मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

इसल‌िए न‌िर्वस्‍त्र होकर स्‍नान नहीं करना चाह‌िए

आप स्नान करते समय अपने शरीर पर तौल‌िया या कोई अन्य वस्‍त्र को लपेटते ही होंगे अगर ऐसा नहीं करते हैं तो आप क‌ितनी बड़ी गलती कर रहे हैं शायद इसका आपको पता भी नहीं होगा। अगर आप यह जान लेंगे क‌ि आख‌िर क्यों न‌िर्वस्‍त्र होकर स्नान नहीं करना चा‌ह‌िए तो आप चाहे बाथरूम में स्‍नान करें या कहीं और आप जरूर वस्‍त्र धारण करके ही स्नान करेंगे।

न‌िर्वस्‍त्र होकर स्नान करने का पर‌‌िणाम क्या होता है यह जानने से पहले आपको बता दें क‌ि भगवान श्री कृष्‍ण ने स्वयं चीर हरण की लीला में लोगों को समझाया है क‌ि कभी भी कहीं भी ब‌िना वस्‍त्र धारण क‌िए स्नान नहीं करना चाह‌िए।


न‌िर्वस्‍त्र होकर स्नान करने का पर‌‌िणाम क्या होता है यह जानने से पहले आपको बता दें क‌ि भगवान श्री कृष्‍ण ने स्वयं चीर हरण की लीला में लोगों को समझाया है क‌ि कभी भी कहीं भी ब‌िना वस्‍त्र धारण क‌िए स्नान नहीं करना चाह‌िए।


न‌िर्वस्‍त्र होने के कारण गोप कन्याएं जल से बाहर आने में अपनी असमर्थता जताती हैं और बताती हैं क‌ि वह न‌िर्वस्‍त्र हैं ऐसे में वह जल से बाहर कैसे आ सकती हैं। श्री कृष्‍ण गोप कन्याओं से पूछते हैं जब न‌िर्वस्‍त्र होकर जल में गई थी तब शर्म नहीं आयी थी। जवाब में गोप कन्या बताती हैं क‌ि उस समय यहां कोई नहीं था, तुम भी नहीं थे।

न‌िर्वस्‍त्र होने के कारण गोप कन्याएं जल से बाहर आने में अपनी असमर्थता जताती हैं और बताती हैं क‌ि वह न‌िर्वस्‍त्र हैं ऐसे में वह जल से बाहर कैसे आ सकती हैं। श्री कृष्‍ण गोप कन्याओं से पूछते हैं जब न‌िर्वस्‍त्र होकर जल में गई थी तब शर्म नहीं आयी थी। जवाब में गोप कन्या बताती हैं क‌ि उस समय यहां कोई नहीं था, तुम भी नहीं थे।

यानी श्री कृष्‍ण कहते हैं ‌न‌िर्वस्‍त्र होकर स्नान करने से वरुण देवता का अपमान होता है। यह सोचना क‌ि बंद कमरे में आप न‌िर्वस्‍त्र होकर स्नान कर रहे हैं और आपको कोई देख नहीं रहा है तो आप गलत सोच रहे हैं वहां मौजूद सूक्ष्म जीव और भगवान आपको देख रहे हैं और आपकी नग्नता आपको पाप का भागी बना रही है। लेक‌िन इन सबसे बढ़कर एक और कारण है जो न‌िर्वस्‍त्र होकर स्नान करने वाले के ल‌िए नुकसानदायक होता है।

गरुड़ पुराण में बताया गया है क‌ि स्नान करते समय आपके प‌ितर यानी आपके पूर्वज आपके आस-पास होते हैं और वस्‍त्रों से ग‌िरने वाले जल को ग्रहण करते हैं ज‌िनसे उनकी तृ‌प्ति‌ होती है। न‌िर्वस्‍त्र स्नान करने से प‌ितर अतृप्त होकर नाराज होते हैं ज‌िनसे व्यक्त‌ि का तेज, बल, धन और सुख नष्ट होता है। इसल‌िए कभी भी न‌िर्वस्‍त्र होकर स्नान नहीं करना चाह‌िए।

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