शनिवार, 3 दिसंबर 2016

लोकप्रियता का मंत्र है उचित व्यवहार…स्वार्थी मित्रों से रहें दूर

– जीवन के लक्ष्य को निर्धारित करें और उसे प्राप्त करने का पूरा प्रयास करें।
– मित्रों को पहचानें। मित्र को ज़रूरत होने पर पीछे नहीं हटें। उसका जितना निस्वार्थ साथ दे सकते हैं, दें। स्वार्थी मित्रों से दूर रहें।
– सकारात्मक सोच रखें, नकारात्मक विचारों को तिलांजलि देने का प्रयास करें। चारों तरफ मुसीबतें हैं, ऐसा विचार मन से निकाल कर अवसर ढूंढऩे का प्रयास करें।
– बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए छोटे मोटे लक्ष्यों को नजरअंदाज करें।
– जिस बात की बहस पर लाभ न हो, वहां मौन रहना ही हितकर है। मौन रहना ही एकमात्र रास्ता है।
– दूसरों की समस्याओं पर भी ध्यान दें। शायद आपकी नजऱ में वे कम महत्त्व वाली हों पर उसके स्थान पर स्वयं को रखकर सोचें।

– परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढालने का प्रयास करें। दूसरों को बदलने की भावना मन में न लायें। अपने व्यवहार से उन्हें सीखने का अवसर दें।
– कभी कभी हम भी गलत हो सकते हैं। इस सत्य से दूर न भागें।
– कुछ समय दूसरों की भलाई के लिए भी रखें। ऐसा करके बहुत शान्ति मिलती है।
– दूसरों के दु:ख में उनका साथ दें जिससे दु:ख बंटकर कम हो जाये। दूसरों की खुशी में खुश रहें ताकि खुशी चौगुनी हो जाये।
– अच्छी पुस्तकें स्वयं भी पढ़ें और दूसरों को भी प्रोत्साहित करें कि वे भी उनका लाभ उठा सकें।
– दूसरों को नीचा मत दिखाएं। उन्हें उठाने का प्रयास करें।
– दूसरों से जिस व्यवहार की अपेक्षा करते हैं, उनसे स्वयं भी वैसा व्यवहार करें।
– मीठे बोल बोलकर दूसरों का मन जीतने का प्रयास करें।
– दूसरों की भी सुनें। उन्हें पूरा अवसर दें कि वे मन खोलकर अपनी बात कह सकें। बीच में टोककर या अपनी बात बार-बार दोहरा कर उन्हें निरूत्साहित न करें।
– किसी को उपहार देते समय पहले उससे हाथ मिलायें, फिर उसे उपहार दें ताकि उसे अहसास हो कि आप खाली उपहार देने की खानापूर्ति करने ही नहीं आए हैं।
– घर आए अतिथि को प्यार और सम्मान दें।
– बड़ों को पूरा सम्मान दें और छोटों को प्यार। नये लोगों से थोड़ी दूरी बनाकर रखें।
– अपने आप को किसी पर थोपें नहीं। उसे भी अवसर प्रदान करें, अपनी योग्यता दिखाने का।

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