शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

रामायण: भगवान् राम ने दी थी बलात्कार के लिए मौत की सजा, तो भी भारतीय कानून में क्यों नही?

.भारत में जब भी कोई नया जघन्य बलात्कार होता है तो ये मांग उठती रहती है की बलात्करियो के लिए रपए की सजा तय करो, लेकिन होता कुछ नही है.  जिसके बाद आप भी ये मांग करेंगे की हाँ बलात्कारियो के लिए मौत की सजा मुकर्रर होनी ही चाहिए.
पूरा भारत और सनातन धर्म जी श्रीराम को पुरुषोत्तम मानते है जिन्होंने की मनुष्य के लिए ऐसी मर्यादा स्थापित कर दी की वो सही रास्ते पे चले उन्होंने ने ही बलात्कार के लिए मृत्यु की सजा तय की थी. उन्होंने ने तो खुद अपने हाथो से एक बलात्कारी को मौत के घाट उतारा था.

वो और कोई नहीं बल्कि वाली था जिसने किया था रूमा का बलात्कार किया था, किष्किन्दा कांड में सुग्रीव की सहायार्थ उन्होंने वाली को मार गिराया था. तब वाली ने श्रीराम को अधर्मी कहा था तब उसे श्रीराम ने जो जवाद दिया था वो सुनिये और तब समझे कैसे उचित है बलात्कारी को मृत्यु दंड.


श्रीराम ने वाली को कहा की जब तुम्हे खुद को ही धर्म का ज्ञान नही है तो तुम मुझपे किस लिहाज से ये आरोप लगा रहे हो, तुमने अपने छोड़े भाई की पत्नी को बलपूर्वक हर लिया था. छोटे भाई की पत्नी, बेटी बहु से जो व्यक्ति समागम करता है या उसे गले लगता है उसके लिए मृत्यु ही सबसे सही दंड है.

तुम कहते हो की मैंने तुम्हे छूपके मारा तो सुनो क्षत्रियो के लिए शिकार करना करने योग्य कर्म है, ऐसे में चाहे शेर को मारो या बन्दर को या हिरन को इसमें कुछ भी गलत नही है. तब वाली निरुत्तर हो गया और श्रीराम से माफ़ी मांगी, साथ ही श्रीराम ने वाली के पीछे सती हो रही तारा को भी रोक दिया और उसे अंगद(संतान) के लिए जीने को कहा.

ऐसे में भारत में भी अब ये कानून लागु होना चाहिए, ठीक है किसी निर्दोष को सजा न हो इसकी पुष्टि कर के हो, लेकिन हो जरूर!

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