनाएं दी। कुछ घंटे पूर्व रिलीज हुए इस पृष्ठ को लगभग 12 लाख से अधिक लोग लाइक कर चुके हैं।
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मकान की नींव में सर्प और कलश को क्यों गाड़ा जाता है?
मकान का निर्माण करते वक्त हम कई ऐसे कार्यों को प्राथमिकता देते है जिनसे हमारे घर की हर तरह से रक्षा की जा सकें। साथ ही घर की सुख-शांति बनी रहे। मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि जमीन के नीचे पाताल लोक है और इसके स्वामी शेषनाग है। पौराणिक ग्रंथों में शेषनाग के फण पर संपूर्ण पृथ्वी टिकी होने का उल्लेख मिलता है।
शेषं चाकल्पयद्देवमनन्तं विश्वरूपिणम्।
यो धारयति भूतानि धरां चेमां सपर्वताम्।।
इन परमदेव ने वश्वरुप अनंत नामक देवस्वरुप शेषनाग को पैदा किया, जो मान्यतानुसार पहाड़ो सहित पृथ्वी को धारण किए हुए है। भगवान की शय्या बनकर सुख पहुंचाने वाले उनके अनन्य भक्त है। श्रीमद्भागवत के 10 वें अध्याय के एक श्लोक में भगवान कृष्ण नें कहा है अनन्तच्चास्मि नागनां यानी मैं नागों में शेषनाग हूं।
नींव पूजन का पूरा कर्मकांड एक मनोवैज्ञानिक विश्वास पर आधारित है। इसके अनुसार शेषनाग अपने फणण पर पूरी पृथ्वी को धारण किए हुए है। ठीक उसी तरह मेरे इस घर की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फण पर पूरी मजबूती के साथ स्थापित रहे। शेषनाग क्षीरसागर में रहते ह।
इसलिए पूजन के कलश में दूध,दही, घी डालकर मंत्रो से आह्वान कर शेषनाग को बुलाया जाता है। ताकि वे घर की रक्षा करें। नींव में जिस कलश को रखा जाता है उसमें लक्ष्मी स्वरुप सिक्का डालकर फूल और दूध पूजा में चढ़ाया जाता है। जो नागों को सबसे अधिक प्रिय होता है। भगवान शिवजी के आभूषण तो नाग है ही। इसी आस्था और विश्वास के तौर पर नींव में कलश और सर्प को गाढ़ा जाता है।
शेषं चाकल्पयद्देवमनन्तं विश्वरूपिणम्।
यो धारयति भूतानि धरां चेमां सपर्वताम्।।
इन परमदेव ने वश्वरुप अनंत नामक देवस्वरुप शेषनाग को पैदा किया, जो मान्यतानुसार पहाड़ो सहित पृथ्वी को धारण किए हुए है। भगवान की शय्या बनकर सुख पहुंचाने वाले उनके अनन्य भक्त है। श्रीमद्भागवत के 10 वें अध्याय के एक श्लोक में भगवान कृष्ण नें कहा है अनन्तच्चास्मि नागनां यानी मैं नागों में शेषनाग हूं।
नींव पूजन का पूरा कर्मकांड एक मनोवैज्ञानिक विश्वास पर आधारित है। इसके अनुसार शेषनाग अपने फणण पर पूरी पृथ्वी को धारण किए हुए है। ठीक उसी तरह मेरे इस घर की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फण पर पूरी मजबूती के साथ स्थापित रहे। शेषनाग क्षीरसागर में रहते ह।
इसलिए पूजन के कलश में दूध,दही, घी डालकर मंत्रो से आह्वान कर शेषनाग को बुलाया जाता है। ताकि वे घर की रक्षा करें। नींव में जिस कलश को रखा जाता है उसमें लक्ष्मी स्वरुप सिक्का डालकर फूल और दूध पूजा में चढ़ाया जाता है। जो नागों को सबसे अधिक प्रिय होता है। भगवान शिवजी के आभूषण तो नाग है ही। इसी आस्था और विश्वास के तौर पर नींव में कलश और सर्प को गाढ़ा जाता है।
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शुक्रवार, 23 सितंबर 2016
श्राद्ध पक्ष में रखें ये सावधानियां
श्राद्ध पक्ष का संदेश देते हुए भगवान कहते हैं, ‘‘वैदिक रीति से अगर आप मेरे स्वरूप को नहीं जानते हैं तो श्रद्धा के बल से जिस-जिस देवता के, पितर के निमित्त जो भी कर्म करते हैं। उन-उनके द्वारा मेरी ही सत्ता-स्फूर्ति से तुम्हारा कल्याण होता है। देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मेरा पूजन करने वाले भक्त मुझको ही प्राप्त होते हैं इसलिए मेरे भक्तों का पुनर्जन्म नहीं होता।’’
‘हारीत स्मृति’ में लिखा है - जिसके घर में श्राद्ध नहीं होता उनके कुल-खानदान में वीर पुत्र उत्पन्न नहीं होते। कोई निरोग नहीं रहता। लम्बी आयु नहीं होती और किसी न किसी तरह का झंझट तथा खटपट बनी रहती है। किसी तरह कल्याण नहीं प्राप्त होता।
विष्णु पुराण के अनुसार, श्राद्ध से ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, वरुण, अष्टवसु, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्रि, वायु, ऋषि, पितृगण, पशु-पक्षी, मनुष्य और जगत भी संतुष्ट होता है। श्राद्ध करने वाले पर इन सभी की प्रसन्न दृष्टि रहती है।
प्रत्येक मनुष्य इस धरती पर जन्म लेने के पश्चात तीन ऋणों से ग्रस्त होता है। पहला देव ऋण, दूसरा ऋषि ऋण और तीसरा पितृ ऋण। पितृपक्ष के श्राद्ध अर्थात 16 श्राद्ध साल के ऐसे सुनहरे दिन हैं जिसमें हम श्राद्ध में शामिल होकर उपरोक्त तीनों ऋणों से मुक्ति पा सकते हैं। लेकिन श्राद्धों में कुछ सावधानियां भी रखनी चाहिए, जिससे पितरों को प्रसन्नता मिले। आइए आपको बताते हैं श्राद्धों में कौनसी सावधानियां रखनी चाहिए....
श्राद्धकर्ता श्राद्ध पक्ष में पान खाना, तेल मालिश, स्त्री सम्भोग, संग्रह आदि न करें।
श्राद्ध का भोक्ता दोबारा भोजन तथा यात्रा आदि न करे।
श्राद्ध खाने के बाद परिश्रम और प्रतिग्रह से बचें।
श्राद्ध करने वाला व्यक्ति 3 से ज्यादा ब्राह्मणों तथा ज्यादा रिश्तेदारों को न बुलाए।
श्राद्ध के दिनों में ब्रह्मचर्य व सत्य का पालन करें और ब्राह्मण भी ब्रह्मचर्य का पालन करके श्राद्ध ग्रहण करने आए।
‘हारीत स्मृति’ में लिखा है - जिसके घर में श्राद्ध नहीं होता उनके कुल-खानदान में वीर पुत्र उत्पन्न नहीं होते। कोई निरोग नहीं रहता। लम्बी आयु नहीं होती और किसी न किसी तरह का झंझट तथा खटपट बनी रहती है। किसी तरह कल्याण नहीं प्राप्त होता।
विष्णु पुराण के अनुसार, श्राद्ध से ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, वरुण, अष्टवसु, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्रि, वायु, ऋषि, पितृगण, पशु-पक्षी, मनुष्य और जगत भी संतुष्ट होता है। श्राद्ध करने वाले पर इन सभी की प्रसन्न दृष्टि रहती है।
प्रत्येक मनुष्य इस धरती पर जन्म लेने के पश्चात तीन ऋणों से ग्रस्त होता है। पहला देव ऋण, दूसरा ऋषि ऋण और तीसरा पितृ ऋण। पितृपक्ष के श्राद्ध अर्थात 16 श्राद्ध साल के ऐसे सुनहरे दिन हैं जिसमें हम श्राद्ध में शामिल होकर उपरोक्त तीनों ऋणों से मुक्ति पा सकते हैं। लेकिन श्राद्धों में कुछ सावधानियां भी रखनी चाहिए, जिससे पितरों को प्रसन्नता मिले। आइए आपको बताते हैं श्राद्धों में कौनसी सावधानियां रखनी चाहिए....
श्राद्धकर्ता श्राद्ध पक्ष में पान खाना, तेल मालिश, स्त्री सम्भोग, संग्रह आदि न करें।
श्राद्ध का भोक्ता दोबारा भोजन तथा यात्रा आदि न करे।
श्राद्ध खाने के बाद परिश्रम और प्रतिग्रह से बचें।
श्राद्ध करने वाला व्यक्ति 3 से ज्यादा ब्राह्मणों तथा ज्यादा रिश्तेदारों को न बुलाए।
श्राद्ध के दिनों में ब्रह्मचर्य व सत्य का पालन करें और ब्राह्मण भी ब्रह्मचर्य का पालन करके श्राद्ध ग्रहण करने आए।
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गुरुवार, 22 सितंबर 2016
सुहागिनों के लिए किया जाता है अविधवा नवमी का श्राद्ध
इन दिनों श्रद्धालु श्राद्ध पक्ष के विभिन्न दिनों अर्थात् तिथियों में अपने प्रिय जनों की तृप्ति और शांति के लिए पितृ तर्पण, श्राद्ध कर्म, पूजन करने में व्यस्त हैं। ऐसे में ये श्रद्धालु पंडितों को जीमाना नहीं भूलते हैं। श्राद्ध पक्ष की मान्यताओं के तहत अलग - अगल तिथियां अलग अलग महत्व की बताई गई हैं। इन तिथियों में मृत्यु या देवलोक अथवा पितृलोक को प्राप्त हो चुके पितरों उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है।
यही नहीं कुछ विशेष तिथियां उन पितरों के लिए होती हैं जो सुहागन रूप से कुंआरे ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। जहां कुंआरों का श्राद्ध कुंआरा पंचमी पर किया जाता है वहीं नवमी तिथि का श्राद्ध सौभाग्यवती तौर पर मृत्यु को प्राप्त होने वाली स्त्रियों के लिए किया जाता है।
अर्थात् ऐसी स्त्रियां जो अपने पतियों के मृत्यु को प्राप्त होने के पहले ही मृत हो जाती हैं और पितृ लोक या स्वर्ग लोक को जाती हैं उनका श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाता है। इस बार नवमी तिथि का श्राद्ध शनिवार को होगा। इस दिन को अविधवा नवमी भी कहते हैं। यह तिथि बेहद शुभ मानी जाती है।
इस दिन किसी पंडित को दान, सौलह श्रृंगार की सामग्री दान देने के साथ भोजन करवाने के अलावा किसी सुहागन को जिमाऐं और उसे वस्त्र, सौलह श्रृंगार की सामग्री अथवा भोजन देकर आपकी यथा शक्ति तृप्त करें। आपकी मनोकामना जरूर पूर्ण होगी।
यही नहीं कुछ विशेष तिथियां उन पितरों के लिए होती हैं जो सुहागन रूप से कुंआरे ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। जहां कुंआरों का श्राद्ध कुंआरा पंचमी पर किया जाता है वहीं नवमी तिथि का श्राद्ध सौभाग्यवती तौर पर मृत्यु को प्राप्त होने वाली स्त्रियों के लिए किया जाता है।
अर्थात् ऐसी स्त्रियां जो अपने पतियों के मृत्यु को प्राप्त होने के पहले ही मृत हो जाती हैं और पितृ लोक या स्वर्ग लोक को जाती हैं उनका श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाता है। इस बार नवमी तिथि का श्राद्ध शनिवार को होगा। इस दिन को अविधवा नवमी भी कहते हैं। यह तिथि बेहद शुभ मानी जाती है।
इस दिन किसी पंडित को दान, सौलह श्रृंगार की सामग्री दान देने के साथ भोजन करवाने के अलावा किसी सुहागन को जिमाऐं और उसे वस्त्र, सौलह श्रृंगार की सामग्री अथवा भोजन देकर आपकी यथा शक्ति तृप्त करें। आपकी मनोकामना जरूर पूर्ण होगी।
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क्या आपको पता हैं सबसे पहले किसने किया था श्राद्ध
अधिकतर सभी हिंदू घरों में हर वर्ष अपने पितरों और पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध किया जाता है। श्राद्धों में सभी श्रद्धा पूर्वक ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं। लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं कि सबसे पहले श्राद्ध किसने और किसका किया था या श्राद्ध की शुरूआत कहां से हुई। अगर आप भी इसके बारे में नहीं जानते हैं तो चलिए आपको बताते हैं इसके बारे में...
श्राद्ध के बारे में अनेक धर्म ग्रंथों में अलग-अलग बातें बताई गई हैं। महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को श्राद्ध के संबंध में बताया कि सबसे पहले श्राद्ध का उपदेश महर्षि निमि को महातपस्वी अत्रि मुनि ने दिया था। इस प्रकार पहले निमि ने श्राद्ध का आरंभ किया और पितरों को भोजन कराया, लगातार श्राद्ध का भोजन करते-करते देवता और पितर पूर्ण तृप्त हो गए।
इसके साथ ही श्राद्ध का भोजन लगातार करने से पितरों को अजीर्ण (भोजन न पचना) रोग हो गया और इससे उन्हें कष्ट होने लगा। तब वे ब्रह्माजी के पास गए और उनसे कहा कि- श्राद्ध का अन्न खाते-खाते हमें अजीर्ण रोग हो गया है, इससे हमें कष्ट हो रहा है, आप हमारा कल्याण कीजिए।
देवताओं की बात सुनकर ब्रह्माजी बोले- मेरे निकट अग्निदेव बैठे हैं, ये ही आपका कल्याण करेंगे। अग्निदेव बोले- देवताओं और पितरों। अब से श्राद्ध में हम लोग साथ ही भोजन किया करेंगे। मेरे साथ रहने से आप लोगों का अजीर्ण दूर हो जाएगा। यह सुनकर देवता व पितर प्रसन्न हुए। इसलिए श्राद्ध में सबसे पहले अग्नि का भाग दिया जाता है। महर्षि निमि द्वारा शुरू की गई श्राद्ध की परंपरा को निभाने के लिए अन्य महर्षि भी श्राद्ध करने लगे। धीरे-धीरे चारों वर्णों के लोग श्राद्ध में पितरों को अन्न देने लगे और ब्राह्मणों को भोजन कराने लगे।
श्राद्ध के बारे में अनेक धर्म ग्रंथों में अलग-अलग बातें बताई गई हैं। महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को श्राद्ध के संबंध में बताया कि सबसे पहले श्राद्ध का उपदेश महर्षि निमि को महातपस्वी अत्रि मुनि ने दिया था। इस प्रकार पहले निमि ने श्राद्ध का आरंभ किया और पितरों को भोजन कराया, लगातार श्राद्ध का भोजन करते-करते देवता और पितर पूर्ण तृप्त हो गए।
इसके साथ ही श्राद्ध का भोजन लगातार करने से पितरों को अजीर्ण (भोजन न पचना) रोग हो गया और इससे उन्हें कष्ट होने लगा। तब वे ब्रह्माजी के पास गए और उनसे कहा कि- श्राद्ध का अन्न खाते-खाते हमें अजीर्ण रोग हो गया है, इससे हमें कष्ट हो रहा है, आप हमारा कल्याण कीजिए।
देवताओं की बात सुनकर ब्रह्माजी बोले- मेरे निकट अग्निदेव बैठे हैं, ये ही आपका कल्याण करेंगे। अग्निदेव बोले- देवताओं और पितरों। अब से श्राद्ध में हम लोग साथ ही भोजन किया करेंगे। मेरे साथ रहने से आप लोगों का अजीर्ण दूर हो जाएगा। यह सुनकर देवता व पितर प्रसन्न हुए। इसलिए श्राद्ध में सबसे पहले अग्नि का भाग दिया जाता है। महर्षि निमि द्वारा शुरू की गई श्राद्ध की परंपरा को निभाने के लिए अन्य महर्षि भी श्राद्ध करने लगे। धीरे-धीरे चारों वर्णों के लोग श्राद्ध में पितरों को अन्न देने लगे और ब्राह्मणों को भोजन कराने लगे।
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दोनों यही बन गए।
यहाँ पैदा होते ही मार देते हे अपने बच्चो को
आपने देखा होगा की जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो बहा खुशिया मनाई जाती है लेकिन आज में आपको एक ऐसे गांव के बारे में बता रहा हु यहां पैदा होते ही अपने बच्चो को मार देते है आप को इस बात पर यकीन नही होरहा होगा आप सोच रहे होंगे की कोई अपने बच्चे को कैसे मार सकता है लेकिन ये सच है जी हां इस गांव में लोग अपने बच्चो को पैदा होते ही मार देते है |
आपने आदिवासियों के बारे तो सुना ही होगा और उनकी प्रथाओ के बारे में भी जानते होंगे लेकिन आज में आपको उनकी एक ऐसी प्रथा के बारे में बता रहा हु जिसके बारे में आपने कभी नही सुना होगा इन लोगो में एक ऐसी प्रथा का प्रचलन है यहाँ ये लोग अपने बच्चो को पैदा होते ही मार देते है इन बच्चो को मारने बाले कोई और नही उन्ही के सम्प्रदाय के लोग होते है जिन लोगो के बच्चे मार दिया जाते है बो अक्सर पुलिस से शिकायत करते रहते है |
आपने आदिवासियों के बारे तो सुना ही होगा और उनकी प्रथाओ के बारे में भी जानते होंगे लेकिन आज में आपको उनकी एक ऐसी प्रथा के बारे में बता रहा हु जिसके बारे में आपने कभी नही सुना होगा इन लोगो में एक ऐसी प्रथा का प्रचलन है यहाँ ये लोग अपने बच्चो को पैदा होते ही मार देते है इन बच्चो को मारने बाले कोई और नही उन्ही के सम्प्रदाय के लोग होते है जिन लोगो के बच्चे मार दिया जाते है बो अक्सर पुलिस से शिकायत करते रहते है |
अब पुलिस के सामने ये समस्य है की वो इनलोगो को सुरक्षा दे या फिर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करे लेकिन अभी इस बात का मतलब नही निकल पाया है इस तरह की प्रथा की प्रचलन अण्डमान में रहने बाले आदिवासियों में है यहाँ के लोग अपने बच्चो को मार देते है यहाँ के ये लोग जिन बच्चो को मारते है उनकी माँ यातो विधवा होती है या उनका पिता किसी दूसरे समुदाय का होता है !
