साइंस के नाम पर कई वैज्ञानिक अजीबोगरीब तरह के बहुत से एक्सपेरिमेंट करते रहते हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे “Science facts” बताएंगे जो आपको शायद न पता हो.
1. वैज्ञानिक आज तक निश्चित नहीं कर पाए हैं, कि डायनासोर का रंग क्या था।
2. शुक्र ग्रह पर एक दिन पृथ्वी के एक साल से बड़ा होता है।
3. आपकी जानकारी के लिए बता दे -40 डिग्री फारेनहाइट -40 डिग्री सेल्सियस के बराबर है।
4. शनि ग्रह का घनत्व इतना कम हैं कि यदि कांच के किसी विशालकर बर्तन में पानी भरकर शनि को उसमें डाला जाये तो वह उसमें तैरने लगेगा।
5. तापमान चाहे कितना भी कम क्यों न हो जाए, गैसोलीन कभी भी नहीं जमता।
6. जब आप किसी सीधी चढ़ाई वाले पहाड़ पर चढ़ते हैं तो आपके घुटनों पर आपके शरीर का तीन गुना भार होता है।
7. अगर किसी एक आकाश गंगा के सारे तारे नमक के दाने जितने हो जाए तो वह Olympic का पूरा का पूरा Swimming pool भर सकते हैं.
8. हवा तब तक आवाज नही करती जब यह किसी वस्तु के विपरीत न चले.
9. बृहस्पति इतना बड़ा ग्रह हैं की यदि शेष सभी ग्रह को आपस में जोड़ दिया जाये तो वह संयुक्त ग्रह भी बृहस्पति से छोटा ही रहेगा।
10. एक व्यक्ति बिना खाने के एक महीना रह सकता है पर बिना पानी के 7 दिन. अगर शरीर में पानी की मात्रा 1 प्रतिशत से कम हो जाए तो आप प्यास महसूस करने लगते है. अगर यह मात्रा 10 प्रतिशत से कम हो जाए तो आप की मौत हो जाएगी.
11. अभी तक उल्का पिंड द्वारा सिर्फ एक ही बनावटी उपग्रह नष्ट किया गया है. यह उपग्रह European Space Agency का Olympics(1993) था.
12. एक नजरिये से तापमान मापने के लिए Celsius स्केल Fahrenheit स्केल से ज्यादा अक्लमंदी से बनाया गया. पर इसके निर्माता Andero Celsius एक अनोखे वैज्ञानिक थे. जब उन्होंने पहली बार इस स्केल को विकसित किया, उन्होंने गलती से जमा दर्जा 100 और ऊबाल दर्जा 0 डिग्री बनाया. पर कोई भी उन्हें इस गलती को कहने का हौसला न कर सका, सों बाद के वैज्ञानिकों ने सकेल को ठीक करने के लिए उनकी मृत्यु का इंतजार किया.
13. Albert Einestein के अनुसार हम रात को आकाश में लाखों तारे देखते है जगह नही होते बल्कि कही और होते है. हमें तों उनके द्वारा छोडा गया कई लाख प्रकाश साल पहले का प्रकाश होता है.
14. आम तौर पे classes में पढ़ाया जाता है कि प्रकाश की गति 3 लाख किलोमीटर प्रति सैकेंड होती है. पर असल में यह गति 2,99,792 किलोमीटर प्रति सैकेंड होती है. यह 1,86,287 मील प्रति सैकेंड के बराबर होती है.
15. October 1992 में लंदन के आकार जितना बड़ा बर्फ का गोला Antarctic से टूट कर अलग हो गया था.
16. अगर हम प्रकाश की गति से अपनी नजदीकी गैलैक्सी (Galaxy) पर जाना चाहे तो हमें 20 साल लगेगें.
17. विश्व की सबसे भारी धातु ऑस्मियम है। इसकी 2 फुट लंबी, चौड़ी व ऊँची सिल्ली का वज़न एक हाथी के बराबर होता है।
18. जब पानी से बर्फ बन रही होती तो लगभग 10% पानी तो उड़ ही जाता है. इसलिए ही हमारे फ्रिज में Tray (ट्रे) पर पानी जमा हो जाता है.
19. दुनिया के सबसे महंगे पदार्थ की कीमत सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। ये कोई सोना, चांदी या हीरा नहीं। आप गलतफहमी में हैं कि ये सारे सबसे मंहगे हैं है। दुनिया की सबसे महंगा पदार्थ एंटीमैटर(प्रतिपदार्थ) है। प्रतिपदार्थ पदार्थ का एक ऐसा प्रकार है जो प्रतिकणों जैसे पाजीट्रान, प्रति-प्रोटान, प्रति-न्युट्रान मे बना होता है. ये प्रति-प्रोटान और प्रति-न्युट्रान प्रति क्वार्कों मे बने होते हैं. इसकी कीमत सुनकर आपके होश उड़ जायेंगे। 1 ग्राम प्रतिपदार्थ को बेचकर दुनिया के 100 छोटे-छोटे देशों को खरीदा जा सकता है। इसकी 1 ग्राम प्रतिपदार्थ की कीमत 31 लाख 25 हजार करोड़ रुपये है। नासा के अनुसार, प्रतिपदार्थ धरती का सबसे महंगा मैटीरियल है। 1 मिलिग्राम प्रतिपदार्थ बनाने में 160 करोड़ रुपये तक लग जाते हैं। जहां यह बनता है, वहां पर दुनिया की सबसे अच्छी सुरक्षा व्यवस्था मौजूद है। इतना ही नहीं नासा जैसे संस्थानों में भी इसे रखने के लिए एक मजबुत सुरक्षा घेरा है। कुछ खास लोगों के अलावा प्रतिपदार्थ तक कोई भी नहीं पहुंच सकता है। दिलचस्प है कि प्रतिपदार्थ का इस्तेमाल अंतरिक्ष में दूसरे ग्रहों पर जाने वाले विमानों में ईधन की तरह किया जा सकता है।
20. न्युट्रॉन तारे इतने घने होते हैं कि उनका आकार तो एक गोल्फ बाल जितना होता है मगर द्रव्यमान(वज़न) 90 अरब किलोग्राम होता है.
21. अगर धरती का आकार एक मटर जितना कर दें तो बृहस्पति इससे 300 मीटर दूर होगा और प्लुटो 2.5 किलोमीटर . मगर प्लुटो आपको दिखेगा नही क्योंकि तब इसका आकार एक बैक्टीरिया जितना होगा.
22. सूर्य द्वारा छोड़े गए 800 अरब से ज्यादा न्यूट्राॅन आपके शरीर में से गुजर गये होंगे जब तक आपने ये वाक्य पढ़ा है।
23. विश्व के विद्युत उत्पादन का एक तिहाई सिर्फ बल्बों के द्वारा प्रकाश पाने में खर्च होता है।
24. हर घंटे यूनिवर्स सभी दिशाओ में 1 बिलियन माइल्स से भी ज्यादा फैल जाती है।
बुधवार, 31 अगस्त 2016
साइंस की 24 ऐसी बातें जिसे पढ़कर हिल जायेगा आपका भी दिमाग
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जरा हटके
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
आखिर क्यों भगवन शिव पहनते है शेर की खाल
शिव इकलौते ऐसे भगवान हैं, जो स्वर्ग से दूर हिमालय की सर्द चट्टानों पर अपना घर बनाये हुए हैं| हाथ में त्रिशूल, गले में नाग, सिर पर गंगा और शेर की खाल पहने शिव की हर एक चीज़ से कोई न कोई कहानी जुड़ी हुई है| पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर शेर की खाल क्यों पहनते है? शिव पुराण के मुताबिक एक बार शिव घने जंगलों में नंगे घूम रहे थे| घूमते-घूमते वो जंगल में बसे एक गांव में पहुंच गए, जहां उन्हें नंगा देखकर गांव की औरतें उनकी तरफ आकर्षित होने लगीं| इस बात से अनजान शिव लगातार नंगे ही घूम रहे थे|
शिव की इस हरकत पर गांव में रहने वाले साधु-संत क्रोधित हुए और उन्होंने शिव को सबक सिखाने का निश्चय किया| उन लोगों ने शिव के रास्ते में गड्ढा किया और उसमें एक शेर को शिव को मारने के लिए छोड़ दिया, पर शिव ने लोगों की चाल को नाकाम करते हुए शेर को चन्द मिनटों में मार दिया और शेर की खाल को पहन लिया| शेर की खाल को इस तरह पहनना बुराई पर अच्छाई का प्रतीक बना और शिव के साथ जुड़ गया| इसके बाद गांव वालों को समझ में आ गया कि यह कोई आम इंसान नहीं बल्कि साक्षात भगवान शिव हैं| .
शिव की इस हरकत पर गांव में रहने वाले साधु-संत क्रोधित हुए और उन्होंने शिव को सबक सिखाने का निश्चय किया| उन लोगों ने शिव के रास्ते में गड्ढा किया और उसमें एक शेर को शिव को मारने के लिए छोड़ दिया, पर शिव ने लोगों की चाल को नाकाम करते हुए शेर को चन्द मिनटों में मार दिया और शेर की खाल को पहन लिया| शेर की खाल को इस तरह पहनना बुराई पर अच्छाई का प्रतीक बना और शिव के साथ जुड़ गया| इसके बाद गांव वालों को समझ में आ गया कि यह कोई आम इंसान नहीं बल्कि साक्षात भगवान शिव हैं| .
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ज्योतिष
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
क्या बॉलीवुड को छोड़कर हॉलीवुड जाएंगी प्रियंका ?
मुम्बई। चर्चा है कि यदि ‘क्वांटिको 2’ को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिलती है तो बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा कुछ साल के लिए लॉस एजेंलिस बसने का मूड बना सकती हैं। ‘क्वांटिको 2’ सितंबर से शुरू होने जा रहा है, जिसको लेकर प्रियंका चोपड़ा काफी उत्साहित हैं।
जैसे ही ख़बर मुम्बई से लॉस एजेंलिस बसने की ख़बर प्रियंका चोपड़ा तक पहुंची तो प्रियंका ने ख़बर पर तत्काल प्रतिक्रिया करते हुए कहा, ‘मैं वास्तव में मजेदार ख़बर के साथ जागी हूं। मैं न्यूयॉर्क में ‘क्वांटिको’ का फिल्मांकन कर रही हूं। मुम्बई में मेरा घर है। तस्वीर में लॉस एंजेलिस कही नहीं है।’
दरअसल, रिपोर्ट में दावा किया गया था कि बाजीराव मस्तानी अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा अब अमेरिका में ही शिफ्ट होने के बारे में विचार कर रही हैं। यदि उनके धारावाहिक ‘क्वांटिको 2’ को अच्छ़ी प्रतिक्रिया मिलता है, तो प्रियंका लगभग अगले कुछ सालों के लिए अमेरिका के लॉस एंजिलिस में ही शिफ्ट हो जाएंगी।
कुछ मीडिया रिपोर्टों का कहना है कि प्रियंका चोपड़ा को हॉलीवुड से अच्छे प्रस्ताव आ रहे हैं। ऐसे में वहां शूटिंग के दौरान ठहरने में कोई दिक्कत परेशानी न हो, इसलिए प्रियंका चोपड़ा ने लॉस एजेंलिस में खुद का एक अपार्टमेंट खरीद लिया है।
जैसे ही ख़बर मुम्बई से लॉस एजेंलिस बसने की ख़बर प्रियंका चोपड़ा तक पहुंची तो प्रियंका ने ख़बर पर तत्काल प्रतिक्रिया करते हुए कहा, ‘मैं वास्तव में मजेदार ख़बर के साथ जागी हूं। मैं न्यूयॉर्क में ‘क्वांटिको’ का फिल्मांकन कर रही हूं। मुम्बई में मेरा घर है। तस्वीर में लॉस एंजेलिस कही नहीं है।’
दरअसल, रिपोर्ट में दावा किया गया था कि बाजीराव मस्तानी अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा अब अमेरिका में ही शिफ्ट होने के बारे में विचार कर रही हैं। यदि उनके धारावाहिक ‘क्वांटिको 2’ को अच्छ़ी प्रतिक्रिया मिलता है, तो प्रियंका लगभग अगले कुछ सालों के लिए अमेरिका के लॉस एंजिलिस में ही शिफ्ट हो जाएंगी।
कुछ मीडिया रिपोर्टों का कहना है कि प्रियंका चोपड़ा को हॉलीवुड से अच्छे प्रस्ताव आ रहे हैं। ऐसे में वहां शूटिंग के दौरान ठहरने में कोई दिक्कत परेशानी न हो, इसलिए प्रियंका चोपड़ा ने लॉस एजेंलिस में खुद का एक अपार्टमेंट खरीद लिया है।
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
अदाकारा प्रिया मलिक ने ब्रा उतारकर ली सेल्फी, जानिए! क्यों?
मुम्बई। बात रखने का हर किसी का अपना अपना तरीका होता है। बॉलीवुड की एक अदाकारा प्रिया मलिक ने अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए स्वयं को ब्रा रहित कर लिया।
जी हां। प्रिया मलिक को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड पर गुस्सा था। हालांकि, बोर्ड ने प्रिया मलिक का कुछ नुकसान नहीं किया। मगर, बोर्ड ने ‘बार बार देखो’ की जांच के दौरान ब्रा मत दिखाओ का सुझाव फिल्म निर्माताओं को दे दिया।
बोर्ड का सुझाव जंगल में लगी आग की तरह फैला। सोशल मीडिया पर बोर्ड की हर बार की तरह जम कर खिंचाई हुई। विरोध जाहिर करने वालों में प्रिया मलिक भी शामिल हुई। प्रिया मलिक ने अपने तरीके से रोष जाहिर किया।
प्रिया मलिक ने अपने सोशल मीडिया खाते पर एक तस्वीर साझा की। इस तस्वीर में प्रिया मलिक बिना ब्रा के टॉप पहने नजर आई और ब्रा पीछे हैंगर पर टंकी नजर आई। कैप्शन के तौर पर प्रिया मलिक द फ्री निप्पल का हैशटैग बनाया।
प्रिया मलिक ने एक अन्य पोस्ट में लिखा, ‘सेंसर बोर्ड चाहता है कि कैटरीना ने जिस सीन में ब्रा पहनी है उसे हटा दिया जाए। शायद हमारी इनर वियर संस्कारी नहीं है इसलिए इसे हटा दिया गया।’
जी हां। प्रिया मलिक को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड पर गुस्सा था। हालांकि, बोर्ड ने प्रिया मलिक का कुछ नुकसान नहीं किया। मगर, बोर्ड ने ‘बार बार देखो’ की जांच के दौरान ब्रा मत दिखाओ का सुझाव फिल्म निर्माताओं को दे दिया।
बोर्ड का सुझाव जंगल में लगी आग की तरह फैला। सोशल मीडिया पर बोर्ड की हर बार की तरह जम कर खिंचाई हुई। विरोध जाहिर करने वालों में प्रिया मलिक भी शामिल हुई। प्रिया मलिक ने अपने तरीके से रोष जाहिर किया।
प्रिया मलिक ने अपने सोशल मीडिया खाते पर एक तस्वीर साझा की। इस तस्वीर में प्रिया मलिक बिना ब्रा के टॉप पहने नजर आई और ब्रा पीछे हैंगर पर टंकी नजर आई। कैप्शन के तौर पर प्रिया मलिक द फ्री निप्पल का हैशटैग बनाया।
प्रिया मलिक ने एक अन्य पोस्ट में लिखा, ‘सेंसर बोर्ड चाहता है कि कैटरीना ने जिस सीन में ब्रा पहनी है उसे हटा दिया जाए। शायद हमारी इनर वियर संस्कारी नहीं है इसलिए इसे हटा दिया गया।’
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सिनेजगत
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
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गणेश चतुर्थी को व्रत रखने से विपदाएं होती है दूर
भगवान गणेश के जन्मदिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। पंडितों का कहना है कि इस बार गणेश चतुर्थी 5 सितंबर को रही है। गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिन के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है। यह दिनगणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है।
गणेश चतुर्थी के इस व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदा दूर होती है, कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य संपन्न होते है तथा भगवान श्रीगणेश असीम सुखों की प्राप्ति कराते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन किया जाए तो हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
गणेश चतुर्थी के इस व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदा दूर होती है, कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य संपन्न होते है तथा भगवान श्रीगणेश असीम सुखों की प्राप्ति कराते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन किया जाए तो हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
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मंगलवार, 30 अगस्त 2016
‘जग्गा जासूस’ कहीं आपका दिल न तोड़ दे
मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ अभिनीत फिल्म ‘जग्गा जासूस’ को लेकर एक नई बात सामने आई है। हो सकता है कि इस बात से उन दर्शकों को झटका लग जाए, जो कैटरीना कैफ और रणबीर कपूर की रोमांटिक जोड़ी को बड़े पर्दे पर लव शब करते हुए देखना चाहते हैं।
जी हां, फिल्म निर्देशक अनुराग बासु ने फिल्म के बारे में एक ऐसा खुलासा किया है, जो आपके रोमांच को थोड़ा सा कम कर सकता है, यदि आप जग्गा जासूस से रोमांस की अधिक उम्मीदें लगाए हुए हैं।
नये रियलिटी शो सुपर डांसर को प्रोमोट करने निकले अनुराग बासु ने मीडिया चर्चा के दौरान कहा, ‘मेरी पिछली फिल्म बर्फी देखने के बाद हर कोई मुझे बधाईयां दे रहा था। मगर, अफसोस इस बात का था कि फिल्म मेरी छोटी बेटी को पसंद नहीं आई। मुझे दुख हुआ। मैंने तब बच्चों को ध्यान में रखकर फिल्म बनाने की सोची और जग्गा जासूस ऐसी फिल्म है, जो बच्चों को पसंद आएगी।’
गौरतलब है कि अनुराग बासु निर्देशित जग्गा जासूस 7 अप्रैल 2017 को रिलीज होने की संभावना है। फिल्म में कैटरीना कैफ और रणबीर कपूर के अलावा अदा शर्मा भी हैं।
जी हां, फिल्म निर्देशक अनुराग बासु ने फिल्म के बारे में एक ऐसा खुलासा किया है, जो आपके रोमांच को थोड़ा सा कम कर सकता है, यदि आप जग्गा जासूस से रोमांस की अधिक उम्मीदें लगाए हुए हैं।
नये रियलिटी शो सुपर डांसर को प्रोमोट करने निकले अनुराग बासु ने मीडिया चर्चा के दौरान कहा, ‘मेरी पिछली फिल्म बर्फी देखने के बाद हर कोई मुझे बधाईयां दे रहा था। मगर, अफसोस इस बात का था कि फिल्म मेरी छोटी बेटी को पसंद नहीं आई। मुझे दुख हुआ। मैंने तब बच्चों को ध्यान में रखकर फिल्म बनाने की सोची और जग्गा जासूस ऐसी फिल्म है, जो बच्चों को पसंद आएगी।’
गौरतलब है कि अनुराग बासु निर्देशित जग्गा जासूस 7 अप्रैल 2017 को रिलीज होने की संभावना है। फिल्म में कैटरीना कैफ और रणबीर कपूर के अलावा अदा शर्मा भी हैं।
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
सूर्य ग्रहण के समय क्या करें दान
ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो खगोलीय पिंडों की विशेष अवस्था व स्थिति के कारण घटती है। वे खगोलीय पिंड पृथ्वी, सूर्य व चंद्रमा जैसे ग्रह, उपग्रह हो सकते हैं। इस दौरान इन पिंडों द्वारा उत्पन्न प्रकाश इन पिंडों के कारण ही अवरूद्ध हो जाता है। भारतीय ज्योतिष में ग्रहणों का बहुत महत्व है क्योंकि उनका सीधा प्रभाव मानव जीवन पर देखा जाता है। चंद्रमा के पृथ्वी के सबसे नजदीक होने के कारण उसके गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। इसी कारण पूर्णिमा के दिन समुद्र में सबसे अधिक ज्वार आते हैं और ग्रहण के दिन उनका प्रभाव और अधिक हो जाता है। भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं। यही भूकंप यदि समुद्र के तल में आते है, तो सुनामी में बदल जाते हैं। ग्रहण अधिकाशंतः किसी न किसी आने वाली विपदा को दर्शाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के समय दिया हुआ दान, जप, तीर्थ, स्नानादि का फल अनेक गुणा होता है। लेकिन यदि रविवार को सूर्य ग्रहण हो तो फल कोटि गुणा होता है।
क्या करें दान?
