शनिवार, 3 दिसंबर 2016

भारत और कतर ने वीजा, साइबर स्पेस और निवेश के क्षेत्र में मिलाया हाथ

नई दिल्ली: भारत और कतर के बीच शनिवार को वीजा, साइबर सुरक्षा और निवेश के क्षेत्र में चार समझौते हुए। इसके अलावा भारत और कतर में राष्‍ट्रीय पोत प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और आदान-प्रदान को प्रोत्‍साहन देने के लिए एक अन्‍य समझौता ज्ञापन पर भी हस्‍ताक्षर किए गए। गौरतलब है की कतर, भारत को तरल प्राकृतिक गैस-एल एन जी का सबसे अधिक निर्यात करता है।

भारत दौरे पर आए कतर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला बिन नासीर अल थानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यहां हैदराबाद हाउस में प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत हुई। इसके बाद दोनों देशों के बीच समझौतों पर दस्तखत हुए। इनमें राजनयिक, विशेष और सरकारी पासपोर्ट धारकों के लिए वीजा में छूट, साइबर स्पेस में तकनीकी सहयोग एवं साइबर अपराध का मुकाबला करने, व्यापारियों और पर्यटकों के लिए ई-वीजा और कतर -भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के बीच समझौते शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि शेख अब्दुल्ला का यह पहला भारतीय दौरा है और पिछले दो सालों में दोनों देशों के बीच होने वाली यह तीसरी उच्चस्तरीय द्विपक्षीय बैठक थी। इससे पहले कतर के अमीर तामिम बिन हमाद अल धानी ने मार्च 2015 में भारत की यात्रा की थी जिसके बाद इस साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दो दिन की यात्रा पर कतर गए थे। प्रधानमंत्री मोदी खाड़ी क्षेत्र के देशों के साथ संबंधों को सुधारने पर खास ध्यान दे रहे हैं। समूचा खाड़ी क्षेत्र भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है।

कतरी दूतावास की ओर से यहां जारी एक बयान के अनुसार, भारतीय व्यापारियों की बैठक को संबोधित करते हुए अल थानी ने जोर देकर कहा कि करीब एक सौ साल से भारत और कतर एक ऐतिहासिक मधुर संबंध से बंधे हुए हैं। अल थानी ने आगे कहा कि भारत कतर के पांच बड़े व्यापारिक भागीदारों में एक माना जाता है।

उन्होंने कहा कि आर्थिक मुद्दा भारत और कतर के बीच उच्च प्राथमिकताओं में शामिल है, इसलिए विविध और विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं के साथ दोनों देश निजी क्षेत्र की भूमिका को मजबूती देने और बिना किसी रोक टोक के उनके नए विचारों को आगे बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच के व्यापार 10 अरब डॉलर के पार चले गए हैं। कतर में छह लाख 30 हजार से ज्‍यादा भारतीय काम कर रहे हैं।

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