एक और बाद अगर यहाँ कोई बच्चा काले रंग के बजाय थोड़ा सा भी गोरे रंग का पैदा होजाता है तो उसे भी ये लोग मार देते है क्योंकि ये लोग ऐसा सोचते है की बड़ा होने पर ये लड़का दूसरे समुदाय का लगेगा इस लिए उसे जन्म लेते ही मार देते है आई दिन यहाँ इन बच्चो के मरने के मामले सामने आते रहते है लेकिन इनके खिलाफ कोई भी अपनी अबाज नही उठा रहा इस जुर्म को ये लोग चुपचाप सह लेते है |
अब अण्डमान की पुलिस के सामने सबसे बड़ी समस्य ये है की बो इन लोगो की खिलाफ कार्यवाही करे है या उनकी इस प्रथा को कायम रहने थे ड्राइव के बच्चो की हत्या के कुछ मामले सामने आए है लेकिन इन के खिलजी कोई भी क़ानूनी कार्यवही नही की जारही है यहाँ अबतक कई बच्चो मार दिया गया है दोषियों के खिलाफ शिकायत भी की थी लेकिन पुलिस उनके खिलाफ कोई भी कार्यवाही नही कर रही है !
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जरा हटके
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
तीन हाथ वाली काली माता का मंदिर, बिना सर ढके जो भी महिला जाती है अदृश्य शक्ति काट देती है बाल...
हिन्दू धर्म हो या मुस्लिम हो या फिर सिख या ईसाई सभी अपने धर्म स्थलों पर जब भी जाते है अपना सर ढक लेते है, इसका वैज्ञानिक तर्क ये है की इससे आपका घ्यान बंटेगा नही! कई धार्मिक स्थलों पर तो उसकी बपनदी कर दी जाती है जिसमे ऐसा करना अनिवार्य है, लेकिन तमिलनाड के त्रिची में एक ऐसा मंदिर है जंहा अगर महिलाये बिना सर ढके गई तो उनके बाल कट गए!
कोई व्यक्ति नही बल्कि एक अदृश्य शक्ति देती है इस काम को अंजाम....
वर्तमान मध्यप्रदेश में राज करने वाली माह प्रतापी राजा विक्रमादित्य काली भक्त थे और उनके उन्होंने वन में घूमते हुए सजीव दर्शन किये और उनको मूरत रूप में अपने साथ रखा. वो जंहा भी जाते उसे ले जाते और उसकी वन्ही आराधना करते एक दिन त्रिची में इस मंदिर के जगह से मूर्ति नही उठी और उसने प्रसन्न मुद्रा में इन्ही रहनी की बात कही तो राजा ने मंदिर बना दिया!
वैसे तो काली गंभीर होती है लेकिन यंहा शांत मुद्रा में है, उनके मुख पे लम्बे दांत भी नही है मंदिर में कृष्ण शिव गणेश की भी अद्भुद मुर्तिया है!
माता काली के तीन ही हाथ है जो की एक अद्भुद बात है, एक में नरमुंड दूसरे में त्रिशूल तो तीसरे में मशाल है, चौथे हाथ का रहस्य कोई नही जानता है लेकिन एक चमत्कार से इसका इशारा मिलता है! इस मंदिर में जो भी महिला बिना बाल ढके जाती है उसकी छोटी या बाल कट जाते है उसे पता भी नही चलता.
ये कौन करता है क्यों करता है ये कोई नही जानता लेकिन महिलाओ में इस बात को लेकर खौफ रहता है, हालही में एक कॉलेज गर्ल ने इसे अन्धविश्वास माना और अपनी चोटी गाँव बैठी. शायद माँ का चौथा हाथ इस मंदिर की रखवाली कर रहा है जो की अदृश्य रूप में है.
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‘ऐ दिल है मुश्किल’ का नया पोस्टर रिलीज, कल जारी होगा ट्रेलर
23 सितंबर को रिलीज होगा ट्रेलर
इससे पहले फिल्म का टीजर रिलीज किया गया था जिसके बाद से फिल्म के ट्रेलर का इंतजार किया जा रहा है. आज रिलीज किए गए पोस्टर में रणबीर कपूर, ऐश्वर्या राय और अनुष्का शर्मा दिखाई दे रहे हैं. इसमें एक तरफ रणबीर अनुष्का के साथ हैं तो दूसरी तरफ वह ऐश के साथ नजर आ रहे हैं. इस पोस्टर में ट्रेलर की रिलीज डेट 23 सितंबर लिखी है. यानि ट्रेलर को कल रिलीज किया जाएगा.
चर्चा में हैं रणबीर-ऐश की हॉट केमिस्ट्री
बता दें फिल्म का निर्देशन करण ने किया है. इसके दो गाने रिलीज किए जा चुके हैं जिन्हें दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं. इन दिनों रणबीर और ऐश्वर्या की हॉट केमिस्ट्री बॉलीवुड में चर्चा का विषय बनी हुई है. फिल्म में फवाद खान भी अहम भूमिका में दिखाई देंगे. यह 28 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.
इससे पहले फिल्म का टीजर रिलीज किया गया था जिसके बाद से फिल्म के ट्रेलर का इंतजार किया जा रहा है. आज रिलीज किए गए पोस्टर में रणबीर कपूर, ऐश्वर्या राय और अनुष्का शर्मा दिखाई दे रहे हैं. इसमें एक तरफ रणबीर अनुष्का के साथ हैं तो दूसरी तरफ वह ऐश के साथ नजर आ रहे हैं. इस पोस्टर में ट्रेलर की रिलीज डेट 23 सितंबर लिखी है. यानि ट्रेलर को कल रिलीज किया जाएगा.
चर्चा में हैं रणबीर-ऐश की हॉट केमिस्ट्री
बता दें फिल्म का निर्देशन करण ने किया है. इसके दो गाने रिलीज किए जा चुके हैं जिन्हें दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं. इन दिनों रणबीर और ऐश्वर्या की हॉट केमिस्ट्री बॉलीवुड में चर्चा का विषय बनी हुई है. फिल्म में फवाद खान भी अहम भूमिका में दिखाई देंगे. यह 28 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.
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बुधवार, 21 सितंबर 2016
जानिए बेबो से किसने कहा, 'हैप्पी बर्थडे करीना आंटी'
बॉलीवुड की बेबो और सैफ अली खान की बेगम करीना कपूर बुधवार को 36 साल की हो गईं. लेकिन बेबो को इस जन्मदिन पर बॉलीवुड की एक कलाकार ने सोशल मीडिया पर 'आंटी' कहते हुए शुभकामनाएं दीं जिसकी हर ओर चर्चा हो रही है.
करीना कपूर खान का 21 सितंबर को जन्मदिन होता है. इस बार उनके जन्मदिन पर भी उन्हें हर ओर से ढेरों बधाइयां मिलीं और करीना ने उनका शुक्रिया भी अदा किया. लेकिन करीना कपूर और सलमान खान की फिल्म बजरंगी भाईजान में उनके साथ नजर आने वाली बाल कलाकार हर्षाली मल्होत्रा की शुभकामनाएं शायद बॉलीवुड में सबसे अलग और चौंकानें वाली नजर आएं.
बजरंगी भाईजान की मुन्नी की तरफ से इंस्टाग्राम-ट्विटर पर एक तस्वीर पोस्ट की गई है. इसमे करीना कपूर और हर्षाली मल्होत्रा साथ में खड़े हुए हैं और तस्वीर के ऊपर लिखा हुआ है, "हैप्पी बर्थडे करीना आंटी."
वहीं, कथितरूप से करीना कपूर अपने बांद्रा के घर में परिवार और नजदीकी दोस्तों के साथ अपना जन्मदिन मना रही हैं. इनमें रणधीर कपूर, बबीता, करिश्मा कपूर, रणबीर कपूर भी शामिल हैं.
करीना कपूर खान का 21 सितंबर को जन्मदिन होता है. इस बार उनके जन्मदिन पर भी उन्हें हर ओर से ढेरों बधाइयां मिलीं और करीना ने उनका शुक्रिया भी अदा किया. लेकिन करीना कपूर और सलमान खान की फिल्म बजरंगी भाईजान में उनके साथ नजर आने वाली बाल कलाकार हर्षाली मल्होत्रा की शुभकामनाएं शायद बॉलीवुड में सबसे अलग और चौंकानें वाली नजर आएं.
बजरंगी भाईजान की मुन्नी की तरफ से इंस्टाग्राम-ट्विटर पर एक तस्वीर पोस्ट की गई है. इसमे करीना कपूर और हर्षाली मल्होत्रा साथ में खड़े हुए हैं और तस्वीर के ऊपर लिखा हुआ है, "हैप्पी बर्थडे करीना आंटी."
वहीं, कथितरूप से करीना कपूर अपने बांद्रा के घर में परिवार और नजदीकी दोस्तों के साथ अपना जन्मदिन मना रही हैं. इनमें रणधीर कपूर, बबीता, करिश्मा कपूर, रणबीर कपूर भी शामिल हैं.
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इस मंदिर में फूल नहीं देवी को चढ़ाये जाते हैं पत्थर
इस स्थान पर सालों पहले शुरू हुई अनोखी परंपरा आज भी जारी है। सांपखंड मंदिर के पास से गुजरने वाला कोई भी राहगीर मन्दिर में बिना पत्थर चढ़ाए नहीं जाता है। हर कोई एक छोटे से पत्थर को मंदिर के एक किनारे में चढ़ाता है। इसके बाद ही यहां से गुजरने की हिम्मत करता है। मन्दिर में एक देवी की प्रतिमा है, जो स्थानीय लोगों के लिए ग्राम देवी का महत्व रखती है।
स्थानीय मान्यता के मुताबिक, मंदिर में अगर कोई पत्थर का चढ़ावा नहीं चढ़ाता है, तो वह किसी न किसी परेशानी में पड़ जाता है। लोग कहते हैं कि पत्थर चढ़ाए बिना कोई यहां से गुजरता है, तो उसकी गाड़ी पंचर या वह अन्य परेशानी में फंस जाता है। इसलिए यहां से गुजरने वाले सभी पहले मंदिर में पत्थर चढ़ाते हैं और फिर आगे बढ़ते हैं।
ग्रामीण भागीरथी बताते हैं कि कई साल पहले यहां घना जंगल हुआ करता था। कोई भी यहां से गुजरने में डरता था, लेकिन धीरे-धीरे यहां श्रद्धालुओं के आने से सड़क का निर्माण हुआ। अब यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
सांपखंड क्षेत्र के ग्रामीण जगजीवन राम सिदार के बताया कि कई सालों से यह परंपरा चली आ रही है। जो बुजुर्गों ने बताया उसे ही लोग निभाते आ रहे हैं। पत्थर चढ़ाए बिना कोई भी राहगीर यहां से नहीं गुजरता है।
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भूलकर भी न बनाएं उलटा स्वास्तिक, बिगड़ सकते हैं बने काम
स्वास्तिक है मंगलकारी
हमारी वैदिक सनातन संस्कृति का सर्वमंगलकारी प्रतीक चिह्न है 'स्वास्तिक'। इस चिह्न को हमारे सभी व्रत, पर्व, त्योहार, पूजा तथा प्रत्येक मांगलिक अवसर पर कुमकुम से अंकित किया जाता है। विद्वानों के अनुसार यह चिह्न अनादि काल से सम्पूर्ण सृष्टि में व्याप्त रहा है।
क्या है 'स्वास्तिक' का अर्थ
वैसे तो स्वास्तिक का सीधा सा अर्थ है 'शुभ-मंगल एवं कल्याण करने वाला' लेकिन, संस्कृत व्याकरण के अनुसार 'स्वास्तिक' शब्द 'सु' और 'अस' धातु से बना है। यहां 'सु' का अर्थ है शुभ, मंगल और कल्याणकारी वहीं 'अस' का अर्थ है अस्तित्व में रहना। कह सकते हैं कि यह पूर्णतः कल्याणकारी भावना को दर्शाता है। स्वास्तिक देवताओं के चहुंओर घूमने वाले आभामंडल का चिह्न है। इसी कारण देवताओं की शक्ति का प्रतीक होने के कारण इसे शास्त्रों में शुभ एवं कल्याणकारी माना गया है।
वैसे तो स्वास्तिक का सीधा सा अर्थ है 'शुभ-मंगल एवं कल्याण करने वाला' लेकिन, संस्कृत व्याकरण के अनुसार 'स्वास्तिक' शब्द 'सु' और 'अस' धातु से बना है। यहां 'सु' का अर्थ है शुभ, मंगल और कल्याणकारी वहीं 'अस' का अर्थ है अस्तित्व में रहना। कह सकते हैं कि यह पूर्णतः कल्याणकारी भावना को दर्शाता है। स्वास्तिक देवताओं के चहुंओर घूमने वाले आभामंडल का चिह्न है। इसी कारण देवताओं की शक्ति का प्रतीक होने के कारण इसे शास्त्रों में शुभ एवं कल्याणकारी माना गया है।
तो कितना प्राचीन है 'स्वास्तिक'
देखा जाए तो स्वास्तिक चिह्न का प्रयोग विश्व के अनेक धर्मों में किया जाता है। जैन व बौद्ध सम्प्रदाय व अन्य धर्मों में प्रायः लाल, पीले एवं श्वेत रंग से अंकित स्वास्तिक का प्रयोग होता रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में ऐसे चिह्न एवं अवशेष प्राप्त हुए हैं जिनसे यह प्रमाणित हो जाता है कि लगभग 2-3 हजार वर्ष पूर्व भी मानव सभ्यता अपने भवनों में इस मंगलकारी चिह्न का प्रयोग करती थी।
द्वितीय विश्व युद्ध के समय एडोल्फ हिटलर ने उल्टे स्वास्तिक का चिह्न अपनी सेना के प्रतीक रूप में शामिल किया था। सभी सैनिकों की वर्दी एवं टोपी पर यह उल्टा स्वास्तिक चिह्न अंकित था। दरअसल उल्टा स्वास्तिक चिह्न अमंगलकारी माना जाता है। विद्वानों का मत है कि उल्टा स्वास्तिक ही उसकी बर्बादी का कारण बना। उसके शासन का नाश हुआ एवं भारी तबाही के साथ युद्ध में उसकी हार हुई |
देखा जाए तो स्वास्तिक चिह्न का प्रयोग विश्व के अनेक धर्मों में किया जाता है। जैन व बौद्ध सम्प्रदाय व अन्य धर्मों में प्रायः लाल, पीले एवं श्वेत रंग से अंकित स्वास्तिक का प्रयोग होता रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में ऐसे चिह्न एवं अवशेष प्राप्त हुए हैं जिनसे यह प्रमाणित हो जाता है कि लगभग 2-3 हजार वर्ष पूर्व भी मानव सभ्यता अपने भवनों में इस मंगलकारी चिह्न का प्रयोग करती थी।
द्वितीय विश्व युद्ध के समय एडोल्फ हिटलर ने उल्टे स्वास्तिक का चिह्न अपनी सेना के प्रतीक रूप में शामिल किया था। सभी सैनिकों की वर्दी एवं टोपी पर यह उल्टा स्वास्तिक चिह्न अंकित था। दरअसल उल्टा स्वास्तिक चिह्न अमंगलकारी माना जाता है। विद्वानों का मत है कि उल्टा स्वास्तिक ही उसकी बर्बादी का कारण बना। उसके शासन का नाश हुआ एवं भारी तबाही के साथ युद्ध में उसकी हार हुई |
अशुद्ध स्थानों पर ना बनाएं स्वास्तिक
स्वास्तिक का प्रयोग शुद्ध, पवित्र एवं सही ढंग से उचित स्थान पर करना चाहिए। शौचालय एवं गन्दे स्थानों पर इसका प्रयोग वर्जित है। ऐसा करने वाले की बुद्धि एवं विवेक समाप्त हो जाता है। दरिद्रता, तनाव एवं रोग एवं क्लेश में वृद्धि होती है।
यहां बनाएं स्वास्तिक का चिह्न
स्वास्तिक की आकृति श्रीगणेश की प्रतीक है और विष्णु जी एवं सूर्यदेव का आसन मानी जाती है। इसे भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान प्राप्त है। प्रत्येक मंगल व शुभ कार्य में इसे शामिल किया जाता है। इसका प्रयोग रसोईघर, तिजोरी, स्टोर, प्रवेशद्वार, मकान, दुकान, पूजास्थल एवं कार्यालय में किया जाता है। यह तनाव, रोग, क्लेश, निर्धनता एवं शत्रुता से मुक्ति दिलाता है।
स्वास्तिक का प्रयोग शुद्ध, पवित्र एवं सही ढंग से उचित स्थान पर करना चाहिए। शौचालय एवं गन्दे स्थानों पर इसका प्रयोग वर्जित है। ऐसा करने वाले की बुद्धि एवं विवेक समाप्त हो जाता है। दरिद्रता, तनाव एवं रोग एवं क्लेश में वृद्धि होती है।
यहां बनाएं स्वास्तिक का चिह्न