* ग्रहण समाप्ति पर दान करना चाहिए। ओम् नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
* जिनकी साढ़ेसाती चल रही हो वे जातक अपने वजन के बराबर तुलादान कर सकते हैं या 12 किलो ऐसा अनाज अलग-अलग लिफाफों में डालकर दान दे सकते हैं।
* कालसर्प दोष के जातक विशेष जाप, महामृत्युंजय मंत्र व राहु-केतू के मंत्र जप सकते हैं।
* व्यापार वृद्धि हेतु गल्ले में दक्षिणावर्त शंख, 7 लघु नारियल, 7 गोमती चक्र रखें।
* रोग मुक्ति हेतु ग्रहण काल में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए महामृत्युंजय यंत्र का अभिषेक करें। कांसे की कटोरी में पिघला देसी घी भरें, एक रुपया या चांदी या सोने का सिक्का या टुकड़ा डालें। इसमें रोगी अपनी छाया देखें और दान कर दें।
* धन प्राप्ति के लिए श्री यंत्र या कुबेर यंत्र पूजा स्थान पर अभिमंत्रित करवा के रखें।
* ग्रहण काल में कालसर्प योग या राहु दोष की शांति किसी सुयोग्य कर्मकांडी द्वारा करवाएं।
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वेद पुराण के अनुसार झाडू को भी सम्मान देना चाहिए
घर की अन्य वस्तुओं की भांति झाडू का भी अपना महत्व है। झाडू केवल गंदगी ही साफ नहीं करता अपितु घर की दरिद्रता को भी दूर करता है। हिंदू धर्म में झाडू को देवी लक्ष्मी का सूचक माना जाता है। इससे संबंधित शकुन और अपशकुन व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं।
वास्तु के अनुसार झाडू से संबंधित कुछ मान्यताओं को अपनाने से परेशानियों से बचा जा सकता है।
हिंदू धर्म में झाडू को देवी लक्ष्मी का सूचक माना जाता है, इसलिए झाडू पर पैर नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करना देवी लक्ष्मी का अपमान माना जाता है और इससे आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।
झाडू को सदैव ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहां किसी की दृष्टि न पड़े।
वास्तुशास्त्र के अनुसार झाडू को इधर-उधर रखने से धन के आगमन में रुकावट पैदा होती है और आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है।
जिस प्रकार देवी लक्ष्मी को सम्मान दिया जाता है उसी प्रकार झाडू को भी देना चाहिए।
सूर्यास्त के पश्चात घर में झाडू नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है।
झाडू को कभी भी खड़ा करके नहीं रखना चाहिए। इस प्रकार झाडू रखना अपशकुन माना जाता है, इसलिए इसे लेटाकर रखें।
शनिवार वाले दिन नई झाडू का उपयोग करना शुभ माना जाता है।
वास्तु के अनुसार टूटे हुए झाडू का उपयोग न करें। टूटी हुई झाडू से घर की सफाई करने से कई प्रकार की परेशानियों का आगमन होता है।
झाडू को पश्चिम दिशा के किसी कमरे में रखना अच्छा माना जाता है और इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा भी नहीं आती है।
वास्तु के अनुसार झाडू से संबंधित कुछ मान्यताओं को अपनाने से परेशानियों से बचा जा सकता है।
हिंदू धर्म में झाडू को देवी लक्ष्मी का सूचक माना जाता है, इसलिए झाडू पर पैर नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करना देवी लक्ष्मी का अपमान माना जाता है और इससे आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।
झाडू को सदैव ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहां किसी की दृष्टि न पड़े।
वास्तुशास्त्र के अनुसार झाडू को इधर-उधर रखने से धन के आगमन में रुकावट पैदा होती है और आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है।
जिस प्रकार देवी लक्ष्मी को सम्मान दिया जाता है उसी प्रकार झाडू को भी देना चाहिए।
सूर्यास्त के पश्चात घर में झाडू नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है।
झाडू को कभी भी खड़ा करके नहीं रखना चाहिए। इस प्रकार झाडू रखना अपशकुन माना जाता है, इसलिए इसे लेटाकर रखें।
शनिवार वाले दिन नई झाडू का उपयोग करना शुभ माना जाता है।
वास्तु के अनुसार टूटे हुए झाडू का उपयोग न करें। टूटी हुई झाडू से घर की सफाई करने से कई प्रकार की परेशानियों का आगमन होता है।
झाडू को पश्चिम दिशा के किसी कमरे में रखना अच्छा माना जाता है और इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा भी नहीं आती है।
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इंसानों से ज्यादा गहने पहनते हैं कंकाल
रोम। भारत सहित दुनिया के अधिकांश देशों में महिलाओं और पुरुषों को गहने पहनने का शौक है। यह शौक आज नहीं बल्कि जब से मानव सभ्यता का विकास हुआ तब से है। लेकिन क्या आप जानते हैं मरने के बाद इंसानों के कंकाल भी गहने पहनते हैं। आपका जवाब होगा नहीं, लेकिन एक ऐसी भी जगह है जहां इंसानों से ज्यादा कंकाल गहने पहने दिखाई देते हैं।
साल 1578 के दौरान रोम की सड़क के नीचे कुछ रहस्यमयी कब्रों की खोज हुई थी। इसी दौरान इन कंकालों को कब्रों से बाहर निकाला गया था। ये कब्र उन लोगों की थीं, जो बहादुरी और ईसाई मान्यताओं के अटूट समर्थन की वजह से संत माने गए। इन कब्र और कंकालों को ‘द कैटाकोम्ब संत’ कहा गया।
इस संतों के कंकालों को पूरे यूरोप में बांटा गया। इन्हें खासकर उन चर्चों में भेजा गया, जहां सुधारवादी आंदोलन के दौरान पवित्र चीजों को नुकसान पहुंचाया या चोरी कर लिया गया था। यूरोपियन चर्चों में इन कंकालों को कीमती जेवरात और कपड़ों से लादकर रखा गया है। इससे ये संदेश देने की कोशिश की गई कि पैसा और अमीरी मौत के बाद भी उनका इंतजार कर रही है।
साल 1578 के दौरान रोम की सड़क के नीचे कुछ रहस्यमयी कब्रों की खोज हुई थी। इसी दौरान इन कंकालों को कब्रों से बाहर निकाला गया था। ये कब्र उन लोगों की थीं, जो बहादुरी और ईसाई मान्यताओं के अटूट समर्थन की वजह से संत माने गए। इन कब्र और कंकालों को ‘द कैटाकोम्ब संत’ कहा गया।
इस संतों के कंकालों को पूरे यूरोप में बांटा गया। इन्हें खासकर उन चर्चों में भेजा गया, जहां सुधारवादी आंदोलन के दौरान पवित्र चीजों को नुकसान पहुंचाया या चोरी कर लिया गया था। यूरोपियन चर्चों में इन कंकालों को कीमती जेवरात और कपड़ों से लादकर रखा गया है। इससे ये संदेश देने की कोशिश की गई कि पैसा और अमीरी मौत के बाद भी उनका इंतजार कर रही है।
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जरा हटके
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‘ए दिल है मुश्किल’ के टीजर में रोमांस ड्रामा
मुम्बई। करन जौहर निर्देशित रोमांटिक फिल्म ‘ए दिल है मुश्किल’ का टीजर रिलीज हो चुका है। कुछ कुछ होता है से निर्देशन में कदम रखने वाले करन जौहर का निर्देशन किस स्तर पर पहुंच चुका है, ये तो फिल्म रिलीज होने के बाद ही पता चलेगा। चलो, बात करते हैं ‘ए दिल है मुश्किल’ के टीजर की।
रणबीर कपूर, ऐश्वर्या राय बच्चन और अनुष्का शर्मा अभिनीत फिल्म ‘ए दिल है मुश्किल’ का टीजर रोमांस, इमोशन और खुशनुमा पलों से भरा हुआ है। 1:33 मिनट के टीजर में करन जौहर की टीम ने काफी कुछ समेटने की कोशिश की है। इस टीजर में हर किरदार को दिखाया गया है।
‘ए दिल है मुश्किल’ के टीजर में आपको एक साफ त्रिकोणी प्रेमी कहानी नजर आएगी। हालांकि, करण जौहर ने इस बात को छुपाकर रखा है कि रणबीर कपूर अनुष्का शर्मा या ऐश्वर्या राय बच्चन से प्यार करते हैं। दोनों के साथ रणबीर कपूर रोमांस करते नजर आते हैं। हालांकि, ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ वाले सीन अधिक रोमांटिक और भावपूर्ण है।
रणबीर कपूर और ऐश्वर्या राय बच्चन दोनों एक दूसरे के साथ फ्रेम में बिलकुल फिट बैठते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसा बिलकुल आभास नहीं होता कि ऐश्वर्या राय बच्चन उम्र के उस पड़ाव पर पहुंच चुकी हैं, जहां लीड लेडी रोल मिलना बेहद मुश्किल है, वो भी रोमांटिक।
ये सीन इसलिए भी वास्तविक से लगते हैं क्योंकि ऐश्वर्या बच्चन देवदास और हम दिल दे चुके सनम जैसी फिल्मों में इस तरह के भावनात्मक किरदार अदा कर चुकी हैं। ऐश्वर्या राय बच्चन को रोमांटिक सीन शूट करते हैं। करन जौहर का काम ‘ए दिल है मुश्किल’ देखने की उत्सुकता जगाता है।
रणबीर कपूर, ऐश्वर्या राय बच्चन और अनुष्का शर्मा अभिनीत फिल्म ‘ए दिल है मुश्किल’ का टीजर रोमांस, इमोशन और खुशनुमा पलों से भरा हुआ है। 1:33 मिनट के टीजर में करन जौहर की टीम ने काफी कुछ समेटने की कोशिश की है। इस टीजर में हर किरदार को दिखाया गया है।
‘ए दिल है मुश्किल’ के टीजर में आपको एक साफ त्रिकोणी प्रेमी कहानी नजर आएगी। हालांकि, करण जौहर ने इस बात को छुपाकर रखा है कि रणबीर कपूर अनुष्का शर्मा या ऐश्वर्या राय बच्चन से प्यार करते हैं। दोनों के साथ रणबीर कपूर रोमांस करते नजर आते हैं। हालांकि, ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ वाले सीन अधिक रोमांटिक और भावपूर्ण है।
रणबीर कपूर और ऐश्वर्या राय बच्चन दोनों एक दूसरे के साथ फ्रेम में बिलकुल फिट बैठते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसा बिलकुल आभास नहीं होता कि ऐश्वर्या राय बच्चन उम्र के उस पड़ाव पर पहुंच चुकी हैं, जहां लीड लेडी रोल मिलना बेहद मुश्किल है, वो भी रोमांटिक।
ये सीन इसलिए भी वास्तविक से लगते हैं क्योंकि ऐश्वर्या बच्चन देवदास और हम दिल दे चुके सनम जैसी फिल्मों में इस तरह के भावनात्मक किरदार अदा कर चुकी हैं। ऐश्वर्या राय बच्चन को रोमांटिक सीन शूट करते हैं। करन जौहर का काम ‘ए दिल है मुश्किल’ देखने की उत्सुकता जगाता है।
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
सोमवार, 29 अगस्त 2016
अमिताभ बच्चन मेरे स्टाइल आइकॉन है: रणबीर कपूर
मुंबई| फिल्म अभिनेता रणबीर कपूर का कहना है कि महानायक अमिताभ बच्चन उनके स्टाइल आइकॉन है।
कपूर ने पीटीआई :भाषा: को दिए साक्षात्कार में बताया, ‘‘मेरे बचपन से ही अमिताभ बच्चन मेरे स्टाइल आइकॉन रहे हंै। यहां तक कि अभी तक वे सर्वश्रेष्ठ अभिनेता हैं और आप उन्हें सुखिर्यों से दूर नहीं रख सकते हैं।’’ फिल्म ‘‘ये जवानी है दीवानी’’ के अभिनेता ने फैशन डिजाइनर कुनाल रावल के लिए लक्मे फैशन वीक विंटर फेस्टिवल 2016 में रैंप वॉक किया है। उनका कहना है कि उनकी दादी कृष्णा राज कपूर उनके लिए ‘‘सर्वाधिक स्टाइलिश महिला’’ हैं।
जब बात व्यक्तिगत स्टाइल की आती है तो ऐसे में कपूर का कहना है कि वह एक फैशन आइकॉन के रूप में अपनी पहचान नहीं बनाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जो हमेशा जींस, टी-शर्ट, टोपी और जूता पहना हुआ दिखता है, मैं नहीं समझता कि क्यों कोई व्यक्ति मेरे स्टाइल को अपनाएगा। मैं फैशन के ब्लॉगों को नहीं पढ़ता हूं और न ही ये सब मेरे लिए महत्वपूर्ण है।
कपूर ने पीटीआई :भाषा: को दिए साक्षात्कार में बताया, ‘‘मेरे बचपन से ही अमिताभ बच्चन मेरे स्टाइल आइकॉन रहे हंै। यहां तक कि अभी तक वे सर्वश्रेष्ठ अभिनेता हैं और आप उन्हें सुखिर्यों से दूर नहीं रख सकते हैं।’’ फिल्म ‘‘ये जवानी है दीवानी’’ के अभिनेता ने फैशन डिजाइनर कुनाल रावल के लिए लक्मे फैशन वीक विंटर फेस्टिवल 2016 में रैंप वॉक किया है। उनका कहना है कि उनकी दादी कृष्णा राज कपूर उनके लिए ‘‘सर्वाधिक स्टाइलिश महिला’’ हैं।
जब बात व्यक्तिगत स्टाइल की आती है तो ऐसे में कपूर का कहना है कि वह एक फैशन आइकॉन के रूप में अपनी पहचान नहीं बनाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जो हमेशा जींस, टी-शर्ट, टोपी और जूता पहना हुआ दिखता है, मैं नहीं समझता कि क्यों कोई व्यक्ति मेरे स्टाइल को अपनाएगा। मैं फैशन के ब्लॉगों को नहीं पढ़ता हूं और न ही ये सब मेरे लिए महत्वपूर्ण है।
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पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
मुरादें पूरी होंगी पर पहले लोकड़ा चोरी करो
उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। यहां कई चमत्कारी मंदिर हैं। लोगों का मानना है कि यहां सारी मुरादें पूरी होती हैं। हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताते हैं। यहां चुड़ियाला गांव में सिद्धपीठ चूड़ामणि देवी का एक चमत्कारी मंदिर है।
चूड़ामणि देवी के मंदिर में आना है, तो आपको अपनी सभ्यता घर पर ही छोड़ कर आना पड़ेगा। इस मंदिर में चोरी करने पर आपकी मुरादें पूरी होंगी। देवभूमि के इस मंदिर की कहानी इस प्रकार है।
बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1805 में लंढौरा रियासत के राजा द्वारा किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि राजा एक बार शिकार करने जंगल गए, तो वहां उन्हें माता की पिंडी के दर्शन हुए। राजा का कोई पुत्र नहीं था।
मान्यता यह है कि अगर आप पुत्र की चाह रखते हैं, तो ऐसे में आपको मंदिर में आकर माता के चरणों में रखा लोकड़ा चोरी करके अपने साथ ले जाएं। उसके बाद आपके घर में बेटा पैदा होता है। जब आपकी मान्यता पूरी हो जाए फिर आपको वहां जाकर माथा टेकना होता है।
चूड़ामणि देवी के मंदिर में आना है, तो आपको अपनी सभ्यता घर पर ही छोड़ कर आना पड़ेगा। इस मंदिर में चोरी करने पर आपकी मुरादें पूरी होंगी। देवभूमि के इस मंदिर की कहानी इस प्रकार है।
बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1805 में लंढौरा रियासत के राजा द्वारा किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि राजा एक बार शिकार करने जंगल गए, तो वहां उन्हें माता की पिंडी के दर्शन हुए। राजा का कोई पुत्र नहीं था।
राजा ने उसी समय माता से पुत्र प्राप्ति का वरदान मांगा। उनकी यह मुराद पूरी हो गई। मन्नत पूरी होने पर राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया। तभी से इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर में लोग पुत्र प्राप्ति के लिए दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं।
मान्यता यह है कि अगर आप पुत्र की चाह रखते हैं, तो ऐसे में आपको मंदिर में आकर माता के चरणों में रखा लोकड़ा चोरी करके अपने साथ ले जाएं। उसके बाद आपके घर में बेटा पैदा होता है। जब आपकी मान्यता पूरी हो जाए फिर आपको वहां जाकर माथा टेकना होता है।
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कौन कर रही है एमएस धोनी का इंतजार!
मुंबई। इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के फैन फिल्म एमएस धोनी – द अनटोल्ड स्टोरी का इंतजार कर रहे हैं। मगर, कोई और भी है, जिसको सुशांत सिंह राजपूत के अभिनय पर यकीनन है, जिसको एमएस धोनी के जीवन पर बनी फिल्म एमएस धोनी – द अनटोल्ड स्टोरी का बेसब्री से इंतजार है।
जी हां, राब्ता को-स्टार कृति सेनन को सुशांतसिंह राजपूत की आगामी फिल्म ‘एमएस धोनी – द अनटोल्ड स्टोरी’ के रिलीज होने का बेसब्री से इंतजार है।
एक फैशन समारोह में कृति सेनन ने कहा, “सुशांतसिंह राजपूत बेहतरीन अभिनेता हैं। मुझे पता है कि सुशांतसिंह राजपूत काफी कड़ी मेहनत करते हैं और यह फिल्म भी अच्छी लग रही है। और धोनी एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनकी कहानी देखना मैं भी पसंद करूंगी। मेरे कई दोस्त हैं जो धोनी के प्रशंसक हैं।”
बॉलीवुड अभिनेत्री ने किसी का नाम न लेते हुए कहा, “मैं सिर्फ शूटिंग कर रही थी। मैं सिर्फ छुट्टियां मनाने नहीं जाती। काम सच में अच्छा चल रहा है।” दरअसल, चर्चा जोरों पर है कि अभिनेत्री कृति सेनन आजकल सुशांतसिंह राजपूत के साथ छुट्टियों का आनंद ले रही हैं। सुशांतसिंह राजपूत अंकिता लोखंडे से अलग हो चुके हैं, और पूरा ध्यान अपने फिल्मी कैरियर पर लगा रहे हैं।
गौरतलब है कि नीरज पांडे निर्देशित ‘एमएस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी’ 30 सितंबर को रिलीज होगी। इस फिल्म में दिशा पाटनी, कियारा अडवानी मुख्य भूमिका में हैं।
जी हां, राब्ता को-स्टार कृति सेनन को सुशांतसिंह राजपूत की आगामी फिल्म ‘एमएस धोनी – द अनटोल्ड स्टोरी’ के रिलीज होने का बेसब्री से इंतजार है।
एक फैशन समारोह में कृति सेनन ने कहा, “सुशांतसिंह राजपूत बेहतरीन अभिनेता हैं। मुझे पता है कि सुशांतसिंह राजपूत काफी कड़ी मेहनत करते हैं और यह फिल्म भी अच्छी लग रही है। और धोनी एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनकी कहानी देखना मैं भी पसंद करूंगी। मेरे कई दोस्त हैं जो धोनी के प्रशंसक हैं।”
बॉलीवुड अभिनेत्री ने किसी का नाम न लेते हुए कहा, “मैं सिर्फ शूटिंग कर रही थी। मैं सिर्फ छुट्टियां मनाने नहीं जाती। काम सच में अच्छा चल रहा है।” दरअसल, चर्चा जोरों पर है कि अभिनेत्री कृति सेनन आजकल सुशांतसिंह राजपूत के साथ छुट्टियों का आनंद ले रही हैं। सुशांतसिंह राजपूत अंकिता लोखंडे से अलग हो चुके हैं, और पूरा ध्यान अपने फिल्मी कैरियर पर लगा रहे हैं।
गौरतलब है कि नीरज पांडे निर्देशित ‘एमएस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी’ 30 सितंबर को रिलीज होगी। इस फिल्म में दिशा पाटनी, कियारा अडवानी मुख्य भूमिका में हैं।
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एसी, बंद होते ही मां काली को आ जाता है पसीना
मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में काली माता का एक सैकड़ों साल पुराना मंदिर है। मंदिर को ऐतिहासिक और चमत्कारी भी माना जाता है। यहां पर अक्सर ही आपकी आंखों के सामने कुछ ऐसा होता है, जिसे देखकर अपनी ही आंखों पर भरोसा नहीं होता।
ऐसा ही कुछ लोगों के साथ तब हुआ जब इस मंदिर में एसी बंद होते ही काली माता को पसीना आने लगा। ये कोई पहला मौका नहीं था बल्कि एसी के बंद होते ही काली मां को बार-बार पसीना आता है। जबलपुर में लगभग 600 साल पहले काली की भव्य प्रतिमा को गोंडवाना साम्राज्य के दौरान स्थापित किया गया था।
कहते हैं तब से ही माता की प्रतिमा को जरा सी भी गर्मी सहन नहीं होती और मूर्ति को पसीने आने लगते हैं। समय के साथ ही मंदिर में एसी लगवाए गए ताकि माता को गर्मी न लगे।
इस वजह से मंदिर में हमेशा एसी चलता रहता है। कभी-कभी किन्ही कारणों से एसी नहीं चलता है या फिर बिजली जाती है तो मूर्ति से निकलते पसीने को साफ-साफ देखा जा सकता हैं। काली माता के पसीने निकलने के कारणों पर अनेक बार खोज भी की गई है, लेकिन विज्ञान के पास भी इस सवाल का कोई जवाब नहीं है।
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जरा हटके
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रविवार, 28 अगस्त 2016
पूर्व दिशा की ओर मुंह करके ही क्यों की जाती है पूजा
हमारे यहां जब भी कोई बड़ा पूजन पाठ करवाया जाता है तो कहा जाता है कि पूर्व की ओर मुंह करके बैठना चाहिए। किन्तु केवल विशेष पूजा-पाठ के समय ही नहीं बल्कि हमेशा पूजा करते समय पूर्व दिशा की ओर ही मुंह रखना चाहिए क्योंकि किसी भी घर के वास्तु में ईशान्य कोण यानी उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा का बड़ा महत्व है। वास्तु के अनुसार ईशान कोण स्वर्ग दरवाजा कहलाता है। ऐसा माना जाता है कि ईशान कोण में बैठकर पूर्व दिशा की और मुंह करके पूजन करने से स्वर्ग में स्थान मिलता है क्योंकि उसी दिशा से सारी ऊर्जाएं घर में बरसती है। ईशान्य सात्विक ऊर्जाओं का प्रमुख स्त्रोत है। किसी भी भवन में ईशान्य कोण सबसे ठंडा क्षेत्र है। वास्तु पुरुष का सिर ईशान्य में होता है।
जिस घर में ईशान्य कोण में दोष होगा उसके निवासियों को दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। साथ ही पूर्व दिशा को गुरु की दिशा माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार गुरु को धर्म व आध्यात्म का कारक माना जाता है। ईशान्य कोण का अधिपति शिव को माना गया है। मान्यता है कि इस दिशा की ओर मुंह करके पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का निवास होता है बाद में ये ऊर्जाएं पूरे घर में फैल जाती हैं। पूर्व दिशा में बैठकर सुबह सूर्य की किरणों का सेवन करने से कई रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
जिस घर में ईशान्य कोण में दोष होगा उसके निवासियों को दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। साथ ही पूर्व दिशा को गुरु की दिशा माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार गुरु को धर्म व आध्यात्म का कारक माना जाता है। ईशान्य कोण का अधिपति शिव को माना गया है। मान्यता है कि इस दिशा की ओर मुंह करके पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का निवास होता है बाद में ये ऊर्जाएं पूरे घर में फैल जाती हैं। पूर्व दिशा में बैठकर सुबह सूर्य की किरणों का सेवन करने से कई रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
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ज्योतिष
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मृत पत्नी के साथ लगातार 5 वर्षो तक सोता रहा यह शख्स
अपनों से प्रेम करने वालो की इस दुनिया में कमी नही है यह बात कितनी सच है इस बात से पता लगाया जा सकता है की वियतनाम में रहने वाला एक व्यक्ति अपनी पत्नी से इतना अधिक प्रेम करता था कि उसने मृत्यु के पश्चात भी उसका अंतिम संस्कार नही किया बल्कि 5 वर्षो तक उसके साथ ही सोता रहा।
पत्नी की मृत्यु के बाद जब उसे कब्र में दफना दिया गया तो वह व्यक्ति उसकी बगल में ही गड्ढा खोदकर वहां रहना चाहता था। जब ऐसा वह नही कर पाया तो वह एक दिन अपनी पत्नी की कब्र खोदकर उसे वहां से निकाल लाया और पत्नी के शरीर को क्ले से ढककर 5 वर्षो से उसके साथ सोता रहा।
इस संबंध में जब उससे बात की गयी तो लोगो को लगा कि यह व्यक्ति आम लोगों से थोड़ा हटकर है और इसकी सोच भी थोड़ी भिन्न है।
पत्नी की मृत्यु के बाद जब उसे कब्र में दफना दिया गया तो वह व्यक्ति उसकी बगल में ही गड्ढा खोदकर वहां रहना चाहता था। जब ऐसा वह नही कर पाया तो वह एक दिन अपनी पत्नी की कब्र खोदकर उसे वहां से निकाल लाया और पत्नी के शरीर को क्ले से ढककर 5 वर्षो से उसके साथ सोता रहा।
इस संबंध में जब उससे बात की गयी तो लोगो को लगा कि यह व्यक्ति आम लोगों से थोड़ा हटकर है और इसकी सोच भी थोड़ी भिन्न है।
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जरा हटके
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लड़कियां बिना इलाज के बन जाती हैं लड़का
शायद आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया में एक ऐसा गांव भी है, जहां लड़की पैदा होने के कुछ समय बाद अपने आप लड़का बन जाती हैं। ये बात सुनने में जितनी विचित्र लग रही है, उतनी ही सच भी है।डोमिनिकन रिपब्लिक में स्थित सेलिनास गांव में तो ऐसा ही होता है। यहां लड़की पैदा होने के 12 साल बाद अपने आप लड़का बन जाती है। यह बदलाव उसके पूरे शरीर में होता है और वह शारीरिक और बायोलॉजिकल रूप से भी लड़का बन जाती हैं।यहां तक की उनका प्राइवेट पार्ट भी लड़कों जैसा हो जाता है। दरअसल, ऐसा किसी चमत्कार के कारण नहीं, बल्कि आनुवांशिक बीमारी के कारण होता है। यह बीमारी गर्भावस्था के दौरान होती है। आनुवंशिक विकार के कारण बच्चे को जरूरी एंजायम नहीं मिल पाते हैं।ऐसे में बच्चों में पुरूष वाले सेक्स हार्मोन्स नहीं के बराबर या कम बन पाते हैं। इसका असर बच्चों के लिंग पर भी देखने को मिलता है। इनके लिंग का आकार इतना छोटा होता है, जिसे समझ पाना मुश्किल हो जाता है कि पैदा हुआ बच्चा लड़का है या लड़की।12 वर्षों के जब बच्चा धीरे-धीरे बड़ा होता है तब यह अपना पूर्ण आकार लेता है। ऐसी ही कहानी है 24 वर्षीय जॉनी की, जो बचपन में इस बीमारी से पीड़ित था। उसने बताया कि अपने जन्म से लेकर 12 वर्ष की उम्र तक उसने स्कर्ट पहनी और इसी को पहनकर ही वो स्कूल जाता था।उसके मां-बाप को पता ही नहीं था कि उनका बच्चा लड़का है या लड़की। 12 वर्ष बाद जब वह पूरी तरह से लड़का बना, तब उसकी जिंदगी ही बदल गई।
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जरा हटके
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अब 'दबंग' स्टार सोनाक्षी ने लगाए ठुमके
डांस रियलिटी शो 'डांस प्लस' के सेट पर बॉलीवुड की 'दबंग' स्टार अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा ने ठुमके लगाए हैं। सोनाक्षी ने बताया कि इस दौरान उनका अनुभव शानदार अरैी मजेदार रहा। सोनाक्षी टेलीविजन चैनल स्टार प्लस पर आगामी फिल्म 'अकीरा' का प्रचार करने पहुंची और उन्होंने निर्देशक और सुपर जज रेमो डिसूजा के साथ 'बीट पे बूटी' पर डांस किया।
सोनाक्षी ने कहा, "एकता कपूर ने मुझे 'ए फ्लाइंग जट्ट' के 'बीट पे बूटी' के लिए चुनौती दी, लेकिन इसके लिए सही समय का इंतजार था और सेट पर साथ डांस करने के लिए रेमो डिसूजा सही शख्स थे। चुनौती स्वीकार करने के लिए रेमो डिसूजा से बेहतर और कौन हो सकता था।"
सोनाक्षी न सिर्फ प्रतियोगियों बल्कि शो के बदलाव से भी प्रेरित थीं। 'गंदी बात' और 'चिंता ता चिंता' जैसे गीतों पर डांस कर चुकीं सोनाक्षी फिल्म 'अकीरा' में गाते हुए भी दिखाई देंगी और वह इस शो में ट्वीस्ट लाएंगी।
सोनाक्षी ने कहा, "एकता कपूर ने मुझे 'ए फ्लाइंग जट्ट' के 'बीट पे बूटी' के लिए चुनौती दी, लेकिन इसके लिए सही समय का इंतजार था और सेट पर साथ डांस करने के लिए रेमो डिसूजा सही शख्स थे। चुनौती स्वीकार करने के लिए रेमो डिसूजा से बेहतर और कौन हो सकता था।"
सोनाक्षी न सिर्फ प्रतियोगियों बल्कि शो के बदलाव से भी प्रेरित थीं। 'गंदी बात' और 'चिंता ता चिंता' जैसे गीतों पर डांस कर चुकीं सोनाक्षी फिल्म 'अकीरा' में गाते हुए भी दिखाई देंगी और वह इस शो में ट्वीस्ट लाएंगी।
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शनिवार, 27 अगस्त 2016
4 महीने पहले मरी हुई माँ की कोख से पैदा हुआ बच्चा
एक समय था जब पूरे विश्व में बच्चें पैदा होने के बाद किसी न किसी वजह से मर जाया करते थे। लेकिन अब विज्ञान इतना आगे बढ़ गया है कि चार महीने पहले मर चुकी महिला की कोख में पल रहे बच्चे की सुरक्षित डिलवरी की जा सकती है।
ये मामला पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन का है। यहां एक महिला कि चार महीने पहले ब्रेन हेमरेज की वजह से मौत हो गई थी। लेकिन मरने के चार महीने बाद भी इस महिला ने एक बच्चे का जन्म दिया है। इस 37 वर्षीय महिला की सिजेरियन डिलीवरी कराई गई है। बच्चे की 37 वर्षीय मां को 20 फरवरी को ब्रेन हैमरेज के बाद ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने पाया कि उसका भ्रूण स्वस्थ था। ऐसे में उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखकर गर्भावस्था को पूरा करने का फैसला किया गया ।बच्चे के पिता ने भी डॉक्टरों के इस फैसले पर अपनी सहमति जता दी। साओ जोन्स हॉस्पिटल ने बताया कि भ्रूण अच्छी हालत में दिख रहा था। ऐसे में हमने परिवार के साथ मिलकर फैसला किया कि महिला को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखकर गर्भावस्था को पूरा किया जाए।
अस्पतताल की ओर से जारी किए गए बयान में बताया गया कि अस्पकताल की एथिक्स कमेटी, बच्चेज के पिता और महिला के परिजनों ने इस प्रक्रिया के लिए अपनी सहमति दी। पुर्तगीज सोसाइटी ऑफ ऑब्सटेट्रिशिएन्स की हेड लुइस ग्रेसा ने कहा कि बच्चेे का जन्म हमारे लिए एक असाधारण उपलब्धि है। उन्होंंने कहा कि ज्यादातर महिलाएं इन स्थितियों में मर जाती हैं। मगर, सौभाग्य से ऐसी स्थिति में महिला को डॉक्टररों ने जीवित रखा और भ्रूण के विकास पर नजर रखी, जो कि काफी मुश्किल काम था ।
ये मामला पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन का है। यहां एक महिला कि चार महीने पहले ब्रेन हेमरेज की वजह से मौत हो गई थी। लेकिन मरने के चार महीने बाद भी इस महिला ने एक बच्चे का जन्म दिया है। इस 37 वर्षीय महिला की सिजेरियन डिलीवरी कराई गई है। बच्चे की 37 वर्षीय मां को 20 फरवरी को ब्रेन हैमरेज के बाद ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने पाया कि उसका भ्रूण स्वस्थ था। ऐसे में उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखकर गर्भावस्था को पूरा करने का फैसला किया गया ।बच्चे के पिता ने भी डॉक्टरों के इस फैसले पर अपनी सहमति जता दी। साओ जोन्स हॉस्पिटल ने बताया कि भ्रूण अच्छी हालत में दिख रहा था। ऐसे में हमने परिवार के साथ मिलकर फैसला किया कि महिला को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखकर गर्भावस्था को पूरा किया जाए।
अस्पतताल की ओर से जारी किए गए बयान में बताया गया कि अस्पकताल की एथिक्स कमेटी, बच्चेज के पिता और महिला के परिजनों ने इस प्रक्रिया के लिए अपनी सहमति दी। पुर्तगीज सोसाइटी ऑफ ऑब्सटेट्रिशिएन्स की हेड लुइस ग्रेसा ने कहा कि बच्चेे का जन्म हमारे लिए एक असाधारण उपलब्धि है। उन्होंंने कहा कि ज्यादातर महिलाएं इन स्थितियों में मर जाती हैं। मगर, सौभाग्य से ऐसी स्थिति में महिला को डॉक्टररों ने जीवित रखा और भ्रूण के विकास पर नजर रखी, जो कि काफी मुश्किल काम था ।
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यहां हर साल लगता है दूल्हों का मेला, लगती है बोलियां
मधुबनी। भारत देश मेलों का देश है। यहां हर त्योहार, मौसम, रीति-रिवाज और परंपराओं के अनुसार मेलों का आयोजन होता है। इन मेलों में जहां मनोरंजन के साधन होते हैं, वहीं कई चीजें बिकने के लिए भी आती हैं। लेकिन क्या आपने कभी दूल्हों के मेले के बारे में सुना है। नहीं ना, लेकिन यह सच है। बिहार के मधुबनी में हर साल दूल्हों का मेला लगता है और इस मेले में बिकने के लिए आते हैं दूल्हे।
यह मेला आज से नहीं बल्कि सैकड़ों सालों से लगता आ रहा है। इस मेले की शुरूआत सन् 1310 ई. से हुई। मेले में इन दूल्हों के खरीदार यानी लड़की के मां बाप अपनी बेटी के लिए योग्य वर पसंद करते है। यहां शादी करवाने से पहले लड़का और लड़की पक्ष एक दूसरे के बारे में पूरी तरह जानकारी हासिल करते हैं, फिर दोनों पक्षों की आपसी सहमति से रजिस्ट्रेशन कराने के बाद शादी कराई जाती है।
इस मेले की शुरूआत दहेज-प्रथा को रोकने के लिए मिथला नरेश हरि सिंह देव ने सन् 1310 ई. में की थी। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण इस मेले का महत्व कम होता जा रहा है। इस मेले में आजकल ज्यादातर वो ही परिवार शिरकत करते हैं जो आर्थिक रूप से कजमोर होते हैं।
यह मेला आज से नहीं बल्कि सैकड़ों सालों से लगता आ रहा है। इस मेले की शुरूआत सन् 1310 ई. से हुई। मेले में इन दूल्हों के खरीदार यानी लड़की के मां बाप अपनी बेटी के लिए योग्य वर पसंद करते है। यहां शादी करवाने से पहले लड़का और लड़की पक्ष एक दूसरे के बारे में पूरी तरह जानकारी हासिल करते हैं, फिर दोनों पक्षों की आपसी सहमति से रजिस्ट्रेशन कराने के बाद शादी कराई जाती है।
इस मेले की शुरूआत दहेज-प्रथा को रोकने के लिए मिथला नरेश हरि सिंह देव ने सन् 1310 ई. में की थी। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण इस मेले का महत्व कम होता जा रहा है। इस मेले में आजकल ज्यादातर वो ही परिवार शिरकत करते हैं जो आर्थिक रूप से कजमोर होते हैं।
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दोनों यही बन गए।
शनि देव पर तेल ही क्यों चढ़ाया जाता है
शनिदेव दक्षप्रजापति की पुत्री संज्ञादेवी और सूर्यदेव के पुत्र है। यह नवग्रहों में सबसे अधिक भयभीत करने वाला ग्रह है। इसका प्रभाव एक राशि पर ढाई वर्ष साढे साती के रूप मे लंबी अवधि तक भोगना पडता है। शनिदेव की गति अन्य सभी ग्रहों से मंद होने का कारण इनका लंगडाकर चलना है। वे लंगडाकर क्यों चलते है, इसके संबंध में सूर्यतंत्र में एक कथा है-एक बार सूर्यदेव का तेज सहन न कर पाने की वजह से संज्ञादेवी ने अपने शरीर से अपने जैसी ही एक प्रतिमूर्ति तैयार की और उसका नाग सवर्णा रखा इसलिए उनका दिया शाप व्यर्थ तो नहीं होगा, परन्तु यह इतना कठोर नहीं होगा कि टांग पूरी तरह से अलग हो गए। हां तुम आजीवन एक पांव से लंगडाकर चलते रहोगे। तभी से शनिदेव लंगडे है। शनिदेव पर तेल क्यो चढाया जात है, इस संबंध मे आनंदरामायण में एक कथा का उल्लेख मिलता है।
जब भगवान राम की सेना ने सागरसेतु बांध लिया, ताकि राक्षस इसे हानि न पहुंचा, उसके पवनपुत्र हनुमान को उसकी देखभाल की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई। तब हनुमानजी शाम के सामय अपने इष्टदेव राम के ध्यान में मग्न थे, तभी सूर्यपुत्र शनि ने अपना काला कुरूप चेहरा बनाकर क्रोधपूर्वक कहा-“हे वानर! मैं देवताओं में शक्तिशाली शनि हूं। सुना है, तुम बहुत बलशाली हो। आंखें खोलो और मुझसे युद्ध करो, मैं तुमसे युद्ध करना चाहता हूं।
उसे आज्ञा दी कि तुम मेरी अनुपस्थिति में मेरी सारी संतानों की देखरेख करते हुए सूर्यदेव की सेवा करो और पत्नीसुख भोगो। आदेश देकर वह अपने पिता के घर चली गई। सवर्णा ने भी अपने आपको इस तरह ढाला कि सूर्यदेव भी यह रहस्य न जान सके। इस बीच सूर्यदेव से सवर्णा को पांच पुत्र और दो पुत्रियां हुई। सवर्णा अपने बच्चों पर अधिक और संज्ञा की संतानों पर कम ध्यान देने लगी। एक दिन संज्ञा के पुत्र शनि को तेज भूख लगी, तो उसने सवर्णा से भोजन मांगा। तब सवर्णा ने कहा कि अभी ठहरो, पहले मैं भगवान को भोग लगा लू और तुम्हारे छोटे भाई-बहनों को खिला दूं, फिर तुम्हें भोजन दूंगी। यह सुनकर शनि को क्रोध आ गए और उन्होंने माता को मारने के लिए अपना पैर उठाया, तो सवर्णा ने शनि को शाप दिया कि तेरा पांव अभी टूट जाए। माता का शाप सुनकर शनिदेव डरकर अपने पिता के पास गए और सारा किस्सा सुनाया। सूर्यदेव तुरंत समझ गए कि कोई भी माता अपने पुत्र को इस तरह का शाप नहीं दे सकती।
इसलिए उनके साथ उनकी पत्नी नहीं, कोई अन्य है। सूर्यदेव ने क्रोध में आकर पूछा कि “बताओ तुम कौन हो!” सूर्य का तेज देखकर सवर्णा घबरा गई और सारी सच्चाई उन्हें बता दी। तब सूर्यदेव ने शनि को समझाया कि सवर्णा तुम्हारी माता नहीं है, लेकिन मां समान है। इस पर हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा-“इससमय मैं अपने प्रभु का ध्यान कर रहा हूं। आप मेरी पूजा में विघ्न मत डालिए। आप मेरे आदरणीय हैं, कृपा करके यहां से चले जाइए।” जब शनि लडने पर ही उतर आए, तो हनुमान ने शनि को अपनी पूंछ मे लपेटना शुरू कर दिया। फिर उसे कसना प्रारंभ कर दिया। जोर लगाने पर शनि उस बंधन से मुक्त न होकर पीडा से व्याकुल होने लगे। हनुमानजी ने फिर सेतु की परिक्रमा शुरू कर शनि के घमंड को तोडने के लिए पत्थरों पर पूंछ को झटका दे-दे कर पटकना शुरू कर दिया। इससे शनि का शरीर लहूलुहान हो गया, जिससे उनकी पीडा बढती गई।
तब शनिदेव ने हनुमानजी से प्रार्थना की मुझे बंधनमुक्त कर दीजिए। मैं अपने अपराध की सजा पा चुका हूं। फिर मुझसे ऎसी गलती नहीं होगी। इस पर हनुमानजी बोले-“मैं तुम्हें तभी छोडूंगा, जब तुम मुझे वचन दोगे कि श्रीराम के भक्तौं को कभी परेशान नहीं करोगे। यदि तुमने ऎसा किया, तो मैं तुम्हें कठोर दंड दूंगा।” शनि ने गिडगिडाकर कहा-“मैं वचन देता हूं कि कभी भूलकर भी आपके और श्रीराम के भक्तों की राशि पर नहीं आउंगा। आप मुझे छोड दें।” तब हनुमान ने जो तेल दिया, उसे घाव पर लगाते ही शनिदेव की पीडा मिट गई। उसी दिन से शनिदेव को तेल चढता है, जिससे उनकी पीडा शांत होती है और वे प्रसन्न हो जाते है।
जब भगवान राम की सेना ने सागरसेतु बांध लिया, ताकि राक्षस इसे हानि न पहुंचा, उसके पवनपुत्र हनुमान को उसकी देखभाल की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई। तब हनुमानजी शाम के सामय अपने इष्टदेव राम के ध्यान में मग्न थे, तभी सूर्यपुत्र शनि ने अपना काला कुरूप चेहरा बनाकर क्रोधपूर्वक कहा-“हे वानर! मैं देवताओं में शक्तिशाली शनि हूं। सुना है, तुम बहुत बलशाली हो। आंखें खोलो और मुझसे युद्ध करो, मैं तुमसे युद्ध करना चाहता हूं।
उसे आज्ञा दी कि तुम मेरी अनुपस्थिति में मेरी सारी संतानों की देखरेख करते हुए सूर्यदेव की सेवा करो और पत्नीसुख भोगो। आदेश देकर वह अपने पिता के घर चली गई। सवर्णा ने भी अपने आपको इस तरह ढाला कि सूर्यदेव भी यह रहस्य न जान सके। इस बीच सूर्यदेव से सवर्णा को पांच पुत्र और दो पुत्रियां हुई। सवर्णा अपने बच्चों पर अधिक और संज्ञा की संतानों पर कम ध्यान देने लगी। एक दिन संज्ञा के पुत्र शनि को तेज भूख लगी, तो उसने सवर्णा से भोजन मांगा। तब सवर्णा ने कहा कि अभी ठहरो, पहले मैं भगवान को भोग लगा लू और तुम्हारे छोटे भाई-बहनों को खिला दूं, फिर तुम्हें भोजन दूंगी। यह सुनकर शनि को क्रोध आ गए और उन्होंने माता को मारने के लिए अपना पैर उठाया, तो सवर्णा ने शनि को शाप दिया कि तेरा पांव अभी टूट जाए। माता का शाप सुनकर शनिदेव डरकर अपने पिता के पास गए और सारा किस्सा सुनाया। सूर्यदेव तुरंत समझ गए कि कोई भी माता अपने पुत्र को इस तरह का शाप नहीं दे सकती।
इसलिए उनके साथ उनकी पत्नी नहीं, कोई अन्य है। सूर्यदेव ने क्रोध में आकर पूछा कि “बताओ तुम कौन हो!” सूर्य का तेज देखकर सवर्णा घबरा गई और सारी सच्चाई उन्हें बता दी। तब सूर्यदेव ने शनि को समझाया कि सवर्णा तुम्हारी माता नहीं है, लेकिन मां समान है। इस पर हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा-“इससमय मैं अपने प्रभु का ध्यान कर रहा हूं। आप मेरी पूजा में विघ्न मत डालिए। आप मेरे आदरणीय हैं, कृपा करके यहां से चले जाइए।” जब शनि लडने पर ही उतर आए, तो हनुमान ने शनि को अपनी पूंछ मे लपेटना शुरू कर दिया। फिर उसे कसना प्रारंभ कर दिया। जोर लगाने पर शनि उस बंधन से मुक्त न होकर पीडा से व्याकुल होने लगे। हनुमानजी ने फिर सेतु की परिक्रमा शुरू कर शनि के घमंड को तोडने के लिए पत्थरों पर पूंछ को झटका दे-दे कर पटकना शुरू कर दिया। इससे शनि का शरीर लहूलुहान हो गया, जिससे उनकी पीडा बढती गई।
तब शनिदेव ने हनुमानजी से प्रार्थना की मुझे बंधनमुक्त कर दीजिए। मैं अपने अपराध की सजा पा चुका हूं। फिर मुझसे ऎसी गलती नहीं होगी। इस पर हनुमानजी बोले-“मैं तुम्हें तभी छोडूंगा, जब तुम मुझे वचन दोगे कि श्रीराम के भक्तौं को कभी परेशान नहीं करोगे। यदि तुमने ऎसा किया, तो मैं तुम्हें कठोर दंड दूंगा।” शनि ने गिडगिडाकर कहा-“मैं वचन देता हूं कि कभी भूलकर भी आपके और श्रीराम के भक्तों की राशि पर नहीं आउंगा। आप मुझे छोड दें।” तब हनुमान ने जो तेल दिया, उसे घाव पर लगाते ही शनिदेव की पीडा मिट गई। उसी दिन से शनिदेव को तेल चढता है, जिससे उनकी पीडा शांत होती है और वे प्रसन्न हो जाते है।
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पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
इस मकबरे पर जूते मारने से होती है यात्रा शुभ
हमारे देश में सभी धर्मों का एक जैसा सम्मान और आदर किया जाता है, और इसकी सबसे बड़ी मिसाल हैं यहां के मकबरे. इन मकबरों पर हर धर्म के लोग आते हैं और मन्नत मांगते हैं और इसके बदले में वे लोग मकबरों पर फूल और चादर चढ़ाते हैं, लेकिन एक ऐसा भी मकबरा हैं जहां आकर लोग जूते मारते हैं.
वैसे तो किसी व्यक्ति के मरने के बाद चाहे वह अच्छा हो या बुरा, लोग उसे श्रद्धांजलि देने के लिए फूल ही चढ़ाते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसा भी शख्स हुआ है जिसकी कब्र पर फूल नहीं चढ़ाए जाते. इस कब्र पर लोग जूते मारते हैं. ये कब्र भोलू की.भोलू के मकबरे पर लोग आकर उसकी जूतों से पिटाई करते हैं. यहां लोग फूल, अगरबत्ती से नहीं बल्कि जूतों से इबादत करते हैं और कब्र को जूतों से पीटकर मन्नत पूरी करते हैं.
यूपी में इटावा जिले से तकरीबन तीन किलोमीटर दूर इटावा-बरेली राजमार्ग पर है भोलू का यह 500 साल पुराना मकबरा. माना जाता है कि एक बार इटावा के बादशाह ने अटेरी के राजा के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया. युद्ध के बाद में इटावा के बादशाह को पता चला कि इस युद्ध के लिए उसका दरबारी भोलू जिम्मेदार था. इससे नाराज बादशाह ने ऐलान किया कि इस दगाबाजी के लिए तब तक जूतों से पीटा जाए जब तक कि उसकी मौत न हो जाए. मौत के बाद से ही उसकी कब्र पर जूते मारने की परंपरा चली आ रही है.
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इटावा-बरेली मार्ग पर अपनी तथा परिवार की सुरक्षित यात्रा के लिए कब्र पर कम से कम पांच जूते मारना जरूरी है. भोलू की कब्र पर जूते-चप्पल मारकर वहां से गुजरने वाले यात्री सुरक्षित यात्रा के लिए इबादत करते हैं.
वैसे तो किसी व्यक्ति के मरने के बाद चाहे वह अच्छा हो या बुरा, लोग उसे श्रद्धांजलि देने के लिए फूल ही चढ़ाते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसा भी शख्स हुआ है जिसकी कब्र पर फूल नहीं चढ़ाए जाते. इस कब्र पर लोग जूते मारते हैं. ये कब्र भोलू की.भोलू के मकबरे पर लोग आकर उसकी जूतों से पिटाई करते हैं. यहां लोग फूल, अगरबत्ती से नहीं बल्कि जूतों से इबादत करते हैं और कब्र को जूतों से पीटकर मन्नत पूरी करते हैं.
यूपी में इटावा जिले से तकरीबन तीन किलोमीटर दूर इटावा-बरेली राजमार्ग पर है भोलू का यह 500 साल पुराना मकबरा. माना जाता है कि एक बार इटावा के बादशाह ने अटेरी के राजा के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया. युद्ध के बाद में इटावा के बादशाह को पता चला कि इस युद्ध के लिए उसका दरबारी भोलू जिम्मेदार था. इससे नाराज बादशाह ने ऐलान किया कि इस दगाबाजी के लिए तब तक जूतों से पीटा जाए जब तक कि उसकी मौत न हो जाए. मौत के बाद से ही उसकी कब्र पर जूते मारने की परंपरा चली आ रही है.
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इटावा-बरेली मार्ग पर अपनी तथा परिवार की सुरक्षित यात्रा के लिए कब्र पर कम से कम पांच जूते मारना जरूरी है. भोलू की कब्र पर जूते-चप्पल मारकर वहां से गुजरने वाले यात्री सुरक्षित यात्रा के लिए इबादत करते हैं.
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जरा हटके
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
शुक्रवार, 26 अगस्त 2016
दुनिया का सबसे बड़ा फूल, इसके खिलने में लगते हैं 9 साल
'एमोर्फोफैलस टाइटेनम' नाम का ये फूल अपने आप में बेमिसाल़ है और ये 9 साल बाद खिलता है। केरल में अब लोगों को 9 साल बाद खिलने वाला फूल देखने को मिल रहा है। 9 साल में एक बार ही खिलने वाले इस फूल की सबसे बड़ी खासियत है कि ये रात ही में खिलता है और खिलने के 48 घंटे तक ही जीवित रह सकता है।
केरल की प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए दूर देश के लोग भी खींचे चले आते हैं। यहां पर पुराने मंदिर, पुराने किले, और तेज बहाव के साथ बहते झरने है। इसके अलावा केरल की खूबसूरती को चार-चांद लगाने वाला “आर्किड का बगीचा” भी है, जो केरल की सुंदरता को दोगुना कर देता है। इसके खिलते हुए नजारे को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आकर इसे देखते है। .
लेकिन अब केरल में इन सबसे भी खास वो मौका ये आया है, जो लोगों को 9 साल बाद खिलने वाला फूल देखने को मिल रहा है। 'एमोर्फोफैलस टाइटेनम' नाम का ये फूल अपने आप में बेमिसाल़ है और ये 9 साल बाद खिलता है। इसकी सुंदरता के देखने के लिए लोग यहां पर आते है। सबसे सुंदर और सबसे दुर्लभ मिलने वाला यह फूल सिर्फ इंडोनेशिया के जंगलों में ही पाया जाता है।
एक हफ्ते तक खिलने वाला यह फूल देखने में जितना सुंदर होता है, इसकी महक उतनी ही सड़े मांस की तरह बदबूदार होती है। 9 साल में एक बार ही खिलने वाले इस फूल की सबसे बड़ी खासियत है कि ये रात ही में खिलता है और खिलने के 48 घंटे तक ही जीवित रह सकता है।
इसके अलावा ये 9 साल में एक बार ही खिलता है। खिलने के समय ये 3 मीटर तक ऊंचा हो जाता है। बारिश के इस मौसम में चारों ओर हरियाली के बीच कलकलाते झरनों की अवाज और ये फूल सभी का मन मोह लेती है।
केरल की प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए दूर देश के लोग भी खींचे चले आते हैं। यहां पर पुराने मंदिर, पुराने किले, और तेज बहाव के साथ बहते झरने है। इसके अलावा केरल की खूबसूरती को चार-चांद लगाने वाला “आर्किड का बगीचा” भी है, जो केरल की सुंदरता को दोगुना कर देता है। इसके खिलते हुए नजारे को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आकर इसे देखते है। .
लेकिन अब केरल में इन सबसे भी खास वो मौका ये आया है, जो लोगों को 9 साल बाद खिलने वाला फूल देखने को मिल रहा है। 'एमोर्फोफैलस टाइटेनम' नाम का ये फूल अपने आप में बेमिसाल़ है और ये 9 साल बाद खिलता है। इसकी सुंदरता के देखने के लिए लोग यहां पर आते है। सबसे सुंदर और सबसे दुर्लभ मिलने वाला यह फूल सिर्फ इंडोनेशिया के जंगलों में ही पाया जाता है।
एक हफ्ते तक खिलने वाला यह फूल देखने में जितना सुंदर होता है, इसकी महक उतनी ही सड़े मांस की तरह बदबूदार होती है। 9 साल में एक बार ही खिलने वाले इस फूल की सबसे बड़ी खासियत है कि ये रात ही में खिलता है और खिलने के 48 घंटे तक ही जीवित रह सकता है।
इसके अलावा ये 9 साल में एक बार ही खिलता है। खिलने के समय ये 3 मीटर तक ऊंचा हो जाता है। बारिश के इस मौसम में चारों ओर हरियाली के बीच कलकलाते झरनों की अवाज और ये फूल सभी का मन मोह लेती है।
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जरा हटके
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
यहां प्रसाद के रूप में चढ़ते हैं प्याज और दाल
अमूमन मंदिरों में प्रसाद के रूप में कहीं मिठाई तो कहीं फल या नारियल का भोग लगाया जाता है लेकिन एक स्थान ऐसा भी है, जहां प्रसाद के रूप में प्याज, दाल एवं भुने हुए चावल को प्राथमिकता दी जाती है। सुनने में यह अजीब लगता है लेकिन हकीकत यही है। अपने आप में अनूठे प्रसाद का यह मामला हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील में स्थित गोगामेड़ी से जुड़ा है।
उत्तर भारत के प्रसिद्ध लोकदेवता गोगाजी महाराज के प्रसाद में प्राथमिकता प्याज, दाल एवं भुने हुए चावल (खील) को दी जाती हैं। गोरक्षनाथ टीले पर भी पर यही तीनों चीजें प्रमुखता से चढ़ाई जाती हैं। लंबे समय से इस परम्परा का निर्वहन हो रहा है, हालांकि समय के साथ इसमें कुछ परिर्वतन जरूर हो गए हैं। अब नारियल, मखाणे व बताशे आदि भी प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाने लगे हैं। विदित रहे कि गोगाजी का महाराज का मेला पूरे भाद्रपद मास चलता है।
दाल पर महंगाई की मार
महंगाई का असर दाल पर भी पड़ा है। इस कारण श्रद्धालु दाल की बजाय प्याज व भुने हुए चावलों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार दाल का चढ़ावा लगभग आधा है, हालांकि मेला अभी शुरुआती दौर में है। इधर प्याज इस बार सस्ते हैं, इस कारण इनके चढ़ावे में किसी तरह की कटौती फिलहाल नजर नहीं आ रही।
इसलिए चढ़ता है यह प्रसाद
गोगाजी महाराज की जब मोहम्मद गजनवी से लड़ाई तय हो गई थी, तब उन्होंने अपने सगे-संबंधियों और मददगारों को रसद सामग्री के साथ युद्ध में आने का निमंत्रण दिया था। जानकार बताते हैं कि लड़ाई समय से पूर्व शुरू हो गई और धोखे से गोगाजी को घेर लिया गया। इसके बाद गोगाजी ने घोड़े सहित समाधि ले ली। युद्ध समाप्ति के बाद पहुंचे उनके सगे संबंधियों एवं मददगारों ने रसद सामग्री के रूप में साथ लाए गए प्याज, दाल एवं भुने हुए चावल उनकी समाधि पर अर्पित कर दिए। तभी से यह परम्परा चली आ रही है। रेगिस्तानी इलाके में प्याज एवं दाल का महत्व इसीलिए भी है क्योंकि यह दोनों लंबे समय तक खराब नहीं होते।
उत्तर भारत के प्रसिद्ध लोकदेवता गोगाजी महाराज के प्रसाद में प्राथमिकता प्याज, दाल एवं भुने हुए चावल (खील) को दी जाती हैं। गोरक्षनाथ टीले पर भी पर यही तीनों चीजें प्रमुखता से चढ़ाई जाती हैं। लंबे समय से इस परम्परा का निर्वहन हो रहा है, हालांकि समय के साथ इसमें कुछ परिर्वतन जरूर हो गए हैं। अब नारियल, मखाणे व बताशे आदि भी प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाने लगे हैं। विदित रहे कि गोगाजी का महाराज का मेला पूरे भाद्रपद मास चलता है।
दाल पर महंगाई की मार
महंगाई का असर दाल पर भी पड़ा है। इस कारण श्रद्धालु दाल की बजाय प्याज व भुने हुए चावलों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार दाल का चढ़ावा लगभग आधा है, हालांकि मेला अभी शुरुआती दौर में है। इधर प्याज इस बार सस्ते हैं, इस कारण इनके चढ़ावे में किसी तरह की कटौती फिलहाल नजर नहीं आ रही।
इसलिए चढ़ता है यह प्रसाद
गोगाजी महाराज की जब मोहम्मद गजनवी से लड़ाई तय हो गई थी, तब उन्होंने अपने सगे-संबंधियों और मददगारों को रसद सामग्री के साथ युद्ध में आने का निमंत्रण दिया था। जानकार बताते हैं कि लड़ाई समय से पूर्व शुरू हो गई और धोखे से गोगाजी को घेर लिया गया। इसके बाद गोगाजी ने घोड़े सहित समाधि ले ली। युद्ध समाप्ति के बाद पहुंचे उनके सगे संबंधियों एवं मददगारों ने रसद सामग्री के रूप में साथ लाए गए प्याज, दाल एवं भुने हुए चावल उनकी समाधि पर अर्पित कर दिए। तभी से यह परम्परा चली आ रही है। रेगिस्तानी इलाके में प्याज एवं दाल का महत्व इसीलिए भी है क्योंकि यह दोनों लंबे समय तक खराब नहीं होते।
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जरा हटके
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
अगर होना चाहते हैं आप बिज़नेस में सफल तो आपके लिए ये गृह हो सकता है लाभकारी
हर व्यक्ति हर काम नहीं कर सकता है। सबकी अलग-अलग कार्यक्षमता व मानसिक स्थिति होती है। उसी के अनुरूप अपना कार्यक्षेत्र चुनना चाहिए। कुछ लोगों को जॉब करना अच्छा लगता है तो कुछ को जॉब देना अच्छा लगता है। लोगों को आप जॉब तभी दे सकते जब आप बिजनेस करेंगे और बिजनेस में आप सफल तभी हो सकते है जब कुण्डली में बिजनेस से सम्बन्धित ग्रह, भाव व योग प्रबल हो।
दशम भाव व दशमेश का सम्बन्ध आपकी जीविका से होता है। द्वितीय, द्वतीयेश व एकादश भाव, एकादेश का भी कुण्डली में मजबूत होना आवश्यक होता है। क्योंकि द्वतीय व द्वतीयेश का सम्बन्ध धन से होता है एंव एकादशेश व एकादश भाव का रिलेशन लाभ से होता है। व्यापार में धन व लाभ का विशेष महत्व है। धन नहीं होगा तो बिजनेस कर पाना मुश्किल है और धन अच्छे से नहीं आयेगा तो बिजनेस करने से फायदा क्या। यदि एकादश भाव व एकादशेश बलवान नहीं है तो व्यापार में लाभ नहीं होगा। वैसे मूलतः व्यापार के लिए बुध व बृहस्पति ग्रह का शुभ होना अच्छा माना जाता है लेकिन व्यापार किस चीज से सम्बन्धित है। इसके लिए प्रत्येक ग्रह की अलग-अलग क्षेत्र में विशेष भूमिका है।
1-यदि आप राजनीति, चिकित्सा क्षेत्र, विद्युत विभाग, होटल मैनेजमेन्ट, रेलवे विभाग, आभूषण खरीदना-बेचना, रत्न बेचना, विद्युत उपकरण, मेडिकल स्टोर, जनरल स्टोर, कपड़े का कार्य, वाहनों का क्रय-विक्रय, पुस्तक भण्डार, अनाजों का खरीदना-बेचना आदि प्रकार के व्यवसाय करने के लिए जन्मपत्री में सूर्य ग्रह शुभ व बलवान आवश्यक है।
2-यदि आप बागवानी का कार्य, कृषि कार्य, तरल पदार्थो का व्यापार, आयुर्वेदिक दवाओं का व्यापार, बिजली की दुकान, मोटर पार्टस पेट्रोल पम्प, कोल्ड डिंक, पानी, संगीत एकाडिमी, होटल, रेस्टोरेन्ट, मिटटी का कार्य, ठेकेदारी, किसी भी क्षेत्र में दलाली, कैरोािन आयल, प्रकाशन, दूध की डेरी आदि व्यवसाय करना चाहते है तो कुण्डली में चन्द्रमा का बलवान होना बहुत जरूरी है।
3-अगर आप कम्यूटर के क्षेत्र में साफ्टर, हार्डवेयर, इलेक्ट्रानिक, भूमि, मेडिकल, पेट्रोल पम्प, सर्जरी का सामान, कोर्ट-कचहरी, ठेकेदारी, मेडिकल की दुकान, धर्म उपदेशक, औषधि निर्माण कारखाना, आदि किसी प्रकार का बिजनेस करना चाहते है तो उसके लिए मंगल ग्रह का मजबूत होना जरूरी है और साथ में मंगल का दशम, दशमेश व लाभ भाव से सम्बन्ध होना आवश्यक है।
4- पर्यटन, टेलीफोन, तम्बाकू, पान मसाला, कत्था, किमाम, पुस्तक के थोक विक्रेता, दूर संचार विभाग की ठेकेदारी, रेलवे के पार्टो का कारखाना, चूडि़यों का व्यापार, कपड़े का व्यापार, हरी वस्तुओं का व्यापार, मार्केटिंग का बिजनेस तथा फर्नीचर आदि का व्यवसाय आपके लिए लाभप्रद रहेगा। इसके लिए बुध ग्रह का शुभ व ताकतवर होना बहुत जरूरी है तभी आप सफल हो पायेंगे।
5- यदि आप सम्पादन कार्य, थोक विक्रेता, पूजन भण्डार, पान की दुकान, मिठाई की दुकान, इत्र का कार्य, फिल्म मेकर, भूमि का क्रय व विक्रय, आभूषण के विक्रेता, पीली वस्तुओं का व्यापार, वक्ता, नेता, शिक्षा और शेयर आदि का व्यवसाय करना चाहते है तो गुरू ग्रह का कुण्डली में मजबूत होना जरूरी है।
6- अगर आप रेस्टोरेन्ट, सौन्दर्य प्रसाधन, शिल्प कार्य, साहित्य, फिल्म विज्ञापन, परिवहन विभाग की ठेकेदारी, वस्त्रों का व्यापार, हीरे का बिजनेस, सफेद वस्तुओं का कार्य, खनिज कार्य, पेन्टिंग, निर्माण कार्य, परिवहन विभाग, पर्यटन विभाग, रेसलिंग, टीवी शो, थियेटर, आदि से सम्बन्धित व्यवसाय करने के लिए शुक्र ग्रह का शुभ व बलवान आवश्यक होता है।
7-यदि आप, ज्योतिष का कार्य, कर्मकाण्ड, लोहे का, वकालत, खनिज विभाग, तकनीकी कार्य, कृषि कार्य, काली वस्तुओं का व्यापार जैसे- तिलहन, काले तिल आदि, ट्रांसपोर्ट का कार्य, मुर्गी पालन, लकड़ी का कार्य, बिजली का कार्य, लोहे का कार्य, शिल्प कला का कार्य, कृषि कार्य, वाहन की ऐजेन्सी, मोटर पार्ट्स आदि के व्यवसाय करने के लिए शनि का शुभ और ताकतवर होना अति-आवश्यक है।
दशम भाव व दशमेश का सम्बन्ध आपकी जीविका से होता है। द्वितीय, द्वतीयेश व एकादश भाव, एकादेश का भी कुण्डली में मजबूत होना आवश्यक होता है। क्योंकि द्वतीय व द्वतीयेश का सम्बन्ध धन से होता है एंव एकादशेश व एकादश भाव का रिलेशन लाभ से होता है। व्यापार में धन व लाभ का विशेष महत्व है। धन नहीं होगा तो बिजनेस कर पाना मुश्किल है और धन अच्छे से नहीं आयेगा तो बिजनेस करने से फायदा क्या। यदि एकादश भाव व एकादशेश बलवान नहीं है तो व्यापार में लाभ नहीं होगा। वैसे मूलतः व्यापार के लिए बुध व बृहस्पति ग्रह का शुभ होना अच्छा माना जाता है लेकिन व्यापार किस चीज से सम्बन्धित है। इसके लिए प्रत्येक ग्रह की अलग-अलग क्षेत्र में विशेष भूमिका है।
1-यदि आप राजनीति, चिकित्सा क्षेत्र, विद्युत विभाग, होटल मैनेजमेन्ट, रेलवे विभाग, आभूषण खरीदना-बेचना, रत्न बेचना, विद्युत उपकरण, मेडिकल स्टोर, जनरल स्टोर, कपड़े का कार्य, वाहनों का क्रय-विक्रय, पुस्तक भण्डार, अनाजों का खरीदना-बेचना आदि प्रकार के व्यवसाय करने के लिए जन्मपत्री में सूर्य ग्रह शुभ व बलवान आवश्यक है।
2-यदि आप बागवानी का कार्य, कृषि कार्य, तरल पदार्थो का व्यापार, आयुर्वेदिक दवाओं का व्यापार, बिजली की दुकान, मोटर पार्टस पेट्रोल पम्प, कोल्ड डिंक, पानी, संगीत एकाडिमी, होटल, रेस्टोरेन्ट, मिटटी का कार्य, ठेकेदारी, किसी भी क्षेत्र में दलाली, कैरोािन आयल, प्रकाशन, दूध की डेरी आदि व्यवसाय करना चाहते है तो कुण्डली में चन्द्रमा का बलवान होना बहुत जरूरी है।
3-अगर आप कम्यूटर के क्षेत्र में साफ्टर, हार्डवेयर, इलेक्ट्रानिक, भूमि, मेडिकल, पेट्रोल पम्प, सर्जरी का सामान, कोर्ट-कचहरी, ठेकेदारी, मेडिकल की दुकान, धर्म उपदेशक, औषधि निर्माण कारखाना, आदि किसी प्रकार का बिजनेस करना चाहते है तो उसके लिए मंगल ग्रह का मजबूत होना जरूरी है और साथ में मंगल का दशम, दशमेश व लाभ भाव से सम्बन्ध होना आवश्यक है।
4- पर्यटन, टेलीफोन, तम्बाकू, पान मसाला, कत्था, किमाम, पुस्तक के थोक विक्रेता, दूर संचार विभाग की ठेकेदारी, रेलवे के पार्टो का कारखाना, चूडि़यों का व्यापार, कपड़े का व्यापार, हरी वस्तुओं का व्यापार, मार्केटिंग का बिजनेस तथा फर्नीचर आदि का व्यवसाय आपके लिए लाभप्रद रहेगा। इसके लिए बुध ग्रह का शुभ व ताकतवर होना बहुत जरूरी है तभी आप सफल हो पायेंगे।
5- यदि आप सम्पादन कार्य, थोक विक्रेता, पूजन भण्डार, पान की दुकान, मिठाई की दुकान, इत्र का कार्य, फिल्म मेकर, भूमि का क्रय व विक्रय, आभूषण के विक्रेता, पीली वस्तुओं का व्यापार, वक्ता, नेता, शिक्षा और शेयर आदि का व्यवसाय करना चाहते है तो गुरू ग्रह का कुण्डली में मजबूत होना जरूरी है।
6- अगर आप रेस्टोरेन्ट, सौन्दर्य प्रसाधन, शिल्प कार्य, साहित्य, फिल्म विज्ञापन, परिवहन विभाग की ठेकेदारी, वस्त्रों का व्यापार, हीरे का बिजनेस, सफेद वस्तुओं का कार्य, खनिज कार्य, पेन्टिंग, निर्माण कार्य, परिवहन विभाग, पर्यटन विभाग, रेसलिंग, टीवी शो, थियेटर, आदि से सम्बन्धित व्यवसाय करने के लिए शुक्र ग्रह का शुभ व बलवान आवश्यक होता है।
7-यदि आप, ज्योतिष का कार्य, कर्मकाण्ड, लोहे का, वकालत, खनिज विभाग, तकनीकी कार्य, कृषि कार्य, काली वस्तुओं का व्यापार जैसे- तिलहन, काले तिल आदि, ट्रांसपोर्ट का कार्य, मुर्गी पालन, लकड़ी का कार्य, बिजली का कार्य, लोहे का कार्य, शिल्प कला का कार्य, कृषि कार्य, वाहन की ऐजेन्सी, मोटर पार्ट्स आदि के व्यवसाय करने के लिए शनि का शुभ और ताकतवर होना अति-आवश्यक है।
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ज्योतिष
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
इन 3 बातों से बचने पर कोई भी व्यक्ति बन सकता है महान
सभी लोगों की इच्छा होती है कि उनकी गिनती श्रेष्ठ और महान लोगों में हो, लेकिन बहुत ही कम लोग इस इच्छा को पूरा कर पाते हैं। महानता प्राप्त करने के लिए तीन ऐसी बातें हैं, जिनसे बचना चाहिए। जो भी व्यक्ति इन बातों से बच जाता है, वह महान बन सकता है। ये हैं वो तीन बातें- वित्तैषणा, पुत्रैषणा और लोकैषणा।
पहली बात हैवित्तैषणा। वित्तैषणा यानी धन का लालच जब अति हो जाता है, तब व्यक्ति का किसी और लक्ष्य तक पहुंच पाना असंभव हो जाता है। व्यक्ति कोई छोटा-मोटा दान-धर्म कर भी ले तब भी इच्छाएं धन से लिपटी रहती हैं। इसी वजह से महान लोग सबसे पहले वित्तैषणा को खत्म करते है और स्वेच्छा से गरीबी का जीवन अपनाते हैं।
दूसरी बात है पुत्रैषणा का सरल अर्थ है कामवासना। मानसिक कामुकता के बंधन में अधिकतर लोग जकड़े हुए हैं। अपनी चिंतन करने की क्षमता को नष्ट कर रहे हैं। युवा अमुल्य समय, चिंतन और प्रेम जैसे पवित्र शब्द को मलिन करने वाली वासना में उलझे रहते हैं। कामवासना के त्याग के बिना कोई भी इंसान महान नहीं बन सकता है। इसीलिए महान लोग कामवासना त्यागकर ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं।
तीसरी बात हैलोकैषणा। अधिकांश लोग अपनी यश-कीर्ति बढ़ाने और सस्ती वाह-वाही लुटने के लिए सामाजिक कार्यों में लगे रहते हैं। ऐसे लोगों को जिस क्षेत्र में खुद के प्रचार का अवसर मिलता है, वे उसी ओर चल देते हैं। जहां यश-कीर्ति, सम्मान नहीं मिलता है, वे लोग वहां नहीं जाते हैं। उच्च आदर्श वाले महान लोग समाज कल्याण के लिए अपने आप को समर्पित कर देते हैं और कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं चाहते हैं।
लोकैषणा और यश-लोलुपता एक ऐसी मानसिक दुर्बलता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति न तो अपनी महानता विकसित कर पाता है और न समाज के लिए उपयोगी बन सकता है।महान बनने के लिए इन तीनों बातों से बचना बहुत जरूरी है।
पहली बात हैवित्तैषणा। वित्तैषणा यानी धन का लालच जब अति हो जाता है, तब व्यक्ति का किसी और लक्ष्य तक पहुंच पाना असंभव हो जाता है। व्यक्ति कोई छोटा-मोटा दान-धर्म कर भी ले तब भी इच्छाएं धन से लिपटी रहती हैं। इसी वजह से महान लोग सबसे पहले वित्तैषणा को खत्म करते है और स्वेच्छा से गरीबी का जीवन अपनाते हैं।
दूसरी बात है पुत्रैषणा का सरल अर्थ है कामवासना। मानसिक कामुकता के बंधन में अधिकतर लोग जकड़े हुए हैं। अपनी चिंतन करने की क्षमता को नष्ट कर रहे हैं। युवा अमुल्य समय, चिंतन और प्रेम जैसे पवित्र शब्द को मलिन करने वाली वासना में उलझे रहते हैं। कामवासना के त्याग के बिना कोई भी इंसान महान नहीं बन सकता है। इसीलिए महान लोग कामवासना त्यागकर ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं।
तीसरी बात हैलोकैषणा। अधिकांश लोग अपनी यश-कीर्ति बढ़ाने और सस्ती वाह-वाही लुटने के लिए सामाजिक कार्यों में लगे रहते हैं। ऐसे लोगों को जिस क्षेत्र में खुद के प्रचार का अवसर मिलता है, वे उसी ओर चल देते हैं। जहां यश-कीर्ति, सम्मान नहीं मिलता है, वे लोग वहां नहीं जाते हैं। उच्च आदर्श वाले महान लोग समाज कल्याण के लिए अपने आप को समर्पित कर देते हैं और कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं चाहते हैं।
लोकैषणा और यश-लोलुपता एक ऐसी मानसिक दुर्बलता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति न तो अपनी महानता विकसित कर पाता है और न समाज के लिए उपयोगी बन सकता है।महान बनने के लिए इन तीनों बातों से बचना बहुत जरूरी है।
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दुनिया के 20 रईसजादों में बॉलीवुड के ये चार
नई दिल्ली. फोर्ब्स की दुनिया के 20 सबसे ज्यादा कमाने वाले अभिनेताओं की सूची में इस बार बॉलिवुड के चार सुपरस्टार भी शामिल हैं. इन सुपरस्टारों में शाहरुख खान, अक्षय कुमार, सलमान खान और अमिताभ बच्चन का नाम है
इस सूची में भारत से शाहरुख खान ने शीर्ष पर जगह बनाई है. विश्व स्तर पर शाहरुख आठवें नंबर पर हैं, उनकी सालाना कमाई 330 लाख डॉलर है. 10वें नंबर पर अक्षय कुमार हैं, जिनकी कमाई 315 लाख डॉलर है. 285 लाख डॉलर की कमाई के साथ सलमान खान 14वें नंबर पर हैं. अमिताभ बच्चन 18वें नंबर पर हैं और उनकी कमाई 200 लाख डॉलर है.
शाहरुख खान पिछले साल इस सूची में शामिल नहीं थे लेकिन इस बार उन्होंने जेारदार वापसी की है. फोर्ब्स ने लिखा है कि शाहरुख 'दिलवाले' और अन्य फिल्मों में अपनी मुख्य भूमिका के साथ बॉक्स आॅफिस पर छाए रहे और कई विदेशों ब्रांडों के साथ काम किया.
सलमान खान और अमिताभ बच्चन की रैंकिंग इस बार कुछ पीछे खिसक गई है. सलमान की कमाई पिछली बार 335 लाख डॉलर थी. अमिताभ ने पिछली सूची में सातवां स्थान हासिल किया था. हाल ही में विश्व की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली शीर्ष दस अभिनेत्रियों की सूची में भारत से केवल दीपिका पादुकोण का नाम शामिल था. उनकी एक साल की कमाई 100 लाख डॉलर है. ये आंकड़े शुल्क और करों से पहले 1 जून 2015 से 1 जून 2016 तक हैं.
इस सूची में सबसे पहला नाम ड्वेन 'द रॉक' जॉनसन का है, जो लगभग 645 लाख डॉलर कमाते हैं. उनकी कमाई सबसे ज्यादा कमाने वाली हॉलिवुड अभिनेत्री जेनिफर लॉरेंस से 200 लाख डॉलर ज्यादा है.
इस सूची में भारत से शाहरुख खान ने शीर्ष पर जगह बनाई है. विश्व स्तर पर शाहरुख आठवें नंबर पर हैं, उनकी सालाना कमाई 330 लाख डॉलर है. 10वें नंबर पर अक्षय कुमार हैं, जिनकी कमाई 315 लाख डॉलर है. 285 लाख डॉलर की कमाई के साथ सलमान खान 14वें नंबर पर हैं. अमिताभ बच्चन 18वें नंबर पर हैं और उनकी कमाई 200 लाख डॉलर है.
शाहरुख खान पिछले साल इस सूची में शामिल नहीं थे लेकिन इस बार उन्होंने जेारदार वापसी की है. फोर्ब्स ने लिखा है कि शाहरुख 'दिलवाले' और अन्य फिल्मों में अपनी मुख्य भूमिका के साथ बॉक्स आॅफिस पर छाए रहे और कई विदेशों ब्रांडों के साथ काम किया.
सलमान खान और अमिताभ बच्चन की रैंकिंग इस बार कुछ पीछे खिसक गई है. सलमान की कमाई पिछली बार 335 लाख डॉलर थी. अमिताभ ने पिछली सूची में सातवां स्थान हासिल किया था. हाल ही में विश्व की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली शीर्ष दस अभिनेत्रियों की सूची में भारत से केवल दीपिका पादुकोण का नाम शामिल था. उनकी एक साल की कमाई 100 लाख डॉलर है. ये आंकड़े शुल्क और करों से पहले 1 जून 2015 से 1 जून 2016 तक हैं.
इस सूची में सबसे पहला नाम ड्वेन 'द रॉक' जॉनसन का है, जो लगभग 645 लाख डॉलर कमाते हैं. उनकी कमाई सबसे ज्यादा कमाने वाली हॉलिवुड अभिनेत्री जेनिफर लॉरेंस से 200 लाख डॉलर ज्यादा है.
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गुरुवार, 25 अगस्त 2016
एक एेसी जगह, जहां समुद्र के अंदर हिन्दुओं के धार्मिक स्थल
वैसे तो हिन्दुअों के धार्मिक स्थल पूरी दुनिया में फैले है लेकिन अापको यह जान कर हैरानी होगी कि हमारे संसार में एक जगह एेसी है जहां अापको समुद्र के नीचे भी धार्मिक स्थल दिखाई देगे, जिनका विस्तार अाकाश अौर धरती तक हुअा है। अाइए जानते अौर देखते समुद्र के नीचे बने इन धार्मिक स्थलों के बारे में...
इंडोनेशिया के समुद्र के नीचे बनी भगवान् विष्णु की मूर्ति लगभग 5000 हजार साल पुरानी बताई जाती है। लोग स्विमिंग करते समय इनके दर्शन करने जरूर अाते है।
यहां समुद्र के नीचे बने एक खँडहर को देखकर लगता है जैसे यह द्वारिका नगरी हो सकती ह।क्योंकि द्वारिका नगरी समुद्र तट पर बसी थी और सुमद्र के अंदर विलीन हो गई थी।
इस जगह पर यह शिव मूर्ति भी समुद्र के अंदर ही मिली, जो इस जगह पर उस समय की जाने वाली शिव पूजा को दर्शाता है अौर लोग इसको देखने के लिए भी अाते है।इन सब को देखकर लगता है यहां कोई प्रचीन नगरी रही होगी, जो समुद्र के समीप या अंदर होने के कारण यहां ढूब गयी होगी।
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जरा हटके
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दोनों यही बन गए।
इस कंडोम में ऐसा क्या है जिसके लिए बुकिंग एडवांस हो रही
आप भी सुनकर हैरान रह गए होंगे की आखिर इस कंडोम में ऐसा क्या है जिससे इसकी बुकिंग एडवांस हो रही है और 30 हज़ार से ज्यादा लोग करवा भी चुके है। आपको बता दे की प्रत्येक पुरुष के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब उसे कंडोम की जरूरत होती है, लेकिन इसे इस्तेमाल करने वाले अधिकांश पुरुषों की एक ही शिकायत रहती है कि कंडोम जल्दी फट जाता है या सेक्स के दौरान स्लिप कर जाता है। अब ऐसे लोगों की समस्या को दूर करते हुए सेक्स टॉय बनाने वाली स्वीडन की कंपनी लेलो ने हेक्स ब्रैंड नाम से एक कंडोम बनाया है।
इस कंडोम की खासियत यह है कि जब इस पर दबाव पड़ता है तो यह छह दिशाओं में फैल जाता है। इस लचीलेपन के कारण कंडोम की सतह पर तनाव नहीं आता है, जिस कारण यह आसानी से फटता नहीं है। लेलो कंपनी के संस्थापक सेडिक फिलिप ने बताया है कि अगर आप इसमें छेद भी करेंगे तो इसकी सिर्फ एक ही सेल नष्ट होगी, पूरा कंडोम नहीं होगा। इसके अंदर की संरचना इस प्रकार की है कि इसके स्लिप होने या फटने का खतरा बिल्कुल नहीं है। सेडिक ने बताया कि लोग बहाना बनाते हैं कि कंडोम के फट जाने के कारण वे इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं।
हम चाहते हैं कि उनके सभी बहानों को दूर किया जाए। हालांकि कंपनी ने अभी इस प्रोडक्ट को मार्केट में उतारा नहीं है, लेकिन इसकी डिमांड का आलम यह है कि कंपनी 30,000 लोगों से करीब 10 लाख रुपए डॉलर से ज्यादा पैसा जमा कर चुकी है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी को फंड जुटाने की मुहिम में हिस्सा लेने वाले करीब 73 फीसदी पुरुष हैं जबिक 27 फीसदी महिलाएं हैं।
हेक्स का ऑनलाइन खुदरा मूल्य 12 पैक के लिए 19.90 डॉलर यानी करीब 1293 रुपये है और 36 के एक पैक का मूल्य करीब 2300 रुपये है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने बताया कि शीघ्र ही कंपनी दुनिया भर के रिटेल स्टोर्स में इसकी बिक्री शुरू कर देगी।
इस कंडोम की खासियत यह है कि जब इस पर दबाव पड़ता है तो यह छह दिशाओं में फैल जाता है। इस लचीलेपन के कारण कंडोम की सतह पर तनाव नहीं आता है, जिस कारण यह आसानी से फटता नहीं है। लेलो कंपनी के संस्थापक सेडिक फिलिप ने बताया है कि अगर आप इसमें छेद भी करेंगे तो इसकी सिर्फ एक ही सेल नष्ट होगी, पूरा कंडोम नहीं होगा। इसके अंदर की संरचना इस प्रकार की है कि इसके स्लिप होने या फटने का खतरा बिल्कुल नहीं है। सेडिक ने बताया कि लोग बहाना बनाते हैं कि कंडोम के फट जाने के कारण वे इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं।
हम चाहते हैं कि उनके सभी बहानों को दूर किया जाए। हालांकि कंपनी ने अभी इस प्रोडक्ट को मार्केट में उतारा नहीं है, लेकिन इसकी डिमांड का आलम यह है कि कंपनी 30,000 लोगों से करीब 10 लाख रुपए डॉलर से ज्यादा पैसा जमा कर चुकी है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी को फंड जुटाने की मुहिम में हिस्सा लेने वाले करीब 73 फीसदी पुरुष हैं जबिक 27 फीसदी महिलाएं हैं।
हेक्स का ऑनलाइन खुदरा मूल्य 12 पैक के लिए 19.90 डॉलर यानी करीब 1293 रुपये है और 36 के एक पैक का मूल्य करीब 2300 रुपये है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने बताया कि शीघ्र ही कंपनी दुनिया भर के रिटेल स्टोर्स में इसकी बिक्री शुरू कर देगी।
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बुधवार, 24 अगस्त 2016
थाईलैंड का अनोखा मंदिर, कांच की बोतलों से किया गया तैयार
दुनिया में बहुत-सी इमारते एेसी जो अपनी सुंदरता और अदभूत कलाकारी के लिए जानी जाती है। कहीं अलग-अलग डिजाइन की चित्रकारी की होती है तो कहीं पुराने वेस्ट सामान से जैसे कांच की बोतले से इमारतों तैयार किया जाता है। अाज हम अापको एेसी ही एक इमारत के बारे में बता रहें है, जो बियर की बोतलों से बनाई गई है।
हेनेकेन बीयर कंपनी ने लगभग 50 साल पहले एक सपना देखा जो उनका सपना था पीयर की बोतलो से एक इमारत खड़ी करना लेकिन उनका यह सपना केवल सपना ही बन कर रह गया। अब कुछ साल पहले ही थाईलैंड के बौद्ध भिक्षुओं इस सपने की कमान अपने हाथों में लेकर पूरा कर दिखाया।
Sisaket प्रांत के इन भिक्षुओं ने दस लाख बियर की बोतलें इकट्ठा करके 'Wat Pa Maha Chedi Kaew' मंदिर को स्थापित कर दिया। इस मंदिर के बाथरूम से लेकर शमशान तक बियर की बोतलों से तैयार किया गया है। हरे और भूरे कांच की बोतलों से यह मंदिर अपनी कलाकारी के लिए अलग ही मिसाल बना हुअा है।
दीवारों में इन बोतलों से बना डिज़ाइन आपके दिल में बस जाएगा। इन फालतू बोतलों से बने इस खूबसूरत मंदिर को देखकर एक बात साफ हो गई कि कूड़ा कुछ नहीं होता, बस कुछ ज़रूरी चीजें गलत स्थान पर होती हैं।
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जरा हटके
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इस गांव में हनुमान को समझा जाता है दुश्मन, नहीं होती है पूजा क्यों...?
नई दिल्ली। मंगलवार का दिन संकटमोचन हनुमान को समर्पित है. हमें बचपन से ही सिखाया जाता रहा है कि बुरे वक्त में हनुमान को याद करें. कहते भी हैं कि भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान का नाम लेने भर से ही तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं. भारत ही नहीं दुनियाभर में करोड़ों हिन्दू हनुमान की पूजा करते हैं. उत्तराखंड को तो देवभूमि कहा जाता है, यहां 33 कोटि के देवताओं की पूजा होती है. लेकिन उत्तराखंड में ही एक ऐसी जगह भी है, जहां हनुमान की पूजा नहीं होती बल्कि लोग उनसे नाराज रहते हैं. जी हां यह सच है. उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ-नीति मार्ग पर करीब 14000 फुट की ऊंचाई पर एक छोटा सा गांव द्रोणागिरि है. द्रोणागिरि पर्वत पर बसे इस गांव के बारे में मान्यता है कि रामायण काल में लक्ष्मण के मूर्छित होने पर संजीवनी बूटी की खोज में आए बजरंगबली हनुमान जिस पर्वत को उठाकर ले गए थे, वह यहीं पर स्थित था. द्रोणागिरि के लोग इस पर्वत की पूजा करते थे और आज भी इसके एक हिस्से की पूजा यहां के ग्रामीण करते हैं. संकटमोचन के इसी कृत्य के कारण यहां के लोग इतने क्रोधित हैं कि वे अब तक हनुमान की पूजा नहीं करते. द्रोणागिरि निवासी इसलिए तो नाराज हैं ही कि हनुमान ने उनकी संजीवनी बूटी चुरा ली थी, इसकी और वजह भी हैं. ग्रामीणों के मुताबिक जिस वक्त हनुमान संजीवनी बूटी लेने आए उस वक्त उनका पहाड़ देवता ध्यान मुद्रा में था. स्थानीय लोगों की यह मान्यता रही है कि उनके पहाड़ देवता ग्रामीणों को दिखाई देते हैं. जब हनुमान बूटी लेने यहां आए तो उन्होंने पहाड़ देवता से इसके लिए इजाजत भी नहीं ली और न ही उनकी ध्यान-साधना पूरी होने का इंतजार किया. बल्कि वे हनुमान पर आरोप लगाते हैं कि उन्होंने उनके पहाड़ देवता का ध्यान भंग कर दिया.
दंत कथाओं के अनुसार हनुमान ने द्रोणागिरि के पहाड़ देवता की दायीं भुजा भी उखाड़ दी थी. स्थानीय वेबसाइट उत्तरांचलटुडे के अनुसार द्रोणागिरि में मान्यता है कि आज भी उनके पहाड़ देवता की दायीं भुजा से खून बह रहा है, यह भी एक वजह है कि यहां के लोग आज तक बजरंगबली से नाराज हैं और उनकी पूजा नहीं करते. इस मान्यता को पर्यावरण के प्रति पहाड़ के लोगों की सजगता से भी जोड़कर देखा जा सकता है. यहां के ग्रामीण मिसाल पैदा करते हैं कि अपने पहाड़ के जल, जंगल और जमीन को सुरक्षित रखने के लिए वे भगवान से भी नाराज हो सकते हैं, तो फिर इंसान क्या चीज हैं.
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जरा हटके
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मंगलवार, 23 अगस्त 2016
'काला चश्मा' हुआ हिट, देखने वालों की संख्या 5 करोड़ के पार, क्या आपने देखा...
