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हिटलर ने नहीं की थी आत्महत्या, जानिये हिटलर से जुड़े सनसनीखेज खुलासे
जब हमें किसी खड़ूस, निर्दयी एवं बेरहम इंसान को अपनी मर्ज़ी से एक नाम देकर पुकारना हो तो हम उसे हिटलर’ कहकर बुलाते हैं। ऑफिस में अपने बॉस या स्कूल के खड़ूस टीचर को विद्यार्थी हिटलर कहकर बुलाते हैं। क्यों? क्योंकि वे उन्हें पसंद नहीं? क्योंकि वे लोग अपने फैसले उन पर थोपते हैं? सिर्फ इतना ही कारण है?
हिटलर की पार्टी
शायद हां… लेकिन लोगों को मिलने वाला यह हिटलर नाम उनका अपना नहीं है। यह एडोल्फ़ हिटलर का, एक ऐसी शख़्सियत जिनका नाम सुनकर ही उस ज़माने में अच्छे-अच्छे लोगों की टांगें कांपने लगती थीं। एडोल्फ़ हिटलर एक प्रसिद्ध जर्मन राजनेता एवं तानाशाह थे। वे “राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी” (एनएसडीएपी) के नेता थे।
निर्दयी इंसान
हिटलर काफी तेज़ तर्रार, रूखे स्वभाव वाला एवं निर्दयी इंसान माना जाता था। उन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार भी माना जाता है। हिटलर के जीवन से जुड़े कई रहस्य हैं, जिन्हें इतिहासकारों ने समय-समय पर सुलझाने की कोशिश की है, लेकिन एक रहस्य शायद कोई नहीं जानता, वह है हिटलर की मौत का रहस्य।
हिटलर की मौत
ऐसा माना जाता है कि जब रूसियों ने बर्लिन पर आक्रमण किया तो हिटलर ने 30 अप्रैल, 1945 को आत्महत्या कर ली। लेकिन एक नाज़ी पत्रकार के मुताबिक तब हिटलर की मौत कतई नहीं हुई थी, बल्कि हिटकर की मौत 95 साल की उम्र में ब्राज़ील में हुई थी।
नाज़ी पत्रकार ने कहा
इस नाज़ी पत्रकार के अनुसार अपने शत्रुओं से बचते हुए हिटलर अर्जंटीना के रास्ते पैराग्वे आए थे। इस बीच उन्होंने ब्राज़ील में कुछ समय एक अनजान जगह पर, एक छोटे से क्षेत्र में निवास भी किया जहां उन्हें जानने-पहचानने वाला कोई नहीं था। क्योंकि यहां वे अपने असली नाम से नहीं जाने जाते थे।
एडोल्फ़ लीपज़ेग
उन्होंने खुद को एडोल्फ़ लीपज़ेग बताया था, क्षेत्र में रहने वाले सभी लोग उन्हें इसी नाम से जानते थे और नहीं जानते थे कि वे कहां से आए हैं। बस उनकी नजर में एडोल्फ़ का संबंध जर्मनी से था और वह शायद वहीं से आया था लेकिन किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि असल में यह इंसान कौन है।
हिटलर की मौत
हिटलर की मौत के रहस्य से पर्दा उठाती एक किताब में उनकी एक तस्वीर भी प्रकाशित की गई है। जिसमें वे काफी प्रसन्न हैं और अपनी ब्लैक गर्लफ्रेंड के साथ फोटो क्लिक करवा रहे हैं। यह तस्वीर उनकी असल मृत्यु तिथि से तकरीबन 2 वर्ष पहले की है। उनकी गर्लफ्रेंड का नाम क्यूतिंगा बताया गया है।
ब्राज़ील में हिटलर
हिटलर की ब्राज़ील में गुज़री ज़िंदगी एवं मौत पर आधारित किताब को सिमोनी डायस नामक एक महिला द्वारा लिखा गया है, जो यह दावा करती हैं कि हिटलर ने अपने जीवन का एक लंबा अरसा ब्राज़ील में गुज़ारा। यहां उन्होंने अपनी प्रेमिका के साथ जीवन बिताया और अपनी प्रेमिका के प्रयोग से ही अपनी असल पहचान को छुपाकर रखा।
सिमोनी की खोज
सिमोनी इस बात को मानने से इनकार नहीं करती कि हिटलर ने बर्लिन पर हुए आक्रमण के दौरान खुद को गोली मारी थी। लेकिन हिटलर की मौत पर करीब 2 वर्षों तक शोध करने के बाद उनके हाथ ऐसे कई सुबूत लगे जो यह दर्शाते हैं कि हिटलर मरे नहीं थे।
पहला सबूत