स्वास्तिक की आकृति श्रीगणेश की प्रतीक है और विष्णु जी एवं सूर्यदेव का आसन मानी जाती है। इसे भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान प्राप्त है। प्रत्येक मंगल व शुभ कार्य में इसे शामिल किया जाता है। इसका प्रयोग रसोईघर, तिजोरी, स्टोर, प्रवेशद्वार, मकान, दुकान, पूजास्थल एवं कार्यालय में किया जाता है। यह तनाव, रोग, क्लेश, निर्धनता एवं शत्रुता से मुक्ति दिलाता है।
क्यों बनाएं स्वास्तिक चिह्न
स्वास्तिक के प्रयोग से धनवृद्धि, गृहशान्ति, रोग निवारण, वास्तुदोष निवारण, भौतिक कामनाओं की पूर्ति, तनाव, अनिद्रा व चिन्ता से मुक्ति मिलती है। जातक की कुण्डली बनाते समय या कोई शुभ कार्य करते समय सर्वप्रथम स्वास्तिक को ही अंकित किया जाता है। ज्योतिष में इस मांगलिक चिह्न को प्रतिष्ठा, मान-सम्मान, सफलता व उन्नति का प्रतीक माना गया है।
स्वास्तिक के प्रयोग से धनवृद्धि, गृहशान्ति, रोग निवारण, वास्तुदोष निवारण, भौतिक कामनाओं की पूर्ति, तनाव, अनिद्रा व चिन्ता से मुक्ति मिलती है। जातक की कुण्डली बनाते समय या कोई शुभ कार्य करते समय सर्वप्रथम स्वास्तिक को ही अंकित किया जाता है। ज्योतिष में इस मांगलिक चिह्न को प्रतिष्ठा, मान-सम्मान, सफलता व उन्नति का प्रतीक माना गया है।
मुख्य द्वार पर 6.5 इंच का स्वास्तिक बनाकर लगाने से अनेक प्रकार के वास्तु दोष दूर हो जाते हैं। हल्दी से अंकित स्वास्तिक शत्रु का शमन करता है। स्वास्तिक 27नक्षत्रों को सन्तुलित करके सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। यह चिह्न नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित करता है। इसका भरपूर प्रयोग अमंगल व बाधाओं से मुक्ति दिलाता है।
ब्रह्माण्ड का प्रतीक
स्वास्तिक का मंगलकारी चिह्न दरअसल ब्रह्माण्ड का प्रतीक माना गया है। इसके मघ्य भाग को विष्णु की नाभि, चारों रेखाओं को ब्रह्माजी के चार मुख, चार हाथ और चार वेदों के रूप में निरूपित करने की भावना है।
देवताओं के चारों ओर घूमने वाले आभामंडल का चिह्न ही स्वास्तिक के आकार का होने के कारण इसे शास्त्रों में शुभ माना जाता है। तर्क से भी इसे सिद्ध किया जा सकता है।
अन्य संस्कृतियों में स्वास्तिक
स्वास्तिक को नेपाल में हेरंब के नाम से पूजा जाता है। वहीं मेसोपोटेमिया में अस्त्र-शस्त्र पर विजय प्राप्त करने हेतु स्वस्तिक चिह्न का प्रयोग किया जाता है। हिटलर ने भी इस स्वस्तिक चिह्न को अपनाया था।
बौद्ध धर्म में स्वास्तिक को अच्छे भाग्य का प्रतीक माना गया है। यह भगवान बुद्ध के पग़ चिन्हों को दिखता है दिखाता है, इसलिए इसे इतना पवित्र माना जाता है। यही नहीं स्वास्तिक भगवान बुद्ध के हृदय, हथेली और पैरों में भी अंकित है।
जैन धर्म में भी स्वास्तिक के चिह्न का अत्यधिक महत्व है। जैन धर्म में यह सातवें जीना का प्रतिक है। श्वेताम्बर जैन सांस्कृतिक में स्वस्तिक को अष्ट मंगल का मुख्य प्रतीक माना जाता है।
ब्रह्माण्ड का प्रतीक
स्वास्तिक का मंगलकारी चिह्न दरअसल ब्रह्माण्ड का प्रतीक माना गया है। इसके मघ्य भाग को विष्णु की नाभि, चारों रेखाओं को ब्रह्माजी के चार मुख, चार हाथ और चार वेदों के रूप में निरूपित करने की भावना है।
देवताओं के चारों ओर घूमने वाले आभामंडल का चिह्न ही स्वास्तिक के आकार का होने के कारण इसे शास्त्रों में शुभ माना जाता है। तर्क से भी इसे सिद्ध किया जा सकता है।
अन्य संस्कृतियों में स्वास्तिक
स्वास्तिक को नेपाल में हेरंब के नाम से पूजा जाता है। वहीं मेसोपोटेमिया में अस्त्र-शस्त्र पर विजय प्राप्त करने हेतु स्वस्तिक चिह्न का प्रयोग किया जाता है। हिटलर ने भी इस स्वस्तिक चिह्न को अपनाया था।
बौद्ध धर्म में स्वास्तिक को अच्छे भाग्य का प्रतीक माना गया है। यह भगवान बुद्ध के पग़ चिन्हों को दिखता है दिखाता है, इसलिए इसे इतना पवित्र माना जाता है। यही नहीं स्वास्तिक भगवान बुद्ध के हृदय, हथेली और पैरों में भी अंकित है।
जैन धर्म में भी स्वास्तिक के चिह्न का अत्यधिक महत्व है। जैन धर्म में यह सातवें जीना का प्रतिक है। श्वेताम्बर जैन सांस्कृतिक में स्वस्तिक को अष्ट मंगल का मुख्य प्रतीक माना जाता है।
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ज्योतिष
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मंगलवार, 20 सितंबर 2016
फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ को लेकर करीना कपूर ने तोड़ी चुप्पी
मुम्बई। बॉलीवुड अभिनेत्री करीना कपूर ने अपनी आगामी फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ को लेकर चल रही तमाम चर्चाओं पर विराम लगाते हुए कहा, ‘मैं फिल्म को लेकर उत्साहित हूं, और हम अगले महीने से इस फिल्म की शूटिंग शुरू करने जा रहे हैं।’
करीना कपूर ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, ‘मैं इस फिल्म में गर्भवती महिला का किरदार नहीं निभा रही हूं। दरअसल, यह फिल्म चार लड़कियों की कहानी पर आधारित है, महिलाओं की कहानी पर नहीं। फिल्म चार बहनों की नहीं बल्कि चार सहेलियों की कहानी है।’
उड़ता पंजाब अभिनेत्री करीना कपूर ने कहा, ‘फिल्म की कहानी काफी दिलचस्प है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि यह कहानी पूरी तरह फ्रेश है। इसमें नयापन है। हम फिल्म की शूटिंग अक्टूबर में शुरू करने जा रहे हैं। फिर ब्रेक लेंगे और मार्च में फिल्म की शूटिंग को दुबारा शुरू किया जाएगा। फिल्म की शूटिंग दिल्ली, ग्रीक और अन्य स्थानों पर की जाएगी।’
इस फिल्म का निर्माण रिया कपूर कर रही हैं, जो अनिल कपूर की बेटी हैं। पहले इस फिल्म को बालाजी मोशन पिक्चर्स के साथ मिलकर बनाया जा रहा था। मगर, बाद में एकता कपूर के पीछे हटने का समाचार सामने आया और अनिल कपूर इसके लिए बड़े प्रोडक्शन हाउस के साथ बातचीत कर रहे हैं। इसमें करीना कपूर के अलावा सोनम कपूर, स्वरा भास्कर और शिखा तलसानिया मुख्य भूमिका में नजर आएंगी।
करीना कपूर ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, ‘मैं इस फिल्म में गर्भवती महिला का किरदार नहीं निभा रही हूं। दरअसल, यह फिल्म चार लड़कियों की कहानी पर आधारित है, महिलाओं की कहानी पर नहीं। फिल्म चार बहनों की नहीं बल्कि चार सहेलियों की कहानी है।’
उड़ता पंजाब अभिनेत्री करीना कपूर ने कहा, ‘फिल्म की कहानी काफी दिलचस्प है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि यह कहानी पूरी तरह फ्रेश है। इसमें नयापन है। हम फिल्म की शूटिंग अक्टूबर में शुरू करने जा रहे हैं। फिर ब्रेक लेंगे और मार्च में फिल्म की शूटिंग को दुबारा शुरू किया जाएगा। फिल्म की शूटिंग दिल्ली, ग्रीक और अन्य स्थानों पर की जाएगी।’
इस फिल्म का निर्माण रिया कपूर कर रही हैं, जो अनिल कपूर की बेटी हैं। पहले इस फिल्म को बालाजी मोशन पिक्चर्स के साथ मिलकर बनाया जा रहा था। मगर, बाद में एकता कपूर के पीछे हटने का समाचार सामने आया और अनिल कपूर इसके लिए बड़े प्रोडक्शन हाउस के साथ बातचीत कर रहे हैं। इसमें करीना कपूर के अलावा सोनम कपूर, स्वरा भास्कर और शिखा तलसानिया मुख्य भूमिका में नजर आएंगी।
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दोनों यही बन गए।
कौवा है पितृ दूत इसलिए श्राद्ध के भोजन को इन्हें अर्पित करें
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध पक्ष में कौवे दिवंगत परिजनों के हिस्से का खाना खाते हैं, तो पितरों को शांति मिलती है और उनकी तृप्ति होती है।
परन्तु आज पितृ दूत कहलाने वाले कौवे नजर नहीं आते। बढ़ते शहरीकरण, पेड़ों की कटाई और ऊंची इमारतों के कारण प्रकृति का जो नुकसान हुआ है, उसने कौवों की संख्या को कम कर दिया है।
पितृ दूत होने का महत्व:
शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि कौवा एकलौता पक्षी है जो पितृ-दूत कहलाता है। यदि दिवंगत परिजनों के लिए बनाए गए भोजन को यह पक्षी आकर चख ले, तो पितृ तृप्त हो जाते हैं। कौवा सूरज निकलते ही घर की मुंडेर पर बैठकर यदि वह कांव- कांव की आवाज निकाल दे, तो घर पवित्र हो जाता है।
श्राद्ध के दिनों में इस पक्षी का महत्व बढ़ जाता है। यदि श्राद्ध के सोलह दिनों में यह घर की छत का मेहमान बन जाए, तो इसे पितरों का प्रतीक एवं दिवंगत अतिथि स्वरुप माना गया है।
इसीलिए श्राद्ध पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के लिए पूरी श्रद्धा से पकवान बनाकर कौओं को भोजन कराते हैं। हिंदू धर्मशास्त्रों ने कौए को देवपुत्र माना है और यही कारण है कि हम श्राद्ध का भोजन कौओं को अर्पित करते हैं।
श्राद्ध पक्ष में इन बातों रखें ध्यान :
श्राद्ध में भोजन के समय वार्तालाप नहीं करना चाहिए।
श्राद्ध पिंडों को गौ, ब्राह्मण या बकरी को खिलाना चाहिए।
श्राद्ध में श्रीखंड, खस, चंदन, कपूर का प्रयोग करना चाहिए।
जिस दिन श्राद्ध करें उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें। श्राद्धकर्ता को तन एवं मन दोनों से पवित्र रहना चाहिए।
श्राद्ध करने वाले को पान सेवन, तेल मालिश, पराए अन्न का सेवन नहीं कराना चाहिए।
श्राद्ध में मामा, भांजा, गुरु, जमाता, ससुर, नाना, दौहित्र, वधू, ऋत्विज्ञ एवं यज्ञकर्ता आदि को भोजन कराना शुभ रहता है।
श्राद्ध कर्म में गेहूं, मूंग, आंवला, जौ, धान, चिरौंजी, बेर, मटर, तिल, आम, बेल, सरसों का तेल आदि का प्रयोग करना शुभ रहता है।
श्राद्ध में कमल, जूही, चम्पा, मालती, तुलसी का प्रयोग उत्तम रहता है। जबकि बेलपत्र, कदम्ब, मौलश्री आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
परन्तु आज पितृ दूत कहलाने वाले कौवे नजर नहीं आते। बढ़ते शहरीकरण, पेड़ों की कटाई और ऊंची इमारतों के कारण प्रकृति का जो नुकसान हुआ है, उसने कौवों की संख्या को कम कर दिया है।
पितृ दूत होने का महत्व:
शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि कौवा एकलौता पक्षी है जो पितृ-दूत कहलाता है। यदि दिवंगत परिजनों के लिए बनाए गए भोजन को यह पक्षी आकर चख ले, तो पितृ तृप्त हो जाते हैं। कौवा सूरज निकलते ही घर की मुंडेर पर बैठकर यदि वह कांव- कांव की आवाज निकाल दे, तो घर पवित्र हो जाता है।
श्राद्ध के दिनों में इस पक्षी का महत्व बढ़ जाता है। यदि श्राद्ध के सोलह दिनों में यह घर की छत का मेहमान बन जाए, तो इसे पितरों का प्रतीक एवं दिवंगत अतिथि स्वरुप माना गया है।
इसीलिए श्राद्ध पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के लिए पूरी श्रद्धा से पकवान बनाकर कौओं को भोजन कराते हैं। हिंदू धर्मशास्त्रों ने कौए को देवपुत्र माना है और यही कारण है कि हम श्राद्ध का भोजन कौओं को अर्पित करते हैं।
श्राद्ध पक्ष में इन बातों रखें ध्यान :
श्राद्ध में भोजन के समय वार्तालाप नहीं करना चाहिए।
श्राद्ध पिंडों को गौ, ब्राह्मण या बकरी को खिलाना चाहिए।
श्राद्ध में श्रीखंड, खस, चंदन, कपूर का प्रयोग करना चाहिए।
जिस दिन श्राद्ध करें उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें। श्राद्धकर्ता को तन एवं मन दोनों से पवित्र रहना चाहिए।
श्राद्ध करने वाले को पान सेवन, तेल मालिश, पराए अन्न का सेवन नहीं कराना चाहिए।
श्राद्ध में मामा, भांजा, गुरु, जमाता, ससुर, नाना, दौहित्र, वधू, ऋत्विज्ञ एवं यज्ञकर्ता आदि को भोजन कराना शुभ रहता है।
श्राद्ध कर्म में गेहूं, मूंग, आंवला, जौ, धान, चिरौंजी, बेर, मटर, तिल, आम, बेल, सरसों का तेल आदि का प्रयोग करना शुभ रहता है।
श्राद्ध में कमल, जूही, चम्पा, मालती, तुलसी का प्रयोग उत्तम रहता है। जबकि बेलपत्र, कदम्ब, मौलश्री आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
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पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
सिर्फ़ मरे हुए लोगों का काल नहीं है पितृपक्ष
श्रावण मास से मार्गशीर्ष तक सम्पूर्ण विश्व में कोई न कोई त्योहार या पर्व मनाया जाता है। त्योहार से आशय किसी उत्सव से है और पर्व का अभिप्राय किसी विशिष्ट काल, पुण्य काल, खण्ड, अंश या अध्याय से। यानि पर्व जीवन का वो अध्याय, अंश, या खण्ड है, जिसमें हम अपने पूर्व में किये गये नकारात्मक कर्मों के फलों से निर्मित दुर्भाग्य पर नवीन सकारात्मक कर्मों का उपरिलेखन करके अपने शेष जीवन और अगले जन्मों को नई दिशा देने का प्रयास करते हैं।
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष कहा जाता है। आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार यह एक ऐसी अदभुत बेला है, जिसमें अल्पप्रयास से ही वृहद और विशाल परिणाम प्राप्त होते हैं। आध्यात्मिक दृष्टि से यह आत्मा और आत्मिक उन्नति का वो पुण्यकाल है, जिसमें कम से कम प्रयास से भी अधिकाधिक फलों की प्राप्ति सम्भव है। आध्यात्म, इस काल को जीवात्मा के कल्याण यानि मोक्ष के लिये सर्वश्रेष्ठ मानता है। जीवन और मृत्यु से परे हो जाने की अवधारणा को मोक्ष कहते हैं।
