बुधवार, 2 नवंबर 2016

चाणक्य ने सफलता के लिए कूटनीति के चार प्रमुख अस्त्र बताए हैं

चाणक्य ने सफलता के लिए कूटनीति के चार प्रमुख अस्त्र बताए हैं

जीवन में सफलता के लिए सिर्फ कड़ी मेहनत ही आवश्यक नहीं होती बल्कि मनुष्य को देश, काल व परिस्थिति के अनुसार विवाद, विरोध, प्रलोभन और युद्ध जैसी स्थिति के लिए भी तैयार रहना चाहिए। महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने सफलता के लिए कूटनीति के चार प्रमुख अस्त्र बताए हैं, जिनका उपयोग समय और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर करना चाहिए। यदि इन चारों को साध लिया गया तो फिर मनुष्य की जीत सुनिश्चित है। ये चार अस्त्र हैं- साम, दाम, दंड और भेद। जब मित्रता दिखाने (साम) की आवश्यकता हो तो आकर्षक उपहार आतिथ्य, समरसता और संबंध बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए। इससे दूसरे पक्ष में विश्वास पैदा होता है। यदि साम से काम न हो तो दाम यानी प्रलोभन का रास्ता अपनाया जा सकता है। यदि कूटनीति का ये अस्त्र भी विफल हो तो दंड का इस्तेमाल उचित है। इसमें ताकत का इस्तेमाल त्याज्य नहीं है। इसी तरह समय की जरूरत होने पर भेद को भी अपनाना चाहिए। इसमें दुश्मन की सेना, गुट या मंडल व अधिकारियों में फूट डालना, उसके करीबी रिश्तेदारों और उच्च पदों पर स्थित लोगों से उसकी ताकत के राज जानना आदि शामिल हैं। जीत के लिए ये अस्त्र अवश्यमेव हैं।

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