शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

63 साल से महिला पुरे दिन रेत खा कर करती है गुजारा, ना मिलने पर

वाराणासी : वाराणासी में रहने वाली 76 वर्षीय कुसमावती पिछले 63 सालों से बालू (लाल रंग की रेत) खाकर जिंदा है। जो इनका उचित आहार बन गया है, जिसके ना मिलने से इन्हें बैचेनी बढ़ जाती है औप पेट में दर्द होने लगता है। इनके सभी रोगों का इलाज है बालू का सेवन करना। इन्होनें रेत को अपनी दिनचर्या में शामिल करने के लिए इसकी पूरी समय सारणी तैयार करके रखी है। जो दिन भर में 1 किलो बालू खाकर पूरी होती है।

रोज सुबह लोग बासी मुंह पानी का सेवन करते है, तो ये बालू का सेवन करती है। इसके बाद ही ब्रश करके चाय की चुसकी लेती हैं। कुसमावती सुबह सौ ग्राम के करीब बालू के फांकती है। इसके बाद ही चाय या नाश्ता करती है। इसी तरह से दोपहर के समय खाने से पहले और बाद में बालू का सेवन करती हैं और रात तक यह क्रिया चलती रहती है।बालू के खाने का सबसे बड़ा कारण इनके पेट का असहनीय दर्द बना था।

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