सोमवार, 9 जनवरी 2017

हर्बल टिप्स: सेहतमंद बने रहने के लिए आजमाएं ये नुस्ख़े

नववर्ष में हम सब बेहद उत्साहित हैं। ज्यादातर लोगों ने नए साल में स्वस्थ बने रहने का प्रण लिया होगा और कई लोगों ने अपनी दिनचर्या को बेहतर करने का मन बनाया होगा। हो सकता है इस लेख को पढ़ने से इन लोगों को मेरे तरफ से थोड़ी मदद मिल जाए। नये साल में आपके सेहतमंद बने रहने की शुभकामनाओं के साथ मैं कुछ खास चुनिंदा नुस्खों को लेकर आ रहा हूं, उम्मीद हैं इन नुस्खों को आप अपनी सेहत दुरुस्ती के लिए नए साल में अपनाएंगे ताकि आप बने रहें एकदम चुस्त और दुरुस्त।

काली मिर्च से वजन और हाइपो-थायरॉयड दोनों संभालें

पिपेराईन, एक खास रसायन है जो काली मिर्च में खूब पाया जाता है। कमाल का फ़ैट बर्नर है ये यानी वसा के विघटन के लिए खासम-खास। अक्सर महिलाओं में थायरॉक्सिन लेवल कम होने से तेजी से वजन बढ़ता है। पेपेराईन इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है, जिन्हें हाईपोथायरॉइड की समस्या है, सिर्फ 7 काली मिर्च कुचलकर 15 दिनों तक रोज सुबह एक बार, एक साथ खा लें, 17 दिन के भीतर ही असर दिखाई देने लगेगा।

नींद अच्छी लाना हो और तनाव दूर भगाना हो तो चीकू जरूर खाएं

चीकू सिर्फ स्वाद में खास नहीं है, इसके गुण भी कमाल के होते हैं। इसके औषधीय गुणों में से एक है इसका उपशामक यानी Sedative होना। सामान्यत: जिन्हें तनाव, अनिद्रा या चिड़चिड़ेपन की शिकायत होती है उन्हें डॉक्टर्स Sedative औषधियां देते हैं। रासायनिक और संश्लेषित दवाओं के बुरे असर को पूरी दुनिया जानती है, पर मजबूरी में समस्याओं के त्वरित निवारण के लिए इन्ही घातक दवाओं की शरण में जाना पड़ता है। जिन्हें नींद ना आने की शिकायत हो, उन्हें प्रतिदिन सोने से पहले से कम से कम 1 या 2 चीकू जरूर खाना चाहिए, धीरे-धीरे इस समस्या की विदाई हो जाएगी।

सीताफल की पत्तियों से घावों का उपचार

इंटरनेशनल वूंड जर्नल (2012) में प्रकाशित एक क्लीनिकल रिसर्च रिपोर्ट के परिणामों के अनुसार सीताफल की पत्तियों को घावों के उपचार के लिए उत्तम माना गया है। मजे की बात ये भी है कि पातालकोट मध्यप्रदेश के जड़ी-बूटी जानकार (भुमका) के अनुसार कुछ पत्तियों को घाव पर रगड़ दिया जाए या पत्तियों का रस घाव पर लेपित किया जाए तो घाव अतिशीघ्र सूखने लगता है और इस पर किसी तरह का संक्रमण भी नहीं होता है। पातालकोट के कुछ निवासी इसी फ़ार्मूले का उपयोग अपने चौपायों के घाव को ठीक करने के लिए भी करते हैं, उनके अनुसार ऐसा करने से घाव पर मक्खियां और अन्य कीड़े नहीं आते हैं और घाव भी जल्दी भर जाता है।

याददाश्त बढ़ानी है, तो इसे आज़माएं

कोकोनट मिल्क का नाम सुना है आपने? नारियल की मलाई..कच्चे पानी वाले नारियल के अन्दर सफेद नर्म मलाई होती है, कई लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं, मैं तो इसे खाने से कभी चूकता भी नहीं। इस मलाई में 25% वसा होती है इस वसा का लगभग 65% हिस्सा MCT (Medium Chain Triglycerides) होता है यानि ये वो वसा नहीं जिसकी दहशत में आधे लोग कई खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करते हैं। MCT हमारी शरीर की पूरी सेहत और खास तौर से मस्तिष्क के लिए खास होते हैं। सन 2004 में न्यूरोबॉयोलोजी ऑफ एजिंग जर्नल की एक शोध रिपोर्ट में बताया गया करीब 20 बुजुर्गों को MCT (40 मिली) की सिर्फ एक डोज़ दी गयी और पाया गया कि इन तमाम बुजुर्गों के मानसिक क्रियाकलापों और याददाश्त में कमाल की तेजी आयी।

दस्त और डायरिया का अचूक पारंपरिक नुस्ख़ा

कच्चा हरा केला (छिलका बगैर) और नींबू का छिलका, इन दोनों का मिश्रण दस्त रोकने का गज़ब फॉर्मूला है। नींबू का छिल्का और बारीक कटा कच्चे केले का गूदा छांव में सुखा लिया जाए, जब ये दोनों अच्छी तरह से सूख जाएं तो इन्हें मिक्सर में ग्राइंड करलें, चूर्ण तैयार हो जाएगा। ये चूर्ण है दस्त और डायरिया का अचूक फार्मूला। बस 1 चम्मच चूर्ण की फांकी हर 2 घंटे के अंतराल से मारनी होगी, देखते ही देखते सब ठीक हो जाएगा। केले में स्टार्च और नींबू के छिलकों में पेक्टिन, इससे जोरदार कॉम्बिनेशन और क्या होगा? गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजी जर्नल में सितंबर 2001 में प्रकाशित क्लिनिकल स्टडीज़ के परिणाम भी इस पारंपरिक नुस्खे की पैरवी करते हैं।

ब्रोमेलेन ट्यूमर में फायदेमंद

ब्रोमेलेन के बारे में सुना है कभी? अन्नानस के काटने के बाद बीचों-बीच का कठोर हिस्सा जिसे अक्सर फेंक दिया जाता है वहां ये एंजाइम पाया जाता है और यकीन मानिये इसे हमारे शरीर से ट्यूमर को दूर करने वाले 7-फ्लूरोरेसिल (एक बेहद विषैला कीमोथेरापी एजेंट) से भी जबरदस्त माना गया है, यानि यह एंजाइम कैंसररोधी है। प्लांटा मेडिका (एक साइंटिफिक जर्नल) में सन 2007 में प्रकाशित एक गहन शोध अध्ययन की रपट और इसके अलावा पचासों शोध परिणामों ने भी इस बात की पुष्टि की है। ना सिर्फ कैंसर बल्कि कोलायटिस, कोलोन कैंसर, लीवर डैमेज, ओस्टिओआर्थरायटिस, रह्युमेटॉइड आर्थरायटिस जैसी तकलीफदेह समस्याओं के लिए भी इसे अत्यंत कारगर माना गया है।

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