मुंबई: बॉलीवुड स्टार सिद्धार्थ और कटरीना की आने वाली फिल्म 'बार बार देखो' का गाना 'काला चश्मा' फैंस को काफी पसंद आ रहा है। इस गाने को देखने वालो की संख्या शनिवार तक पांच करोड़ के पार हो गए थे। देखा जाए तो इस गाने में कटरीना कैफ और सिद्धार्थ मल्होत्रा बिंदास डांस करते नजर आ रहे हैं। गाने में देसी के साथ वेस्टर्न का जबरदस्त तड़का देखने को मिल रहा है। इस गीत को बादशाह, नेहा कक्कड़ और इंदीप बख्शी ने अपनी आवाज दी है।
यह गाना 1990 के हिट पंजाबी गीत 'तैनु काला चश्मा जंचता वे' का हिन्दी संस्करण है। फिल्म के सह-निर्माता फिल्मकार करण जौहर ने ट्विटर पर यह बात शेयर की है।
उन्होंने लिखा, ''पार्टी स्टार्टर अब राज कर रहा है। हॉफ सेंचुरी के रिकॉर्ड का समय। 'काला चश्मा' को पांच करोड़ बार देखा गया। 'बार बार देखो'।''
यह गीत यूट्यूब पर 26 जुलाई को ऑनलाइन पोस्ट किया गया था। इसमें कैटरीना और सिद्धार्थ डांस करते नजर आ रहे हैं।
बता दें फिल्म 'बार बार देखो' में सिद्धार्थ मल्होत्रा जय का किरदार निभा रहे हैं, जो दीया की भूमिका निभा रहीं अभिनेत्री कैटरीना कैफ से प्यार करते हैं। फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी भी फिल्म के सह-निर्माता हैं।
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सिनेजगत
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जन्माष्टमी पर इस बार विशेष संयोग, यू रहेगा फलदायी
कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इसबार 25 अगस्त को अष्टमी और उनके जन्म नक्षत्र रोहिणी के पावन संयोग में मनेगी। इस दिन अष्टमी उदया तिथि में और मध्य रात्रि जन्मोत्सव के समय रोहिणी नक्षत्र का संयोग रहेगा। भादो महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर गुरुवार 25 अगस्त को कृष्ण जन्मोत्सव की धूम रहेगी। विशेष संयोग के साथ भगवान का जन्मोत्सव मनेगा।25 अगस्त को सूर्योदय के साथ ही अष्टमी तिथि का आगमन हो रहा है। अष्टमी तिथि 25 अगस्त को रात्रि 8.13 बजे तक रहेगी। इससे पूरे समय अष्टमी तिथि का प्रभाव रहेगा। इसके साथ ही मध्य रात्रि भगवान के जन्मोत्सव के समय रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग रहेगा। इससे कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म के समय बनने वाले संयोगों के साथ विशेष फलदायी रहेगी। 24 अगस्त बुधवार की रात्रि 10.13 बजे से अष्टमी तिथि का आगमन हो रहा है। इस वजह से तिथि काल मानने वाले बुधवार को भी जन्मोत्सव मनाएंगे, लेकिन गुरुवार उदयाकाल की तिथि में व्रत जन्मोत्सव मनाना शास्त्र मत रहेगा।कृष्ण जन्मोत्सव के दिन मंदिरों सहित घर-घर भगवान के झूले सजेंगे और विशेष आराधना होगी। मंदिरों में मोहक झांकी के साथ ही भगवान के दर्शन होंगे। देश भर के विभिन्न मंदिरों में मध्य रात्रि भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस अवसर पर भगवान को झूला झुलाने और उनकी एक झलक पाने के लिए भक्तों की कतार लगेगी। बाल-गोपाल की रहेगी धूम। कई शहरों के विभिन्न चौक-चौराहों पर दही-हांडी की प्रतियोगिता होगी। गीत-संगीत के साथ ही बाल-गोपालों की धूम रहेगी। बाजे-गाजे के साथ ही गोपालों की टोलियां निकलेंगी और दही-हांडी फोड़ प्रतियोगिता के साथ कृष्ण जन्मोत्सव देर रात्रि तक रहेगा।
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सौ साल की उम्र में ग्रेजुएट हुई ये महिला !
सौ साल की एक बुजर्ग महिला का 80 साल लंबा इंतजार तब खत्म हुआ जब उसे आखिरकार उनका हाई स्कूल डिप्लोमा दिया गया। ये महिला अमेरिका के मैसाचुसेट्स राज्य की रहनी वाली है।सौ साल की उम्र में ग्रेजुएट हुई ये महिला ! एक वेबसाइट की खबर के अनुसार, वैश्विक मंदी के दौर में क्लेर पिस्सिउटो नामक ये महिला हाई स्कूल में दाखिला लेने वाली थी। लेकिन उसके माता-पिता ने उनकी पढ़ाई छुड़वाकर, उन्हें कोई नौकरी करने को कहा। हालांकि क्लेर के भाइयों को आगे पढ़ने की इजाजत थी। क्लेर ने बताया कि उन्हें ये बात पसंद नहीं आती थी क्योंकि महिलाओं को भी पढ़ने का पूरा हक मिलना चाहिए।पढ़ाई से नाता टूटने के बाद वो पर्दे सिलने वाली एक फैक्ट्री में दिहाड़ी पर काम करने लगीं, लेकिन उनकी पढ़ने की चाह खत्म नहीं हुई। वो शब्दकोश और इनसाइक्लोपीडिया की सहायता से कुछ न कुछ सीखती रहीं। वो कहती हैं कि मैं इन किताबों में शब्दों को ढूंढकर फिर उन्हें खुद ही सीखने की कोशिश करती थी।क्लेर की 59 साल की बेटी डिबेराह बताती हैं कि वो हमेशा से ही चाहती थीं कि उनकी मां अपनी ग्रेजुएशन पूरी कर लें। फिर एक दिन उन्होंने क्लेर को तोहफे में एक काले गाउन के साथ नॉर्थ रीडिंग पब्लिक स्कूल का डिप्लोमा उनके हाथ में थमा दिया।
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सोमवार, 22 अगस्त 2016
इस अस्पताल में होता मुर्दों का इलाज
डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है। चिकित्सा केवल पेशा नहीं माना जाता। लेकिन, इस पाक पेशा को शर्मसार करता एक मामला बिहार की राजधानी पटना में सामने आया है। नगर के एक नामी निजी अस्पताल में मरी महिला का दो दिनों तक आईसीयू में रखकर फर्जी इलाज किया गया। इस बाबत अस्पताल के खिलाफ बुधवार को एफआईआर दर्ज कराई गई।जानकारी के अनुसार शिवहर की रहने वाली एक महिला को परिजनों ने इलाज़ के लिए पटना के एक बड़े निजी अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल में उसका इलाज आईसीयू में छह अगस्त से जारी था। लेकिन, अस्पताल प्रबंधन ने 14 अगस्त के बाद परिजनों को नहीं दी। परिजनों को बताया गया कि मरीज की हालत गंभीर है आैर इस बहाने उनसे अंधाधुंध रुपये लिए जाते रहे।मंगलवार को जब महिला की भतीजी किसी तरह आईसीयू में गई तो देखकर सन्न रह गई कि उसकी चाची मृत है। मॉनिटर में पल्स, ब्लड प्रेशर व हार्ट बीट शून्य दिख रहे थे। जब मृत महिला की भतीजी ने चिल्लाना शुरू किया तब अस्पताल के कर्मचारी दिखाने के लिए इलाज का नाटक करने लगे।लड़की ने साहस दिखाते हुए अपने मोबाइल से मॉनीटर व इलाज का वीडियो बना लिया। कर्मचारियों ने उसे मारने और मोबाइल तोड़ने की कोशिश की, लेकिन तब तक अस्पताल की सारी हरकतें मोबाइल से व्हाट्सऐप के माध्यम से बाहर जा चुकी थीं।घटना की बाबत पूछने पर अस्पताल प्रबंधन ने किसी गलत काम से इंकार किया। उसके अनुसार मृत महिला के परिजनों को गलतफहमी हुई है। बहरहाल, अस्पताल के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
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जरा हटके
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दोनों यही बन गए।
17 महीने से प्रेग्नेंट है ये महिला फिर क्यों नहीं बन रही मां
हुनान। मध्य चीन के हुनान प्रांत की रहने वाली एक महिला ने दावा किया है कि वह 17 महीनों की गर्भवती है। उसे नवंबर 2015 में बच्चे को जन्म देना था, लेकिन डॉक्टरों ने उसकी डिलेवरी करने से रोक दिया।वांग शी नाम की महिला का कहना है कि डॉक्टर्स ने उसे बताया कि उसका प्लेसेंटा पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है, जिसके चलते उसकी डिलेवरी नहीं की जा रही है। हालांकि, कुछ डॉक्टरों को महिला के दावे पर भरोसा नहीं हो रहा है। वह महिला से अपने दावे के समर्थन में सबूत देने की मांग कर रहे हैं।बहरहाल, जो भी हो लेकिन अपने दावे के कारण वांग शी चीन में खबरों में छाई हुई हैं। उन्होंने बताया कि 14 वें महीने तक डॉक्टर्स प्लेसेंटा के अंडर-डेवलप होने की बात कहते रहे और ऑपरेशन से इनकार कर दिया। अब 18 महीने पूरे होने पर वांग अंजाम की परवाह किए बिना बेबी को जन्म देने के लिए तैयार हैं।इस बीच वांग ने अपने दावे को सच साबित करने के लिए स्थानीय अधिकारियों की ओर से जारी किए गए अधिकारिक दस्तावेज दिखाए हैं। इसमें वांग को डिलिवरी की तय प्रक्रिया के तहत बच्चे को जन्म देने की इजाजत मिली है। वांग ने कहा कि वह अब तक 30 से ज्यादा बार चेकअप करा चुकी है।इस प्रक्रिया में उसके करीब एक लाख रुपए तक खर्च हो चुके हैं। उधर, कई मेडिकल एक्सपर्ट्स इन दावों को खारिज कर चुके हैं। हुआंग नाम के डॉक्टर का ने बताया कि मेरी जांच के अनुसार, बच्चा 38 हफ्तों का है और सबकुछ सामान्य है।
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जरा हटके
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
संतान की लंबी आयु के लिए माताएं रखेंगी हलषष्टी व्रत
भाद्रपद कृष्णपक्ष षष्ठी तिथि को भगवान बलराम जयंती के रूप में मनाया जाता है। मंगलवार 23 अगस्त को षष्ठी तिथि होने से माताएं अपनी संतना की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के की कामना के लिए हलषष्ठी व्रत रखेंगी।पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री के अनुसार इस दिन माताएं दिनभर उपवास रखने के बाद हलषष्ठी का पूजा कर कथा सुनकर शाम को बिना हल चले अनाज व पांच प्रकार की भाजी ग्रहण करेंगी। इसमें पसहर चावल का विशेष महत्व होता है। हलषष्ठी में हल का उपयोग किए बिना लगे अन्न व फलों का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही लाई, मिट्टी के चुकिया, खेम के मेड़ में उगे काशी का उपयोग भी किया जाता है।
भैंस के दूध व भाजी से होता है पूजन
हलषष्ठी में भैंस के दूध से बने घी और दही का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही हल की जोताई और बोवाई से उत्पन्न अन्न का त्याग किया जाता है। इस पर्व पर पांच प्रकार भाजी, महुवा, आम, पलास की पत्ती, कांसी के फूल, नारियल, मिठाई, रोली-अक्षत, फल, फूल सहित अन्य पूजन सामग्री से विधि-विधान से पूजन करने की परंपरा है। शास्त्रों में संतान की रक्षा के लिए माताओं के लिए श्रेष्ठ बताया गया है।
कुंड बनाकर हलषष्ठी की पूजा
इस दिन माताएं सुबह से ही महुआ पेड़ की डाली का दातून कर, स्नान कर व्रत धारण करती हैं। इस व्रत में भैस के दूध का ही उपयोग किया जाता हैं। दोपहर के बाद घर के आंगन में, मंदिर-देवालय कुंड (सगरी) बनाकर उसमें जल भरते हैं। बेर, पलाश, गूलर पेड़ों की टहनियों तथा काशी के फूल को लगाकर सजाते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।
भैंस के दूध व भाजी से होता है पूजन
हलषष्ठी में भैंस के दूध से बने घी और दही का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही हल की जोताई और बोवाई से उत्पन्न अन्न का त्याग किया जाता है। इस पर्व पर पांच प्रकार भाजी, महुवा, आम, पलास की पत्ती, कांसी के फूल, नारियल, मिठाई, रोली-अक्षत, फल, फूल सहित अन्य पूजन सामग्री से विधि-विधान से पूजन करने की परंपरा है। शास्त्रों में संतान की रक्षा के लिए माताओं के लिए श्रेष्ठ बताया गया है।
कुंड बनाकर हलषष्ठी की पूजा
इस दिन माताएं सुबह से ही महुआ पेड़ की डाली का दातून कर, स्नान कर व्रत धारण करती हैं। इस व्रत में भैस के दूध का ही उपयोग किया जाता हैं। दोपहर के बाद घर के आंगन में, मंदिर-देवालय कुंड (सगरी) बनाकर उसमें जल भरते हैं। बेर, पलाश, गूलर पेड़ों की टहनियों तथा काशी के फूल को लगाकर सजाते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।
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रविवार, 21 अगस्त 2016
श्रीदेवी के साथ एक बार फिर नजर आ सकते हैं दबंग खान
मुंबई। बॉलीवुड के दबंग स्टार सलमान खान रूप की रानी श्रीदेवी को लेकर फिल्म बना सकते हैं। सलमान बतौर निर्माता काफी सक्रिय हो गये हैं। सलमान अपने बैनर तले दूसरे फिल्ममेकर्स को लगातार मौके दे रहे हैं। चर्चा है कि सलमान विपुल शाह की फिल्म को प्रोड्यूस कर सकते हैं। सलमान के प्रोडक्शन हाउस को विपुल की स्क्रिप्ट काफी पसंद आई है, जो एक मां-बेटी के रिश्ते की कहानी है। चर्चा है कि फिल्म के लिये श्रीदेवी को एप्रोच किया जा रहा है। यह महिला-प्रधान फिल्म होगी, जिसमें श्रीदेवी को मां का किरदार ऑफर किया गया है। चर्चा है कि बेटी के रोल के लिए अक्षरा हासन या पाकिस्तानी एक्ट्रेस सजल अली में से किसी एक का चयन किया जा सकता है । नवाजुद्दीन सिद्दीकी इस फिल्म में स्पेशल एपीयरेंस करेंगे। सलमान ने श्रीदेवी के साथ बतौर अभिनेता 'चांद का टुकड़ा' और 'चंद्रमुखी' जैसी फिल्मों में काम किया है।
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ये उपाय अपनाएं: बुरे दिनों से छुटकारा पाएं
भाग्य का रूठ जाना, बुरे दिन और ग्रहों की कुदृष्टि एक रोग की तरह है। जिस प्रकार बीमारी का इलाज किया जाता है ठीक उसी प्रकार आप बुरे दिनों के प्रभाव को छुटकारा पा सकते हैं, परन्तु बीमार के ठीक होने जाने पर उसे पूर्ण स्वस्थ और सबल बनाने के लिए ताकत की दवाएं और विशेष भोजन देना पडता है, ठीक उसी प्रकार बुरे दिनों को हटाने वाले कार्य करने और उनमें कुछ सफलता प्राप्त करने के पश्चात् भाग्यवृद्धिकारक कुछ उपाय भी करने होंगे।
वास्तविकता तो यह है कि दुर्भाग्य को हटाने वाले प्रयासों के साथ-साथ ही ये सौाभाग्यवद्र्धक टोने-टोटके भी चलते ही रहते हैं। परन्तु यहां एक विशेष अन्तर है। दुर्भाग्य हटाने और ग्रह पीडा निवारण के उपाय तो केवल बुरे दिनों में ही किए जाते हैं, परन्तु इस प्रकार के तावीज आदि तो अधिकांश व्यक्ति जीवन भर पहने रहते हैं।
अगर आप अपनी किस्मत सचमें चमकाना चाहते हैं तो चीटियों को सूखे आटे में शक्कर मिलाकर खिलाते हैं तो यह भी भाग्य का दरवाजा खोलने का काम करती हैं यह उपाय लगातार अपनी जीवनशैली में शामिल कर लें और कुछ ही दिनों में इसका फर्क दिखने लगेगा।
दीन-दुखियों की सहायता करना, भूखे को भोजन और भटके को राह दिखलाना भाग्य चमकाने का सबसे बडा टोटका है क्योंकि उनकी दुआएं हमारी प्रगति में परम सहायक सिद्ध होती है।
गरीब और कमजोर को सताने पर उसके मुख से जो हाय निकलती है, वह हमारे सभी पुण्यफलों को क्षीण कर देती है जिसके फलस्वरूप कभी भी भाग्य का सितारा डूब सकता है, अत: विशेष सावधानी आवश्यक है।
आप जब भी घर से निकलें तो पहले दही का सेवन जरूर करना चाहिए। दही को पवित्र माना जाता है। इसकी पवित्रता और स्वाद से मन प्रसन्न होता है। इसी वजज से इसे पूजन सामग्री में भी खास स्थान प्राप्त है। दही खाने से विचार सकारात्क होते हैं और नाकारात्क विचारों से छुटकारा मिलता है।
तुलसी का पौधा सभी के घरों में होता है। शास्त्रों के मुताबिक तुलसी को पवित्र और पूजनीय माना जाता है। जिस घर में तुलसी का पूजन प्रतिदिन होता है। उस घर में महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
वास्तविकता तो यह है कि दुर्भाग्य को हटाने वाले प्रयासों के साथ-साथ ही ये सौाभाग्यवद्र्धक टोने-टोटके भी चलते ही रहते हैं। परन्तु यहां एक विशेष अन्तर है। दुर्भाग्य हटाने और ग्रह पीडा निवारण के उपाय तो केवल बुरे दिनों में ही किए जाते हैं, परन्तु इस प्रकार के तावीज आदि तो अधिकांश व्यक्ति जीवन भर पहने रहते हैं।
अगर आप अपनी किस्मत सचमें चमकाना चाहते हैं तो चीटियों को सूखे आटे में शक्कर मिलाकर खिलाते हैं तो यह भी भाग्य का दरवाजा खोलने का काम करती हैं यह उपाय लगातार अपनी जीवनशैली में शामिल कर लें और कुछ ही दिनों में इसका फर्क दिखने लगेगा।
दीन-दुखियों की सहायता करना, भूखे को भोजन और भटके को राह दिखलाना भाग्य चमकाने का सबसे बडा टोटका है क्योंकि उनकी दुआएं हमारी प्रगति में परम सहायक सिद्ध होती है।
गरीब और कमजोर को सताने पर उसके मुख से जो हाय निकलती है, वह हमारे सभी पुण्यफलों को क्षीण कर देती है जिसके फलस्वरूप कभी भी भाग्य का सितारा डूब सकता है, अत: विशेष सावधानी आवश्यक है।
आप जब भी घर से निकलें तो पहले दही का सेवन जरूर करना चाहिए। दही को पवित्र माना जाता है। इसकी पवित्रता और स्वाद से मन प्रसन्न होता है। इसी वजज से इसे पूजन सामग्री में भी खास स्थान प्राप्त है। दही खाने से विचार सकारात्क होते हैं और नाकारात्क विचारों से छुटकारा मिलता है।
तुलसी का पौधा सभी के घरों में होता है। शास्त्रों के मुताबिक तुलसी को पवित्र और पूजनीय माना जाता है। जिस घर में तुलसी का पूजन प्रतिदिन होता है। उस घर में महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
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जानिए:भगवान श्रीकृष्ण महिमा के बारे में
भगवान श्रीकृष्ण को भारत के एक लोकदेवला के रूप में प्रतिपादित किया जिसके कारण ना केवल श्रीकृष्ण की महिमा और भव्यता में विस्तार हुआ बल्कि कृष्ण कथा एवं कृष्णागाथाओं का भी कलेवर एवं रूपरेखा समृद्ध हुई।
इसके अतिरिक्त श्रीकृष्ण के प्रति भारतीयों के विचित्र आकर्षण का एक अनय यह भी कारण है कि कृष्णकथा एवं कृष्णाख्यान ही भारत मेंएक ऐसी गाथा है जोकि सदियों से भारतीयों के जनमानस के साथ अंतरंगता से जुडी हुई है और उनकी अन्तचेंतना में इस तरह घनिष्ठता से समाहित है और श्रीकृष्ण की मन्त्रमुग्ध करने वाली अलौकिक माधुरी व्यक्तित्व छटा उनके विचारों, अन्तर्भावों और सांस्कृतिक आयामों में इतनी रस बस गई है कि प्रत्येक भारतीय उन्हें अपने अन्तरंग पाकर उनसे अपने दिल की बात कहने में भी सफल हो जाता है।
चाहे वह किसी वर्ग, जाति अथवा धर्म से सम्बधित हो, खेती बाडी करता हुआ कृषक या कारखाने का मजदूर अथवा गणमान्य शास्त्रवेत्ता ही क्यों ना हो ये सभी भारतीय कृष्णकथा एवं लीला प्रसंगों को अपने अपने स्वतंत्र ढंग से प्रस्तुत कर उसे जीवंत ही नहीं बनाते बल्कि व्यापक कर देते हैं।
यहीं नहीं भारतीयों के सर्वाधिक हर्षोल्लास के साथ मनाये जाने वाले अत्यन्त लोकप्रिय उत्सवों की की श्रृंखला में श्रीकृष्ण से जुडे उत्सव और त्यौहार जैसे जन्माष्टमी, रास, हिण्डोला, तीज होली, वसन्तोत्सव इत्याादि सर्वप्रसिद्ध हैं।
जो कि भारत के प्रत्येक प्रान्त के निवासी जनजातियों के जीवन का अंतरंग हिस्सा बन गए हैं।
जिसके कारणवशं यह स्वत: सिद्ध है कि श्रीकृष्ण भगवान भारत के प्रत्येक कोने में विविध आस्थाओं वाले जनसमुदाय के केवल आकर्षण केन्द्र ही नहीं बल्कि श्रद्धापात्र भी हैं अत: उनका यह अदम्य लोकदेवता रूप भारत में राष्ट्रीय एकता एवं सद्भावना के प्रचार प्रसार के लिए प्रेरणास्त्रोत की भांति कार्यान्वित किया जा सकता है।
श्रीकृष्ण सभी भरतीयों को अपनी अलौकिक माधुरी की ओर आकर्षित करते हुए सभी भारतीयों प्रान्तीय भाषाओं में निबद्ध इन कालजयी ग्रन्थों के महानायक बन हैं।
प्राकृत में वाक्पतिराज की गाथासत्तसई, बंगला में मालाधर बसु का श्रीकृष्ण विजय, कन्नड में नेमिचन्द्र का नेमिपुराण, गुजराती में भीमदेव की हरिलीला, तेलुगु में पोटन का भागवत और मलयालम में चेरूशेरी की कृष्णगाथा, असमी में शंकरदेव का कीर्तनघोष। सन्दर्भ के उपसंहार में ऐसे अप्रतिम प्रभाव वाले भारतीयों के जन-नायक लोकदेवता श्रीकृष्ण के सम्बन्ध में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू के ये प्रशंसा उद्गार अतीव समीचीन हैं श्रीकृष्ण केआख्यान या कथा जिसने देश के लम्बे इतिहास में भारतीयों पर गहरा प्रभाव डाला है वह नि:संदेह अपने में महत्त्वपूर्ण है।
इसके अतिरिक्त श्रीकृष्ण के प्रति भारतीयों के विचित्र आकर्षण का एक अनय यह भी कारण है कि कृष्णकथा एवं कृष्णाख्यान ही भारत मेंएक ऐसी गाथा है जोकि सदियों से भारतीयों के जनमानस के साथ अंतरंगता से जुडी हुई है और उनकी अन्तचेंतना में इस तरह घनिष्ठता से समाहित है और श्रीकृष्ण की मन्त्रमुग्ध करने वाली अलौकिक माधुरी व्यक्तित्व छटा उनके विचारों, अन्तर्भावों और सांस्कृतिक आयामों में इतनी रस बस गई है कि प्रत्येक भारतीय उन्हें अपने अन्तरंग पाकर उनसे अपने दिल की बात कहने में भी सफल हो जाता है।
चाहे वह किसी वर्ग, जाति अथवा धर्म से सम्बधित हो, खेती बाडी करता हुआ कृषक या कारखाने का मजदूर अथवा गणमान्य शास्त्रवेत्ता ही क्यों ना हो ये सभी भारतीय कृष्णकथा एवं लीला प्रसंगों को अपने अपने स्वतंत्र ढंग से प्रस्तुत कर उसे जीवंत ही नहीं बनाते बल्कि व्यापक कर देते हैं।
यहीं नहीं भारतीयों के सर्वाधिक हर्षोल्लास के साथ मनाये जाने वाले अत्यन्त लोकप्रिय उत्सवों की की श्रृंखला में श्रीकृष्ण से जुडे उत्सव और त्यौहार जैसे जन्माष्टमी, रास, हिण्डोला, तीज होली, वसन्तोत्सव इत्याादि सर्वप्रसिद्ध हैं।
जो कि भारत के प्रत्येक प्रान्त के निवासी जनजातियों के जीवन का अंतरंग हिस्सा बन गए हैं।
जिसके कारणवशं यह स्वत: सिद्ध है कि श्रीकृष्ण भगवान भारत के प्रत्येक कोने में विविध आस्थाओं वाले जनसमुदाय के केवल आकर्षण केन्द्र ही नहीं बल्कि श्रद्धापात्र भी हैं अत: उनका यह अदम्य लोकदेवता रूप भारत में राष्ट्रीय एकता एवं सद्भावना के प्रचार प्रसार के लिए प्रेरणास्त्रोत की भांति कार्यान्वित किया जा सकता है।
श्रीकृष्ण सभी भरतीयों को अपनी अलौकिक माधुरी की ओर आकर्षित करते हुए सभी भारतीयों प्रान्तीय भाषाओं में निबद्ध इन कालजयी ग्रन्थों के महानायक बन हैं।
प्राकृत में वाक्पतिराज की गाथासत्तसई, बंगला में मालाधर बसु का श्रीकृष्ण विजय, कन्नड में नेमिचन्द्र का नेमिपुराण, गुजराती में भीमदेव की हरिलीला, तेलुगु में पोटन का भागवत और मलयालम में चेरूशेरी की कृष्णगाथा, असमी में शंकरदेव का कीर्तनघोष। सन्दर्भ के उपसंहार में ऐसे अप्रतिम प्रभाव वाले भारतीयों के जन-नायक लोकदेवता श्रीकृष्ण के सम्बन्ध में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू के ये प्रशंसा उद्गार अतीव समीचीन हैं श्रीकृष्ण केआख्यान या कथा जिसने देश के लम्बे इतिहास में भारतीयों पर गहरा प्रभाव डाला है वह नि:संदेह अपने में महत्त्वपूर्ण है।
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एक ऐसा गांव जहां आदमियों का प्रवेश है वर्जित
क्या आपने कभी सुना है कि एक ऐसा गांव जहां सिर्फ महिलाएं रहती हैं और वो भी पूरी आजादी के साथ। इस गांव में पुरूषों की एंट्री बिल्कुल बंद है। पर एक दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इस गांव में रेप पीडि़ताएं रहती हैं।
यह गांव है केन्या के संभुरू राज्य में और गांव का नाम है उमोजा। यहां वो महिलाएं रहती हैं जो पुरूषों के अत्याचार से पीडि़त हैं। इस गांव में महिलाओं को आने-जाने की पूरी आजादी है पर पुरूषों को नहीं। यहां की सारी महिलाएं घरेलू हिंसा या रेप का शिकार हो चुकी है।
इस गांव को 1990 में ब्रिटिश आर्मी के रेप का शिकार हुई महिलाओं के लिए बनाया गया था। लेकिन बाद में यहां घरेलू हिंसा, रेप, बाल विवाह का शिकार हुई महिलाएं भी रहने लगीं।
आज भी इन महिलाओं का जीवन बहुत कठिन है, लेकिन ये महिलाएं फिर भी बहुत खुश हैं क्योंकि यहां उन्हें पुरूषों का अत्याचार नहीं सहना पड़ता।
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शनिवार, 20 अगस्त 2016
घर में अन्न-धन, सुख-समृद्धि और बरकत के लिए करे ये
टोटका' ऐसी वस्तु है जो साधना का भी साधन है और इच्छित फल प्राप्ति का भी। टोना-टोटका अनंत शक्तियों का भंडार होता है। टोटका करने का स्थान पवित्र, शुद्ध एवं स्वच्छ होना चाहिए। सुख-समृद्धि के लिए टोटका या उपाय करते समय श्रीमहालक्ष्मी का दिव्य रूप सदैव अपने हृदय में रखें। लक्ष्मी का आभामय रूप स्वर्णिम तेज से आलोकित है। उनकी उपस्थिति जीवन को आलोकित कर देने के लिए पर्याप्त है। आवश्यकता केवल उसे पुकारने की है। उपाय से जीवन के सभी रोग, कष्ट, व्याधि पीड़ा, मनोविकार, मानसिक परेशानियां समाप्त होती हैं तथा घर में अन्न-धन, सुख-समृद्धि और बरकत का वास होता है।
घर में अन्न-धन, सुख-समृद्धि और बरकत के लिए करे ये शास्त्रोचित उपाय
सुबह उठकर मुख्य दरवाजे के बाहर से सफाई करके एक गिलास पानी छिड़क दें। इससे घर में धन की बरकत होती है। बैंक और जेब में रखे रुपए तेजी से बढ़ने लगते हैं। अशोक का पेड़ लगाने और उसको सींचने से धन में वृद्धि होती है। अशोक के पेड़ की जड़ का एक टुकड़ा पूजा घर में रखने और रोजाना उसकी पूजा करने से घर में धन की कमी नहीं रहती।
सूर्योदय के समय यदि घर की छत पर काले तिल बिखेर दें तो घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पानी की बाल्टी में 2 चम्मच नमक डाल दें, फिर पोंछा लगाएं। इससे नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। यदि पति-पत्नी में झगड़ा होता रहता है तो पूजा घर में मंगल यंत्र रखें। साथ ही रोज रसोई बनाने के पश्चात चूल्हे को दूध से ठंडा करें। इससे संबंधों में मधुरता आती है। सदा पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोएं। पूर्व की तरफ सिर करके सोने से विद्या की प्राप्ति होती है। दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोने से धन और आयु मेें वृद्धि होती है। तुलसी के गमले में दूसरा कोई पौधा न लगाएं। तुलसी हमेशा घर के पूर्व या उत्तर दिशा में लगाएं। मकान के उत्तरी एवं पूर्वी भाग में खाली जगह अधिक हो। इससे व्यापार वृद्धि के साथ-साथ आर्थिक उन्नति में भी वृद्धि होती है। तिजोरी के लॉकर में हमेशा दो बॉक्स रखें। एक में कुछ रुपए रख कर बंद कर दें और उसमें से रुपए न निकालें। दूसरे बॉक्स में से काम के लिए रुपए निकालें। घर में टूटा-फूटा फर्नीचर, बर्तन, कांच, फटे हुए कपड़े और कतरनें पड़ी हों तो तुरन्त घर से निकाल दें।
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'धूम 4' में सलमान नहीं, किंग खान बनेंगे विलेन
मुंबई। बॉलीवुड की फिल्म 'धूम' सीरिज की चौथी फिल्म 'धूम रिलोडेड' (यानी धूम 4) के लिए स्टार कास्ट को लेकर अक्सर खबरें आती रहती हैं। इस बार ताजा खबर है कि इस फिल्म में विलेन यानी मेन रोल में बॉलीवुड किंग शाहरुख खान नजर आएंगे। कहा जा रहा है कि शाहरुख ने सलमान को रिप्लेस किया क्योंकि इससे पहले चर्चा थी कि जॉन अब्राहम, रितिक रोशन और आमिर खान के बाद 'धूम 4' में सलमान विलेन के किरदार में नजर आएंगे। हालांकि सलमान ने पहले ही इस तरह की सभी अटकलों को खारिज कर दिया था। सलमान ने बताया था कि मुझे तो इस फिल्म के लिए अप्रोच भी नहीं किया गया है। मुझे नहीं पता कि ये खबरें कहां से आनी शुरू हुईं। दूसरी तरफ खबर ये भी थी कि सलमान को अप्रोच किया गया था लेकिन सलमान अभी कोई निगेटिव रोल नहीं करना चाहते। फिलहाल खबर है कि, आदित्य चोपड़ा ने शाहरुख से इस रोल के लिए बात की है। डेट्स और फीस की बात अभी चल रही है। आदित्य चोपड़ा फिल्म के लिए फ्रेश स्टार कास्ट चाहते हैं और शायद इसी कारण से रणवीर सिंह के नाम पर भी चर्चा हो रही है। बता दें कि 'धूम 4' की शूटिंग 2017 में शुरू होगी। कहा यह भी जा रहा था कि सलमान के अपोजिट वाणी कपूर को साइन किया गया है। वहीं, 'धूम 4' में अभिषेक बच्चन की जगह रणवीर सिंह दिखेंगे।
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ठंड से बचाने के लिए पिता ने जलाए करोड़ो रुपए
एक बाप ने अपनी बेटी को ठंड से बचाने के लिए करोड़ों रुपए में आग लगा दी। सुनकर चौक गए न, लेकिन ये बिल्कुल सच है। किसी जमाने में हर सप्ताह 42 करोड़ डॉलर (करीब 2814 करोड़ रुपए) की कमाई करने वाले कोलंबिया के कोकीन किंग पोबलो एस्कोबार ने अपने परिवार को ठंड से बचाने के लिए 13 करोड़ रुपए कीमत के नोटों को आग लगा दी थी।
एक बाप ने अपनी बेटी को ठंड से बचाने के लिए करोड़ों रुपए में आग लगा दी। सुनकर चौक गए न, लेकिन ये बिल्कुल सच है। किसी जमाने में हर सप्ताह 42 करोड़ डॉलर (करीब 2814 करोड़ रुपए) की कमाई करने वाले कोलंबिया के कोकीन किंग पोबलो एस्कोबार ने अपने परिवार को ठंड से बचाने के लिए 13 करोड़ रुपए कीमत के नोटों को आग लगा दी थी।
यह रिपोर्ट पोबलो एस्कोबार के बेटे के हवाले से दी गई है। एक इंटरव्यू में पोबलो के बेटे ने बताया था कि उनका परिवार पहाड़ी इलाके में लंबे समय तक छिपा हुआ था।
लेकिन एक रात पोबलो की बेटी को ठंड की वजह से हाइपोथर्मिया (ठंड की वजह से शरीर का तापमान तेजी से गिरता है) हो गया था। इसीलिए उन्होंने बेटी को बचाने के लिए 20 लाख डॉलर में आग लगा दी थी, ताकि बेटी के शरीर का तापमान नॉर्मल हो सके।
एक बाप ने अपनी बेटी को ठंड से बचाने के लिए करोड़ों रुपए में आग लगा दी। सुनकर चौक गए न, लेकिन ये बिल्कुल सच है। किसी जमाने में हर सप्ताह 42 करोड़ डॉलर (करीब 2814 करोड़ रुपए) की कमाई करने वाले कोलंबिया के कोकीन किंग पोबलो एस्कोबार ने अपने परिवार को ठंड से बचाने के लिए 13 करोड़ रुपए कीमत के नोटों को आग लगा दी थी।
यह रिपोर्ट पोबलो एस्कोबार के बेटे के हवाले से दी गई है। एक इंटरव्यू में पोबलो के बेटे ने बताया था कि उनका परिवार पहाड़ी इलाके में लंबे समय तक छिपा हुआ था।
लेकिन एक रात पोबलो की बेटी को ठंड की वजह से हाइपोथर्मिया (ठंड की वजह से शरीर का तापमान तेजी से गिरता है) हो गया था। इसीलिए उन्होंने बेटी को बचाने के लिए 20 लाख डॉलर में आग लगा दी थी, ताकि बेटी के शरीर का तापमान नॉर्मल हो सके।
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शुक्रवार, 19 अगस्त 2016
Film Review: टिपिकल फिल्मी ड्रामा है 'UnIndian'...
