चेन्नई : मद्रास हाई कोर्ट ने मुसलमानों के तलाक को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि तलाक पर काजी का दिया प्रमाणत्र केवल एक राय है. उसे कानूनी तौर पर वैध नहीं माना जा सकता.
पूर्व विधायक बदर सैयद की जनहित याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंद्रेश की पीठ ने काजी एक्ट, 1880 की धारा 4 का उल्लेख करते हुए कहा कि काजी का पद व्यक्ति को न्यायिक या प्रशासनिक अधिकार देने का नहीं है.
दरअसल सैयद ने याचिका में काजी द्वारा जारी प्रमाणपत्र की निंदा की थी और साथ ही काजी को प्रमाणपत्र देने का हक नहीं होना चाहिए. इस पर रोक लगनी चाहिए. वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और शरई डिफेंस फोरम का भी कहना है कि काजी द्वारा जारी प्रमाणपत्र केवल शरई कानून का विशेषज्ञ होने के नाते राय होती है.
वहीं कोर्ट ने रजिस्ट्रार को आदेश देते हुए कहा कि इस आदेश को स्पष्टता के लिए न्यायिक फोरम के पास भेजा जाए. मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी को होने वाली है.
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