नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा को लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पहली सूची को 15 जनवरी को अंतिम रूप दिया जाएगा और इसमें कुछ चौंकाने वाले नाम हो सकते हैं. लंबे समय से संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को पार्टी ने टिकट देने का फैसला कर लिया है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नसीहत दी थी कि पार्टी नेता अपने रिश्तेदारों के लिए टिकट न मांगें. वैसे, पंकज सिंह के अलावा स्वाति सिंह को भी चुनाव मैदान में उतारा जाएगा, जिनके पति दयाशंकर सिंह ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा या बीएसपी) प्रमुख मायावती के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया था और उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था.
7 जनवरी को दिल्ली में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी नेताओं से कहा था कि वे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में अपने रिश्तेदारों के लिए टिकट न मांगें. बताया जा रहा है कि यूपी और उत्तराखंड में पार्टी के कई दिग्गज नेता और सांसद अपने बेटे-बेटी या किसी अन्य रिश्तेदार के लिए टिकट चाहते हैं. पीएम की इस नसीहत के बाद उनकी आशाओं पर तुषारापात हो गया था, लेकिन पंकज सिंह के मामले को अपवाद के तौर पर लिया जा रहा है.
संगठन में योगदान...
बीजेपी नेताओं का कहना है कि पंकज सिंह लंबे समय से प्रदेश इकाई में महासचिव पद पर काम कर रहे हैं. पार्टी ने अलग-अलग समय पर उन्हें जो भी ज़िम्मेदारियां दी हैं, वे उन्होंने बख़ूबी निभाई हैं. उनके पिता के बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने टिकट के लिए दावेदारी पेश नहीं की थी, क्योंकि इससे कार्यकर्ताओं में ठीक संदेश नहीं जाता. वह पहले भी विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार थे, लेकिन अब उनकी पहचान अपने काम और योग्यता से राज्य के प्रभावी नेता के तौर पर बन गई है.
सूत्रों की मानें तो पंकज सिंह के टिकट पर प्रदेश इकाई को भी ऐतराज़ नहीं है. यूपी का काम देख रहे केंद्रीय नेताओं ने भी उनके नाम पर सहमति जताई है. माना जा रहा है कि पंकज या तो दिल्ली से सटे ग़ाज़ियाबाद के साहिबाबाद चुनाव क्षेत्र या फिर पूर्वी उत्तर प्रदेश में किसी सीट से लड़ सकते हैं. लखनऊ से उन्हें नहीं उतारा जाएगा, क्योंकि वहां से उनके पिता लोकसभा सांसद हैं.
स्वाति सिंह की उम्मीदवारी तय...
बीजेपी नेताओं के मुताबिक एक अन्य राजपूत नेता के तौर पर स्वाति सिंह को भी पार्टी चुनाव मैदान में उतारेगी. स्वाति सिंह बीजेपी के पूर्व नेता दयाशंकर सिंह की पत्नी हैं. दयाशंकर सिंह ने बीएसपी प्रमुख मायावती के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक बयान दिया था, जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें निकाल दिया था. इसके बाद स्वाति सिंह ने जिस तरह अपने पति का बचाव किया और अपने परिवार के सम्मान के लिए लोहा लिया, उससे पार्टी नेतृत्व बेहद प्रभावित हुआ.
नौकरी कर रही स्वाति सिंह को न सिर्फ पार्टी में लिया गया, बल्कि उन्हें महिला मोर्चा का अध्यक्ष भी बनाया गया है. अब पार्टी उन्हें किसी महत्वपूर्ण सीट से उतारने पर विचार कर रही है. माना जा रहा है कि उन्हें बीएसपी के किसी ताकतवर नेता के खिलाफ मैदान में उतारा जाएगा.
इन दोनों ही नेताओं को टिकट देकर बीजेपी राज्य की ताकतवर राजपूत लॉबी को भी संदेश देना चाह रही है. हालांकि इसके बाद बीजेपी पर अन्य नेताओं का भी दबाव बढ़ेगा, जो अपने रिश्तेदारों के लिए टिकट चाहते हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उनके बारे में संबंधित सीट के समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही फैसला किया जाएगा.
7 जनवरी को दिल्ली में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी नेताओं से कहा था कि वे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में अपने रिश्तेदारों के लिए टिकट न मांगें. बताया जा रहा है कि यूपी और उत्तराखंड में पार्टी के कई दिग्गज नेता और सांसद अपने बेटे-बेटी या किसी अन्य रिश्तेदार के लिए टिकट चाहते हैं. पीएम की इस नसीहत के बाद उनकी आशाओं पर तुषारापात हो गया था, लेकिन पंकज सिंह के मामले को अपवाद के तौर पर लिया जा रहा है.
संगठन में योगदान...
बीजेपी नेताओं का कहना है कि पंकज सिंह लंबे समय से प्रदेश इकाई में महासचिव पद पर काम कर रहे हैं. पार्टी ने अलग-अलग समय पर उन्हें जो भी ज़िम्मेदारियां दी हैं, वे उन्होंने बख़ूबी निभाई हैं. उनके पिता के बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने टिकट के लिए दावेदारी पेश नहीं की थी, क्योंकि इससे कार्यकर्ताओं में ठीक संदेश नहीं जाता. वह पहले भी विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार थे, लेकिन अब उनकी पहचान अपने काम और योग्यता से राज्य के प्रभावी नेता के तौर पर बन गई है.
सूत्रों की मानें तो पंकज सिंह के टिकट पर प्रदेश इकाई को भी ऐतराज़ नहीं है. यूपी का काम देख रहे केंद्रीय नेताओं ने भी उनके नाम पर सहमति जताई है. माना जा रहा है कि पंकज या तो दिल्ली से सटे ग़ाज़ियाबाद के साहिबाबाद चुनाव क्षेत्र या फिर पूर्वी उत्तर प्रदेश में किसी सीट से लड़ सकते हैं. लखनऊ से उन्हें नहीं उतारा जाएगा, क्योंकि वहां से उनके पिता लोकसभा सांसद हैं.
स्वाति सिंह की उम्मीदवारी तय...
बीजेपी नेताओं के मुताबिक एक अन्य राजपूत नेता के तौर पर स्वाति सिंह को भी पार्टी चुनाव मैदान में उतारेगी. स्वाति सिंह बीजेपी के पूर्व नेता दयाशंकर सिंह की पत्नी हैं. दयाशंकर सिंह ने बीएसपी प्रमुख मायावती के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक बयान दिया था, जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें निकाल दिया था. इसके बाद स्वाति सिंह ने जिस तरह अपने पति का बचाव किया और अपने परिवार के सम्मान के लिए लोहा लिया, उससे पार्टी नेतृत्व बेहद प्रभावित हुआ.
नौकरी कर रही स्वाति सिंह को न सिर्फ पार्टी में लिया गया, बल्कि उन्हें महिला मोर्चा का अध्यक्ष भी बनाया गया है. अब पार्टी उन्हें किसी महत्वपूर्ण सीट से उतारने पर विचार कर रही है. माना जा रहा है कि उन्हें बीएसपी के किसी ताकतवर नेता के खिलाफ मैदान में उतारा जाएगा.
इन दोनों ही नेताओं को टिकट देकर बीजेपी राज्य की ताकतवर राजपूत लॉबी को भी संदेश देना चाह रही है. हालांकि इसके बाद बीजेपी पर अन्य नेताओं का भी दबाव बढ़ेगा, जो अपने रिश्तेदारों के लिए टिकट चाहते हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उनके बारे में संबंधित सीट के समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही फैसला किया जाएगा.
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