फिल्म का नाम: UnIndian
डायरेक्टर: अनुपम शर्मा
स्टार कास्ट: ब्रेट ली, तनिष्ठा चैटर्जी, पल्लवी शारदा, सुप्रिया पाठक, आकाश खुराना, गुलशन ग्रोवर
अवधि: 1 घंटा 50 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 2.5 स्टार
हिंदी गानों के बाद अब फिल्मों में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ब्रेट ली ने कदम रखा है और पहली हिंदी फिल्म 'UnIndian' का हिस्सा बने हैं, आइए इस फिल्म की समीक्षा करते हैं.
कहानी
फिल्म की कहानी सिंगल मदर मीरा (तनिष्ठा चैटर्जी) की है जो ऑस्ट्रेलिया में रहती है और जिसकी मां (सुप्रिया पाठक) अक्सर ही उसे दोबारा शादी करने के लिए कहती रहती है. वहीं इंग्लिश सीखने वाले विल (ब्रेट ली) को खुद का सिंगल होना काफी परेशान करता रहता है. जब विल की मुलाकात मीरा से एक होली पार्टी के दौरान होती है तो विल को मीरा से प्यार हो जाता है, विल बार-बार मीरा के करीब आना चाहता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ मीरा की मां ने उसके लिए एक कार्डियोलोजिस्ट लड़का ढूंढ रखा है. विल अपने दोस्त TK (अर्को घोष) की मदद से मीरा को पाने के लिए इंडियन कम्युनिटी के बारे में और भी ज्यादा बातें सीखता है. संस्कृति के डिफरेन्स होने के बावजूद क्या विल अपने प्यार को हासिल कर पायेगा? इसका पता आपको थिएटर तक जाकर ही चल पायेगा.
स्क्रिप्ट
फिल्म की कहानी सिंपल है और किरदारों का चयन इसे और भी आकर्षक बनाता है. ऑस्ट्रेलिया की लोकेशंस और स्क्रीनप्ले फिल्म को और भी ज्यादा रोचक बनाते हैं. कहीं-कहीं संवाद आपको हंसाते हैं तो कभी इमोशनल मोमेंट भी आते हैं.
अभिनय
ब्रेट ली ने अपने एक्टिंग की वजह से सरप्राइज किया है और उनका ये हुनर पर्दे पर बखूब नजर आता है. वहीं सिंगल मदर मीरा के किरदार में तनिष्ठा मुखर्जी ने एक बार फिर से सहज अभिनय किया है. सुप्रिया पाठक के साथ-साथ बाकी सह कलाकारों का काम भी सराहनीय है.
कमजोर कड़ी
फिल्म की कमजोर कड़ी इसका टिपिकल बॉलीवुड वाला ड्रामा है, जो खासतौर पर सेकंड हाफ में दिखाई पड़ता है. जब एयरपोर्ट वाला सीक्वेंस भी आ जाता है, इस तरह के प्रेडिक्टेबल ड्रामे की आदत हो चुकी है जिसमें बदलाव लाना जरूरी है जिससे फिल्म और ज्यादा आकर्षक बन सकती थी.
संगीत
फिल्म का संगीत अच्छा है और बैकग्राउंड स्कोर भी कहानी के साथ-साथ जाता है.
क्यों देखें
अगर ब्रेट ली या तनिष्ठा मुखर्जी को पसंद करते हैं तो एक बार जरूर देख सकते हैं.
डायरेक्टर: अनुपम शर्मा
स्टार कास्ट: ब्रेट ली, तनिष्ठा चैटर्जी, पल्लवी शारदा, सुप्रिया पाठक, आकाश खुराना, गुलशन ग्रोवर
अवधि: 1 घंटा 50 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 2.5 स्टार
हिंदी गानों के बाद अब फिल्मों में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ब्रेट ली ने कदम रखा है और पहली हिंदी फिल्म 'UnIndian' का हिस्सा बने हैं, आइए इस फिल्म की समीक्षा करते हैं.
कहानी
फिल्म की कहानी सिंगल मदर मीरा (तनिष्ठा चैटर्जी) की है जो ऑस्ट्रेलिया में रहती है और जिसकी मां (सुप्रिया पाठक) अक्सर ही उसे दोबारा शादी करने के लिए कहती रहती है. वहीं इंग्लिश सीखने वाले विल (ब्रेट ली) को खुद का सिंगल होना काफी परेशान करता रहता है. जब विल की मुलाकात मीरा से एक होली पार्टी के दौरान होती है तो विल को मीरा से प्यार हो जाता है, विल बार-बार मीरा के करीब आना चाहता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ मीरा की मां ने उसके लिए एक कार्डियोलोजिस्ट लड़का ढूंढ रखा है. विल अपने दोस्त TK (अर्को घोष) की मदद से मीरा को पाने के लिए इंडियन कम्युनिटी के बारे में और भी ज्यादा बातें सीखता है. संस्कृति के डिफरेन्स होने के बावजूद क्या विल अपने प्यार को हासिल कर पायेगा? इसका पता आपको थिएटर तक जाकर ही चल पायेगा.
स्क्रिप्ट
फिल्म की कहानी सिंपल है और किरदारों का चयन इसे और भी आकर्षक बनाता है. ऑस्ट्रेलिया की लोकेशंस और स्क्रीनप्ले फिल्म को और भी ज्यादा रोचक बनाते हैं. कहीं-कहीं संवाद आपको हंसाते हैं तो कभी इमोशनल मोमेंट भी आते हैं.
अभिनय
ब्रेट ली ने अपने एक्टिंग की वजह से सरप्राइज किया है और उनका ये हुनर पर्दे पर बखूब नजर आता है. वहीं सिंगल मदर मीरा के किरदार में तनिष्ठा मुखर्जी ने एक बार फिर से सहज अभिनय किया है. सुप्रिया पाठक के साथ-साथ बाकी सह कलाकारों का काम भी सराहनीय है.
कमजोर कड़ी
फिल्म की कमजोर कड़ी इसका टिपिकल बॉलीवुड वाला ड्रामा है, जो खासतौर पर सेकंड हाफ में दिखाई पड़ता है. जब एयरपोर्ट वाला सीक्वेंस भी आ जाता है, इस तरह के प्रेडिक्टेबल ड्रामे की आदत हो चुकी है जिसमें बदलाव लाना जरूरी है जिससे फिल्म और ज्यादा आकर्षक बन सकती थी.
संगीत
फिल्म का संगीत अच्छा है और बैकग्राउंड स्कोर भी कहानी के साथ-साथ जाता है.
क्यों देखें
अगर ब्रेट ली या तनिष्ठा मुखर्जी को पसंद करते हैं तो एक बार जरूर देख सकते हैं.
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सिनेजगत
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
नरसिंह का सपना चकनाचूर, 4 साल का लगा बैन
आज ही छोड़ना होगा ओलंपिक खेलगांव
रियो ओलंपिक से भारत के लिए एक बेहद ही बुरी खबर आई है. भारतीय पहलवान नरसिंह यादव पर डोपिंग की वजह से चार साल का बैन लगा दिया गया है. इसके साथ ही पहलवान नरसिंह रियो ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले पाएंगे. ब्राजील के कैस की (कोर्ट ऑफ ऑर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्टस) एक अदालत ने करीब चार घंटे लंबी बहस के बाद ये फैसला सुनाया कि नरसिंह पर बैन लगा दिया गया.
पहलवान नरसिंह यादव पर लगा चार साल का बैन
CAS ने नाडा के फैसले को मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने फैसला सुनाया कि उनके खाने या पीने में मिलावट की बात सही नहीं है. अदालत ने नरसिंह के उस तर्क को भी मानने से इनकार कर दिया कf उनके साथ साजिश हुई है. क्योंकि इसे साबित करने के लिए नरसिंह यादव के पास कोई सबूत नहीं है. इसी तर्क को देखते हुए नाडा ने उन्हें ओलंपिक में हिस्सा लेने की अनुमति दी थी.
आज नरसिंह को मैदान पर उतरना था
भारतीय पहलवान नरसिंह यादव के लिए शुक्रवार का दिन बेहद अहम होने वाला था. इस दिन के लिए पिछले कई सालों से मेहनत कर रहे थे. रियो ओलंपिक में उन्हें कुश्ती के 74 किलो भारवर्ग के मुकाबलों में हिस्सा लेना था. लेकिन इस फैसले के साथ ही उनके सारे अरमान धरे के धरे रहे गए. कैस ने नरसिंह पर चार साल का बैन लगा दिया है. अब नरसिंह को आज होने वाले पहले मैच से पहले ही ओलंपिक खेलगांव छोड़ना होगा.
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'बेईमान लव' दिलाएगा सनी लियोन को सही जगह!
नवोदित निर्देशक राजीव चौधरी अपनी फिल्म 'बेईमान लव' रिलीज करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि इस फिल्म के साथ अभिनेत्री सनी लियोन असली हीरोइन साबित होंगी.
खबर है कि 'वन नाइट स्टैंड' की अभिनेत्री सनी 'बेईमान लव' का प्रचार नहीं करेंगी. इसमें रजनीश दुग्गल और डेनियल वेबर भी प्रमुख भूमिका में हैं.
राजीव चौधरी ने कहा, "नहीं, यह सब अफवाह है. फिल्म में वह अलग तरह के किरदार में दिखाई देंगी. इसमें वह बुद्धिमान नजर आएंगी. इस फिल्म के साथ ही वह एक दमदार अभिनेत्री साबित होंगी और सनी लियोन निश्चित रूप से फिल्म का प्रचार करेंगी."
उन्होंने कहा, "इस फिल्म से वह पूरी तरह बॉलीवुड हीरोइन के रूप में स्थापित होंगी."
सेंसर बोर्ड के बारे में बात करते हुए राजीव चौधरी कहा कि चूंकि इसमें सनी लियोन हैं, इस वजह से जांच का स्तर बढ़ जाएगा.
'बेईमान लव' आज की युवतियों पर आधारित हैं, जो भावनाओं में बहना और घरेलू जीवन में फंसे रहना नहीं चाहतीं.
फिल्म 30 सितंबर को रिलीज होगी.
खबर है कि 'वन नाइट स्टैंड' की अभिनेत्री सनी 'बेईमान लव' का प्रचार नहीं करेंगी. इसमें रजनीश दुग्गल और डेनियल वेबर भी प्रमुख भूमिका में हैं.
राजीव चौधरी ने कहा, "नहीं, यह सब अफवाह है. फिल्म में वह अलग तरह के किरदार में दिखाई देंगी. इसमें वह बुद्धिमान नजर आएंगी. इस फिल्म के साथ ही वह एक दमदार अभिनेत्री साबित होंगी और सनी लियोन निश्चित रूप से फिल्म का प्रचार करेंगी."
उन्होंने कहा, "इस फिल्म से वह पूरी तरह बॉलीवुड हीरोइन के रूप में स्थापित होंगी."
सेंसर बोर्ड के बारे में बात करते हुए राजीव चौधरी कहा कि चूंकि इसमें सनी लियोन हैं, इस वजह से जांच का स्तर बढ़ जाएगा.
'बेईमान लव' आज की युवतियों पर आधारित हैं, जो भावनाओं में बहना और घरेलू जीवन में फंसे रहना नहीं चाहतीं.
फिल्म 30 सितंबर को रिलीज होगी.
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58 घंटे तक लगातार Kiss करता रहा कपल, वर्ल्ड रिकॉर्ड्स
क्या आप यकीन कर सकते हैं कि कोई कपल लगातार 58 घंटे तक किस कर सकता है? लेकिन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड्स रिकॉर्ड्स के मुताबिक, इसका जवाब हां हैं। थाईलैंड के एक कपल के नाम ऐसा करने का रिकॉर्ड दर्ज है। एक्काचई और लकसाना तिरानारात ने तीन साल पहले 58 घंटे, 35 मिनट और 58 सेकंड तक लगातार किस किया था। दुनिया का सबसे लंबा किस...
असल में वेलेंटाइन डे किस्साथन में हिस्सा लेते हुए उन्होंने ऐसा कारनामा कर दिखाया था। इसे दुनिया के इतिहास में सबसे लंबा किस भी माना जाता है। हालांकि, 2013 से पहले 2011 में भी यह कपल सबसे लंबा किस करके दिखा चुके थे। वेलेंटाइन डे किस्साथन इवेंट में जीतने पर उन्हें करीब 2 लाख रुपए और दो हीरे की अंगुठी दी गई थी। दिलचस्प बात ये है किस के दौरान कपल को बैठने, आराम करने या सोने की अनुमति नहीं दी गई थी।
असल में वेलेंटाइन डे किस्साथन में हिस्सा लेते हुए उन्होंने ऐसा कारनामा कर दिखाया था। इसे दुनिया के इतिहास में सबसे लंबा किस भी माना जाता है। हालांकि, 2013 से पहले 2011 में भी यह कपल सबसे लंबा किस करके दिखा चुके थे। वेलेंटाइन डे किस्साथन इवेंट में जीतने पर उन्हें करीब 2 लाख रुपए और दो हीरे की अंगुठी दी गई थी। दिलचस्प बात ये है किस के दौरान कपल को बैठने, आराम करने या सोने की अनुमति नहीं दी गई थी।
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जरा हटके
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दोनों यही बन गए।
रणबीर कपूर बोले, मैनें कब कहा ब्रेकअप हुआ है
अभिनेता रणबीर कपूर ने अपने रिश्ते को लेकर पहली बार चुप्पी तोड़ी है. हालांकि उनके चेहरे की उदासी साफ झलक रही थी जब वो राजीव मसंद के साथ इंटरव्यू में कटरीना के साथ अपने रिश्ते के बारे में बात कर रहे थे.
रणबीर ने कहा, ‘मैनें कभी कहा ही नहीं कि मेरा ब्रेकअप हुआ है. मेरी निजी जिंदगी मुझे बहुत प्यारी है. मैंने उनके साथ जो भी शेयर किया वो बहुत प्यारा था और इसमें कोई कड़वाहट या नकारात्मकता नहीं है.’
जब रणबीर से पूछा गया कि ब्रेकअप के बाद कटरीना के साथ काम करना कैसा था, तो इसके जवाब में रणबीर ने कहा, ‘कटरीना के साथ काम करने में मजा आता है. वो अपने काम के लिए हमेशा उत्साहित रहती हैं. मैं आशा करता हूं कि भविष्य में भी हम एक-दूसरे के साथ काम करेंगे.’
इस सवाल पर कि क्या कटरीना के साथ काम करना कंफर्टेबल था? रणबीर ने कहा, ‘हम एक्टर्स हैं. हम अपनी निजी जिंदगी और इमोशन्स सेट पर नहीं ला सकते. कटरीना माहौल को और हल्का बना देतीं हैं. हमलोग क्रिएटिव पार्टनर्स हैं.’
रणबीर ने कहा, ‘मैनें कभी कहा ही नहीं कि मेरा ब्रेकअप हुआ है. मेरी निजी जिंदगी मुझे बहुत प्यारी है. मैंने उनके साथ जो भी शेयर किया वो बहुत प्यारा था और इसमें कोई कड़वाहट या नकारात्मकता नहीं है.’
जब रणबीर से पूछा गया कि ब्रेकअप के बाद कटरीना के साथ काम करना कैसा था, तो इसके जवाब में रणबीर ने कहा, ‘कटरीना के साथ काम करने में मजा आता है. वो अपने काम के लिए हमेशा उत्साहित रहती हैं. मैं आशा करता हूं कि भविष्य में भी हम एक-दूसरे के साथ काम करेंगे.’
इस सवाल पर कि क्या कटरीना के साथ काम करना कंफर्टेबल था? रणबीर ने कहा, ‘हम एक्टर्स हैं. हम अपनी निजी जिंदगी और इमोशन्स सेट पर नहीं ला सकते. कटरीना माहौल को और हल्का बना देतीं हैं. हमलोग क्रिएटिव पार्टनर्स हैं.’
