इंडोनेशिया में एक सिनेमा है जहां दृष्टिहीन लोग फिल्म 'देखते' हैं. इस सिनेमा को विस्पर सिनेमा कहते हैं.
सिसवांत पैदाइश से ही देख नहीं सकते. लेकिन वह सिनेमा नियमित तौर पर जाते हैं. यह एक खास तरह का सिनेमा है जहां दृष्टिहीनों को फिल्म 'दिखाई' जाती है. होता यूं है कि हर दृष्टिहीन दर्शक की साथ वाली सीट पर एक व्यक्ति बैठा होता है जो उसके कान में फुसफुसाते हुए बताता चलता है कि पर्दे पर अब क्या हो रहा है. 'विस्पर सिनेमा' नाम से यह कोशिश एक मासिक क्लब के रूप में इंडोनेशिया में चल रही है. इसके लिए कोई पैसा भी नहीं लिया जाता है. मकसद है इंडोनेशिया में दृष्टिहीनों को सिनेमा तक लाना. पिछले साल ही इसकी शुरुआत हुई है.
43 साल के सिसवांतो अब विस्पर सिनेमा के नियमित दर्शक हैं. मालिश करने का पेशा करने वाले सिसवांतो को हॉरर फिल्में पसंद नहीं हैं. लेकिन बाकी फिल्में उन्हें खूब पसंद आती हैं. वह जब सिनेमा जाते हैं तो एक स्वयंसेवी उन्हें उनकी सीट तक ले जाता है. वह भी सिसवांतो की बगल वाली सीट पर बैठ जाता है. फिर जैसे ही हॉल की रोशनियां धीमी हो जाती हैं, स्वयंसेवी उनके कान में फुसफुसाने लगता है. वह हर सीन की जानकारी देता है.
हाल ही में 'द ट्रूप्स ऑफ ड्रीमर्स' देखकर आए सिसवांतो बताते हैं, "मैं देख नहीं सकता लेकिन फिल्में मुझे पसंद हैं. ऐसे में इन लोगों की कोशिश मेरे जैसे इंसान के लिए बहुत काम की है क्योंकि इससे हमारा दायरा बढ़ता है." विस्पर सिनेमा को शुरू किया है चीची सुचिआती ने. जनवरी 2015 में उन्होंने दृष्टिहीनों के लिए एक ऐप बनाई थी. वहीं से चीची के मन में ऐसा सिनेमा हॉल बनाने का ख्याल आया जहां दृष्टिहीन भी फिल्म का आनंद उठा सकें.
सुचिआती इसके लिए 50 सीटों के एक सिनेमा हॉल का इस्तेमाल करती हैं. वह ज्यादातर स्थानीय फिल्में ही दिखाती हैं. फिल्म सुनाने के लिए स्वयंसेवी जुटाने का काम वह सोशल मीडिया के जरिए करती हैं. वह बताती हैं, "मैं चाहती हूं कि लोग इस बात को स्वीकार करें कि दृष्टिबाधित लोग भी हमारी दुनिया, हमारे समाज का हिस्सा हैं."
जर्मनी में टेलिविजन चैनल सीन को बयान करने वाले ऑडियो के जरिये देखने में अक्षम लोगों को फिल्म और दूसरी रिपोर्ट 'देख' सकने की सुविधा उपलब्ध कराते हैं. टेलिविजन नेत्रहीन और देखने में अक्षम लोगों के लिए भी सूचना पाने और सामाजिक सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने का मौका देता है. इसके लिए ऑडियो व्याख्या के जरिये तस्वीरों की दुनिया को उनके लिए उपलब्ध कराया जाता है.
शनिवार, 15 अक्टूबर 2016
दृष्टिहीनों को फिल्म दिखाने वाला सिनेमा
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
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