सामान्य बोलचाल में ये श्राद्ध का पखवाड़ा कहा जाता है। यह पक्ष सिर्फ़ मरे हुये लोगों का काल है, यह धारणा सही नहीं है। श्राद्ध दरअसल अपने अस्तित्व से, अपने मूल से रूबरू होने और अपनी जड़ों से जुड़ने, उसे पहचानने और सम्मान देने की एक सामाजिक प्रक्रिया का हिस्सा थी, जिसने प्राणायाम, योग, व्रत, उपवास, यज्ञ और असहायों की सहायता जैसे अन्य कल्याणकारी सकारात्मक कर्मों और उपक्रमों की तरह कालांतर में आध्यात्मिक और धार्मिक बाना ओढ़ लिया।
श्रद्धया इदं श्राद्धम्। यानि अपने पूर्वजों की आत्मिक संतुष्टि व शांति और मृत्यु के बाद उनकी निर्बाध अनन्त यात्रा के लिये पूर्ण श्रद्धा से अर्पित कामना, प्रार्थना, कर्म और प्रयास को हम श्राद्ध कहते है। इस पक्ष को इसके अदभुत गुणों के कारण ही पितृ और पूर्वजों से सम्बद्ध गतिविधियों से जोड़ दिया गया।
इस पखवाड़े में स्थूल गतिविधियों को महत्व नहीं दिया गया क्योंकि आध्यात्मिक दृष्टिकोण स्थूल समृद्धि और भौतिक सफ़लता को क्षणभंगुर यानि शीघ्र ही मिट जाने वाला मानता हैं, और इतने क़ीमती कालखंड का इतना सस्ता उपयोग नहीं करना चाहता। पर ऐश्वर्य की कामना रखकर महालक्ष्मी को प्रसन्न करने वाली समृद्धि की साधना भी इस पक्ष के बिना पूर्ण नहीं होती। महालक्ष्मी आराधना में इस पक्ष के प्रथम सप्ताह का इस्तेमाल होता है। लक्ष्मी उपासना का काल भाद्रपद के शुक्ल की अष्टमी से आरम्भ होकर भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक होता है।
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष कहा जाता है। आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार यह एक ऐसी अदभुत बेला है, जिसमें अल्पप्रयास से ही वृहद और विशाल परिणाम प्राप्त होते हैं। आध्यात्मिक दृष्टि से यह आत्मा और आत्मिक उन्नति का वो पुण्यकाल है, जिसमें कम से कम प्रयास से भी अधिकाधिक फलों की प्राप्ति सम्भव है। आध्यात्म, इस काल को जीवात्मा के कल्याण यानि मोक्ष के लिये सर्वश्रेष्ठ मानता है। जीवन और मृत्यु से परे हो जाने की अवधारणा को मोक्ष कहते हैं।
सामान्य बोलचाल में ये श्राद्ध का पखवाड़ा कहा जाता है। यह पक्ष सिर्फ़ मरे हुये लोगों का काल है, यह धारणा सही नहीं है। श्राद्ध दरअसल अपने अस्तित्व से, अपने मूल से रूबरू होने और अपनी जड़ों से जुड़ने, उसे पहचानने और सम्मान देने की एक सामाजिक प्रक्रिया का हिस्सा थी, जिसने प्राणायाम, योग, व्रत, उपवास, यज्ञ और असहायों की सहायता जैसे अन्य कल्याणकारी सकारात्मक कर्मों और उपक्रमों की तरह कालांतर में आध्यात्मिक और धार्मिक बाना ओढ़ लिया।
श्रद्धया इदं श्राद्धम्। यानि अपने पूर्वजों की आत्मिक संतुष्टि व शांति और मृत्यु के बाद उनकी निर्बाध अनन्त यात्रा के लिये पूर्ण श्रद्धा से अर्पित कामना, प्रार्थना, कर्म और प्रयास को हम श्राद्ध कहते है। इस पक्ष को इसके अदभुत गुणों के कारण ही पितृ और पूर्वजों से सम्बद्ध गतिविधियों से जोड़ दिया गया।
इस पखवाड़े में स्थूल गतिविधियों को महत्व नहीं दिया गया क्योंकि आध्यात्मिक दृष्टिकोण स्थूल समृद्धि और भौतिक सफ़लता को क्षणभंगुर यानि शीघ्र ही मिट जाने वाला मानता हैं, और इतने क़ीमती कालखंड का इतना सस्ता उपयोग नहीं करना चाहता। पर ऐश्वर्य की कामना रखकर महालक्ष्मी को प्रसन्न करने वाली समृद्धि की साधना भी इस पक्ष के बिना पूर्ण नहीं होती। महालक्ष्मी आराधना में इस पक्ष के प्रथम सप्ताह का इस्तेमाल होता है। लक्ष्मी उपासना का काल भाद्रपद के शुक्ल की अष्टमी से आरम्भ होकर भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक होता है।
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दोनों यही बन गए।
सोमवार, 19 सितंबर 2016
चमत्कार इस महिला की जीभ से ठीक हो जाती अच्छी अच्छी बीमारिया
आज में आपको जो बताने जारहा हु उसे सुनकर आपको यकीन नही होगा लेकिन ये सच है एक ऐसी महिला जिसके बारे में जानकर आप चौक जाओगे इस महिला की जीभ में कुछ इस तरह का जादू है जिसके जरिए ये अच्छे अछो की विमारी दुरकरती है इस महिला ने अपनी जीभ से एक व्यक्ति को आँखे दी है जाने इस महिला के चमत्कार के बारे में !
आपको बता दे की ये खबर यूरोप के बेसनिया नाम के एक शहर में लोग अपनी आखो से रिलेटिड विमारी को ठीक करने के लिए इस महिला की जीभ का सहारा लेरहे है ये बात आपको सुनने में थोड़ी अट पटी सी लग रही होगी लेकिन ये सच है ये महिला यूरोप के बेसियाना शहर में रहती है लोगो का कहना है की इस महिला के पास भगवान् की दी हुई कोई सकती है जिसके करना ये आँखों की विमारी को अपनी जीभ से जल्दी ही ठीक कर देती है !
इसके बारे में पहले लोग मुझ पर विश्वास नही करते थे यहाँ तक की इस महिला के पटी भी इस की बात पर विश्वास नही करते थे लेकिन एक दिन जब इस महिला के पति की आँख में चोट लगी तो इस महिला ने अपने पति की आँख को अपनी जीभ से चाटा तो उस महिला के पति की आँख तुरंत ठीक हो गई उसकी आँख का घाव तुरंत भर गया था उसके बाद इस महिला के बाटी को भी अपनी पत्नी की चमत्कारिक शक्तियों पर विश्वास हो गया था !
अब तो इस महिला के पास दूर दूर से लोग अपनी आंखोप का इलाज करने आते है सेविका का कहना है की इन मरीजो में तरह तरह की आँखों की विमारी बाले व्यक्ति आते है और यहाँ से ठीक हो कर ही जाते है में पहले उनकी आँखों को शराब से शोती हु उसके बाद उसकी आँखों को चाट टी हु इतने करने से ही मरीज की विमारी ख़त्म हो जाती है !
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जरा हटके
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रविवार, 18 सितंबर 2016
जानिए क्यों किया जाता है गंगा में अस्थियों को विसर्जित
हिंदू धर्म दर्शन की मान्यता के अनुसार दाह-संस्कार के बाद अस्थियों को पवित्र नदी में बहानें की मान्यता है। यहीं वजह है कि आज भी देश के विभिन्न कोनों से लोग अपने अपनें प्रियजनों की अस्थियों को पवित्र नदी गंगा में बहानें आते है।
गंगा नदी की बात करें तो यह नदी हमारे धार्मिक पुराणों में सबसे पवित्र मानी जाती है। यही वजह है कि आज भी लोग मां गंगा के प्रति अटुट आस्था रखते है। वर्तमान में सभी गगां मां की स्थिति से भलिभांति परिचित होगें। लेकिन फिर भी श्रध्दालुओं की आस्था देखते ही बनती है।
मान्यता है कि मृत्य के निकट पहुंते व्यक्ति के मुंह में 2 बूंद गंगाजल की पिलाना चाहिए। इसी के साथ अस्थिकलशश को गंगा में विसर्जित करनें भी हिंदू धर्म में बताया गया है। लेकिन कभी आपने यह सोचा है कि गंगा में आए दिन अस्थि कलश विसर्जित किए जाते है, इतनी अधिक संख्या में किए जाने वाली अस्थियां आखिर जाती कहां है। तो आइए इसके पीछे का कारण हम आपको बताते है।
शास्त्रों के अनुसार गंगाजी को देव नदी कहा जाता है। गंगा स्वर्ग से धरती पर आई थी इसलिए गंगाजी को देव नदी कहा जाता है। धार्मिक ग्रंथो में वर्णन मिलता है कि गंगा श्री हरि विष्णु के चरणों से निकली है और भगवान शिव की जटाओं में आकर बसी है। भगवान विष्णु और शिव के गहरे संबध होने के कारण गंगा को पतित पाविनी कहा गया है।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि गंगा में स्नान करनें से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते है। इसी संबध में एक दिन देवी गंगा श्री हरि से मिलने बैंकुण्ठ धाम गई और उन्हें जाकर बोली, प्रभु मेरे जल से स्नान करने से सभी के पाप नष्ट हो जाते है लेकिन में इतनें पापों का बोझ कैसे उठाउंगी? मेंरे में जो पाप समाएंगे उन्हें कैसे समाप्त करुंगी? देवी गंगा की “इस बात पर श्री हरि नें उत्तर दिया, ! गंगा जब साधु संत वैष्णव आ कर आप में स्नान करेंगे तो आप के सभ पाप धुल जाएंगे।“
गंगा में अस्थियां विसर्जन करनें के बाद आखिर जाती कहां है? इस पर काफी वैज्ञानिको नें शोध किए है लेकिन इसका उत्तर वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है। असंख्य मात्रा में अस्थियों का विसर्जन करनें के बाद भी गंगा का जल पवित्र एवं निर्मल है। हिंदू मान्यता के अनुसार मृत्यु के बाद उस व्यक्ति की अस्थियों का विसर्जन गंगा में किया जाता है। ताकि उस वक्ति की आत्मा श्री हरि के चरणों में बैकुण्ठ को जाती है।
लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से माना जाए तो गंगा के जल में पारा की मात्रा बहुतायत में मिलती है। जिससे हड्डियों में कैल्सियम और फास्फोरस पानी में घुल जाता है। जो भी जलजन्तु होते है उनके लिए यह एक आहार के रुप में काम में लिया जाता है। हड्डयों में गंधक विद्दमान होती है, जो पारे के साथ मिलकर पारद का निर्माण करते है। ये दोनो तत्व मिलकर मर्करी सल्फाइड साल्ट का निर्माण करते है। हड्डियों में बचा हुआ शेष कैल्शियम पानी को स्वच्छ रखने का काम करता है।
तो यही वजह है कि असंख्य रुप में अस्थियों का विसर्जन करनें के बाद भी गंगा का जल पवित्र बना रहता है। और आज भी लोग बड़ी श्रध्दा से यहां आकर मां गंगा के प्रति अपनी श्रध्दा रखते है।
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तिजोरी में सुपारी रखने से नहीं होगी पैसों की कमी
तिजोरी में पैसा, ज्वेलरी और अन्य बेशकीमती वस्तुएं रखी जाती हैं। ऐसे में यह जगह बहुत ही पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होनी चाहिए। जिससे कि घर में बरकत बनी रह सके और पैसों की कभी कमी न आए। यदि तिजोरी के आसपास कोई नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हैं तो उससे वास्तुदोष उत्पन्न होता है और उस घर में कभी भी पैसों की कमी पूरी नहीं हो सकेगी। तिजोरी के पास वास्तुदोष न हो इसके लिए उपाय करने की आवश्यकता है जो इस प्रकार है.....
वास्तुदोष को दूर करने के लिए प्रतिदिन गणेशजी की विधिवत पूजा करें और किसी भी शुभ मुहूर्त में विशेष पूजा करें।
पूजन में गणेशजी के प्रतीक स्वरूप सुपारी रखी जाती है। इस सुपारी को पूजा पूर्ण होने के बाद अपनी तिजोरी में रख दें। पूजा में उपयोग की गई सुपारी में गणेश जी का वास होता है। इसे तिजोरी में रखने से तिजोरी के आसपास के क्षेत्र में सकारात्मक और पवित्र ऊर्जा सक्रिय रहेगी जो नकारात्मक शक्तियों को दूर रखेगी और तिजोरी के आसपास वास्तुदोष उत्पन्न नहीं होगा। यह सुपारी बहुत ही चमत्कारी होती है। जिस व्यक्ति के पास सिद्ध सुपारी होती है वह कभी भी पैसों की तंगी नहीं देखता, उसके पास हमेशा पर्याप्त पैसा रहता है।
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शनिवार, 17 सितंबर 2016
एक ऐसा मंदिर जहा यौनि की पूजा की जाती है ! जाने इस मंदिर के बारे में
आपने बहुत से मंदिरो के बारे में सुना होगा और देखा होगा बहा आपने देखा होगा की हर किसी मंदिर में भगवान् की पूजा होती है लेकिन आज में आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहा हु जिसके बारे में आपने पहले कभी नही सुना होगा और सबसे चौकाने बाली बात तो यहाँ की पूजा है यहाँ के लोग जिस चीज की पूजा करते है उसके बारे में जानकर आपको यकीन नही होगा आइए जाने इस मंदिर के बारे में !
ये मंदिर आसम के गोवाहाटी से 10 किलो मीटर दूर नीलांचल नामक पहाड़ी पर स्थित है आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन आपको बतादू की इस मंदिर में लोग यौनि की पूजा करते है अब आप सोच रहे होंगे की भला किसी मंदिर में यौनि की पूजा कैसे हो सकती है लेकिन ये सच है जी हां यहाँ यौनि की ही पूजा होती है इस मंदिर के पीछे बड़ी रोचक कहानी है !
जब सती के पिता ने अपनी पुत्री और उसके पति संकर को यज्ञ में अपमानित किया था और भगवान् शिव को पूरा भला कहा था इस बात से सती बहुत दुखी हुई हुई और उसी समय यज्ञ की जलती हुई अग्नि में खुद कर अपनी जान देदी उसके बाद भगवान् शिव को गुस्सा आया और उन्होंने शती के शव को उठा कर नर सिंहार्क नृत्य किया था इससे शती के शरीर के 51 टुकड़े हो गए और ये सभी दुकड़े अलग अलग जगह पर जाकर गिरे थे !
इन टुकड़ो से 51 शक्तिया प्रकट हुई थी इनमे से यौनि बल हिस्सा कामख्या में जाकर गिरा था और इसी कारण कामख्या में इस मंदिर का निर्माण किया गया था तव से ही इस मंदिर में यौनि की पूजा होती है इस मंदिर में यौनि के आकर का एक कुंड है जिसमे से जल निकलता रहता है इस कुंड के ऊपर एक लाल कपड़ा होता है जिससे उसको धक् देते है और इसके ऊपर कुछ फूल भी डाल देते है !
इस मंदिर में हर साल एक मेले का आयोजन किया जाता है और इस मेले का नाम है अम्बुबाजी मेला इस मेले में दूर दूर के तांत्रिक और अंघोरी हिस्सा लेते है इस मेले में एक चमत्कार होता है बेस तो यहाँ यौनि से पानी निकलता रहता है लेकिन मेले के तीन दिन यहाँ इस यौनि से खून निकलता रहता है इस मेले को कामरूपो का कुम्भ कहा जाता है यहाँ इस मेले के आलावा और भी कई ऐसे महीने है जिनमे यहाँ पूजा की जाती है !
इस मंदिर में और भी कई ऐसे छोटे छोटे मंदिर है जिनमे बहिनो के हिसाब से पूजा कीजाती है यहाँ पच मंदिर ओट भगवान् शिव के हो और तीन मंदिर भगवान् बिष्नु के है ये मंदिर कफ साल पुराण है यहाँ दुर्गा पूजा अम्बुबाजी पूजा ऐसी कई पूजाए की जाती है जिनमे यहाँ यौनि की पूजा को सबसे बाद माना गया है !