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गुरुवार, 18 अगस्त 2016
प्रधानमंत्री ने कुश्ती में कांस्य पदक जीतने पर साक्षी मलिक को बधाई दी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने पर हरियाणा की साक्षी मलिक को बधाई दी है। अपने बधाई संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा, “साक्षी मलिक ने कुश्ती में पदक जीतकर इतिहास रचा है। कांस्य पदक जीतने पर उन्हें बधाई। सारा देश इस जीत पर खुशियां मना रहा है। रक्षाबंधन के पावन दिन पर भारत की बेटी साक्षी मलिक ने कांस्य पदक जीता है और इससे हम सभी अत्यंत गौरवान्वित हैं। साक्षी मलिक आने वाले वर्षों में अनेक खिलाड़ियों को प्रेरणा प्रदान करेंगी”। साक्षी ओलंपिक में कुश्ती में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी हैं। इसके साथ ही इस ओलंपिक में देश को पहला पदक दिलवाने वाली भी साक्षी है। 23 साल की साक्षी ने कजाकिस्तान की अइसुलू टाइबेकोवा को 58 किलोग्राम वर्ग में पराजित किया है।
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
साक्षी की जीत पर रोहतक में जश्न, हरियाणा सरकार देगी 2.5 करोड़ और नौकरी
चंडीगढ़: (हि.स.) रियो ओलंपिक में देश के लिए जैसे ही हरियाणा की बेटी ने पहला पदक दिलाया, वैसे ही उसके परिजनों ने एक दूसरे को गले मिलकर बधांइयां दी, तो दूसरी तरफ खेल प्रेमियों ने रात में अतिशबाजी कर अपनी खुशी का इजहार किया। हरियाणा सरकार ने साक्षी को 2.5 करोड़ रुपये का इनाम और सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है।
देश के लिए एक ही दिन में पांच बाउट खेलकर मेडल जीतने वाली महिला पहलवान साक्षी के घर का माहौल तो बस देखने लायक था। उनकेे घर पर बुधवार की सुबह मां ने विशेष पूजा की थी। हरियाणा के रोहतक के सेक्टर तीन स्थित मकान नंबर 45 में शाम होते ही रिश्तेदारों का तांता लग गया था। साक्षी की मां सुदेश मलिक के साथ घर पर दिल्ली से बुआ राज, मोखरा से भाभी सुषमा, मौसी कविता और भाई सचिन ने मैच देखा।
कुश्ती के हर दांव के साथ घरवालों के चेहरे के भाव भी बदलते गए। दो राउंड में जीत की खुशी तीसरे में जाकर मायूसी में बदल गई लेकिन बाद में कांस्य पदक के लिए हुई पहली कुश्ती में जीत ने फिर उम्मीद बंधा दी। गुरुवार अलसुबह 2:40 बजे साक्षी ने किर्गिस्तान की रेसलर को 5 के मुकाबले 8 अंक से शिकस्त दी। इस जीत के साथ ही रोहतक में उसका घर ही नहीं, पूरा देश झूम उठा। साक्षी के पिता सुखबीर मलिक का कहना है कि साक्षी ने बहुत छोटी उम्र में सब जूनियर एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। कॉमनवेल्थ में सिल्वर मेडल जीता। यह उसका पहला ओलिंपिक है और उसने देश के लिए मेडल जीतकर मेरा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है।
उन्होंने बताया कि मैं अपनी मन्नत के अनुसार ऋषिकेश से नीलकंठ तक पैदल जाऊंगा। बेटी का मोखरा गांव से लेकर रोहतक सेक्टर 3 तक जोरदार स्वागत किया जाएगा। पिता ने बताया कि साक्षी ने रियो जाने से पहले गुड़गांव में एक लाख रुपए की घड़ी पसंद की थी और जीतने पर गिफ्ट मांगा था। तीन सितंबर को उसका जन्मदिन है। उसे वह घड़ी गिफ्ट करूंगा।
देश के लिए एक ही दिन में पांच बाउट खेलकर मेडल जीतने वाली महिला पहलवान साक्षी के घर का माहौल तो बस देखने लायक था। उनकेे घर पर बुधवार की सुबह मां ने विशेष पूजा की थी। हरियाणा के रोहतक के सेक्टर तीन स्थित मकान नंबर 45 में शाम होते ही रिश्तेदारों का तांता लग गया था। साक्षी की मां सुदेश मलिक के साथ घर पर दिल्ली से बुआ राज, मोखरा से भाभी सुषमा, मौसी कविता और भाई सचिन ने मैच देखा।
कुश्ती के हर दांव के साथ घरवालों के चेहरे के भाव भी बदलते गए। दो राउंड में जीत की खुशी तीसरे में जाकर मायूसी में बदल गई लेकिन बाद में कांस्य पदक के लिए हुई पहली कुश्ती में जीत ने फिर उम्मीद बंधा दी। गुरुवार अलसुबह 2:40 बजे साक्षी ने किर्गिस्तान की रेसलर को 5 के मुकाबले 8 अंक से शिकस्त दी। इस जीत के साथ ही रोहतक में उसका घर ही नहीं, पूरा देश झूम उठा। साक्षी के पिता सुखबीर मलिक का कहना है कि साक्षी ने बहुत छोटी उम्र में सब जूनियर एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। कॉमनवेल्थ में सिल्वर मेडल जीता। यह उसका पहला ओलिंपिक है और उसने देश के लिए मेडल जीतकर मेरा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है।
उन्होंने बताया कि मैं अपनी मन्नत के अनुसार ऋषिकेश से नीलकंठ तक पैदल जाऊंगा। बेटी का मोखरा गांव से लेकर रोहतक सेक्टर 3 तक जोरदार स्वागत किया जाएगा। पिता ने बताया कि साक्षी ने रियो जाने से पहले गुड़गांव में एक लाख रुपए की घड़ी पसंद की थी और जीतने पर गिफ्ट मांगा था। तीन सितंबर को उसका जन्मदिन है। उसे वह घड़ी गिफ्ट करूंगा।
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
दर्द से तड़पती विनेश के सामने चीनी पहलवान को घोषित किया विजेता
नई दिल्ली। रियो ओलंपिक में पूरा देश कुश्ती में साक्षी मलिक के पदक जीतने पर खुशी मना रहा है। लेकिन इस जश्न के बीच एक और महिला पहलवान विनेश फौगाट का जिक्र न करना बेमानी होगा। विनेश अपने दूसरे मुकाबले में घायल हो कर बाहर हो गईं।
48 किलोग्राम भार वर्ग में विनेश ने पहले मुकाबले में अपनी प्रतिद्वंदी को दूसरे ही राउंड में रोमानिया की पहलवान को 11-0 से चित कर सनसनी फैला दी। विनेश के दांव और फूर्ति देखकर कोई भी कह सकता था कि वह गोल्ड मेडल ले आए तो हैरत नहीं होगी।
लेकिन अगले मैच में जो हुआ वह दिल तोड़ने वाला था। मुकाबला था चीन की पहलवान यान सुन से। पहले ही राउंड में कांटे की टक्कर थी। चीन की खिलाड़ी 2-1 से आगे थी लेकिन तभी चीनी खिलाड़ी ने गलत तरीके से विनेश का पैर मोड़ दिया और उसका घुटना खिसक गया।
दर्द से तड़पती विनेश के सामने ही चीनी खिलाड़ी को विजेता घोषित कर दिया गया। लेकिन चीन की खिलाड़ी ने भी स्पोर्ट्स स्पिरिट दिखाया। उसने जीत का कोई जश्न नहीं मनाया। वह तब तक वहां खड़ी रही जब तक कि विनेश को स्ट्रेचर पर ले जाया नहीं गया। उसके चेहरे पर दुख साफ नजर आ रहा था। यहां तक कि सुन खुद विनेश का बैग उठाकर टीम के साथ अंदर गई।
48 किलोग्राम भार वर्ग में विनेश ने पहले मुकाबले में अपनी प्रतिद्वंदी को दूसरे ही राउंड में रोमानिया की पहलवान को 11-0 से चित कर सनसनी फैला दी। विनेश के दांव और फूर्ति देखकर कोई भी कह सकता था कि वह गोल्ड मेडल ले आए तो हैरत नहीं होगी।
लेकिन अगले मैच में जो हुआ वह दिल तोड़ने वाला था। मुकाबला था चीन की पहलवान यान सुन से। पहले ही राउंड में कांटे की टक्कर थी। चीन की खिलाड़ी 2-1 से आगे थी लेकिन तभी चीनी खिलाड़ी ने गलत तरीके से विनेश का पैर मोड़ दिया और उसका घुटना खिसक गया।
दर्द से तड़पती विनेश के सामने ही चीनी खिलाड़ी को विजेता घोषित कर दिया गया। लेकिन चीन की खिलाड़ी ने भी स्पोर्ट्स स्पिरिट दिखाया। उसने जीत का कोई जश्न नहीं मनाया। वह तब तक वहां खड़ी रही जब तक कि विनेश को स्ट्रेचर पर ले जाया नहीं गया। उसके चेहरे पर दुख साफ नजर आ रहा था। यहां तक कि सुन खुद विनेश का बैग उठाकर टीम के साथ अंदर गई।
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
खेल रत्न पुरस्कार के लिए दीपा और जीतू को चयन पैनल ने किया नामांकित
नई दिल्ली। रियो ओलंपिक के वाल्ट फाइनल में चौथे स्थान पर रहकर इतिहास रचने वाली महिला जिम्नास्ट दीपा करमाकर और दिग्गज निशानेबाज जीतू राय के नाम की सिफारिश खेल मंत्रालय द्वारा नियुक्त चयन पैनल ने आज प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए की।दीपा के नाम को आज 12 सदस्यीय समिति की बैठक के बाद स्वीकृति मिली। रियो खेलों में शानदार प्रदर्शन के कारण उनके नाम को स्वीकृति मिली जबकि खेल मंत्रालय को सिफारिशें भेजने की समय सीमा पहले ही समाप्त हो चुकी है। त्रिपुरा में जन्मीं 23 साल की जिम्नास्ट दीपा रातों रात स्टार बन गई जब 14 अगस्त को महिला वाल्ट फाइनल में वह सिर्फ 0.150 अंक से कांस्य पदक से चूकते हुए चौथे स्थान पर रहीं। दीपा ने ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल 2014 में कांस्य पदक जीता था।दूसरी तरफ जीतू पुरूष 10 मीटर एयर पिस्टल में दुनिया के तीसरे नंबर के निशानेबाज हैं। वह रियो में अभिनव बिंद्रा के अलावा अपनी स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाने वाले एकमात्र भारतीय निशानेबाज थे। जीतू 10 मीटर एयर पिस्टल के फाइनल में जगह बनाने में सफल रहे थे लेकिन आठवें स्थान पर रहे थे। वह हालांकि रियो में अपनी पसंदीदा स्पर्धा 50 मीटर पिस्टल के फाइनल के लिये क्वालीफाई नहीं कर पाये थे।इस साल जीतू ने बाकू में आईएसएसएफ विश्व कप की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में रजत पदक जीता था जबकि बैंकाक में आईएसएसएफ विश्व कप की 50 मीटर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। वह 2014 में स्पेन में 51वीं निशानेबाजी विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतकर रियो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने वाले पहले निशानेबाज थे।सूत्रों के अनुसार रियो खेलों के बाकी बचे दिनों में जो भी खिलाड़ी पदक जीतता है उसके नाम की सिफारिश भी खेल रत्न पुरस्कार के लिए की जाएगी। सूत्रों के अनुसार भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली के नाम पर भी चर्चा की गई लेकिन ओलंपिक वर्ष होने के कारण जीतू और दीपा जैसे खिलाड़ियों को प्राथमिकता दी गई।कोहली इसलिए भी जगह नहीं बना पाए क्योंकि सरकार कुछ स्थान खाली रखना चाहती थी क्योंकि पीवी सिंधू जैसे खिलाड़ियों को पदक मिल सकता है जो रियो खेलों में महिला एकल बैडमिंटन के सेमीफाइनल में जगह बना चुकी हैं। पिछले चार साल में शानदार प्रदर्शन के लिए राजीव गांधी खेल रत्न दिया जाता है। इसके अंतर्गत साढ़े सात लाख रूपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर यह पुरस्कार देते हैं। पिछली बार वर्ष 2015 में महिला टेनिस स्टार सानिया मिर्जा को यह पुरस्कार दिया गया था।अर्जुन पुरस्कार के लिए अजिंक्य रहाणे (क्रिकेट), शिव थापा (मुक्केबाज), गुरप्रीत सिंह और अपूर्वी चंदेला (निशानेबाजी), सौम्यजीत घोष (टेबल टेनिस), सुब्रत पाल (फुटबाल), सौरव कोठारी (स्नूकर), विनेश फोगाट और अमित धनखड़ (कुश्ती) को नामांकित किया गया है।दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एसके अग्रवाल की अगुआई वाली 12 सदस्यीय चयन समिति ने खिलाड़ियों का चयन किया है। इसमें कुछ खिलाड़ियों के अलावा दो पत्रकार भी शामिल हैं। राज्य सरकारें, भारतीय ओलंपिक संघ, संबंधित राष्ट्रीय खेल महासंघ, पिछले खेल रत्न पुरस्कार हासिल कर चुके खिलाड़ी, भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक ही खेल रत्न के लिये खिलाड़ियों के नाम की सिफारिश कर सकते हैं। खेल मंत्रालय के पास भी ऐसा करने का विशेषाधिकार है।इस बीच पता चला है कि दीपा के कोच बिशेश्वर नंदी के नाम की सिफारिश द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए की गई है और रियो में उनकी शिष्या के शानदार प्रदर्शन के कारण उन्हें यह पुरस्कार मिलने की पूरी संभावना है।
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
बुधवार, 17 अगस्त 2016
रक्षाबंधन मनाने का शुभ महूर्त, इस साल ये योग दिलाएगा भाई बहनों को यश, मान और कीर्ति
इस बार राखी 18 अगस्त को है, जो कि निश्चित तौर पर हर बार की तरह खूब खुशी से मनाई जाएगी। एक ओर होती है बहनों की रक्षा बंधन की तैयारियां और दूसरी ओर भाई भी बहनों को क्या तोहफा दें इस प्लानिंग में लग जाते हैं।
लेकिन इस बीच आपको इस बात का ध्यान अवश्य रखना है कि आप शुभ मुहुर्त की अनदेखी ना करें। जिस प्रकार से हिन्दू धर्म में हर शुभ कार्य से पहले शुभ मुहूर्त का पालन किया जाता है, उसी प्रकार से रक्षा बंधन में भी यदि शुभ समय में रक्षा सूत्र बांधा जाए तो अच्छा माना जाता है।
मगर शुभ मुहूर्त बताने से पहले क्या आपने इस बार की राखी पर पड़ने वाले विशेष ज्योतिषीय योगों के बारे में जाना है?
हिन्दू धर्म के अनुसार हर त्यौहार एवं विशेष पर्व एक खास योग के साथ आता है। उस समय क्या ग्रह-नक्षत्र हैं, इसके अनुसार एक खास योग हासिल किया जाता है।
तो आपको बता दें कि इस बार रक्षाबंधन के दिन, यानी कि 18 अगस्त को सिंहासन-गौरी योग बन रहा है, यह योग वर्षों के बाद फिर से आया है। इस योग की खासियत यदि आप जानेंगे तो अवश्य खुश हो जाएंगे।
यह योग भाई तथा बहन दोनों को समाज में यश एवं सम्मान दिलाएगा। इस दिन जो भी भाई-बहन शुभ मुहूर्त में रक्षाबंधन का पर्व मनाएंगे, उनपर ईश्वर की अपार कृपा होगी।
कहा जा रहा है कि यह सिंहासन-गौरी योग विभिन्न प्रकार से भाई-बहनों के लिए अच्छा है। जहां सिंहासन योग भाई को सफलता दिलाएगा, वहीं गौरी योग बहनों के जीवन में खुशहाली लाएगा।
किंतु इस वर्ष के रक्षाबंधन की एक और खास बात है, जिसके बारे में यदि आप जानेंगे तो आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी।
ज्योतिषी शास्त्रियों के अनुसार रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल को देखते हुए यह पर्व मनाया जाता है। यदि भद्रा काल चल रहा हो तो रक्षा सूत्र बांधना वर्जित माना गया है। किंतु अच्छी खबर यह है कि इस बार का भद्रा काल सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगा।
रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त
यानी कि सूर्योदय के बाद शाम तक बहनें जब चाहें भाई को राखी बांध सकती हैं। दिनभर शुभ समय ही बना रहेगा। लेकिन फिर भी यदि आप शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं, तो आगे जानिए इस साल के रक्षाबंधन के पर्व के 5 शुभ मुहूर्त।
ये हैं रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त - सुबह 06 से 07.30 बजे तक (शुभ), सुबह 10.30 से दोपहर 12 बजे तक (चर), दोपहर 12 से 01.30 बजे तक (लाभ), दोपहर 01.30 से 03 बजे तक (अमृत), शाम 04.30 से 06 बजे तक (शुभ), शाम 06 से 07.30 बजे तक (अमृत)
तो इसका मतलब है कि रक्षाबंधन के दिन आपको शुभ मुहूर्त की चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अंत में हम आपको इस बार के पर्व की एक और खासियत बताने जा रहे हैं जिससे आपकी खुशी दोगुनी नहीं, तिगुनी हो जाएगी।
दरअसल बताया जा रहा है कि इस वर्ष के रक्षाबंधन के पर्व का गुरुवार को होना बेहद उत्तम है। इसका सबसे बड़ा कारण है इस दिन से जुड़ा पौराणिक आख्यान, क्योंकि देवगुरु बृहस्पति ने ही इंद्र को असुरों पर विजय पाने के लिए रक्षाबंधन का सुझाव दिया था। इसके बाद ही त्यौहार मनाने का चलन शुरू हुआ।
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ज्योतिष
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
बाॅलीवुड एक्ट्रैस का सबसे बोल्ड सीन हुआ लीक, न्य़ूड सीन्स को लेकर खलबली मची
बाॅलीवुड में आजकल न्य़ूड सीन्स को लेकर खलबली मची हुई है। लीना यादव की डायरेक्ट की हुई फिल्म ‘पार्च्ड’ आजकल चौतरफा सुर्खियों में है, जो गुजरात के दूर-दराज के गांव में रहने वाली 3 ऐसी महिलाओं पर आधारित है। वो शताब्दी पुराने रीति रिवाज तोड़कर खुद को आजाद करती हैं।
यह फिल्म न सिर्फ रिव्यू बटोर रही है बल्कि इंटरनेशनल फेस्टिवल सर्किट में अवॉर्ड्स भी जीत रही है। लेकिन बीते रविवार इस फिल्म का एक सीन सोशल मीडिया पर आग की तरह फैलने लगा। यह एक न्यूड सीन है जिसमें फिल्म की एक्ट्रेस राधिका आप्टे एक बार फिर कंट्रोवर्सी के घेरे में आ गई हैं।
आइए जानते हैं फिल्म निर्माता असीम बजाज का इस बारे में क्या कहना है, ‘यह फिल्म अभी यूएस और फ्रांस में रिलीज हुई है, तो संंभव है कि वहां से किसी ने इस सीन की यह क्लिप काट कर इंटररनेट पर लीक कर दिया। लेकिन हम लोगों ने यह सोचा हुआ था कि इंडिया में फिल्म रिलीज करते समय इस सीन में एक्ट्रेस के बॉडी पार्ट्स को ब्लर कर दिया जाएगा। देखा जाए तो इस सीन में ऐसा कुछ नहीं है जिसका बवाल बनाया जाए, हमारे देश में से एक टैबू है। फिल्म में राधिका एक ऐसी महिला है, जिसे हमेशा पीटा गया और वो प्यार के एक टच के लिए तरस रही है। इसलिए यह सीन कहानी की मांग था।’
यह फिल्म न सिर्फ रिव्यू बटोर रही है बल्कि इंटरनेशनल फेस्टिवल सर्किट में अवॉर्ड्स भी जीत रही है। लेकिन बीते रविवार इस फिल्म का एक सीन सोशल मीडिया पर आग की तरह फैलने लगा। यह एक न्यूड सीन है जिसमें फिल्म की एक्ट्रेस राधिका आप्टे एक बार फिर कंट्रोवर्सी के घेरे में आ गई हैं।
आइए जानते हैं फिल्म निर्माता असीम बजाज का इस बारे में क्या कहना है, ‘यह फिल्म अभी यूएस और फ्रांस में रिलीज हुई है, तो संंभव है कि वहां से किसी ने इस सीन की यह क्लिप काट कर इंटररनेट पर लीक कर दिया। लेकिन हम लोगों ने यह सोचा हुआ था कि इंडिया में फिल्म रिलीज करते समय इस सीन में एक्ट्रेस के बॉडी पार्ट्स को ब्लर कर दिया जाएगा। देखा जाए तो इस सीन में ऐसा कुछ नहीं है जिसका बवाल बनाया जाए, हमारे देश में से एक टैबू है। फिल्म में राधिका एक ऐसी महिला है, जिसे हमेशा पीटा गया और वो प्यार के एक टच के लिए तरस रही है। इसलिए यह सीन कहानी की मांग था।’
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मंगलवार, 16 अगस्त 2016
क्या आमिर खान के साथ 'ठग' बनेंगे अमिताभ बच्चन?
कैसा हो अगर सदी के महानायक और बॉलीवुड के बिग बी अमिताभ बच्चन और मिस्टर पर्फेक्शनिस्ट आमिर खान एक फिल्म में पहली बार साथ काम करते नजर आएं.
आजकल बॉलीवुड में उड़ रही अफवाहों की मानें शायद यह संभव भी हो जाए. खबरें आ रही हैं कि विजय कृष्णा की आने वाली फिल्म ठग में अमिताभ बच्चन और आमिर खान साथ नजर आ सकते हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की मानें तो जब आमिर खान से इस बारे में पूछा गया तो न तो उन्होंने इसका इकरार किया और न ही इनकार.
आमिर ने कहा कि इस मौके पर यह बात करना का कोई मकसद नहीं है. हालांकि अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म में काम करने की बात को लेकर वो काफी उत्साहित नजर आए.
आमिर ने कहा, "कौन महान बिग बी के साथ काम नहीं करना चाहता. मैं उनका बहुत बड़ा प्रशंसक हूं और उन्हें मैं अपने आदर्श के रूप में देखता हूं."
आमिर ने यह भी कहा कि अगर उन्हें अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का मौका मिलता है तो यह उनके सपने के साकार होने जैसा होगा.
आजकल बॉलीवुड में उड़ रही अफवाहों की मानें शायद यह संभव भी हो जाए. खबरें आ रही हैं कि विजय कृष्णा की आने वाली फिल्म ठग में अमिताभ बच्चन और आमिर खान साथ नजर आ सकते हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की मानें तो जब आमिर खान से इस बारे में पूछा गया तो न तो उन्होंने इसका इकरार किया और न ही इनकार.
आमिर ने कहा कि इस मौके पर यह बात करना का कोई मकसद नहीं है. हालांकि अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म में काम करने की बात को लेकर वो काफी उत्साहित नजर आए.
आमिर ने कहा, "कौन महान बिग बी के साथ काम नहीं करना चाहता. मैं उनका बहुत बड़ा प्रशंसक हूं और उन्हें मैं अपने आदर्श के रूप में देखता हूं."
आमिर ने यह भी कहा कि अगर उन्हें अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का मौका मिलता है तो यह उनके सपने के साकार होने जैसा होगा.
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पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
हर शुभ काम में क्यों तोडते है नारियल
हिन्दू धार्मिक के अनुसार प्रयोग किये जाने वाली वस्तु जैसे चावल, रोली, आम के पत्ते, तिल, इत्र, नारियल आदि हर एक वस्तु का अपना महत्व है। कोई भी व्यक्ति जब अपना नया व्यवसाय शुभारंभ करते है तो वह मूर्ति के सामने नारियल फोडते। चाहे शादी हो, त्योहार हो या फिर कोई महत्वपूर्ण पूजा, पूजा की सामग्री में नारियल आवश्यक रूप से रहता है। भारतीय सभ्यता में, पूजा-पाठ में नारियल को शुभ और मंगलकारी माना गया है। संस्कृत में नारियल को ‘श्रीफल’ कहते है जिसमे ‘श्री’ का अर्थ लक्ष्मी। हिन्दू धर्म की पौराणिक परम्परा के अनुसार, लक्ष्मी के बिना कोई भी शुभ कार्य पूरा नही होता है। संस्कृत में नारियल के पेड़ को ‘कल्पवृक्ष’ कहते है। माना जाता है कि ‘कल्पवृक्ष’ सभी की मनोकामनाओ को पूरा करता है इसलिए शुभ कार्यो और पूजा में नारियल का उपयोग होता है पूजा के बाद नारियल को फोड़ कर सबको प्रसाद के रूप में दिया जाता है। पंडितो का कहना है कि नारियल को तोडना मानव के अहंकार को तोडना जैसा बताया गया है। नारियल का बाहर का खोल अहंकार की तरह ठोस और कडक़ होता है। खोल को जब तक तोड़ नही दिया जाये तो न वो किसी गुण को अंदर जाने देता है और न ही बाहर आने देता है। अपने कभी ध्यान दिया होगा कि नारियल की ऊपर के हिस्से पर तीन निशान होते है। माना है कि ये भगवान शिव की तीन आँखे है और लोगों का माना है कि ये ब्रह्मा, विष्णु, महेश है। और नारियल को तांबे के लोटे पर रखकर उस पर लाल कपड़ा चढ़ा कर त्रिदेवो की पूजा करते है। भगवान से प्रार्थना करते है कि अपनी दृष्टी और कृपा हम पर बनाये रखे। भगवान के चरणों में नारियल चढ़ाने से बुरी शक्ति, राहु और शनि की महादशा, वित्तीय समस्याएं, काला जादू आदि शक्ति का नाश होता है। पूजा के बाद नारियल का प्रसाद इसलिए बांटा जाता कि भगवान के चरणों में आने से नारियल पवित्र हो जाता है और जब कोई भक्त उसे ग्रहण करता है उसका मन पवित्र हो जाता है।नारियल को हमारे सिर का प्रतीक माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य करने पहले हम नारियल को फोडक़र अहंकार को चूर कर भगवान से प्रार्थना करते है कि दुनिया भर की अच्छाइयां को देख सके और ज्ञान का विकास हो।
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रविवार, 14 अगस्त 2016
ऐसे पता लगा सकते हैं अपने गर्लफ्रेंड के उंचे सपनों के बारे में
अगर आप अपनी महिला मित्र के बारे में जानना चाहते हैं कि वो कितनी महत्वाकांक्षी है तो उसकी एड़ियों की तरफ देखें। शोधकर्ताओं के मुताबिक, एक महिला अगर ऊंची हील के जूते-सैंडल पहनती है तो यह समाज में रुतबा हासिल करने की गहरी मानवीय तीव्र इच्छा का ही प्रतीक है। इस शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि महिलाएं स्थानीय प्रवृत्ति को अपनाती हैं यानी जब वो शहर के अमीर हिस्से में जाती हैं तो ऊंची हील पहनती हैं, लेकिन वो सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों में जाती हैं तो इसे नजरअंदाज कर देती हैं। अमेरिका के नार्थ केरोलीना विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर कुर्ट ग्रे का कहना है कि दूसरे शब्दों में कहें तो ज्यादातर महिलाएं अमीर दिखना चाहती हैं और वे गरीब लड़कियों से अलग दिखना चाहती हैं। जब महिला समृद्ध इलाकों में जाती है तो वह उन इलाकों की महिलाओं के हील के साइज से अपने हील के साइज का मेल करना चाहती हैं, जो उनकी समरूपता की तीव्र इच्छा को जाहिर करता है। हाई हील पहनने वाली लड़कियों के सपने होते हैं बड़े-बड़े! अगर आप अपनी महिला मित्र के बारे में जानना चाहते हैं कि वो कितनी महत्वाकांक्षी है तो उसकी एड़ियों की तरफ देखें। एक शोध में पता चला है कि ऊंची हील की सैंडल पहनने वाली युवतियों के सपने बड़े होते हैं। हालांकि इसके विपरीत जब वे गरीब इलाकों की तरफ जाती हैं तो वे केवल अपने पिछली बार खरीदी गई सैंडल या जूते के साइज के साथ ही मेल करती हैं। शोधकर्ताओं ने इस असर को 'नीचे की तरफ जाती समरूपता' का नाम दिया है, क्योंकि फैशन की वरीयता ऊपर से नीचे जाती है और शायद ही कभी नीचे से ऊपर जाती दिखती हो। यह शोध प्लोस वन नाम के जर्नल में प्रकाशित हुआ है। ग्रे इस बारे में आगे बताते हैं कि मानव सभ्यता की शुरुआत से ही लोगों में इज्जत और रुतबे की प्यास रही है। इसलिए वे शक्तिशाली के साथ खड़े होते हैं और शक्तिहीन से अपने को अलग करते हैं। तो हील के साइज के साथ भी ऐसा करना समझ में आता है। लोगों की फैशन की यह आकांक्षा उन्हें अमीर और अधिक प्रभुत्व संपन्न दिखने के लिए प्रेरित करती है, और यह समाज में अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई के साथ ही और बढ़ रही है। ग्रे कहते हैं कि पुरुषों में भी यही चलन है, खासतौर से जब वे कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स या कारें खरीदते हैं।
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जरा हटके
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देशभक्ति के रंग में रंगी कंगना रनौत
15 अगस्त के जश्न में पूरा देश डूबा हुआ है और रहे भी क्यों न यह दिन ही ऐसा है। यूं तो सालभर हम अपने देश के रियल हीरोज का शुक्रिया अदा करते है लेकिन ये दिन कुछ खास होता है। देशभक्ति का रंग आम व्यक्ति से लेकर बॉलीवुड तक चढ़ रहा है। ऐसे में एक्ट्रेस कंगना रनौत कहां पीछे रहने वाली थी। कंगना भी देशभक्ति के रंग में रंगी हुई दिखाई दे रही है। दरअसल कंगना ने हाल ही में एक वीडियो शूट किया है। इस वीडियो को शुक्रवार के दिन लांच भी कर दिया गया है। कंगना ने इस वीडियो में व्हाईट ड्रेस पहने हुए और हाथ में तिरंगा लिए नज़र आ रही है। इस सॉग का नाम है ‘लव योर कंट्री’। इस गाने को सिद्धार्थ शर्मा , पीयुष वास्निक और यश चौहान ने गाया है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।
करीब तीन मिनट के इस वीडियो में कंगना आम व्यक्तियों के साथ दिखाई दे रही है और भारतीय सेना का शुक्रिया अदा कर रही है। उनके साथ दिखाई दे रहे लोग और वह खुद समाज से जुड़े मुद्दे जैसे बाल विवाह, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या, रेप पर बातें कर रहे है। गौरतलब है कि इससे पहले कंगना प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के वीडियो में धन की देवी लक्ष्मी के रूप में नजर आ चुकी है।
करीब तीन मिनट के इस वीडियो में कंगना आम व्यक्तियों के साथ दिखाई दे रही है और भारतीय सेना का शुक्रिया अदा कर रही है। उनके साथ दिखाई दे रहे लोग और वह खुद समाज से जुड़े मुद्दे जैसे बाल विवाह, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या, रेप पर बातें कर रहे है। गौरतलब है कि इससे पहले कंगना प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के वीडियो में धन की देवी लक्ष्मी के रूप में नजर आ चुकी है।
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दोनों यही बन गए।
रियो: सेमीफाइनल में सानिया-बोपन्ना हारे
रियो डी जनेरियो। भारत की सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना की जोड़ी शनिवार को सेमीफाइनल में अमेरिका की वीनस विलियम्स और राजीव राम से हार गई। एक घंटे तक चले इस मुकाबले में अमेरिकी जोड़ीदारों ने भारतीय जोड़ीदारों को 2-6, 6-2, 10-2 से पराजित कर अपने लिए कम से कम रजत पदक सुरक्षित कर लिया है। अब भारतीय खिलाड़ियों को कांस्य पदक के लिए प्लेऑफ मैच में खेलना होगा. यह मैच दूसरे सेमीफाइनल में हारने वाली टीम के साथ होगा।
इससे पहले सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना की भारतीय जोड़ी ने रियो ओलम्पिक के मिश्रित युगल वर्ग के सेमीफाइनल में जगह बना ली थी। भारतीय जोड़ी ने शुक्रवार को अपने दूसरे मुकाबले में ब्रिटेन के एंडी मरे और हीदर वॉटसन को हराकर ये जगह काबिज़ की थी।
भारतीय जोड़ीदारों ने क्वार्टर फाइनल में ओलम्पिक टेनिस सेंटर में यह मैच 6-4, 6-4 से जीता था। इससे पहले भारतीय खिलाड़ियों ने अपने पहले दौर के मुकाबले में आस्ट्रेलिया की समांथा स्टोसुर और जोनाथन पीयर्स की जोड़ी को हराया था। भारतीय जोड़ीदारों ने खेल की शुरुआत से ही अपना दबदबा बनाए रखते हुए यह मैच 7-5, 6-4 से जीता और क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी।
इससे पहले सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना की भारतीय जोड़ी ने रियो ओलम्पिक के मिश्रित युगल वर्ग के सेमीफाइनल में जगह बना ली थी। भारतीय जोड़ी ने शुक्रवार को अपने दूसरे मुकाबले में ब्रिटेन के एंडी मरे और हीदर वॉटसन को हराकर ये जगह काबिज़ की थी।
भारतीय जोड़ीदारों ने क्वार्टर फाइनल में ओलम्पिक टेनिस सेंटर में यह मैच 6-4, 6-4 से जीता था। इससे पहले भारतीय खिलाड़ियों ने अपने पहले दौर के मुकाबले में आस्ट्रेलिया की समांथा स्टोसुर और जोनाथन पीयर्स की जोड़ी को हराया था। भारतीय जोड़ीदारों ने खेल की शुरुआत से ही अपना दबदबा बनाए रखते हुए यह मैच 7-5, 6-4 से जीता और क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी।
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बॉक्स ऑफिस की दौड़ में ‘मोहनजो दारो’ से आगे है ‘रूस्तम’
मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की हालिया रिलीज फिल्म ‘रूस्तम’ को रितिक रोशन अभिनीत फिल्म ‘मोहनजो दारो’ की तुलना में बॉक्स ऑफिस पर अच्छी शुरूआत मिली है।
ट्रेड पंडितों के मुताबिक अक्षय कुमार अभिनीत अदालती कार्यवाहियों की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म को आशुतोष गोवारिकर-निर्देशित ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म की तुलना में समीक्षकों और दर्शकों से बेहतर प्रतिक्रिया मिल रही है।
फिल्म वितरक राजेश थडानी ने कहा कि फिल्म ‘रूस्तम’ आगे चल रही है… यह ‘मोहनजो दारो’ से बेहतर कर रही है। इसे समीक्षकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और लोग इस फिल्म को अधिक पसंद कर रहे हैं। ‘मोहनजो दारो’ दर्शकों को अपनी ओर अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पा रही है, जबकि ‘रूस्तम’ को लेकर लोगों में उत्सुकता है।
थडानी के अनुसार शुरूआती दिन ‘रूस्तम’ 12 से 13 करोड़ रूपए के आंकड़े को छू सकती है और ‘मोहनजो दारो’ का आंकड़ा सात से आठ करोड़ रूपए तक रह सकता है। ‘रूस्तम’ के एम नानावटी मामले पर आधारित है, जबकि गोवारिकर की ‘मोहनजो दारो’ सिंधु घाटी सभ्यता पर आधारित है।
ट्रेड पंडितों के मुताबिक अक्षय कुमार अभिनीत अदालती कार्यवाहियों की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म को आशुतोष गोवारिकर-निर्देशित ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म की तुलना में समीक्षकों और दर्शकों से बेहतर प्रतिक्रिया मिल रही है।
फिल्म वितरक राजेश थडानी ने कहा कि फिल्म ‘रूस्तम’ आगे चल रही है… यह ‘मोहनजो दारो’ से बेहतर कर रही है। इसे समीक्षकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और लोग इस फिल्म को अधिक पसंद कर रहे हैं। ‘मोहनजो दारो’ दर्शकों को अपनी ओर अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पा रही है, जबकि ‘रूस्तम’ को लेकर लोगों में उत्सुकता है।
थडानी के अनुसार शुरूआती दिन ‘रूस्तम’ 12 से 13 करोड़ रूपए के आंकड़े को छू सकती है और ‘मोहनजो दारो’ का आंकड़ा सात से आठ करोड़ रूपए तक रह सकता है। ‘रूस्तम’ के एम नानावटी मामले पर आधारित है, जबकि गोवारिकर की ‘मोहनजो दारो’ सिंधु घाटी सभ्यता पर आधारित है।
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राष्ट्रीय एकता की सच्ची तस्वीर जहां मुसलमान मनाते हैं धूमधाम से जन्माष्टमी का पर्व ...
