बुधवार, 11 जनवरी 2017

अगर आपके पास हैं ये 5 चीजें तो आप बहुत ही भाग्यशाली और सुखी इंसान होंगे

कहते हैं धरती पर जो भी आया है वह अपने साथ अपना भाग्य भी लेकर आया है। यह अगल बात है क‌ि क‌िसी का भाग्य हर मामले में उनका साथ देता है और जीवन को खुशहाल बना देता है लेक‌िन ऐसा नहीं है क‌ि आपका भाग्य आपका साथ नहीं देता। शास्‍त्रों में बताया गया है क‌ि अगर आपको अपने भाग्य को जांचना है और देखना है क‌ि आप भाग्यशाली हैं या नहीं तो इन पांच बातों से जान सकते हैं क्योंक‌ि अगर आपके पास इनमें से एक भी चीज मौजूद है तो आप अपने आपको भाग्यशाली मान लीज‌िए आपको सुख जरूर म‌िलेगा।
शास्‍त्रों में बताया गया है क‌ि भाग्यशाली होने का सबसे पहला लक्षण स्वस्‍थ शरीर है क्योंक‌ि न‌िरोग काया में ही सुख समृद्ध‌ि का वास रहता है। अगर व्यक्त‌ि बीमार रहता हो तब न धन काम आता है न भोग वैभव। ज‌िनके पास स्वस्‍थ शरीर है वह अपने आपको भाग्यशाली मान सकते हैं क्योंक‌ि आप इसकी बदौलत धन भी कमा सकते हैं और ज‌िंदगी के तमाम सुखों को भो सकते हैं।
स्‍थायी आय को भाग्यशाली होने का सूचक माना जाता है। अगर आपके पास अचानक से खूब पैसा आ जाए तो बाद में आय के साधन में बाधा आ जाए तो इसे अच्छे भाग्य की न‌िशानी नहीं माना जाता है। इसल‌िए अपने भाग्य को अनुकूल बनाए रखने के ल‌िए अचानक धनवान बनने क‌ि बजाय न‌िश्च‌ित आय पर ध्यान दें। अगर आप नौकरी बदलते हैं तो इस बात का ध्यान रखें क‌ि जहां आप जा रहे हैं वहां आप क‌ितने समय तक सुख पूर्वक काम कर सकते हैं। धन के लालच में नौकरी बदलना कई बार भाग्‍य में बाधक भी बन जाता है।
सुकन्या पत्नी का म‌िलना पुरुष के भाग्यशाली होने का सूचक माना जाता है जबक‌ि सदाचारी पुरुष का म‌िलना लड़की के भाग्यशाली होने का सूचक कहा गया है। शास्‍त्रों में कहा गया है क‌ि जो स्‍त्री अपने पर‌िवार को पर‌िवार की मर्यादा का ध्यान रखते हुए काम करती है वह सुकन्या होती है।  सुकन्या पत्नी ज‌िस पुरुष को प्राप्त होती है उनकी आय कम भले ही हो उनके घर में बरकत और सुख शांत‌ि बनी रहती है। सदाचारी पुरुष अपनी पत्नी के प्रत‌ि वफादार और उनके सुख-दुख का ध्यान रखने वाले होते हैं।
सद‍्गुणी संतान का पाना भी व्यक्त‌ि के भाग्यशाली होने का संकेत है। शास्‍त्रों में कहा गया है क‌ि ज‌िस व्यक्त‌ि के बच्‍चे संस्कारी, श‌िक्ष‌ित और माता-प‌िता का आदर करने वाले वाले होते हैं उनकी वृद्धावस्‍था सुखमय हो जाती है ऐसे व्यक्त‌ि वृद्धावस्‍था में भाग्य का सुख पाते हैं और मृत्यु के बाद परलोक में सद्गत‌ि प्राप्त करते हैं। इसल‌िए कहा भी जाता है क‌ि पूत सपूत तो का धन संचै, पूत कपूत तो का धन संचय।। यानी पूत सपूत हो जाए तो धन संचय करने की जरुरत नहीं है वह खुद ही धन कमाकर धनवान बन जाएगा। अगर पूत कपूत हो जए तो संच‌ित क‌िया धन भी नाश हो जाता है।
सद्गुरु का साथ भी अच्‍छे भाग्य की न‌िशानी है। सद्गुरु का मतलब ऐसे व्यक्त‌ि से है ज‌िनसे आप कुछ ऐसा खीख सकें ज‌िनसे जीवन में आपको कभी भी धन और जीवन की चुनौत‌ियों का सामना करने में परेशानी नहीं आए। जो आपको ऐसा ज्ञान दे सकें ज‌िससे आप कभी भी कहीं भी धन और मान-सम्मान प्राप्त कर सकते हैं, ऐसे गुरु का म‌िल जाना भाग्यशाली होने की न‌‌िशानी है। महाभारत में व‌िदुर जी ने भी भाग्यशाली होने के यह लक्षण बताए हैं।

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