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जरा हटके
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ऑस्कर लाइब्रेरी में पहुंची ‘सनराइज’ और ‘पार्चेड’ की पटकथा
नई दिल्ली। आदिल हुसैन अभिनीत फिल्मों- ‘सनराइज’ और ‘पार्चेड’ की पटकथा को एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंट साइंसेज की लाइब्रेरी में संग्रहित किया गया है।
दिल्ली के रहने वाले अभिनेता ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘दो फिल्मों जिनका मैं हिस्सा रहा हूं, ‘सनराइज’ और ‘पार्चेड’ की पटकथा को ऑस्कर लाइब्रेरी में संग्रहित किया गया है।’
इतना ही नहीं अभिनेता आदिल हुसैन ने मार्गरेट हैरिक लाइब्रेरी ऑफ द एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज से प्राप्त पत्र को भी साझा किया।
मार्गरेट हैरी लाइब्रेरी कला अनुसंधान व मोशन पिक्चर के इतिहास और उसकी कला तथा उद्योग के रूप में विकास के प्रति समर्पित है।
साल 1928 में स्थापित यह लाइब्रेरी अब बेवर्ली हिल्स में है। इसका इस्तेमाल सालभर विद्यार्थियों, विद्वानों, इतिहासकारों और फिल्म उद्योग से जुड़े पेशेवर लोगों द्वारा किया जाता है।
‘सनराइज’ को पार्थो सेन गुप्ता ने निर्देशित किया है। इस फिल्म में एक दुखी पिता इंस्पेक्टर जोशी की कहानी को दिखाया गया है, जो अपनी बेटी अरुणा की तलाश में हैं। अरुणा का छह साल की उम्र में अपहरण हो जाता है।
फिल्म ‘पार्चेड’ के निर्माता अजय देवगन का कहना है कि लीना यादव द्वारा निर्देशित इस फिल्म में दहेज प्रथा, शारीरिक हिंसा, जबरन विवाह, दुष्कर्म और महिलाओं के प्रति मानसिक क्रूरता जैसे मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है।
दिल्ली के रहने वाले अभिनेता ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘दो फिल्मों जिनका मैं हिस्सा रहा हूं, ‘सनराइज’ और ‘पार्चेड’ की पटकथा को ऑस्कर लाइब्रेरी में संग्रहित किया गया है।’
इतना ही नहीं अभिनेता आदिल हुसैन ने मार्गरेट हैरिक लाइब्रेरी ऑफ द एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज से प्राप्त पत्र को भी साझा किया।
मार्गरेट हैरी लाइब्रेरी कला अनुसंधान व मोशन पिक्चर के इतिहास और उसकी कला तथा उद्योग के रूप में विकास के प्रति समर्पित है।
साल 1928 में स्थापित यह लाइब्रेरी अब बेवर्ली हिल्स में है। इसका इस्तेमाल सालभर विद्यार्थियों, विद्वानों, इतिहासकारों और फिल्म उद्योग से जुड़े पेशेवर लोगों द्वारा किया जाता है।
‘सनराइज’ को पार्थो सेन गुप्ता ने निर्देशित किया है। इस फिल्म में एक दुखी पिता इंस्पेक्टर जोशी की कहानी को दिखाया गया है, जो अपनी बेटी अरुणा की तलाश में हैं। अरुणा का छह साल की उम्र में अपहरण हो जाता है।
फिल्म ‘पार्चेड’ के निर्माता अजय देवगन का कहना है कि लीना यादव द्वारा निर्देशित इस फिल्म में दहेज प्रथा, शारीरिक हिंसा, जबरन विवाह, दुष्कर्म और महिलाओं के प्रति मानसिक क्रूरता जैसे मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है।
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मोदी से लेकर सोनिया अपनें जीवन में किसे मानने है अपना गुरु
देश में युवा पीढी के लिए प्रेरणास्रोत बने देश के ये लीडर असल जिंदगी में अपना प्रेरणास्रोत किसे मानते है इस बारे में हम आपको विस्तार से बताते है।
नरेन्द्र मोदी- देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी युवा पीढी के प्रेरणास्रोत कहे जाने वाले अपनी जिंदगी में स्वामी दयानंद गिरी को अपना गुरु मानते है। स्वामी दयानंद गिरी वेदांत और संस्कृत के शिक्षक है। मोदी नें इनसे राजनीति,अध्यात्म और योग की बारीकियां सीखी है। मोदी नें अपने मुश्किल समय में हमेशा इनसे सलाह ली। सितंबर में इनका निधन हो गया।
नीतीश कुमार- बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू लीडर नीतीश कुमार शंकराचार्य के भक्त है। अपनी जिंदगी के अहम फैसले लेने से पहले वे इनका आशीर्वाद जरुर लेते है।
लालकृष्ण आडवाणी- बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाने वाले नेता लाला कृष्ण आडवाणी कर्नाटक के पेजावर स्वामी के भक्त है। वे कई बार उडुपी स्थित इनके आश्रम में देखे जा सकते है।
लालू यादव- लालू यादव तंत्र साधना के साधक विभूति नारायण को अपना गुरु माननें है। बात हो चुनावों की या फिर संकट की स्थिति की लालू यादव इन्हीं की शरण में जाना पसंद करते है। आपको बता दें कि लालू के लिए इन्होंने तंत्र साधना भी की हुई है।
नितिन गडकरी- केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी लीडर नितिन गडकरी महाराष्ट्र के उदय देशमुख आध्यात्मिक गुरु को अपना गुरु मानते है।
सोनिया गांधी- सोनिया गांधी योगी, सिध्द पुरुष देवरहा बाबा को अपना गुरु मानती थी। बाबा का निधन 1990 में हो गया था। कहते है कि 1989 के आम चुनाव से पहले राजीव और सोनिया गांधी ने बाबा के आश्रम जाकर इनका आशीर्वाद लिया था।
दिग्विजय सिंह- कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह द्दारका पीठ के धर्मगुरु स्वामी स्वरुपानंद जी के बड़े भक्त है। इस बात को उन्होंने सार्वजनिक रुप से भी स्वीकारा है। अपनी जिंदगीं के अहम फैसलों में वे इनकी राय लेना नहीं भूलते।
उमा भारती- भाजपा पार्टी की लीडर और केंद्रिय मंत्री उमा भारती पेजावर स्वामी की शिष्या रह चुकी है।
दिरा गांधी- इंदिरा गांधी ब्रह्हाचारी, और प्रसिध्द योग गुरु धीरेन्द्र ब्रह्हाचारी को अपना योग गुरु मानती थी। वे गांधी परिवार से बेहद करीब माने जाते थे।
कपिल सिब्बल- वरिष्ठ कांग्रेसी और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल जयपुर के ज्योतिषी पंडित केदार शर्मा से अपने जीवन की हर छोटी बड़ी समस्या को लेकर चर्चा करना पसंद करते है।
वसुंधरा राजे- राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव को गुरु मानती है। वे कई बार इस आध्यात्मिक गुरु की तारीफ कर चुकी है। इनके कई मेडिटेशन प्रोग्राम में भी हिस्सा ले चुकी है।
भूपेंद सिंह हुड्डा- हरियाणा के पूर्व सीएम हुड्डा भी जयपुर के ज्योतिषी पंडित केदार शर्मा से सलाह मशवरा लेना पसंद करते है।
नरेन्द्र मोदी- देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी युवा पीढी के प्रेरणास्रोत कहे जाने वाले अपनी जिंदगी में स्वामी दयानंद गिरी को अपना गुरु मानते है। स्वामी दयानंद गिरी वेदांत और संस्कृत के शिक्षक है। मोदी नें इनसे राजनीति,अध्यात्म और योग की बारीकियां सीखी है। मोदी नें अपने मुश्किल समय में हमेशा इनसे सलाह ली। सितंबर में इनका निधन हो गया।
नीतीश कुमार- बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू लीडर नीतीश कुमार शंकराचार्य के भक्त है। अपनी जिंदगी के अहम फैसले लेने से पहले वे इनका आशीर्वाद जरुर लेते है।
लालकृष्ण आडवाणी- बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाने वाले नेता लाला कृष्ण आडवाणी कर्नाटक के पेजावर स्वामी के भक्त है। वे कई बार उडुपी स्थित इनके आश्रम में देखे जा सकते है।
लालू यादव- लालू यादव तंत्र साधना के साधक विभूति नारायण को अपना गुरु माननें है। बात हो चुनावों की या फिर संकट की स्थिति की लालू यादव इन्हीं की शरण में जाना पसंद करते है। आपको बता दें कि लालू के लिए इन्होंने तंत्र साधना भी की हुई है।
नितिन गडकरी- केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी लीडर नितिन गडकरी महाराष्ट्र के उदय देशमुख आध्यात्मिक गुरु को अपना गुरु मानते है।
सोनिया गांधी- सोनिया गांधी योगी, सिध्द पुरुष देवरहा बाबा को अपना गुरु मानती थी। बाबा का निधन 1990 में हो गया था। कहते है कि 1989 के आम चुनाव से पहले राजीव और सोनिया गांधी ने बाबा के आश्रम जाकर इनका आशीर्वाद लिया था।
दिग्विजय सिंह- कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह द्दारका पीठ के धर्मगुरु स्वामी स्वरुपानंद जी के बड़े भक्त है। इस बात को उन्होंने सार्वजनिक रुप से भी स्वीकारा है। अपनी जिंदगीं के अहम फैसलों में वे इनकी राय लेना नहीं भूलते।
उमा भारती- भाजपा पार्टी की लीडर और केंद्रिय मंत्री उमा भारती पेजावर स्वामी की शिष्या रह चुकी है।
दिरा गांधी- इंदिरा गांधी ब्रह्हाचारी, और प्रसिध्द योग गुरु धीरेन्द्र ब्रह्हाचारी को अपना योग गुरु मानती थी। वे गांधी परिवार से बेहद करीब माने जाते थे।
कपिल सिब्बल- वरिष्ठ कांग्रेसी और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल जयपुर के ज्योतिषी पंडित केदार शर्मा से अपने जीवन की हर छोटी बड़ी समस्या को लेकर चर्चा करना पसंद करते है।
वसुंधरा राजे- राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव को गुरु मानती है। वे कई बार इस आध्यात्मिक गुरु की तारीफ कर चुकी है। इनके कई मेडिटेशन प्रोग्राम में भी हिस्सा ले चुकी है।
भूपेंद सिंह हुड्डा- हरियाणा के पूर्व सीएम हुड्डा भी जयपुर के ज्योतिषी पंडित केदार शर्मा से सलाह मशवरा लेना पसंद करते है।
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धन वृद्धि के लिए गुरूवार के दिन करें ये तीन उपाय
यदि आप चाहते है की आपके धन में वृद्धि हो तो आप गुरूवार के दिन कुछ खास उपाय करें, इन उपायों को करने से आपके व्यापार, व्यवसाय में वृद्धि होगी। घर में सुख-संपत्ति का आगमन होने से जीवन हर्षोल्लास से भर जाएगा। चलिए आपको बताते हैं गुरूवार को धन प्राप्ति के लिए क्या उपाय करने चाहिए...
1- गुरूवार रात को सोने से पहले व्यापारियों की तरह अपने पास के नोटों की गिनती करके सोऐ तथा विनती करें की धन तुम सिर्फ मेरे पास आओ धन तुम किसी भी रस्ते से आओ ! जो रास्ता तुम्हे सही लगे तुम उस रस्ते से आओ, हे धन तुम तीन गुणा बढ़कर आओ, बिना किसी को नुकसान पहुचाए मेरे पास आओ, हम तुम्हे स्वीकार करने को तैयार है। ऐसा करने से धन देवता प्रसन्न होंगे और आपको धन की प्राप्ति होगी। लेकिन यह उपाय तभी सार्थक होगा जब आप सच्चे मन से इस उपाय को करेंगे और आपके मन में छल-कपट जैसे भाव नहीं होंगे।
2- जो व्यक्ति आर्थिक रूप से परेशान हैं वे गुरूवार के दिन सुबह उठकर स्नानादि से निवृत होकर पीले वस्त्र धारण करें और पीपल वृक्ष पर मां लक्ष्मी का नाम लेते हुए सात परिक्रमा लगाऐं। पीपल के वृक्ष का पूजन करें, जल चढ़ाऐं और लक्ष्मी जी की उपासना करें और किसी भी एक लक्ष्मी मंत्र से एक माला का जाप पेड़ के नीचे बैठकर करें। इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और आपके घर को धन-धान्य से भर देंगी।
3- गुरूवार के दिन एक पानी से भरे घड़े में राई के पत्ते डालकर जल को अभिमंत्रित करके इस जल से स्नान करें, इससे आपका दरिद्रता रोग नष्ट होगा। इस उपाय को करने से आपके घर में संपत्ति का वास होगा।
1- गुरूवार रात को सोने से पहले व्यापारियों की तरह अपने पास के नोटों की गिनती करके सोऐ तथा विनती करें की धन तुम सिर्फ मेरे पास आओ धन तुम किसी भी रस्ते से आओ ! जो रास्ता तुम्हे सही लगे तुम उस रस्ते से आओ, हे धन तुम तीन गुणा बढ़कर आओ, बिना किसी को नुकसान पहुचाए मेरे पास आओ, हम तुम्हे स्वीकार करने को तैयार है। ऐसा करने से धन देवता प्रसन्न होंगे और आपको धन की प्राप्ति होगी। लेकिन यह उपाय तभी सार्थक होगा जब आप सच्चे मन से इस उपाय को करेंगे और आपके मन में छल-कपट जैसे भाव नहीं होंगे।
2- जो व्यक्ति आर्थिक रूप से परेशान हैं वे गुरूवार के दिन सुबह उठकर स्नानादि से निवृत होकर पीले वस्त्र धारण करें और पीपल वृक्ष पर मां लक्ष्मी का नाम लेते हुए सात परिक्रमा लगाऐं। पीपल के वृक्ष का पूजन करें, जल चढ़ाऐं और लक्ष्मी जी की उपासना करें और किसी भी एक लक्ष्मी मंत्र से एक माला का जाप पेड़ के नीचे बैठकर करें। इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और आपके घर को धन-धान्य से भर देंगी।
3- गुरूवार के दिन एक पानी से भरे घड़े में राई के पत्ते डालकर जल को अभिमंत्रित करके इस जल से स्नान करें, इससे आपका दरिद्रता रोग नष्ट होगा। इस उपाय को करने से आपके घर में संपत्ति का वास होगा।
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पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
चतुर्दशी को नहीं करना चाहिए पितरों का श्राद्ध
हिंदू धर्म में श्राद्ध की व्यवस्था इसलिए की गई है कि मनुष्य साल में एक बार अपने पितरों को याद कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सके। वैसे श्राद्ध पक्ष में परिजनों की मृत्यु तिथि के अनुसार ही श्राद्ध करने का विधान है, लेकिन श्राद्ध पक्ष की चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध करने की मनाही है। इस दिन केवल उन परिजनों का ही श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी मृत्यु किसी दुर्घटना में या शस्त्राघात से हुई हो।
इस तिथि पर अकाल मृत्यु जैसे दुर्घटना, आत्महत्या आदि को प्राप्त पितरों का श्राद्ध करने का ही महत्व है। इस तिथि पर स्वाभाविक रूप से मृत परिजनों का श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वाले को अनेक प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उन परिजनों का श्राद्ध सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन करना श्रेष्ठ रहता है।
आईये जानते हैं कि क्यों नहीं करना चाहिए चतुर्दशी पर श्राद्ध –
इस तिथि पर अकाल मृत्यु जैसे दुर्घटना, आत्महत्या आदि को प्राप्त पितरों का श्राद्ध करने का ही महत्व है। इस तिथि पर स्वाभाविक रूप से मृत परिजनों का श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वाले को अनेक प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उन परिजनों का श्राद्ध सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन करना श्रेष्ठ रहता है।
आईये जानते हैं कि क्यों नहीं करना चाहिए चतुर्दशी पर श्राद्ध –
- चतुर्दशी तिथि पर अकाल रूप से मृत परिजनों का श्राद्ध करने का विधान है। अकाल मृत्यु से अर्थ है जिसकी मृत्यु हत्या, आत्महत्या, दुर्घटना आदि कारणों से हुई है। इसलिए इस श्राद्ध को शस्त्राघात मृतका श्राद्ध भी कहते हैं। जिन पितरों की मृत्यु ऊपर लिखे गए कारणों से हुई हो तथा मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं हो, उनका श्राद्ध इस तिथि को करने से वे प्रसन्न होते हैं व अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
- महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया है कि जो लोग आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को तिथि अनुसार श्राद्ध करते हैं, वे विवादों में घिर जाते हैं। उसके घर वाले जवानी में ही मर जाते हैं और श्राद्धकर्ता को भी शीघ्र ही लड़ाई में जाना पड़ता है। इस तिथि के दिन जिन लोगों की मृत्यु स्वाभाविक रूप से हुई हो, उनका श्राद्ध सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन करना उचित रहता है।
- चतुर्दशी श्राद्ध के संबंध में ऐसा ही वर्णन कूर्मपुराण में भी मिलता है कि चतुर्दशी को श्राद्ध करने से अयोग्य संतान की प्राप्ति होती है।
- याज्ञवल्क्यस्मृति के अनुसार, भी चतुर्दशी तिथि के संबंध में यही बात बताई गई है। इसमें भी चतुर्दशी को श्राद्ध के लिए निषेध माना गया है। इनके अनुसार चतुर्दशी का श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वाला विवादों में उलझ सकता है।
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पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
शुक्रवार, 16 सितंबर 2016
57 साल की महिला ने 22 साल के लड़के से की लव मैरिज
57 वर्षीय एक महिला अपने से तीन गुना छोटे उम्र के युवक को दिल दे बैठी। बात सिर्फ इतनी नहीं थी। दोनों ने समाज से बेपरवाह होकर मंदिर में शादी रचाकर अदालत में पेश हो सेफ हाउस में प्रोटेक्शन भी ले ली।
जुलाना इलाके के अंतर्गत आने वाले एक गांव में 57 वर्षीय विधवा महिला गांव के ही 22 वर्षीय युवक को दिल दे बैठी। दोनों के बीच प्रेम संबंध पिछले तीन साल से चले आ रहा था। युवक महिला का देवर लगता है। महिला से घर पर अक्सर मिलने वाले युवक से पनपे संबंधों के बारे में किसी को संदेह भी नहीं था।
गत 20 अगस्त को दोनों घर से गायब हो गए और मंदिर में जाकर प्रेम विवाह रचा लिया। 22 अगस्त को दोनों ने सत्र न्यायाधीश के समक्ष पेश होकर परिजनों से खतरा बताते हुए सेफ हाउस में प्रोटेक्शन भी ले ली। महिला थाने की निरीक्षक रोशनी देवी ने बताया कि सप्ताह पहले दोनों प्रोटेक्शन लेकर सेफ हाऊस पहुंचे थे। सोमवार को दोनों ने शपथ पत्र देकर सेफ हाउस को छोड़ दिया और अपने घर वापस लौट गए। महिला से उसके प्रेमी की उम्र लगभग तीन गुना कम थी।
जुलाना इलाके के अंतर्गत आने वाले एक गांव में 57 वर्षीय विधवा महिला गांव के ही 22 वर्षीय युवक को दिल दे बैठी। दोनों के बीच प्रेम संबंध पिछले तीन साल से चले आ रहा था। युवक महिला का देवर लगता है। महिला से घर पर अक्सर मिलने वाले युवक से पनपे संबंधों के बारे में किसी को संदेह भी नहीं था।
गत 20 अगस्त को दोनों घर से गायब हो गए और मंदिर में जाकर प्रेम विवाह रचा लिया। 22 अगस्त को दोनों ने सत्र न्यायाधीश के समक्ष पेश होकर परिजनों से खतरा बताते हुए सेफ हाउस में प्रोटेक्शन भी ले ली। महिला थाने की निरीक्षक रोशनी देवी ने बताया कि सप्ताह पहले दोनों प्रोटेक्शन लेकर सेफ हाऊस पहुंचे थे। सोमवार को दोनों ने शपथ पत्र देकर सेफ हाउस को छोड़ दिया और अपने घर वापस लौट गए। महिला से उसके प्रेमी की उम्र लगभग तीन गुना कम थी।
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आज भी 8 करोड़ बम दफ़न है यहां
वियतनाम वॉर को समाप्त हुए 40 साल से भी ज्यादा वक्त गुजर गया, लेकिन लाओस की धरती पर आज भी इसके जख्म दिख जाएंगे। लाओस में आज भी 8 करोड बम जमीन के अंदर दबे हुए है।
दरअसल वियतनाम वॉर में बमबारी सीआईए के सीक्रेट ऑपरेशन का हिस्सा था, जिससे वियतनाम के सप्लाई रूट्स को बंद किया जा सके ।
अमेरिकी प्लेन असल टारगेट तक न पहुंच पाने की स्थिति में लाओस की ज़मीन का डंपिंग ग्राउंड की तरह प्रयोग कर रहे थे। युद्ध के दौरान अमेरिका ने लाओस की जमीन पर 27 करोड़ से भी ज्यादा बम गिराए थे। इस बमबारी में 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 1964 से 1973 तक युद्ध के दौरान लगातार जख्मी हुए।
दरअसल वियतनाम वॉर में बमबारी सीआईए के सीक्रेट ऑपरेशन का हिस्सा था, जिससे वियतनाम के सप्लाई रूट्स को बंद किया जा सके ।
अमेरिकी प्लेन असल टारगेट तक न पहुंच पाने की स्थिति में लाओस की ज़मीन का डंपिंग ग्राउंड की तरह प्रयोग कर रहे थे। युद्ध के दौरान अमेरिका ने लाओस की जमीन पर 27 करोड़ से भी ज्यादा बम गिराए थे। इस बमबारी में 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 1964 से 1973 तक युद्ध के दौरान लगातार जख्मी हुए।
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ये हैं भारत की वो जगहें,जिनके बारे में सब नही जानते
हमारे देश में वैसे तो बहुत से पर्यटक स्थल है,जो पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते हैं। लेकिन कुछ ऐसी गुप्त जगहों का ज़िक्र इतना कम हुआ है कि कोई इन्हें जानता ही नहीं है। लेकिन हम आपके लिए लाए हैं कुछ ऐसी ही जगह जिन्हें आप नही जानते होंगे तो आइये जाने उनके बारे में।
1. Thousand Lingam Temple, Tamil Nadu -यह मंदिर तमिलनाडू राज्य के ‘ठेनी’ जिले में स्थित है. आम मंदिरों से बिलकुल हट के है।
2. मालुती मंदिर, झारखंड – मालुती का मंदिर विश्व के 12 सबसे ख़तरनाक सांस्कृतिक स्थलों में से एक है।
3. दिल के आकार की झील, केरल – केरल के वयनाड जिला में स्थित यह झील भारत की सबसे सुन्दर झीलों में से एक है।
4. भीमकुंड, मध्यप्रदेश – मध्यप्रदेश के छत्तरपुर जिला में बसा है भीमकुंड.भीमकुंड में प्राकृतिक पानी की टंकी है और इसे एक पवित्र स्थान माना जाता है।
5. घटारानी झरना, छत्तीसगढ़ – घटारानी झरना यूं तो छत्तीसगढ़ का सबसे ज़्यादा व्यस्त पर्यटन स्थल है, लेकिन बाकी राज्यों में इसका ज़्यादा नाम नहीं है।
6. केदारेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र – यह मंदिर अहमदनगर जिला के हरीशचंद्रगढ़ पहाड़ी किले में बना है। चारो तरह से पानी से घिरे इस मंदिर की खासियत यह है कि यह इमारत के 3 टूटो स्थंबों के बीचो-बीच है।
7. ज़ीरो पॉइंट, सिक्किम – सिक्किम का ज़ीरो पॉइंट, राज्य के सबसे भव्य नज़ारों में से एक है।
8. गरुड़ चट्टान, आंध्र प्रदेश – गरुड़ चट्टान तिरुमाला पहाड़ी पर स्थित एक ऐसी चट्टान है, जो भगवान गरुड़ की आकृति जैसी लगती है।
9.सोंभंड़ार गुफाएं – यह गुफाएं देश की सबसे दिलचस्प और रहस्यमय स्मारक है।
10. अरुणांचल प्रदेश के पुल – अरुणांचल के Hanging Bridges बहुत की शानदार हैं। ये Tourists को इनकी और खीचता है। पर्यटक इन पर चढ़ने से डरते भी है पर उन्हें यह Adventure पसंद भी आता है।
11. मुर्शिदाबाद स्मारक, पश्चिम बंगाल – ये ऐतिहासिक स्थल है, जो 12 भव्य स्मारकों के लिए जाना जाता है। हर स्मारक का अपना इतिहास और उद्देश्य है।
1. Thousand Lingam Temple, Tamil Nadu -यह मंदिर तमिलनाडू राज्य के ‘ठेनी’ जिले में स्थित है. आम मंदिरों से बिलकुल हट के है।
2. मालुती मंदिर, झारखंड – मालुती का मंदिर विश्व के 12 सबसे ख़तरनाक सांस्कृतिक स्थलों में से एक है।
3. दिल के आकार की झील, केरल – केरल के वयनाड जिला में स्थित यह झील भारत की सबसे सुन्दर झीलों में से एक है।
4. भीमकुंड, मध्यप्रदेश – मध्यप्रदेश के छत्तरपुर जिला में बसा है भीमकुंड.भीमकुंड में प्राकृतिक पानी की टंकी है और इसे एक पवित्र स्थान माना जाता है।
5. घटारानी झरना, छत्तीसगढ़ – घटारानी झरना यूं तो छत्तीसगढ़ का सबसे ज़्यादा व्यस्त पर्यटन स्थल है, लेकिन बाकी राज्यों में इसका ज़्यादा नाम नहीं है।
6. केदारेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र – यह मंदिर अहमदनगर जिला के हरीशचंद्रगढ़ पहाड़ी किले में बना है। चारो तरह से पानी से घिरे इस मंदिर की खासियत यह है कि यह इमारत के 3 टूटो स्थंबों के बीचो-बीच है।
7. ज़ीरो पॉइंट, सिक्किम – सिक्किम का ज़ीरो पॉइंट, राज्य के सबसे भव्य नज़ारों में से एक है।
8. गरुड़ चट्टान, आंध्र प्रदेश – गरुड़ चट्टान तिरुमाला पहाड़ी पर स्थित एक ऐसी चट्टान है, जो भगवान गरुड़ की आकृति जैसी लगती है।
9.सोंभंड़ार गुफाएं – यह गुफाएं देश की सबसे दिलचस्प और रहस्यमय स्मारक है।
10. अरुणांचल प्रदेश के पुल – अरुणांचल के Hanging Bridges बहुत की शानदार हैं। ये Tourists को इनकी और खीचता है। पर्यटक इन पर चढ़ने से डरते भी है पर उन्हें यह Adventure पसंद भी आता है।
11. मुर्शिदाबाद स्मारक, पश्चिम बंगाल – ये ऐतिहासिक स्थल है, जो 12 भव्य स्मारकों के लिए जाना जाता है। हर स्मारक का अपना इतिहास और उद्देश्य है।
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इन देशों की महिलाएं हैं सबसे खूबसूरत
खूबसूरती को लेकर हर किसी की अलग-अलग राय है। विश्व में एेसे कई देश हैं, जहां की महिलाओं को सबसे खूबसूरत माना जाता हैं। इस बात पर काफी रिसर्च भी की गई है। कई फोटोग्राफर ने अपनी फोटो सीरिज के जरिए यह बात साबित करने के लिए लम्बी-लम्बी यात्राएं भी की हैं। आज हम आपको एेसे देशों के बारे में बताएंगे, जहां की महिलाओं को सबसे खूबसूरत माना जाता हैं।
1. रोमानिया
रोमानिया का मौसम यहां की महिलाओं को खूबसूरत बनाता है। यहां की महिलाएं बेहद खूबसूरत मानी जाती है।
2. अर्जेंटीना
यह देश दक्षिण अमेरिका में बसा हुआ है। यहां की महिलाएं अपनी खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए अपनी स्कीन का काफी ख्याल रखती हैं।
3. इटली
इटली की महिलाएं बहुत ही क्यूट होती हैं। अगर आप ओपन माइंडेड लड़की ढूंढ रहे है तो वो आपको इटली में मिलेगी।
4. यूक्रेन
यूक्रेन की महिलाएं काफी बोल्ड होती हैं। यह पूर्वी यूरोप का हिस्सा है। यहां की खूबसूरती देखनेे लायक है।
5. म्यांमार
यहां की संस्कृति काफी भारत जैसी है इसलिए इसे छोटा भारत भी कहते हैं। यहां की महिलाएं भी बहुत खूबसूरत होती हैं।
6. भारत
खूबसूरती के मामले में भारत भी कम नहीं हैं। यहां की महिलाएं खूबसूरती में सबसे आगे हैं।
7. तजाकिस्तान
यहां की लड़कियां अपनी मासूमियत के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। यहां की लड़कियों की आंखों में एक अलग ही चमक होती हैं।
8. कोलंबिया
कोलंबिया दक्षिण अमेरिका का एक महाद्वीप है। यहां की लड़कियां भी सुंदर होती हैं।
1. रोमानिया
रोमानिया का मौसम यहां की महिलाओं को खूबसूरत बनाता है। यहां की महिलाएं बेहद खूबसूरत मानी जाती है।
2. अर्जेंटीना
यह देश दक्षिण अमेरिका में बसा हुआ है। यहां की महिलाएं अपनी खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए अपनी स्कीन का काफी ख्याल रखती हैं।
3. इटली
इटली की महिलाएं बहुत ही क्यूट होती हैं। अगर आप ओपन माइंडेड लड़की ढूंढ रहे है तो वो आपको इटली में मिलेगी।
4. यूक्रेन
यूक्रेन की महिलाएं काफी बोल्ड होती हैं। यह पूर्वी यूरोप का हिस्सा है। यहां की खूबसूरती देखनेे लायक है।
5. म्यांमार
यहां की संस्कृति काफी भारत जैसी है इसलिए इसे छोटा भारत भी कहते हैं। यहां की महिलाएं भी बहुत खूबसूरत होती हैं।
6. भारत
खूबसूरती के मामले में भारत भी कम नहीं हैं। यहां की महिलाएं खूबसूरती में सबसे आगे हैं।
7. तजाकिस्तान
यहां की लड़कियां अपनी मासूमियत के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। यहां की लड़कियों की आंखों में एक अलग ही चमक होती हैं।
8. कोलंबिया
कोलंबिया दक्षिण अमेरिका का एक महाद्वीप है। यहां की लड़कियां भी सुंदर होती हैं।
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अजब-गजब
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आखिर क्यों भगवन शिव पहनते है शेर की खाल
शिव इकलौते ऐसे भगवान हैं, जो स्वर्ग से दूर हिमालय की सर्द चट्टानों पर अपना घर बनाये हुए हैं| हाथ में त्रिशूल, गले में नाग, सिर पर गंगा और शेर की खाल पहने शिव की हर एक चीज़ से कोई न कोई कहानी जुड़ी हुई है| पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर शेर की खाल क्यों पहनते है? शिव पुराण के मुताबिक एक बार शिव घने जंगलों में नंगे घूम रहे थे| घूमते-घूमते वो जंगल में बसे एक गांव में पहुंच गए, जहां उन्हें नंगा देखकर गांव की औरतें उनकी तरफ आकर्षित होने लगीं| इस बात से अनजान शिव लगातार नंगे ही घूम रहे थे|
शिव की इस हरकत पर गांव में रहने वाले साधु-संत क्रोधित हुए और उन्होंने शिव को सबक सिखाने का निश्चय किया| उन लोगों ने शिव के रास्ते में गड्ढा किया और उसमें एक शेर को शिव को मारने के लिए छोड़ दिया, पर शिव ने लोगों की चाल को नाकाम करते हुए शेर को चन्द मिनटों में मार दिया और शेर की खाल को पहन लिया| शेर की खाल को इस तरह पहनना बुराई पर अच्छाई का प्रतीक बना और शिव के साथ जुड़ गया| इसके बाद गांव वालों को समझ में आ गया कि यह कोई आम इंसान नहीं बल्कि साक्षात भगवान शिव हैं| .
शिव की इस हरकत पर गांव में रहने वाले साधु-संत क्रोधित हुए और उन्होंने शिव को सबक सिखाने का निश्चय किया| उन लोगों ने शिव के रास्ते में गड्ढा किया और उसमें एक शेर को शिव को मारने के लिए छोड़ दिया, पर शिव ने लोगों की चाल को नाकाम करते हुए शेर को चन्द मिनटों में मार दिया और शेर की खाल को पहन लिया| शेर की खाल को इस तरह पहनना बुराई पर अच्छाई का प्रतीक बना और शिव के साथ जुड़ गया| इसके बाद गांव वालों को समझ में आ गया कि यह कोई आम इंसान नहीं बल्कि साक्षात भगवान शिव हैं| .