सबसे पहला सुबूत वह डीएनए टेस्ट है जो हिटलर के मौजूदा संबंधियों की मदद से किया गया था। वह साबित करता है कि 95 वर्ष की आयु पूरी करके शांति की मौत सोने वाला एडोल्फ़ लीपज़ेग ही हिटलर था। दूसरा कारण जो सिमोनी के शक़ को यकीन में बदलता दिखाई दिया, वह था एडोल्फ़ द्वारा ‘लीपज़ेग’ सरनेम का प्रयोग करना।
सरनेम
हिटलर के एक करीबी ‘बाच’ का जन्म स्थान था लीपज़ेग, शायद इसलिए उन्होंने अपनी पहचान छिपाने के लिए इसी सरनेम का प्रयोग किया। तीसरा और सबसे अहम सुबूत सिमोनी को तब हासिल हुआ जब उन्होंने नाज़ी पत्रकार द्वारा प्रस्तुत की गई उस तस्वीर को हिटलर की असल तस्वीर से मिलाकर देखा।
तस्वीर
अपनी असल तस्वीर में हिटलर की मूंछें थीं, इसलिए सिमोनी ने पहले उन मूंछों को उस तस्वीर से हटाया और नाज़ी पत्रकार की उस तस्वीर से मिलाया था वह अचंभित रह गईं। दोनों तस्वीरें काफी हद तल मेल खा रहीं थी। इन तीन वाक्यों के बाद सिमोनी को यह यकीन हो गया कि एडोल्फ़ लीपज़ेग ही एडोल्फ़ हिटलर है।
हिटलर इन ब्राज़ील
सिमोनी द्वारा लिखी गई इस किताब ‘हिटलर इन ब्राज़ील: हिज़ लाइफ एंड हिज़ डेथ’, पर कई शोधकर्ताओं ने विभिन्न सवाल उठाए। इस किताब को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई गई है जो लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध हुई।
अफीम का नशा
हिटलर के बारे में एक पुस्तक में दावा किया गया है कि जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर की नसें अफीम वाले हजारों इंजेक्शन के चलते बर्बाद हुई थी और द्वितीय विश्व युद्ध के आखिरी चरण में नाजी तानाशाह के सनकी फैसलों की वजह मादक पदाथरें पर उसकी अत्यधिक निर्भरता थी ।
सनक घुस गई थी दिमाग में
पुरस्कार विजेता जर्मन लेखक नार्मन ओहलर के मुताबिक हिटलर को हेरोईन जैसे एक मादक द्रव्य की लत लग गई थी जिसे युकोडेल कहा जाता है। 1944 में लगे सदमे के बाद उन्हें इसकी सलाह दी गई थी। ओहलर की पुस्तक ‘ब्लिट्ज: ड्रग्स इन नाजी जर्मनी’ में दलील दी गई है कि हेरोईन जैसा नशीली पदार्थ हिटलर के आखिरी समय में उसके सनकी व्यवहार के लिए काफी हद तक जिम्मेदार था
कई राज दफ्न हैं पुस्तक में
इसी पुस्तक में लिखा गया कि 1944 में ‘ऑपरेशन वाकयरी’ के रूप में जानी जाने वाली हिटलर की हत्या की कोशिश में बचने के बाद उसे नशे की लत लगी थी। इस घटना के तहत विरोधी खेमे ने हिटलर की मेज के नीचे एक ब्रीफकेस में बम रख दिया था।
हिटलर के कान के पर्दे भी फटे
इस विस्फोट से हिटलर की दोनों कान के पर्दे फट गए। शरीर में र्छे घुस गए और नसें प्रभावित हो गई। ओहलर को यह कहते हुए हुए बताया गया , ‘‘मैं 1944 से डरा हुआ हूं, हिटलर ने एक दिन भी चैन से नहीं बिताया।’’
एकाकी हो गया था हिटलर
ओहलर ने बताया कि इस घटना के पहले हिटलर लोगों के बीच रहने वाला व्यक्ति था..लेकिन अपने उपर जानलेवा हमले के बाद वह एकाकी हो गया , उसने दूसरों पर भरोसा करना छोड दिया और व्याकुल रहने लगा। हिटलर ने डॉ मोरेल से अपना पुराना आत्मविश्वास बहाल करने को कहा इसलिए उस वक्त से उसे हजारों इंजेक्शन लगाए गए।
हिटलर का पहला प्यार
बहरहाल, यूरोप की धरती पर कत्लेआम मचाने के लिए हिटलर को सबसे ज्यादा क्रूर शासक के रूप में जाना गया। हिटलर के बारे में खास बात ये है कि भले ही द्वितीय विश्व युद्ध में यूरोप की धरती को यहूदियों के खून से लाल कर दिया गया हो, लेकिन हिटलर का पहला प्यार एक यहूदी लड़की ही थी, साथ ही हिटलर शाकाहारी था। इतना ही नहीं, उसने पशु क्रूरता के खिलाफ एक कानून भी बनाया था।
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