भारतीय क्रिकेट इतिहास में यूं तो कई किस्से दर्ज हैं, लेकिन हार-जीत से इतर कुछ दर्दनाक घटनाएं ऐसी भी हैं जिनका गवाह कोई नहीं बनना चाहेगा। हम बात कर रहे हैं टीम के इंडिया के पूर्व खिलाड़ी रमन लांबा की, क्रिकेट के जुनूनी इस खिलाड़ी ने क्रिकेट के मैदान पर खेलते हुए दम तोड़ा। 2 जनवरी 1960 को रमन लांबा का उत्तर प्रदेश के मेरठ में जन्म हुआ, लांबा की जयंती पर उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ किस्सों को आपके सामने रखते हैं ...
क्रिकेट का शानदार आगाज
रमन लांबा को उनकी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाना जाता था। उन्होंने भारत के पूर्व कप्तान कृष्णमचारी श्रीकांत के साथ सलामी बल्लेबाजी की जिम्मेदारी संभाली थी। लांबा ने 1986 में ऑस्ट्रेलिया कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पदार्पण किया था और पहले मैच में ही 64 रनों की पारी खेली। लांबा ने इस पूरी श्रृंखला में शानदार बल्लेबाजी की और 55.60 की औसत से दो अर्धशतक और एक शतक की मदद से 278 रन बनाए और मैन ऑफ द सीरीज चुने गए।
वनडे में हिट थे लांबा
रमन लांबा ने भारत के लिए कुल 32 एकदिवसीय मैच खेले और 27 की औसत से 783 रन बनाए, जिसमें एक शतक और छह अर्धशतक शामिल हैं। हालांकि टेस्ट मैंचों में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा। भारत की तरफ से उन्होंने कुल चार टेस्ट मैच खेले और महज 102 रन बनाए।
आज तक नहीं टूट लांबा का रिकॉर्ड
घरेलू क्रिकेट में रमन लांबा के नाम 121 प्रथम श्रेणी मैचों में कुल 8776 रन दर्ज हैं। लांबा के नाम दलीप ट्रॉफी में सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड भी दर्ज है। उन्होंने 21 अक्टूबर, 1987 को पश्चिम क्षेत्र के खिलाफ उत्तरी क्षेत्र की ओर से 320 रनों की पारी खेली थी। 29 साल बाद भी इस रिकार्ड को कोई नहीं तोड़ पाया है।
क्रिकेट क्लबों का किया रुख
भारत में क्रिकेट के बाद लांबा ने बांग्लादेश और आयरलैंड में क्लब क्रिकेट भी खेली। इस दौरान उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से सभी का ध्यान अपनी ओर खेंचा। आयरलैंड में ही खेलने के दौरान वह किम से मिले, जो बाद में उनकी जीवनसंगिनी बनीं। इन दोनों ने सितंबर 1990 में शादी की।
लांबा से एक विवाद भी जुड़ा रहा
मन लांबा रके जीवन से एक विवाद भी जु़ड़ा रहा जिसने उन्हें घरेलू क्रिकेट में कुछ मैचों से दूर कर दिया। 1990-91 में दलीप ट्रॉफी के पश्चिम जोन के मैच में राशिद पटेल से उनकी बहस हो गई थी, जो बाद में काफी आगे तक गई। परिणामस्वरूप भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने दोनों खिलाड़ियों पर कुछ मैचों का प्रतिबंध लगा दिया था।
मैदान पर 12 खिलाड़ी
साल 1986 में इंग्लैंड के दौरे पर वह श्रीकांत की जगह स्थानापन्न खिलाड़ी के तौर पर फील्डिंग करने पहुंचे थे, लेकिन कुछ देर बाद श्रीकांत बिना बताए मैदान पर आ गए। एक ओवर के लिए दोनों मैदान पर फील्डिंग करते रहे, अंपायर ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया।
और हो गई लांबा की मौत...
लांबा 20 फरवरी, 1998 को ढाका में बांग्लादेश के क्रिकेट क्लब अबाहानी क्रइरा चाकरा के लिए खेल रहे थे। गेंदबाज सैफुल्लाह खान की गेंद पर बल्लेबाज मेहराब हुसैन ने तगड़ा शॉट लगाया, गेंद शॉर्ट लेग पर खड़े लांबा के सिर पर लगी और फिर विकेटकीपर मसूद के पास चली गई। चोट लगने के बाद लांबा खड़े हुए और ड्रेसिंग रूम में चले गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन लांबा को नहीं बचाया जा सका। तीन दिन बाद 23 फरवरी को ढाका के पोस्ट ग्रेजुएट अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
सोमवार, 2 जनवरी 2017
जन्मदिन विशेष:- अगर तीन गेंद पहले हेल्मेट पहन लेता भारत का ये 'रैंबो' तो नहीं जाती जान
पढ़ाई का विषय हमेशा साइंस रहा। बी एससी इलेट्रॉनिक्स से करने के बाद अचानक पत्रकारिता की तरफ रूझान बढ़ा। नतीजतन आज मेरा व्यवसाय और शौक
दोनों यही बन गए।
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