राजस्थान में एक जगह ऐसी भी है, जहां मुस्लिम समुदाय के लोग दरगाह में जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाते हैं। राजस्थान के झुंझुनू जिले के चिड़ावा में स्थित नरहर दरगाह, जिसे शरीफ हजरत हाजिब शकरबार दरगाह के रूप में भी जाना जाता है, दरगाह में भगवान कृष्ण के जन्माष्टमी के अवसर पर तीन दिनों का उत्सव बड़ा धूमधाम से आयोजित किया जाता है।
जानकारी के अनुसार 'यह पर्व पिछले 300-400 वर्षों से मनाया जा रहा है। यहां हर समुदाय के लोग आते हैं। इस समारोह का मुख्य उद्देश्य हिंदुओं और मुस्लिमों में भाईचारे को बढ़ावा देना है।'
-दरगाह की गुम्बद से बरसती थी शक्कर :
मान्यता है कि पहले यहां दरगाह की गुम्बद से शक्कर बरसती थी इसी कारण यह दरगाह शक्कर बार बाबा के नाम से भी जानी जाती हैं। शक्करबार शाह अजमेर के सूफी संत ख्वाजा मोइनुदीन चिश्ती के समकालीन थे तथा उन्ही की तरह सिद्ध पुरुष थे। शक्करबार शाह ने ख्वाजा साहब के 57 वर्ष बाद देह त्यागी थी।
- देश के हर कोने से आते है यहां लोग :
त्योहार के दौरान यहां बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों के लोग आते हैं। यहां काफी संख्या में हिंदू लोग आते है और दरगाह में फूल, चादर, नारियल और मिठाइयां चढ़ाते हैं।' त्योहार के दौरान दरगाह के आसपास 400 से ज्यादा दुकानें सज जाती हैं। जन्माष्टमी की रात यहां मंदिरों की तरह ही कव्वाली, नृत्य और नाटकों का आयोजन होता है।
-नवविवाहित जोड़े मांगते है मन्नतें
यह त्योहार कब और कैसे शुरू हुआ इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि यह राष्ट्रीय एकता की सच्ची तस्वीर पेश करता है। क्योंकि त्योहार को यहां हिंदू, मुस्लिम और सिख साथ मिलकर मनाते हैं।' नवविवाहित जोड़े यहां खुशहाल और लंबे वैवाहिक जीवन की मन्नतें मांगने आते हैं।
जानकारी के अनुसार 'यह पर्व पिछले 300-400 वर्षों से मनाया जा रहा है। यहां हर समुदाय के लोग आते हैं। इस समारोह का मुख्य उद्देश्य हिंदुओं और मुस्लिमों में भाईचारे को बढ़ावा देना है।'
-दरगाह की गुम्बद से बरसती थी शक्कर :
मान्यता है कि पहले यहां दरगाह की गुम्बद से शक्कर बरसती थी इसी कारण यह दरगाह शक्कर बार बाबा के नाम से भी जानी जाती हैं। शक्करबार शाह अजमेर के सूफी संत ख्वाजा मोइनुदीन चिश्ती के समकालीन थे तथा उन्ही की तरह सिद्ध पुरुष थे। शक्करबार शाह ने ख्वाजा साहब के 57 वर्ष बाद देह त्यागी थी।
- देश के हर कोने से आते है यहां लोग :
त्योहार के दौरान यहां बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों के लोग आते हैं। यहां काफी संख्या में हिंदू लोग आते है और दरगाह में फूल, चादर, नारियल और मिठाइयां चढ़ाते हैं।' त्योहार के दौरान दरगाह के आसपास 400 से ज्यादा दुकानें सज जाती हैं। जन्माष्टमी की रात यहां मंदिरों की तरह ही कव्वाली, नृत्य और नाटकों का आयोजन होता है।
-नवविवाहित जोड़े मांगते है मन्नतें
यह त्योहार कब और कैसे शुरू हुआ इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि यह राष्ट्रीय एकता की सच्ची तस्वीर पेश करता है। क्योंकि त्योहार को यहां हिंदू, मुस्लिम और सिख साथ मिलकर मनाते हैं।' नवविवाहित जोड़े यहां खुशहाल और लंबे वैवाहिक जीवन की मन्नतें मांगने आते हैं।
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जरा हटके
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शनिवार, 13 अगस्त 2016
स्तंभेश्वर महादेव: हर शाम पानी में डूब जाता है शिवलिंग
इस मंदिर की स्थापना कुमार कार्तिकेय ने की थी। करीब 150 साल पहले इसे खोजा गया। यह मंदिर सुबह प्रकट होता है और शाम होते होते इस मंदिर का शिवलिंग पानी में डूब जाता है। यहां दर्शन के लिए जाने वाले शिवभक्तों को समय का खास ध्यान रखना पड़ता है। इतना ही नहीं कभी कभी तो शिवलिंग के दर्शन हेतु 2 से 3 दिन तक वहीं रुकना पड़ता है।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के गुजरात राज्य के वड़ोदरा (बड़ोदा) शहर से लगभग 60 कि.मी की दूरी पर स्थित कवि कम्बोई गांव में है। यह मंदिर अरब सागर में खंभात की खाड़ी के किनारे स्थित है। समुद्र के बीच में स्थित होने की वजह से इसकी खुबसूरती देखने लायक है। समुद्र के बीच स्थित होने के कारण न केवल इस मंदिर का सौंदर्य बढ़ता है, बल्कि एक अनोखी घटना भी देखने को मिलती है।
इस मंदिर के दर्शन केवल कम ज्वार (लहरों) के समय ही किए जा सकते है। ऊंची ज्वार (लहरों) के समय यह मंदिर डूब जाता है। पानी में डूब जाने के कारण यह मंदिर दिखाई नहीं देता, इसलिए ही इसे गायब मंदिर कहा जाता है। ऊंची लहरें खत्म होने पर मंदिर के ऊपर से धीरे-धीरे पानी उतरता है और मंदिर दिखने लगता है। मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण कुमार कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का वध करने के बाद किया था। भगवान शिव के इस मंदिर की खोज लगभग 150 सालों पहले हुई थी।
इस मंदिर की यात्रा के लिए पूरे एक दिन-रात का समय रखना चाहिए। ताकि यहां होने वाले चमत्कारी दृश्य को देखा जा सके। सामान्यतः सुबह के समय ज्वार का प्रभाव कम रहता है, तो उस समय मंदिर के अंदर जाकर शिवलिंग के दर्शन किए जा सकते है। शाम से रात के समय में ज्वार का प्रभाव अधिक रहता है, जिसकी वजह से मंदिर को पानी में डूबते हुए देखा जा सकता है।
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53 की हुईं श्रीदेवी
एक्ट्रेस श्रीदेवी 53 साल की हो गई हैं। उनका जन्म 13 अगस्त, 1963 को तमिलनाडु के एक छोटे-से गांव मीनमपट्टी में हुआ था। श्रीदेवी ने महज चार साल की उम्र में एक तमिल फिल्म में अभिनय किया था। 1976 तक श्रीदेवी ने कई साउथ इंडियन फिल्मों में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया। बतौर एक्ट्रेस उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1976 में आई तमिल फिल्म 'मुंदरू मुदिची' से की। श्रीदेवी ने अपने तीन दशक लंबे करियर में लगभग 200 फिल्मों में काम किया। हिंदी फिल्मों में बतौर एक्ट्रेस श्रीदेवी ने अपने करियर की शुरुआत 1979 में फिल्म 'सोलहवां सावन' से की, लेकिन उन्हें सफलता फिल्म 'हिम्मतवाला' से मिली। उन्होंने 'नगीना', 'मिस्टर इंडिया', 'चालबाज', 'तोहफा', 'आखिरी रास्ता', 'भगवान दादा', 'कर्मा', 'शेरनी', 'चांदनी', 'गुरु', 'लम्हे', 'खुदा गवाह' सहित कई फिल्मों में काम किया।
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दोनों यही बन गए।
ये जुडवां बहने रियो ओलंपिक में इतिहास रचने को तैयार
नई दिल्ली। ओलंपिक के 120 साल के इतिहास में जो कभी नहीं हो पाया वह रियो ओलंपिक 2016 में होने जा रहा है। तीन जुडवा बहनें इस बार रियो में इतिहास रचने को तैयार है। लैला, लीना और लिली नाम की तीन बहनें 14 अगस्त को मैराथन रेस में भाग लेने वाली है। आज तक आपने ओलंपिक के इतिहास में दो बहनों को तो एक-दूसरे के खिलाफ मुकाबले में उतरता देखा होगा।लेकिन, तीन बहनों को एक दूसरे के खिलाफ पहली बार देखोगे। ये तीन बहनें असामयिक पैदा हुई थीं, जन्म के समय तीनों का वजन काफी कम था और इन्हें कई दिनों तक आईसीयू में रखना पड़ा था। बचपन में तीनों की मैराथन दौड़ के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं थी बल्कि तीनों को डांस के प्रति रूचि थी और तीनों अच्छी डांसर भी हैं।इस्तोनिया के रहने वाली यह तीनो बहनें 30 साल की हैं और इन्होंने 24 साल की उम्र में मैराथन दौडऩा शुरू किया है। इसके बाद ट्रेनिंग लेना शुरू की और आज अच्छी धावक है।इस्तोनिया में आयोजित होने वाली कई प्रतियोगिता में हिस्सा लेने और जीतने के बाद तीनों बहनों ने ओलंपिक की तैयारी शुरू की, जिसके लिए इस बार तीनों ने क्वालीफाई भी किया।यह तीनों बहनें इस्तोनिया में अलग-अलग रहती हैं लेकिन साल में एक बार जरूर एक साथ मिलकर ट्रेनिंग लेती है। इन तीनों के अलावा मैराथन में जर्मनी की जुड़वां बहनें अन्ना और लिसा हाहेर भी हिस्सा ले रही हैं।
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
प्रमोशन नहीं करेंगी बेईमान लव का......झटका दिया सनी लियोन ने ...
जल्दी ही प्रदर्शित होने वाली है, सनी लियोन अभिनीत 'बेईमान लव' परंतु सनी ने फैसला लिया है वे प्रमोशन नहीं करेंगी इस फिल्म का। सूत्रों का कहना है सनी जिस तरह से चाहती थीं उन्हें वैसा फिल्म में दर्शाया नहीं गया है इस से सनी नाराज हैं।
फिल्म बनने के पूर्व सनी को कुछ और बताया गया था जबकि फिल्म में सनी को बेहद हॉट, बोल्ड और सेक्सी रूप में दिखाया गया है। अब सनी अपनी पहले वाली छवि बदलना चाहती हैं जिसमे 'बेईमान लव' बिलकुल भी मददगार नहीं है।
अरसे से बन कर 'बेईमान लव' तैयार है। सनी की पिछली कुछ फिल्में असफल रहने कि वजह से दर्शकों की रूचि सनी में खत्म सी हो गई है। यही वजह है फिल्म की रिलीज में देरी कि गई।
सनी लियोन इस फिल्म में बिज़नेस टायकून बनी हैं जिसकी जिंदगी कई उतार-चढ़ाव से भरी हैं। यह डार्क लव स्टोरी है जिसमें महत्वाकांक्षा, जुनून और बदला को दर्शाया गया है। रजनीश दुग्गल और राजीव वर्मा फिल्म में सनी के पति डेनियल वेबर,महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं।
सनी के फैसले की सब तरफ बहुत आलोचना हो रही है। सनी ने फिल्म की शूटिंग पूरी की है ऐसा ट्रेड विशेषज्ञों का कहना है। सनी ने दाम भी लिए हैं, तो फिल्म का प्रमोशन करना उनकी जिम्मेवारी है। वे pramotion न कर निर्माता के लिए मुश्किल पैदा कर रही हैं।
फिल्म बनने के पूर्व सनी को कुछ और बताया गया था जबकि फिल्म में सनी को बेहद हॉट, बोल्ड और सेक्सी रूप में दिखाया गया है। अब सनी अपनी पहले वाली छवि बदलना चाहती हैं जिसमे 'बेईमान लव' बिलकुल भी मददगार नहीं है।
अरसे से बन कर 'बेईमान लव' तैयार है। सनी की पिछली कुछ फिल्में असफल रहने कि वजह से दर्शकों की रूचि सनी में खत्म सी हो गई है। यही वजह है फिल्म की रिलीज में देरी कि गई।
सनी लियोन इस फिल्म में बिज़नेस टायकून बनी हैं जिसकी जिंदगी कई उतार-चढ़ाव से भरी हैं। यह डार्क लव स्टोरी है जिसमें महत्वाकांक्षा, जुनून और बदला को दर्शाया गया है। रजनीश दुग्गल और राजीव वर्मा फिल्म में सनी के पति डेनियल वेबर,महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं।
सनी के फैसले की सब तरफ बहुत आलोचना हो रही है। सनी ने फिल्म की शूटिंग पूरी की है ऐसा ट्रेड विशेषज्ञों का कहना है। सनी ने दाम भी लिए हैं, तो फिल्म का प्रमोशन करना उनकी जिम्मेवारी है। वे pramotion न कर निर्माता के लिए मुश्किल पैदा कर रही हैं।
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का कमाल ....पहली बार में ही ..... फ्रीकी अली
ये कहने की जरूरत नहीं है कि नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी कितने उम्दा एक्टर हैं । कई फिल्में हैं उनकी अदाकारी की जिनमें उन्होंने अपने बेहतरीन अभिनय के रंग बिखेरे हैं। नवाजुद्दीन की 'फ्रीकी अली' 9 sep. को रिलीज हो रही है । डार्क किरदार निभाने वाले सिद्दीकी इस फिल्म में कॉमेडी करते नजर आएंगे।
जो अपने करियर में पहले कभी नहीं की, फ्रीकी अली में नवाजुद्दीन ऐसी कई चीजें करते नज़र आएंगे। पहली बार वे पूरी फिल्म में कॉमेडी करते दिखाई देंगे। फ्रीकी अली में वह गोल्फर बने हैं और इसके लिए उन्होंने गोल्फ भी सीखा है।
सिर्फ इतना ही नहीं, नवाजुद्दीन पहली पार सिल्वर स्क्रीन पर थिरकते नजर आएंगे। अभी हाल ही में 'दिन में करेंगे जगराता' गाना रिलीज हुआ है और नवाजुद्दीन इस डांस नंबर की बीट्स पर डांस करते दिखाई दे रहे हैं। सभी दंग हैं नवाजुद्दीन के डांसिंग अवतार को देख कर।
सलमान खान द्वारा प्रस्तुत इस फिल्म का निर्देशन सोहेल खान ने किया है। फिल्म में नवाज के साथ अरबाज खान और एमी जैक्सन की महत्वपूर्ण भूमिकाए हैं।
जो अपने करियर में पहले कभी नहीं की, फ्रीकी अली में नवाजुद्दीन ऐसी कई चीजें करते नज़र आएंगे। पहली बार वे पूरी फिल्म में कॉमेडी करते दिखाई देंगे। फ्रीकी अली में वह गोल्फर बने हैं और इसके लिए उन्होंने गोल्फ भी सीखा है।
सिर्फ इतना ही नहीं, नवाजुद्दीन पहली पार सिल्वर स्क्रीन पर थिरकते नजर आएंगे। अभी हाल ही में 'दिन में करेंगे जगराता' गाना रिलीज हुआ है और नवाजुद्दीन इस डांस नंबर की बीट्स पर डांस करते दिखाई दे रहे हैं। सभी दंग हैं नवाजुद्दीन के डांसिंग अवतार को देख कर।
सलमान खान द्वारा प्रस्तुत इस फिल्म का निर्देशन सोहेल खान ने किया है। फिल्म में नवाज के साथ अरबाज खान और एमी जैक्सन की महत्वपूर्ण भूमिकाए हैं।
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चूड़ियाँ पहनने के वैज्ञानिक लाभ और दिलचस्प मान्यताएं
वैदिक काल से हिंदू धर्म में महिलाएँ अपने हाथों में चूड़ियाँ पहनती रही हैं। सोलह श्रृंगारों में से एक श्रृंगार चूड़ियाँ भी हैं तथा महिलाओं के सुहागन होने का प्रतीक है।
धार्मिक मान्यता है कि जो विवाहित महिलाएँ चूड़ियाँ पहनती हैं तो, उनके पति की आयु लंबी होती है। इन सबके साथ-साथ चूड़ियाँ स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अत्यंत लाभप्रद हैं। चूड़ियाँ पहनने से होने वाले लाभ चूड़ियों में प्रयुक्त धातु, चूड़ियों की संख्या, चूड़ियों का रंग आदि पर निर्भर करते हैं।
1. महिलाएँ शारीरिक दृष्टि से पुरुषों की तुलना में अधिक कोमल होती हैं। चूड़ियाँ पहनने से महिलाओं को शारीरिक रूप से शक्ति प्राप्त होती है। उन्हें कमजोरी और शारीरिक शक्ति का अभाव महसूस नहीं होता।
2. आयुर्वेद के अनुसार सोने और चाँदी की भस्म शरीर के लिए बलवर्धक होती है। सोने और चाँदी की चूड़ियाँ पहनने से जब ये शरीर के साथ घर्षण करती हैं, तो इनसे शरीर को इन धातुओं के शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जो महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होते हैं और वे अधिक आयु तक स्वस्थ रह सकती हैं।
3. जिस धातु से चूड़ियाँ बनी होती हैं, उस धातु का महिला के स्वास्थ्य के साथ-साथ उसके आसपास के वातावरण पर भी प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए प्लास्टिक से बनी चूड़ियाँ रज-तम प्रभाव वाली होती हैं और वातावरण में से नकारात्मक ऊर्जा अपनी ओर खींचती हैं। अतः डॉक्टरों के अनुसार प्लास्टिक की चूड़ियाँ पहनने से महिलाएँ अनेक बार स्वयं को बीमार महसूस करती हैं।
4. धार्मिक मान्यता के अनुसार कांच की चूड़ियाँ सात्विक होती हैं और उन्हें पहनने से महिला के पति तथा पुत्र का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। वहीं, विज्ञान का मानना है कि कांच की चूड़ियों की ध्वनि से वातावरण में उपस्थित नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
5. चूड़ियों की संख्या अधिक होने पर उनका महत्व भी कई गुणा अधिक बढ़ जाता है। विज्ञान का भी मानना है कि जब महिलाएँ अपने दोनों हाथों में अधिक संख्या में चूड़ियाँ पहनती हैं तो इससे एक विशेष ऊर्जा उत्पन्न होती है।
6. चूड़ियों के रंग भी महिलाओं के स्वास्थ्य और उसके वैवाहिक जीवन पर अपना प्रभाव डालते हैं। लोक प्रचलित मान्यता के अनुसार नवविवाहित स्त्रियों को हरे एवं लाल रंग की कांच की चूड़ियाँ पहनने के लिए कहा जाता है, क्योंकि हरा रंग प्रकृति देवी का है।
जिस प्रकार एक वृक्ष अपनी छाया से लोगों को खुशहाली प्रदान करता है, उसी प्रकार हरे रंग की चूड़ियाँ उनके दाम्पत्य जीवन में खुशहाली लाती हैं। इसी प्रकार लाल रंग उस महिला को आदि शक्ति से जोड़ता है। लाल रंग प्रेम का भी प्रतीक है, अतः लाल रंग की चूड़ियाँ पहनने से दाम्पत्य प्रेम में वृद्धि होती है और वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।
7. धार्मिक मान्यता के अनुसार चूड़ियाँ टूटना या उनमें दरार आना महिला या उससे जुड़े व्यक्तियों के लिए एक अपशकुन है। विज्ञान का मानना है कि जब महिला के आसपास के वातावरण में साधारण से अधिक नकारात्मक ऊर्जा हो जाती है, तो वह उस महिला को घेरने लगती है और सर्वप्रथम उसकी चूड़ियों पर प्रहार करती है।
यह नकारात्मक ऊर्जा चूड़ियों के भीतर प्रविष्ट होकर धीरे-धीरे उन्हें नष्ट करने लगती है। यदि दरार आने पर भी चूड़ियाँ उतारी ना जाएं, तो यह नकारात्मक ऊर्जा महिला के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डालने लगती है।
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पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
शुक्रवार, 12 अगस्त 2016
यहां बिकता है गधी का दूध, कीमत 50 रुपए प्रति चम्मच…
बेंगलुरु। आपने गाय, भैंस, बकरी के दूध के बारे में तो सुना होगा लेकिन क्या कभी आपने गधी के दूध के बारे में सुना है। अगर नहीं तो हम आपको बता दें कि हमारे देश में ही एक ऐसी जगह है जहां गधी के दूध को काफी महत्व दिया जाता है और इसे ऊंची कीमत के खरीदा जाता है। जी हां, बेंगलुरु में लोग 50 रुपये में गधी का एक चम्मच दूध खरीदते हैं। कई लोगों ने तो गधी के दूध की बिक्री को अपना व्यवसाय तक बना लिया है।
गधी के दूध से दूर होती हैं कई बिमारियां
मिली जानकारी के अनुसार, बेंगलुरु के लोगों का मानना है कि गधी का दूध नवजातों की प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है। यह कई तरह की बीमारियों से लड़ने में बच्चों की मदद करता है। एक वेबसाइट क अनुसार, बेंगलुरु में रहने वाले कृष्णप्पा कोलार अब पूरी तरह से गधी के दूध का ही बिजिनेस कर रहे हैं।बताया जा रहा है कि कृष्णप्पा कोलार रोज अपने गधी को लेकर गलियों में घूम-घूमकर गधी का दूध बेचते हैं। जब वह गलियों से गुजरते हैं तब केवल एक ही आवाज गूंजती है गधी का दूध ले लो…अस्थमा, ठंड, खांसी से राहत दिलाने में फायदेमंद। आपके बच्चों की सेहत के लिए सेहतमंद दूध…। कन्नड़ भाषा में इसी तरह वह रोज दूध बेचते हैं। वे 50 रुपये चम्मच गधी का दूध को बेचते हैं।आपको बता दें कि इसके पहले कई विशेषज्ञ भी गधी के दूध की गुणवत्ता का बखान कर चुके हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस में डेयरी साइंस के विशेष अधिकारी जयप्रकाश एचएम बताते हैं, गधी का दूध मां के दूध के समान पौष्टिक है।विशेषज्ञों का कहना है कि लाइसोजाइम जैसे तत्व पाए जाते हैं। प्रतिरोधी क्षमता के लिए यह बहुत ही फायदेमंद है। हालांकि गधी का दूध व्यावसायिक तौर पर नहीं बेचा जा सकता है, क्योंकि गधी के दूध का उत्पादन बहुत ही कम पैमाने पर होता है।
गधी के दूध से दूर होती हैं कई बिमारियां
मिली जानकारी के अनुसार, बेंगलुरु के लोगों का मानना है कि गधी का दूध नवजातों की प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है। यह कई तरह की बीमारियों से लड़ने में बच्चों की मदद करता है। एक वेबसाइट क अनुसार, बेंगलुरु में रहने वाले कृष्णप्पा कोलार अब पूरी तरह से गधी के दूध का ही बिजिनेस कर रहे हैं।बताया जा रहा है कि कृष्णप्पा कोलार रोज अपने गधी को लेकर गलियों में घूम-घूमकर गधी का दूध बेचते हैं। जब वह गलियों से गुजरते हैं तब केवल एक ही आवाज गूंजती है गधी का दूध ले लो…अस्थमा, ठंड, खांसी से राहत दिलाने में फायदेमंद। आपके बच्चों की सेहत के लिए सेहतमंद दूध…। कन्नड़ भाषा में इसी तरह वह रोज दूध बेचते हैं। वे 50 रुपये चम्मच गधी का दूध को बेचते हैं।आपको बता दें कि इसके पहले कई विशेषज्ञ भी गधी के दूध की गुणवत्ता का बखान कर चुके हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस में डेयरी साइंस के विशेष अधिकारी जयप्रकाश एचएम बताते हैं, गधी का दूध मां के दूध के समान पौष्टिक है।विशेषज्ञों का कहना है कि लाइसोजाइम जैसे तत्व पाए जाते हैं। प्रतिरोधी क्षमता के लिए यह बहुत ही फायदेमंद है। हालांकि गधी का दूध व्यावसायिक तौर पर नहीं बेचा जा सकता है, क्योंकि गधी के दूध का उत्पादन बहुत ही कम पैमाने पर होता है।
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जरा हटके
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
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