समिति की सिफारिश: ज्यादा बिजली खर्च करने वालों से सस्ती दरों पर बिल वसूले सरकार
नई दिल्ली
बिजली की कीमत निर्धारण को लेकर बड़ा सुधार होने जा रहा है। एक आधिकारिक समिति ने बहुत ज्यादा बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं के लिए सस्ती दरें ऑफर करने की सिफारिश की है। ऐसा इसलिए को देश बिजली की कमी से बिजली की अधिकता की ओर बढ़ चुका है। ऐसे में बिजली खपत को बढ़ावा देने की जरूरत महसूस हो रही है।
अभी जो स्लैब्स तय हैं उसके मुताबिक ज्यादा बिजली खर्च करने वालों को ऊंची दरों पर बिल भरने होते हैं। लेकिन, अब समय आ गया है कि देश में ज्यादा बिजली खपत को प्रोत्साहन दिया जाए। बिजली की मांग बढ़ाने के उपाय सुझाने के लिए गठित एक कमिटी ने सरकार से यह सिफारिश की है। ऊर्जा मंत्रालय ने इस कमिटी का गठन पिछले साल सितंबर महीने में किया था। इस कमिटी में केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के अध्यक्ष, केंद्रीय बिजली विनियामक आयोग के सचिव, फिक्की के अध्यक्ष के साथ-साथ बिहार एवं तमिलनाडु के ऊर्जा सचिव और मध्य प्रदेश, गुजरात तथा उत्तर प्रदेश के मुख्य ऊर्जा सचिव शामिल थे।
समिति के एक सदस्य ने कहा, 'मौजूदा टैरिफ स्ट्रक्चर राज्यों में बिजली की कमी के मद्देनजर तैयार की गई थी जिसे आजादी के बाद से नहीं बदला गया। चूंकि देश में अब मांग से ज्यादा बिजली पैदा करने की क्षमता हो गई है, इसलिए अभी के ढांचे में बदलाव होना चाहिए।' एक अधिकारी के मुताबिक, समिति की राय में बिजली की मांग बढ़ाने के लिए ग्राहकों के बिजली बिल में छूट और प्रोत्साहन राशि शामिल होनी चाहिए।
बिजली की कीमत निर्धारण को लेकर बड़ा सुधार होने जा रहा है। एक आधिकारिक समिति ने बहुत ज्यादा बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं के लिए सस्ती दरें ऑफर करने की सिफारिश की है। ऐसा इसलिए को देश बिजली की कमी से बिजली की अधिकता की ओर बढ़ चुका है। ऐसे में बिजली खपत को बढ़ावा देने की जरूरत महसूस हो रही है।
अभी जो स्लैब्स तय हैं उसके मुताबिक ज्यादा बिजली खर्च करने वालों को ऊंची दरों पर बिल भरने होते हैं। लेकिन, अब समय आ गया है कि देश में ज्यादा बिजली खपत को प्रोत्साहन दिया जाए। बिजली की मांग बढ़ाने के उपाय सुझाने के लिए गठित एक कमिटी ने सरकार से यह सिफारिश की है। ऊर्जा मंत्रालय ने इस कमिटी का गठन पिछले साल सितंबर महीने में किया था। इस कमिटी में केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के अध्यक्ष, केंद्रीय बिजली विनियामक आयोग के सचिव, फिक्की के अध्यक्ष के साथ-साथ बिहार एवं तमिलनाडु के ऊर्जा सचिव और मध्य प्रदेश, गुजरात तथा उत्तर प्रदेश के मुख्य ऊर्जा सचिव शामिल थे।
समिति के एक सदस्य ने कहा, 'मौजूदा टैरिफ स्ट्रक्चर राज्यों में बिजली की कमी के मद्देनजर तैयार की गई थी जिसे आजादी के बाद से नहीं बदला गया। चूंकि देश में अब मांग से ज्यादा बिजली पैदा करने की क्षमता हो गई है, इसलिए अभी के ढांचे में बदलाव होना चाहिए।' एक अधिकारी के मुताबिक, समिति की राय में बिजली की मांग बढ़ाने के लिए ग्राहकों के बिजली बिल में छूट और प्रोत्साहन राशि शामिल होनी चाहिए।
अधिकारी ने कहा कि राज्य बिजली विनियामक आयोगों को खासकर उद्योग, वाणिज्य और सेवा क्षेत्रों के उपभोक्ताओं के लिए टैरिफ में बदलाव करना चाहिए। अभी ज्यादा बिजली खपत करने वालों से ऊंची दरों से पैसे वसूल कर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। कमिटी ने अपने मसौदे में कहा है कि ज्यादातर राज्य रात में या कम मांग के दौरान उद्योगों को कम दर पर बिजली दे सकते हैं। इस तरह की व्यवस्था कुछ राज्यों ने अपना भी रखी है और मध्य प्रदेश में बिजली खपत में वृद्धि देखी गई है।
इसके साथ ही, समिति ने बिजली खपत बढ़ाने के लघु और मध्यावधि विकल्प भी तैयार किए हैं। इनमें बिजली आपूर्ति का भरोसा देकर, बिजली से चलने वाले वाहनों और निर्माण कार्यों में बिजली आधारित औजारों का इस्तेमाल बढ़ाकर मेक इन इंडिया के तहत मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना भी शामिल है। गौरतलब है कि ज्यादातर राज्यों में हर महीने 800 यूनिट से ज्यादा बिजली खपत करने वाले घर बड़ी खपत वाले माने जाते हैं। इकनॉमिक टाइम्स ने 25 दिसंबर को खबर दी थी कि सरकार घरों में ज्यादा बिजली खपत करने वालों से ऊंची दरों से बिल वसूलने की योजना बना रही है। अभी इनका भार औद्योगिक इकाइयों डाला जा रहा है।
इसके साथ ही, समिति ने बिजली खपत बढ़ाने के लघु और मध्यावधि विकल्प भी तैयार किए हैं। इनमें बिजली आपूर्ति का भरोसा देकर, बिजली से चलने वाले वाहनों और निर्माण कार्यों में बिजली आधारित औजारों का इस्तेमाल बढ़ाकर मेक इन इंडिया के तहत मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना भी शामिल है। गौरतलब है कि ज्यादातर राज्यों में हर महीने 800 यूनिट से ज्यादा बिजली खपत करने वाले घर बड़ी खपत वाले माने जाते हैं। इकनॉमिक टाइम्स ने 25 दिसंबर को खबर दी थी कि सरकार घरों में ज्यादा बिजली खपत करने वालों से ऊंची दरों से बिल वसूलने की योजना बना रही है। अभी इनका भार औद्योगिक इकाइयों डाला जा रहा है।
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