शनिवार, 31 दिसंबर 2016

तो इस तरह साईं बाबा बन गए लोगों के गुरु

साईं आज क‌ितनों के ल‌िए भगवान हैं तो क‌ितनों के ल‌िए गुरु। हर गुरुवार देश के अलग-अलग स्‍थानों में मौजूद साईं के मंद‌िर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन के ल‌िए आते हैं। ज‌िनमें श‌िरडी में मौजूद सांई का परम धाम सबसे पावन और पूजनीय है जहां हर साल लाखों की संख्या में देश-व‌िदेश से भक्त दर्शन के ल‌िए आते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी क‌ि साईं बाबा ने कभी क‌िसी को अपना श‌िष्य या उत्तराध‌िकारी नहीं बनाया ले‌क‌िन लोगों ने अपनी श्रद्धा, आस्‍था और व‌िश्वास के कारण खुद को साईं का सेवक और भक्त होना स्‍वीकार कर ल‌िया और आज साईं करोड़ो भक्तों के गुरु हैं। और यह सब कैसे हुए अपने आप में बहुत ही रोचक है।

तेरह वर्ष की उम्र में साईं बाबा पहली बार श‌िरडी में आए थे। यह कहां से आए और इनके माता-प‌िता कौन थे यह कोई नहीं जानता था। लेक‌िन लोगों ने पहली बार जब देखा तब यह एक नीम के पेड़ के नीचे समाधि में लीन थे। इतनी कम उम्र में सर्दी-गर्मी, भूख-प्यास की चिंता किए बगैर बालयोगी को तपस्या में लीन देखकर लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। लोग इन्हें हैरानी से देखते और श्रद्धा प्रकट करते।

कुछ समय शिरडी में रहकर साईं एक दिन किसी से कुछ कहे बिना अचानक वहां से चले गए। लोगों ने बालयोगों को ढूंढा लेक‌िन वह कहीं नहीं म‌िले और लोगों ने इन्हें साईं कह कर बुलाना शुरु कर द‌िया। इस तरह बालयोग को लोगों ने साईं नाम दे द‌िया और बाद में यही नाम प्रस‌िद्ध हो गया। कुछ वर्ष बाद चांद पाटिल की बारात के साथ योगी साईं एक बार फ‌िर शिरडी पहुंचे। खंडोबा मंदिर के पुजारी म्हालसापति ने कहा ‘आओ सांई’स्वागत के इन शब्दों से साईं जगत प्रस‌िद्ध हो गए। इसके बाद से ही साईं 'साईं बाबा' कहलाने लगे।

कहते हैं चांद पाट‌िल की बारात श‌िरडी से चली गई लेक‌िन साईं बाबा बारात के साथ नहीं लौटे और हमेशा के ल‌िए श‌िरडी के होकर रह गए। धीरे-धीरे साईं के चमत्कार, प्रेम और दयालुता से लोग प्रभाव‌ित होते चले गए और लोगों ने उन्हें अपना गुरु और भगवान मानना शुरू कर द‌िया। और एक बार जो स‌िलस‌िला शुरु हुआ तो यह चलता ही चला गया। क्योंक‌ि साईं ने कभी क‌िसी से कुछ ल‌िया नहीं हमेशा द‌िया।

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