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धर्म एवं ज्योतिष
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कौन से ग्रह योग मनुष्य को बनाते हैं धनवान
ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के आधार पर मनुष्य के जीवन, विद्या और आर्थिक स्तर का भी अध्ययन किया जाता है। ग्रहों की स्थिति से यह आकलन किया जा सकता है कि जातक का जीवन कैसा रहेगा। उसे धन की प्राप्ति होगी या संघर्ष में ही जीवन बीतेगा? कुंडली के 12 भावों में नौ ग्रहों की स्थिति किसी मनुष्य का आर्थिक भविष्य तय करती है। ग्रहों की युति, स्थिति जीवन में सुख-दुख लाती है।
अगर कुंडली में सूर्य और बुध दूसरे भाव में स्थित हों तो ऐसा व्यक्ति काफी प्रयासों के बाद भी पैसे की बचत करने में सक्षम नहीं होता। अगर कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा स्थित हो, उस पर बुध की दुष्टि पड़ती हो तो उसके धन का नाश होने की आशंका होती है। अगर उसे पुरखों से धन मिलता है तो वह भी उसके पास नहीं रहता।
कुंडली में चंद्रमा अकेला हो, उसके द्वादश में कोई भी ग्रह मौजूद न हो तो यह भी धन के संकट का योग होता है। ऐसा जातक धन के अभाव में कष्ट पाता है। दूसरे भाव में चंद्रमा स्थित हो तो ऐसे मनुष्य को प्रचुर मात्रा में धन प्राप्त होता है। उसे धनार्जन के लिए अधिक कष्ट नहीं उठाने पड़ते। वह सुख-सुविधओं के साधन आसानी से जुटा लेता है।
दूसरे भाव में शुभ ग्रह हों तो ऐसा जातक धनवान होता है। उसे परिश्रम का लाभ मिलता है और आर्थिक बाधाएं अवश्य दूर हो जाती हैं। कुंडली का दूसरा भाव धन का परिचायक होता है। इसमें स्थिति ग्रहों की स्थिति जातक की आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी देती है।
अगर दूसरे भाव में बुध पर चंद्रमा की दृष्टि पड़े तो यह जातक के लिए कष्टदायक होती है। ऐसे मनुष्य के जीवन में अक्सर धन की कमी होती है।
चंद्र मंगल योग- इस योग को लक्ष्मी योग के नाम से भी जाना जाता हैं। यह योग चंद्र एवम मंगल की युति या केंद्र स्थिति के द्वारा बनता हैं। यह काफी बलवान योग हैं और हर परिस्थिति में फलदायी होता हैं भले ही लग्न व भाव स्थिति के कारण फल के अंशो में न्यूनता हों। यदि चंद्र-मंगल योग पहले भाव में, दूसरे, पांचवे, नववें व एकादश भाव में बने तो व्यक्ति अत्यधिक धनवान होता हैं।
महालक्ष्मी योग – यह योग अपने नाम के अनुसार ही फल देने वाला होता हैं। इस योग के बनने के कारणों से ही इस योग के सफल होने का पता चल जाता हैं। जन्म कुंडली में दूसरे भाव को धन स्थान कहते हैं। तथा ग्याहरवें भाव को लाभ भाव, जब इन दोनों भावों के स्वामियों का आपस में किसी भी प्रकार का संबंध बनता हैं तो इस योग का निर्माण होता हैं। यह योग अन्य सभी योगों में सबसे उत्तम फल देने वाला होता हैं।
कोटीपति योग- इस योग में जन्मा जातक करोडपति होता हैं। शनि केन्द्रगत हो तथा गुरु व शुक्र एक दूसरे से केंद्र या त्रिकोण भाव में बली हो, तथा लग्नेश बली हो तो यह योग बनता हैं। ऐसे जातक के पास स्थिर लक्ष्मी रहती है।
महाभाग्य योग – यह योग स्त्री व पुरुषों की जन्म कुंडली में अलग- अलग रूप में बनता हैं। इस योग को बनने के लिये चार स्थितियां महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। पुरुष का जन्म दिन में हो तथा स्त्री का जन्म रात्रि का हो। पुरुष का जन्म विषम लग्न में हो तथा स्त्री का जन्म सम राशि में हो। पुरुषों की पत्रिका में सूर्य विषम राशि में हो। स्त्री की पत्रिका में सम राशि में हो। पुरुषों का चंद्र विषम राशि में हो। जबकी स्त्री का जन्म सम राशि में हो। इन स्थितियो में जन्मा जातक निसंदेह राजा की तरह जीवन जीता है।
अगर कुंडली में सूर्य और बुध दूसरे भाव में स्थित हों तो ऐसा व्यक्ति काफी प्रयासों के बाद भी पैसे की बचत करने में सक्षम नहीं होता। अगर कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा स्थित हो, उस पर बुध की दुष्टि पड़ती हो तो उसके धन का नाश होने की आशंका होती है। अगर उसे पुरखों से धन मिलता है तो वह भी उसके पास नहीं रहता।
कुंडली में चंद्रमा अकेला हो, उसके द्वादश में कोई भी ग्रह मौजूद न हो तो यह भी धन के संकट का योग होता है। ऐसा जातक धन के अभाव में कष्ट पाता है। दूसरे भाव में चंद्रमा स्थित हो तो ऐसे मनुष्य को प्रचुर मात्रा में धन प्राप्त होता है। उसे धनार्जन के लिए अधिक कष्ट नहीं उठाने पड़ते। वह सुख-सुविधओं के साधन आसानी से जुटा लेता है।
दूसरे भाव में शुभ ग्रह हों तो ऐसा जातक धनवान होता है। उसे परिश्रम का लाभ मिलता है और आर्थिक बाधाएं अवश्य दूर हो जाती हैं। कुंडली का दूसरा भाव धन का परिचायक होता है। इसमें स्थिति ग्रहों की स्थिति जातक की आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी देती है।
अगर दूसरे भाव में बुध पर चंद्रमा की दृष्टि पड़े तो यह जातक के लिए कष्टदायक होती है। ऐसे मनुष्य के जीवन में अक्सर धन की कमी होती है।
चंद्र मंगल योग- इस योग को लक्ष्मी योग के नाम से भी जाना जाता हैं। यह योग चंद्र एवम मंगल की युति या केंद्र स्थिति के द्वारा बनता हैं। यह काफी बलवान योग हैं और हर परिस्थिति में फलदायी होता हैं भले ही लग्न व भाव स्थिति के कारण फल के अंशो में न्यूनता हों। यदि चंद्र-मंगल योग पहले भाव में, दूसरे, पांचवे, नववें व एकादश भाव में बने तो व्यक्ति अत्यधिक धनवान होता हैं।
महालक्ष्मी योग – यह योग अपने नाम के अनुसार ही फल देने वाला होता हैं। इस योग के बनने के कारणों से ही इस योग के सफल होने का पता चल जाता हैं। जन्म कुंडली में दूसरे भाव को धन स्थान कहते हैं। तथा ग्याहरवें भाव को लाभ भाव, जब इन दोनों भावों के स्वामियों का आपस में किसी भी प्रकार का संबंध बनता हैं तो इस योग का निर्माण होता हैं। यह योग अन्य सभी योगों में सबसे उत्तम फल देने वाला होता हैं।
कोटीपति योग- इस योग में जन्मा जातक करोडपति होता हैं। शनि केन्द्रगत हो तथा गुरु व शुक्र एक दूसरे से केंद्र या त्रिकोण भाव में बली हो, तथा लग्नेश बली हो तो यह योग बनता हैं। ऐसे जातक के पास स्थिर लक्ष्मी रहती है।
महाभाग्य योग – यह योग स्त्री व पुरुषों की जन्म कुंडली में अलग- अलग रूप में बनता हैं। इस योग को बनने के लिये चार स्थितियां महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। पुरुष का जन्म दिन में हो तथा स्त्री का जन्म रात्रि का हो। पुरुष का जन्म विषम लग्न में हो तथा स्त्री का जन्म सम राशि में हो। पुरुषों की पत्रिका में सूर्य विषम राशि में हो। स्त्री की पत्रिका में सम राशि में हो। पुरुषों का चंद्र विषम राशि में हो। जबकी स्त्री का जन्म सम राशि में हो। इन स्थितियो में जन्मा जातक निसंदेह राजा की तरह जीवन जीता है।
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दोनों यही बन गए।
इस मंदिर से आज तक कोई खाली हाथ नही लौटा
महाराष्ट्र समेत पूरी दुनिया में गणेश चतुर्थी का त्यौहार बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी यह हिन्दुओं का एक पवित्र त्यौहार है। आज हर जगह लोग अपने आस्था के अनुसार भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करते हैं और उनकी पूजा अर्चना कर अपने मन की इच्छा को प्रकट करते हैं। आज कई बड़े पंडाल सजे हुए करोड़ो भक्त अपने बप्पा का दर्शन करने घोरों से निकल के उनकी कृपा पाने की कोशिश करते हैं। लेकिन भगवान गणेश के कुछ ऐसे भी प्राचीन मंदिर हैं जिनके बारें में सुनकर लोग आज भी हैरान होते हैं। महारष्ट्र में एक ऐसा मन्दिर हैं जिसे अष्टविनायक के नाम से जाना जाता है। धार्मिक रीती रिवाज के अनुसार अष्टविनायक मंदिर की अपनी विशेषता है इस मंदिर में भगवान गणेश के आठ स्वरूपों का दर्शन अवसर भक्तों को मिलता है। इस मंदिर में आने वाला भक्त कभी खाली हाथ नही लौटता है।
भगवान गणेश का एक स्वरूप है बल्लालेश्वर : मुंबई पुणे मार्ग पर एक गावं है जिसे पाली के नाम से जाना जाता है। मान्यता है की यही बल्लालेश्वर का निवास है। भगवान बल्लालेश्वर की यह मूर्ति बड़ी ही मनमोहक है जिसे देखने के बाद भक्त मंत्र मुग्ध हो जाते हैं। यहां वैसे तो हर दिन भक्तो का तांता लगा रहता है लेकिन विशेष तौर पर बुधवार और चतुर्थी के दिन यहां हजारो भक्त अपनी मनोकामना के साथ भगवान गणेश के बल्लालेश्वर स्वरुप का दर्शन करने आते हैं।
प्रतिमा की विशेषता : बल्लालेश्वर यह एक प्राचीन मूर्ति है माना जाता है की यह पाषाण युग से है। इस मूर्ति को किसी ने नही बनाया था यह मूर्ति जमींन के अंदर से प्राप्त हुआ था। बल्लालेश्वर की यह मूर्ति 3 फिट ऊँची है और सूंड बाई ओऱ की तरफ है। भगवान की इस प्रतिमा में आँखों और नाभि में चमकदार हीरे जड़े हैं। भगवान गणेश की यह प्रतिमा ब्राम्हण की पोशाक रहते हैं।
बल्लालेश्वर मंदिर की मान्यता: ऐसी मान्यता है की एक बल्ला नाम के भक्त से भगवान गणेश इतने खुश हुए की वहीं एक मूर्ति में विराज मान हो गए और तब से उन्हें पाली के राजा बल्लालेश्वर के नाम से जाना जाने लगा। इस मंदिर में आज भी भक्त बड़ी आस्था के साथ यहां आते है और मंदिर के बाहर बने दो कुण्ड में नहने के बाद भगवान से अपनी मुरादे मांगते है। और निश्चित ही भगवान अपने भक्तो की सदैव सुनते हैं शायद इसीलिए भक्त अपने बप्पा को पाली का राजा भी कह कर बुलाते है।
भगवान गणेश का एक स्वरूप है बल्लालेश्वर : मुंबई पुणे मार्ग पर एक गावं है जिसे पाली के नाम से जाना जाता है। मान्यता है की यही बल्लालेश्वर का निवास है। भगवान बल्लालेश्वर की यह मूर्ति बड़ी ही मनमोहक है जिसे देखने के बाद भक्त मंत्र मुग्ध हो जाते हैं। यहां वैसे तो हर दिन भक्तो का तांता लगा रहता है लेकिन विशेष तौर पर बुधवार और चतुर्थी के दिन यहां हजारो भक्त अपनी मनोकामना के साथ भगवान गणेश के बल्लालेश्वर स्वरुप का दर्शन करने आते हैं।
प्रतिमा की विशेषता : बल्लालेश्वर यह एक प्राचीन मूर्ति है माना जाता है की यह पाषाण युग से है। इस मूर्ति को किसी ने नही बनाया था यह मूर्ति जमींन के अंदर से प्राप्त हुआ था। बल्लालेश्वर की यह मूर्ति 3 फिट ऊँची है और सूंड बाई ओऱ की तरफ है। भगवान की इस प्रतिमा में आँखों और नाभि में चमकदार हीरे जड़े हैं। भगवान गणेश की यह प्रतिमा ब्राम्हण की पोशाक रहते हैं।
बल्लालेश्वर मंदिर की मान्यता: ऐसी मान्यता है की एक बल्ला नाम के भक्त से भगवान गणेश इतने खुश हुए की वहीं एक मूर्ति में विराज मान हो गए और तब से उन्हें पाली के राजा बल्लालेश्वर के नाम से जाना जाने लगा। इस मंदिर में आज भी भक्त बड़ी आस्था के साथ यहां आते है और मंदिर के बाहर बने दो कुण्ड में नहने के बाद भगवान से अपनी मुरादे मांगते है। और निश्चित ही भगवान अपने भक्तो की सदैव सुनते हैं शायद इसीलिए भक्त अपने बप्पा को पाली का राजा भी कह कर बुलाते है।
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धर्म एवं ज्योतिष
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
लक्ष्मी जी को खुश करना है तो आपको करना होंगे ये काम
वास्तुशास्त्र को हर कोई महत्व देता है क्योंकि माना जाता है की वास्तु की तरह से काम करने से सब कुछ सफल हो जाता है। तो आज हम आपको वास्तु शास्त्र से जुड़े उन तथ्यों के बारे में बताने जा रहे है, जिन्हे जानकर आप चौंक जाएंगे। ये जानकर आप चौंक जाएंगे कि आधी से ज्यादा जनता इन गलतियों को रोजाना दोहराती है, जिससे उनके घर में आए दिन दिक्कतें आती रहती है। इसलिए कुछ ऐसे काम है जिन्हें नहीं करना चाहिए आइए हम आपको बताते है।
1. सूर्यास्त के बाद कभी भी दूध, दही और प्याज नहीं देना चाहिए, ऐसा करने से आपका भाग्य रूठ जाता है , फिर चाहे वो बाहर का कुत्ता ही क्यों न हो।
2. आम तौर पर लोग ख़ुशी के मौके पर मिठाइयां बांटते है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र कहता है कि हर 2 महीने में दफ्तर में अपने साथियों के संग मिठाई बांटकर खानी चाहिए, इससे तरक्की के रास्ते खुलते है।
3. रात में झूठे बर्तन सिंके में नहीं रखना चाहिए वरना लक्ष्मी माता रूत जाती है।
4. ध्यान रहे कि कूड़ादान ठीक प्रवेश द्वार के आगे न रखे, ऐसा करने से लक्ष्मी जी घर में प्रवेश नहीं करती।
5. ध्यान रहे महीने में एक बार घर में खीर जरूर बनाएं और लक्ष्मी जी को भोग लगाकर घर वालों के साथ बैठकर खाएं, इससे घर में दरिद्रता नहीं आती।
6. रोज सोने से पहले बाथरूम और किचन में एक बाल्टी पानी भर के रखें, इससे धन लाभ होगा और उन्नति के रास्ते खुलेंगे।
1. सूर्यास्त के बाद कभी भी दूध, दही और प्याज नहीं देना चाहिए, ऐसा करने से आपका भाग्य रूठ जाता है , फिर चाहे वो बाहर का कुत्ता ही क्यों न हो।
2. आम तौर पर लोग ख़ुशी के मौके पर मिठाइयां बांटते है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र कहता है कि हर 2 महीने में दफ्तर में अपने साथियों के संग मिठाई बांटकर खानी चाहिए, इससे तरक्की के रास्ते खुलते है।
3. रात में झूठे बर्तन सिंके में नहीं रखना चाहिए वरना लक्ष्मी माता रूत जाती है।
4. ध्यान रहे कि कूड़ादान ठीक प्रवेश द्वार के आगे न रखे, ऐसा करने से लक्ष्मी जी घर में प्रवेश नहीं करती।
5. ध्यान रहे महीने में एक बार घर में खीर जरूर बनाएं और लक्ष्मी जी को भोग लगाकर घर वालों के साथ बैठकर खाएं, इससे घर में दरिद्रता नहीं आती।
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गणेश विसर्जन से मिलती है ये सीख
जिंदगी में हमेशा हमें कोई न कोई, किसी न किसी प्रकार से सीख देता है बस सीखने की देरी होती है जैसे की गणेश विसर्जन में ईश्वर की सुंदर मूर्तियों को पूजन के बाद विसर्जित करने का विधान हैं। ऐसा क्यों हैं? यह बात बहुत कम लोगों को मालूम होगी। जोकि पुराणों में वर्णित है कि जल को ब्रह्म स्वरूप माना गया है।
सृष्टि के शुरुआत जल में हुई है, और भविष्य में संभवतः सृष्टि का अंत जल में ही होगा। जल बुद्घि और ज्ञान का प्रतीक है। जल में ही यानी क्षीरसागर में श्री हरि का निवास है।
माना जाता है कि जब जल में देव प्रतिमाओं को विसर्जित किया जाता है, तो देवी देवताओं का अंश मूर्ति से निकलकर वापस देवलोक में चला जाता है। यानी की परम ब्रह्म में परमात्मा लीन हो जाते हैं। यही कारण है कि देवी और देवताओं की मूर्तियों को निर्मल जल में विसर्जित किया जाता है।
जल में गणेश मूर्ति विसर्जित करने के बारे में एक अन्य कथा का भी उल्लेख पुराणों में मिलता है। कहा जाता है कि जब महाभारत के रचयिता वेद व्यास जी ने महाभारत की कथा गणेश जी को गणेश चतुर्थी से लेकर अनन्त चतुर्थी तक लगातार दस दिन तक सुनाई थी।
यह कथा जब वेद व्यास जी सुना रहे थे, तब लगातार दस दिन से कथा यानी की ज्ञान की बातें सुनते-सुनते गणेश जी के शरीर का तापमान बहुत ही अधिक बढा गया था। उन्हें ज्वर हो गया था। तो तुरंत वेद व्यास जी ने गणेश जी को निकटतम कुंड में ले जाकर डुबकी लगवाई, जिससे उनके शरीर का तापमान कम हुआ।
गणेश विसर्जन से मिलती है ये सीख:
1. सभी का आदर और सम्मान करें।
2. अस्थायी और नश्वर है जीवन।
3. ईश्वर निराकार हैं।
4. जीवन है तो जन्म-मृत्यु तो होगी ही, इसीलिए मोह-माया से बनाये रखें।
5. विसर्जन हमें तटस्थता के पाठ को सिखाता है।
सृष्टि के शुरुआत जल में हुई है, और भविष्य में संभवतः सृष्टि का अंत जल में ही होगा। जल बुद्घि और ज्ञान का प्रतीक है। जल में ही यानी क्षीरसागर में श्री हरि का निवास है।
माना जाता है कि जब जल में देव प्रतिमाओं को विसर्जित किया जाता है, तो देवी देवताओं का अंश मूर्ति से निकलकर वापस देवलोक में चला जाता है। यानी की परम ब्रह्म में परमात्मा लीन हो जाते हैं। यही कारण है कि देवी और देवताओं की मूर्तियों को निर्मल जल में विसर्जित किया जाता है।
जल में गणेश मूर्ति विसर्जित करने के बारे में एक अन्य कथा का भी उल्लेख पुराणों में मिलता है। कहा जाता है कि जब महाभारत के रचयिता वेद व्यास जी ने महाभारत की कथा गणेश जी को गणेश चतुर्थी से लेकर अनन्त चतुर्थी तक लगातार दस दिन तक सुनाई थी।
यह कथा जब वेद व्यास जी सुना रहे थे, तब लगातार दस दिन से कथा यानी की ज्ञान की बातें सुनते-सुनते गणेश जी के शरीर का तापमान बहुत ही अधिक बढा गया था। उन्हें ज्वर हो गया था। तो तुरंत वेद व्यास जी ने गणेश जी को निकटतम कुंड में ले जाकर डुबकी लगवाई, जिससे उनके शरीर का तापमान कम हुआ।
गणेश विसर्जन से मिलती है ये सीख:
1. सभी का आदर और सम्मान करें।
2. अस्थायी और नश्वर है जीवन।
3. ईश्वर निराकार हैं।
4. जीवन है तो जन्म-मृत्यु तो होगी ही, इसीलिए मोह-माया से बनाये रखें।
5. विसर्जन हमें तटस्थता के पाठ को सिखाता है।
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पितृपक्ष में क्यों वर्जित है शुभकार्य
इसको लेकर कई लौकिक मान्यताएं विशेष प्रचलित हैं। शास्त्र की माने तो इस प्रकार है की पितृ पूजा में विधि प्रधान होती है जब कि देव पूजन में भावना का प्राधान्य होता है जिसकार्य में विधान का महत्व हो उसमें सावधानी ज्यादा रखनी होती है ताकि कोई चूक न हो।
क्योंकि श्राद्ध का संबंध हमारे पूर्वजों से होता है उनके निमित्त श्रद्धा से किया गया कार्य ही श्राद्ध कहलाता है श्राद्ध काल का संबंध करुणा रस प्राधान्य है। जब की मांगलिक कामों में जिसमें प्रमुख विवाह/ गृह प्रवेश/ उपनयन इत्यादि हैं उन्हें श्रृंगार का समावेश होता है।
इसी कारण इस समय इन कामों का करना निषेध है क्योंकी करुणा और श्रृंगार का समन्वय संभव ही नहीं हो सकता इसलिए मांगलिक कार्यों को इस पक्ष में निषेध माना गया है।
लेकिन शुभ का मतलव जिसके परिणाम शुभ हों वह तो इस पक्ष में होते ही हैं जैसे भोजन/ दान/ कथा इत्यादि
मांगलिक अर्थात नाच गाना हर्षौल्लास वगैरह का इस पक्ष में निषेध समझना चाहिए
क्योंकि तिथियों की संख्या 16 ही होती है किसी न किसी दिन परिवार में किसी न किसी की मृत्यु इन्हीं तिथियों में हुई होती है इसलिए पूरे 16 दिन हमें सादगी पूर्वक जीवन गुजारना चाहिए और अपने पितरों का स्मरण/ दान पुन्य कथा, श्रवण आदि करनी चाहिए। देव शयन एकादशी से देवोत्थान एकादशी तक भगवन विष्णु का शयन काल होता है इसलिए भी इस समय कोई मुहूर्त नहीं होता है
क्योंकि श्राद्ध का संबंध हमारे पूर्वजों से होता है उनके निमित्त श्रद्धा से किया गया कार्य ही श्राद्ध कहलाता है श्राद्ध काल का संबंध करुणा रस प्राधान्य है। जब की मांगलिक कामों में जिसमें प्रमुख विवाह/ गृह प्रवेश/ उपनयन इत्यादि हैं उन्हें श्रृंगार का समावेश होता है।
इसी कारण इस समय इन कामों का करना निषेध है क्योंकी करुणा और श्रृंगार का समन्वय संभव ही नहीं हो सकता इसलिए मांगलिक कार्यों को इस पक्ष में निषेध माना गया है।
लेकिन शुभ का मतलव जिसके परिणाम शुभ हों वह तो इस पक्ष में होते ही हैं जैसे भोजन/ दान/ कथा इत्यादि
मांगलिक अर्थात नाच गाना हर्षौल्लास वगैरह का इस पक्ष में निषेध समझना चाहिए
क्योंकि तिथियों की संख्या 16 ही होती है किसी न किसी दिन परिवार में किसी न किसी की मृत्यु इन्हीं तिथियों में हुई होती है इसलिए पूरे 16 दिन हमें सादगी पूर्वक जीवन गुजारना चाहिए और अपने पितरों का स्मरण/ दान पुन्य कथा, श्रवण आदि करनी चाहिए। देव शयन एकादशी से देवोत्थान एकादशी तक भगवन विष्णु का शयन काल होता है इसलिए भी इस समय कोई मुहूर्त नहीं होता है
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कंडोम की जगह प्लास्टिक लगाकर किया सेक्स, हुआ घायल
हनोई। वियतनाम से एक अजीबो-गरीब खबर आई है। यहां एक युवक-युवती ने पहली बार सेक्स किया और घायल हो गए। ऐसा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि वे दोनों उतावले थे, बल्कि इस वजह से कि लड़के ने कंडोम की जगह प्लास्टिक (पोलिथिन) का उपयोग किया था। अभी दोनों अस्पताल में भर्ती हैं। घटना हनोई में घटी। दोनों अंडरग्रेजुएट हैं। वियतनामी अखबार ट्यूओई ट्रे के अनुसार दोनों ने पहली बार सेक्स करने का निर्णय लिया था, लेकिन लड़का कंडोम खरीदने बाजार नहीं गया। उसने बताया कि उसे शर्म आ रही थी। इसलिए उसने कंडोम की जगह प्लास्टिक का उपयोग किया। अखबार के अनुसार सेक्स करने के दौरान दोनों घायल हो गए। उनके अंदरुनी हिस्से में काफी चोट है। डॉक्टरों ने उन्हें एंटीबॉयोटिक्स और अन्य प्रकार की दवाइयां दी हैं। डॉक्टर ने बताया कि साधारण प्लास्टिक में कोई लुब्रिकेन्ट नहीं होता है, इसलिए दोनों घायल हो गए। उन्होंने कहा कि मोटा प्लास्टिक रहता, तो और भी गंभीर चोटें आ सकती थीं। अखबार लिखता है कि हनोई शहर में कुछ दिनों पहले एक सर्वे हुआ था। इसके मुताबिक पहली बार सेक्स करने वाले अधिकांश युवकों ने स्वीकार किया कि उन्होंने कंडोम का उपयोग शर्म के कारण नहीं किया। उन्हें दुकान से कंडोम खरीदने में शर्मा आ रही थी।
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जरा हटके
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ऐसा नोट जिसका कटना फटना तो दूर, गलना भी असंभव
हमारी सबसे बड़ी परेशानी होती है नोटों का सुरक्षित रखना. हालाकिं हम अपने पर्स में तो इन्हें सुरक्षित रखते हैं लेकिन फिर भी जल्दबाजी में हम कई बार नोट जेब में या पर्स में ऐसे रख लेते हैं कि कुछ समय में वो नोट सिर्फ एक कागज़ का टुकड़ा रह जाता है. या बारिश में भीग जाने पर नोट ख़राब हो जाते हैं, कट फट जाते हैं. हमारी परेशानी तब और भी बढ़ जाती है जब नोट बड़ा हो, यानि 100 या 500 या 1000 का।
अब ऐसे में आपने कभी सोचा है कि अगर नोट को ऐसा बना दिया जाये जो न तो कटे, न फटे, न गले और न ही कभी भीगे तो कैसा रहे? आपको चोकने की ज्यादा जरूरत नहीं है, इंग्लैंड में कुछ ऐसा ही हुआ है. वह ऐसा नोट जारी किया गया है जो पानी में भीगने पर भी फटेगा नहीं, और न ही वह खराब होगा।
प्लास्टिक का ऐसा ही नोट बैंक ऑफ इंग्लैंड ने जारी किया है जो 5 पाउंड का नोट है। बैंक ने ये दावा किया है कि प्लास्टिक के इन नोटों को फाड़ना तो बेहद मुश्किल है ही लेकिन इसे वॉशिंग मशीन में धोने पर भी धुलाई इसका कुछ बिगाड़ नहीं सकती।
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जरा हटके
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पितृपक्ष में ऐसे करेंगे तर्पण तो पुरखों को मोक्ष संभव
कब से कब तक है पितृ पक्ष
ज्योतिषाचार्य डॉ. विमल जैन के अनुसार, आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष कहलाता है, जो इस बार 17 सितम्बर से 30 सितम्बर तक है। इन तिथियों के दौरान श्राद्ध संबंधी सभी कर्म किये जाएंगे, लेकिन जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि के दिन हुई है, उनका भाद्रपद माह के पूर्णिमा तिथि के दिन ही श्राद्ध करने का नियम है।
पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध प्रौष्ठपदी श्राद्ध के नाम से जाना जाता है और इस बार यह श्राद्ध 16 सितम्बर को किया जाएगा। मान्यता है कि काशी के पिशाच मोचन पर श्राद्ध करने से अकाल मृत्यु में मरने वाले पितरों को प्रेत बाधा से मुक्ति के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस धार्मिक स्थल का उद्भव गंगा के धरती पर आने से पूर्व हुआ है। पिशाच मोचन तीर्थ स्थल का वर्णन गरुण पुराण में भी वर्णित है।
कैसे करते हैं श्राद्ध
कर्मकांडी ब्राह्मणों के आचार्यत्व में पितरों को जौ के आटे की गोलियां, काला तिल, कुश और गंगाजल आदि से विधि-विधान पूर्वक पिण्डदान, श्राद्धकर्म व तर्पण किया जाता है। मान्यतानुसार परिवार के मुख्य सदस्य क्षोरकर्म (सिर के बाल, दाढ़ी व मूंछ आदि मुंडवाना) मंत्रोच्चार की ध्वनि के साथ पितरों का श्राद्धकर्म करते है।
कैसे करते हैं श्राद्ध
कर्मकांडी ब्राह्मणों के आचार्यत्व में पितरों को जौ के आटे की गोलियां, काला तिल, कुश और गंगाजल आदि से विधि-विधान पूर्वक पिण्डदान, श्राद्धकर्म व तर्पण किया जाता है। मान्यतानुसार परिवार के मुख्य सदस्य क्षोरकर्म (सिर के बाल, दाढ़ी व मूंछ आदि मुंडवाना) मंत्रोच्चार की ध्वनि के साथ पितरों का श्राद्धकर्म करते है।
श्राद्धकर्म के पश्चात गौ, कौओं और श्वानों को आहार दिया जाता है। पिशाच मोचन में पिण्डदान की सदियों पुरानी परम्परा रही है। इसी के निमित्त आस्थावानों द्वारा हर वर्ष यहां कुण्ड पर पिण्डदान व श्राद्धकर्म कर गया में श्राद्धकर्म का संकल्प लिया जाता है।
श्राद्ध के कितने होते हैं प्रकार
श्राद्ध 12 प्रकार के होते हैं, जिसमें नित्य, नैमित्तिक, काम्य, वृद्धि, सपिण्डन, पार्वण, गोष्ठ, शुद्धयर्थ, कमांग, दैविक, औपचारिक, सांवत्सरिक श्राद्ध तक चलने वाले पितृपक्ष में प्रतिदिन पितरों को पिण्डदान व तर्पण करने की धार्मिंक मान्यता निभायी जायेगी।
श्राद्ध के कितने होते हैं प्रकार
श्राद्ध 12 प्रकार के होते हैं, जिसमें नित्य, नैमित्तिक, काम्य, वृद्धि, सपिण्डन, पार्वण, गोष्ठ, शुद्धयर्थ, कमांग, दैविक, औपचारिक, सांवत्सरिक श्राद्ध तक चलने वाले पितृपक्ष में प्रतिदिन पितरों को पिण्डदान व तर्पण करने की धार्मिंक मान्यता निभायी जायेगी।
गया से पहले काशी में होता है श्राद्ध
अपने पितरों के मुक्ति की कामना से पिशाच मोचन कुण्ड पर श्राद्ध और तर्पण करने के लिए लोगों की भीड़ पितृ पक्ष के महीने में जुटती है और मान्यता है कि जिन पूर्वजों की अकाल मृत्य हुई है, वो प्रेत योनी में जाते हैं और उनकी आत्मा भटकती है। इनकी शांति और मोक्ष के लिये यहां तर्पण का कार्य किया जाता है। गया का भी काफी महत्व है, लेकिन जो भी श्राद्ध करने की इच्छा रखता है वो पहले काशी आता है और उसके पश्चात ही गया प्रस्थान करता है।
पितरों का पिण्डदान व श्राद्धकर्म से जहां पितृ ऋण से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। साथ ही पितरों से धन-धान्य व यश की प्राप्ति के आशीष का द्वार भी खुल जाता है। इसलिए यह पूरी श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए।
पितरों का पिण्डदान व श्राद्धकर्म से जहां पितृ ऋण से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। साथ ही पितरों से धन-धान्य व यश की प्राप्ति के आशीष का द्वार भी खुल जाता है। इसलिए यह पूरी श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए।
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गुरुवार, 15 सितंबर 2016
दूसरी बार लीड रोल की राह देखा रही हैं फिल्मकार फराह खान
नई दिल्ली। बॉलीवुड की नृत्य निर्देशिक-फिल्मकार फराह खान दूसरी बार कैमरे के सामने आने के लिए बेताब हैं। मगर, उनको अभी तक ऐसा कोई किरदार ऑफर नहीं हुआ, जो उनके हिसाब से ठीक हो। हालांकि, प्रभुदेवा, सोनू सूद अभिनीत फिल्म तुतक तुतक तूतियां में कैमियो करते हुए नजर आएंगी।
गौरतलब है कि फराह खान ने 2012 में फिल्म ‘शीरीन फरहाद की तो निकल पड़ी’ से मुख्य भूमिका में फिल्मी पर्दे पर डेब्यू किया था। इसमें उनके साथ अभिनेता बोमन ईरानी थे।
फराह खान ने मुंबई से टेलीफोन पर आईएएनएस को बताया, ‘ईमानदारी से कहूं को यह प्रक्रिया बहुत परेशान करने वाली रही। फिर, मुझे अभी तक किसी दमकार किरदार का प्रस्ताव भी नहीं मिला है। हालांकि, कुछ लोग जब मुझे किसी प्रोग्राम में बोमन ईरानी के साथ देखते हैं तो फिल्म के सीक्वल के बारे में सवाल जरूर करते हैं। जबकि फिल्म का अगला भाग बनाना हमारे पर नहीं बल्कि निर्माता पर निर्भर करता है।’
ऐसा नहीं कि एक फिल्म करने के बाद दूसरी फिल्म करने के लिए सिर्फ फराह खान के पास कोई नहीं आया। बल्कि करन जौहर के साथ भी ऐसा हो चुका है। बॉम्बे वेलवेट से करन जौहर ने निर्देशन, निर्माता गिरी से आगे निकलते हुए अभिनय की दुनिया में कदम रखा था, जो पूरी तरह फ्लॉप साबित हुआ। और आज तक उनको कोई फिल्म ऑफर नहीं हुई
गौरतलब है कि फराह खान ने 2012 में फिल्म ‘शीरीन फरहाद की तो निकल पड़ी’ से मुख्य भूमिका में फिल्मी पर्दे पर डेब्यू किया था। इसमें उनके साथ अभिनेता बोमन ईरानी थे।
फराह खान ने मुंबई से टेलीफोन पर आईएएनएस को बताया, ‘ईमानदारी से कहूं को यह प्रक्रिया बहुत परेशान करने वाली रही। फिर, मुझे अभी तक किसी दमकार किरदार का प्रस्ताव भी नहीं मिला है। हालांकि, कुछ लोग जब मुझे किसी प्रोग्राम में बोमन ईरानी के साथ देखते हैं तो फिल्म के सीक्वल के बारे में सवाल जरूर करते हैं। जबकि फिल्म का अगला भाग बनाना हमारे पर नहीं बल्कि निर्माता पर निर्भर करता है।’
ऐसा नहीं कि एक फिल्म करने के बाद दूसरी फिल्म करने के लिए सिर्फ फराह खान के पास कोई नहीं आया। बल्कि करन जौहर के साथ भी ऐसा हो चुका है। बॉम्बे वेलवेट से करन जौहर ने निर्देशन, निर्माता गिरी से आगे निकलते हुए अभिनय की दुनिया में कदम रखा था, जो पूरी तरह फ्लॉप साबित हुआ। और आज तक उनको कोई फिल्म ऑफर नहीं हुई
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