नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि 2017-18 का आम बजट परम्परा से हटकर पहले पेश करने से सरकार को रोकने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा से कहा कि इस मामले की सुनवाई की अगली तिथि पर वह पूरी तैयारी के साथ आएं। न्यायालय ने शर्मा ये यह बताने को भी कहा कि कानून में सरकार को इस निर्णय से रोकने का क्या कोई प्रावधान है। खंडपीठ के दूसरे न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड ने शर्मा से कहा कि यदि एक फरवरी को बजट पेश करने से रोक सकने संबंधी कोई प्रावधान है तो उसे न्यायालय को दिखाएं
न्यायालय ने कहा कि हमने ऐसा प्रावधान खोजने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए। उन्होंने यह बताने को भी कहा कि बजट को पहले पेश करने से कानून तथा संविधान के किन प्रावधानों का उल्लंघन होता है। न्यायालय ने शर्मा को 20 जनवरी तक का समय दिया। शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि संसद में आम बजट 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के मतदान की प्रक्रिया 8 मार्च को पूरी होने के बाद पेश किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने आम तौर पर फरवरी की अंतिम तिथि को पेश किए जाने वाले आम बजट को इस बार करीब एक महीने पहले एक फरवरी को पेश करने का फैसला किया है
न्यायालय ने कहा कि हमने ऐसा प्रावधान खोजने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए। उन्होंने यह बताने को भी कहा कि बजट को पहले पेश करने से कानून तथा संविधान के किन प्रावधानों का उल्लंघन होता है। न्यायालय ने शर्मा को 20 जनवरी तक का समय दिया। शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि संसद में आम बजट 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के मतदान की प्रक्रिया 8 मार्च को पूरी होने के बाद पेश किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने आम तौर पर फरवरी की अंतिम तिथि को पेश किए जाने वाले आम बजट को इस बार करीब एक महीने पहले एक फरवरी को पेश करने का फैसला किया है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें